कानपुर के प्रसिद्द गंगा मेला पर सड़कों पर निकला रंगों का ठेला, झूमें शहरवासी
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By
Yashpal Singh Contributors
Deepika Chaudhary 22
कानपुर का ऐतिहासिक गंगा मेला इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया गया और शहरवासी रंगों से सरोबार दिखाई दिए. इस मौके पर भाजपा पार्षद दल सचेतक और कानपुर के वार्ड 78 सिविल लाइन्स के पार्षद यशपाल सिंह ने शहरवासियों को गंगा मेला (सरसैया घाट) की शुभकामनाएं दी.
गौरतलब है कि कानपुर में सात दिनों तक होली मनाने का प्रचलन स्वतंत्रता से भी पहले का रहा है. कहा जाता है कि कानपुर शहर के अस्तित्व में आने से पहले यहां जाजमऊ परगना क्षेत्र में शामिल था और यहां रंग पंचमी तक होली मनाई जाती थी. लेकिन इससे अधिक चर्चित यहां स्वतंत्रता पूर्व की कहानी है.
गंगा मेला से जुडी लोक मान्यताओं के अनुसार कानपुर के हटिया क्षेत्र को व्यापार का गढ़ माना जाता था. तब यहां के जाने माने व्यापारी गुलाब चंद सेठ होली के उत्सव पर काफी बड़ा आयोजन करते थे, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुआ करते थे. इसी अवसर पर एक अंग्रेज अधिकारी ने जब रंग खेलने से सेठ को रोका तो उन्होंने इससे इंकार कर दिया जिस पर सेठ को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने इसका विरोध जताया और इन विरोधियों को सरसैया घाट स्थित कारागार में डाल दिया गया. इस घटना से समस्त शहरवासियों में रोष फैल गया और इस पर आन्दोलन शुरू हो गया. इस आन्दोलन के चलते अंग्रेजी शासन ने गिरफ्तार लोगों को छोड़ दिया.
इस रिहाई से खुश हुए शहरवासियों ने मिलकर होली खेली, हटिया क्षेत्र से रंग से भरा ठेला निकालकर जमकर रंग खेला गया और सरसैया घाट पर मेले का आयोजन किया गया. तभी से हर वर्ष कानपुर में सात दिनों तक होली खेली जाती है और सरसैया घाट पर गंगा मेला का आयोजन धूमधाम से किया जाता है.