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भावी पीढ़ी की सुरक्षा के लिए करना ही होगा धरा का संरक्षण

Kanpur Nagar (Uttar Pradesh)

Kanpur Nagar (Uttar Pradesh) Opinions & Updates

ByRajeev Dwivedi Advocate Rajeev Dwivedi Advocate   Contributors Amit Singh Amit Singh Deepika Chaudhary Deepika Chaudhary 25

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पृथ्वी हर व्यक्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए नहीं. (महात्मा गांधी)
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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के कहे इस कथन को आज के संदर्भ में देखें तो यह वास्तविकता लगती है क्योंकि धरती ने हमें रहने के लिए अपनी गोद, सांस लेने के लिए प्राणवायु और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थों व ताजे जल का प्रचुर भंडार प्रदत्त कराया है लेकिन मनुष्य ने अपनी भोग विलासिता के चलते पृथ्वी के ही अस्तित्व को संकट में डाल दिया है. अथाह जल, थल और वायु प्रदूषण, वृक्षों का कटाव, नदियों का शोषण आदि कुकृत्यों के चलते आज व्यक्ति के सामने ग्लोबल वार्निंग चुनौती बनकर खड़ी है. पृथ्वी की रक्षा करने और प्राकृतिक संसाधनों का समझदारी से उपयोग करने के लिए ही "पृथ्वी दिवस" मनाया जाता है. जिसकी शुरुआत 22 अप्रैल, 1970 में अमेरिका से हुयी थी.
पृथ्वी हर व्यक्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को पूरा करने के
  
वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जो परिदृश्य आज हमारे सामने है, ऐसा भविष्य में भी रहा तो एक दिन शायद पृथ्वी से जीव−जंतुओं व वनस्पतियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. आज विश्व में चौतरफा प्रकृति का दोहन जारी है तथा इसके दोहन और प्रदूषण की वज़ह से विश्व स्तर पर लोगों की चिंता सामने आना शुरू हुई है, यहां तक कि हमारी भावी पीढ़ी भी आज पर्यावरण क लेकर अपनी चिंता वैश्विक तौर पर जाहिर कर रही है. आज जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के लिये सबसे बड़ा संकट का कारण बन गया है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते न केवल पृथ्वी को बल्कि पृथ्वीवासियों के सामने भी बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी.
  
धरती के सिस्‍टम और इसके पर्यावरण को बचाए रखने से जुड़े हर प्रकार के अभियान का प्रचार करने और लोगों को अपनी धरती का ख्‍याल रखने की याद दिलता है अर्थ डे, हालाँकि इस दिन देश विदेश में पृथ्वी को लेकर बहुत से इवेंट और एक्‍टीविटीज आयोजित की जाती हैं, लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण ज्‍यादातर देशो में लोग घर पर रहकर ही अर्थ डे मन रहे हैं. वैसे कोरोना महामारी के दौरान पूरी धरती पर प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है. 

भारत की बात करें तो गंगा, यमुना, बागमती. कृष्णा, कावेरी जैसी नदियों के पानी की गुणवत्ता भी काफी हद तक ठीक हुयी है और बड़े बड़े महानगरों में वायु की क्वालिटी भी सुधरी है. क्योंकि लोग अपने घरों में बंद है, कल-कारखाने भी बंद पड़े हुए है, लेकिन लोग तो सुधरेंगे नहीं, लॉकडाउन खुलते ही जनता और सरकारों की मनमानी धरती पर फिर से शुरू हो जाएगी और एक बार फिर पृथ्वी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो जायेगा. इसलिए हम सभी को इस विश्व पृथ्वी दिवस पर संकल्प लेना चाहिये कि हम पृथ्वी और उसके वातावरण को बचाने का प्रयास करेंगे, अधिक से अधिक वृक्ष लगायेंगे और अपनी नदियों को साफ़ रखेंगे.

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