आपातकाल की क्रान्ति से जन्म लेने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वर्तमान
में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. भाजपा ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक
गठबंधन’ (एनडीए) का नेतृत्व
भी करती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही भाजपा आज भारत
के साथ ही विश्व की सबसे शक्तिशाली राजनीतिक पार्टी के रूप में उभर रही है, जिसका
कारण आम चुनावों में भाजपा को मिलने वाला ऐतिहासिक जनादेश है. वर्तमान में भाजपा
545 में से 303 लोकसभा सीटों के साथ सत्ता में है, जो कि बहुमत (272) के आंकड़े से
भी काफी अधिक है.
इतिहास –
राष्ट्रवादी और हिन्दुत्ववादी विचारधारा के साथ राजनीति करने वाली भारतीय जनता
पार्टी के सामने आज भले ही कोई पार्टी खड़ी नहीं हो पा रही है, लेकिन इस स्थिति तक
पहुंचने के लिए भाजपा संघर्ष के कठिन दौर से गुजरी है. भारतीय जनता पार्टी का उदय
मूलरूप से भारतीय जनसंघ से हुआ है, जिसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951
में की थी. जनसंघ ने शुरू से ही राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दे उठाए तथा इस संगठन ने
तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों के उलटफेर में भी अहम भूमिका निभायी. वहीं 1975–
77 तक आपातकाल के दौरान जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने इमरजेंसी का जमकर विरोध किया.
जनसंघ से जनता पार्टी तक -
1977 में आपातकाल समाप्त हुआ, जिसके बाद भारतीय जनसंघ का कई अन्य पार्टियों में विलय हो गया, इस विलय को ‘जनता पार्टी’ का नाम दिया गया. इस पार्टी ने स्थापना के साथ ही आजादी के बाद से ही देश पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया. ये देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की पहली हार थी. 1977 के लोकसभा चुनावों में नवगठित जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ 330 सीटें हासिल करने में सफल रही, जबकि आपातकाल से नाराज़ जनता ने कांग्रेस को नकारते हुए 154 सीटों पर ही समेट दिया.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना –
विभिन्न दलों के विलय से गठित हुई जनता पार्टी अपना पहला कार्यकाल पूर्ण नहीं
कर सकी. 1979 में पार्टी के विघटित होने के साथ ही सरकार गिर गई. उस समय पार्टी के
दो सबसे बड़े नेताओं श्री अटल बिहारी बाजपेयी व श्री लाल कृष्ण आडवाणी ने जनता
पार्टी से दूरी बना ली तथा हिन्दुवाद और राष्ट्रवाद की विचारधारा को लेकर 6
अप्रैल, 1980 में एक नई पार्टी की नींव रखी, जिसे ‘भारतीय जनता पार्टी’ नाम दिया गया.
पहला आम चुनाव –
स्थापना के बाद भारतीय जनता पार्टी ने 1984 के लोकसभा चुनाव के रूप में अपना
पहला चुनाव लड़ा. इस समय पार्टी अध्यक्ष श्री अटल बिहारी बाजपेयी थे तथा पार्टी का
चुनाव चिह्न ‘कमल का फूल’ था. वर्तमान में पूरे देश में कमल खिलाने वाली भाजपा को उस समय बड़ी हार
का सामना करना पड़ा था. 1984 के आम चुनावों में पार्टी को सिर्फ दो सीटों पर ही
जीत हासिल हुई, जिसमें पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष भी मध्य- प्रदेश के ग्वालियर से
अपनी सीट हार गए थे. इस चुनाव में भाजपा ने 224 प्रत्याशी खड़े किए थे.
श्री लाल कृष्ण आडवाणी की भूमिका –
वर्तमान में भाजपा के मार्गदर्शक की भूमिका निभाने वाले श्री लाल कृष्ण आडवाणी
ने जनसंघ से लेकर भाजपा के गठन में अहम योगदान दिया है. 1951 में जनसंघ की स्थापना
के साथ ही वह संगठन के सचिव चुने गए तथा 1957 तक इस पद पर बने रहे. इसके बाद 1973
से लेकर 1977 तक को उन्हें बतौर अध्यक्ष जनसंघ का नेतृत्व किया. 1980 में श्री अटल
बिहारी बाजपेयी के साथ मिलकर उन्होंने भाजपा की स्थापना की. इस दौरान अटल जी
पार्टी के अध्यक्ष व आडवाणी जी महासचिव बने.
उदारवादी राजनीति करने वाले श्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की
हार के बाद लौहपुरूष आडवाणी के नाम से प्रसिद्ध श्री लाल कृष्ण आडवाणी को 1986 में
पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वह तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह
चुके हैं.
राममंदिर आन्दोलन –
इतिहास के पृष्ठों पर मोटे अक्षरों से अंकित 1990 का राम मंदिर आन्दोलन आज भी
लोग भुला नहीं पाए है. यह उस समय की बात है जब अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि को लेकर
चल रहा विवाद हिंसक हो गया था. इस आंदोलन में श्री लाल कृष्ण आडवाणी ने भी अहम
भूमिका निभायी थी. इस दौरान उन्होंने राममंदिर निर्माण के समर्थन में सोमनाथ से
लेकर अयोध्या तक एक विशाल रथयात्रा निकाली थी. किन्तु उनके अयोध्या पहुंचने से
पहले ही आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया था और कई जगहों पर हुई हिंसक झड़पों में
सैकड़ों कारसेवकों की मौत हो गयी थी. इस दौरान आडवाणी जी को बीच में ही गिरफ्तार
कर लिया गया था.
इस आंदोलन के बाद वह भाजपा के साथ ही भारतीय राजनीति का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए. वर्तमान दौर के सबसे अनुभवी राजनीतिज्ञों में शामिल आडवाणी जी पांच बार लोकसभा व चार बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. गुजरात की गांधीनगर सीट उनका गढ़ मानी जाती रही है, जहां से अभी श्री अमित शाह सांसद हैं.
‘अटल’ युग –
‘भारत रत्न’ व भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी
वाजपेयी भारतीय राजनीति का एक चमकता हुआ सितारा हैं, जिन्हें पिछले वर्ष 16 अगस्त
2019 को देश ने खो दिया. आज अटल जी दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी कविताएं, विचार,
भाषण लोगों की स्मृति में उनकी अमर छाप छोड़ चुके हैं. वह एक श्रेष्ठ कवि व पत्रकार
भी थे, साथ ही वह कई पत्र- पत्रिकाओं के संपादक भी रहे हैं. उदार
व्यक्तित्व व शानदार शख्सियत वाले श्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने ‘अटल’
इरादों के लिए जाने जाते रहे हैं.
भारतीय राजनीति के सबसे लोकप्रिय जननायकों में शुमार अटल जी ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान स्वतंत्रता संग्राम में उभरकर सामने आए. इसके बाद जनसंघ के गठन में
उन्होंने अहम भूमिका निभायी. 1968 में उन्हें जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त
किया गया. जनसंघ के विलय से लेकर जनता पार्टी के उदय तक अटल जी का महत्वपूर्ण
योगदान रहा. जनता पार्टी के विघटन के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना
के साथ ही वह पार्टी के अध्यक्ष बनें.
उतार- चढ़ाव भरे राजनीतिक सफ़र में वह अटल विश्वास व दृढ़ निश्चय के साथ लड़ते
रहे. 16 मई 1996 को वह एनडीए के प्रथम व भारत के दसवें प्रधानमंत्री बनें. देश में
उनकी लोकप्रियता उनके संसदीय कार्यकाल से आंकी जा सकती है. वह दस बार लोकसभा व चार
बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. श्री अटल बिहारी बाजपेयी तीन
बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, हालांकि राजनीतिक अस्थिरता के
चलते वह अपना कार्यकाल सिर्फ एक ही बार पूर्ण कर पाए. उनके शासनकाल में किया गया 'पोखरण परमाणु परीक्षण' देश की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शामिल है.
ये बने प्रधानमंत्री –
जनता पार्टी से लेकर भाजपा तक संगठन के तीन वरिष्ठ नेता भारत के प्रधानमंत्री
रह चुके हैं तथा श्री नरेन्द्र मोदी 2014 से लेकर अब तक प्रधानमंत्री पद पर बने
हुए हैं.
1. मोरारजी देसाई (जनता
पार्टी), (24 मार्च, 1977 – 28 जुलाई 1979)
2. चौधरी चरण सिंह (जनता
पार्टी) (28 जुलाई 1979 – 14 जनवरी 1980)
3. अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा)
(16 मई 1996 – 1 जून 1996) (19 मार्च 1998 – 19 अक्टूबर 1999) (19 अक्टूबर 1999 –
22 मई 2004)
4. नरेन्द्र मोदी ( 26 मई 2014 – 23 मई 2019 (23 मई 2019 – पदस्थ)
2014 आम चुनाव ‘मोदी मैजिक’ –
श्री अटल बिहारी बाजपेयी के बाद दस साल 2004 से 2014
तक देश में डॉ मनमोहन सिंह (कांग्रेस) की सरकार रही. लेकिन 2014 में देश में नई
आंधी चली, जिसे देश की जनता ने ‘मोदी
मैजिक’ नाम दिया. ये वो समय था जब
भाजपा ने गुजरात के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र
मोदी के नेतृत्व व श्री अमित शाह की अध्यक्षता में लोकसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव
ने देश की राजनीति के साथ ही भाजपा की तस्वीर भी बदल दी.
‘मोदी मैजिक’ रूपी इस आंधी में भाजपा ने 30 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए पूर्ण बहुमत हासिल
किया तथा सत्ताधारी कांग्रेस ध्वस्त हो गईं. इस चुनाव में भाजपा को अकेले दम पर
282 सीटें मिलीं, जबकि एनडीए की पार्टियों को मिलाकर यह आंकड़ा 337 सीट तक पहुंच
गया. वहीं देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस इस चुनाव में सबसे खराब
प्रदर्शन करते हुए 44 सीटों पर ही सिमट गई. इस चुनाव के बाद भाजपा ने भारतीय
राजनीति में जो दबदबा बनाया, वह अभी तक कायम है.
भाजपा की करिश्माई जोड़ी –
अपने राजनीतिक सफ़र में एक- दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने वाले श्री
नरेन्द्र मोदी और श्री अमित शाह की जोड़ी वर्तमान दौर में राजनीति की सबसे
करिश्माई जोड़ी के रूप में जानी जाती है. यह वो जोड़ी है, जिसने भाजपा को एकजुट
करने के साथ ही उसे फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया.
2014 में भारतीय जनता पार्टी के जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अभी तक जारी है. वर्तमान में भारत के 29 में से 23 राज्यों में भाजपा व गठबंधन की सरकार है. बीजेपी का यह विजय रथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई व श्री अमित शाह की अध्यक्षता में चलता आ रहा है. दोनों शीर्ष नेताओं की पहली मुलाकात 1982 में हुई थी. भाजपा की शाखाओं में एक कार्यकर्ता के रूप में शुरूआत करने वाले श्री नरेन्द्र मोदी आज भारत के प्रधानमंत्री व श्री अमित शाह रक्षा मंत्री का पदभार संभाल रहे हैं.
भारत के 14वें प्रधानमंत्री ‘श्री नरेन्द्र मोदी’ –
एक साधारण परिवार से संबंध रखने वाले श्री नरेन्द्र मोदी संघर्षों की सीढ़ियों
पर चढ़कर सर्वोच्च मुकाम पर पहुंचे हैं. चाय बेचने वाले एक बच्चे से देश के
प्रधानमंत्री तक का सफ़र तय करने वाले मोदी जी भारत के सबसे लोकप्रिय
प्रधानमंत्रियों में से एक है. युवाओं के बीच तो मोदी जी की लोकप्रियता चरम पर है.
वह एक कुशल वक्ता हैं, उनके व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण है, कि वह देश – विदेश में
जहां कहीं भी जाते हैं, वहां बस ‘हर हर मोदी’ और ‘मोदी – मोदी’ के नारों की गूंज सुनाई देती है.
वैश्विक स्तर पर भी भारत के प्रधानमंत्री की एक अलग पहचान बन चुकी है. साथ ही उन्हें अभी तक विभिन्न देशों द्वारा कई अंतरराष्ट्रीय पुरूस्कारों से भी नवाज़ा जा चुका है. इस सूची में सियोल शांति पुरूस्कार, चैंपियन ऑफ द अर्थ अवॉर्ड, सेंट एंड्रयू अवॉर्ड, फिलिस्तीन ग्रैंड कॉलर पुरूस्कार आदि बड़े अवॉर्ड शामिल हैं. अपने कड़े आनुशासन व साहसिक निर्णयों के लिए प्रसिद्ध श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारतीय सेना आतंकी हमलों का जवाब देते हुए पाकिस्तान पर दो बार सर्जिकल स्ट्राइक भी कर चुकी है, जिसमें सैकड़ों आतंकीवादी मारे गए.
श्री नरेन्द्र मोदी 2001 से 2014 तक चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके
हैं, उनके ‘गुजरात मॉडल’ की चर्चा देश- विदेश में
हैं. 2014 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाले श्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय
क्षेत्र वाराणसी (उ.प्र.) है. नोटबंदी, जीएसटी, तीन तलाक बिल, आधार लिंक,
डिजिटलाइजेशन, आदि श्री नरेन्द्र मोदी के अब तक के कार्यकाल भी प्रमुख उपलब्धियां
हैं. वहीं स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे मिशन, मेक इन इंडिया, बेटी बचाओ बेटी
पढ़ाओ, उनके द्वारा शुरू किए गए प्रमुख राष्ट्रीय अभियान हैं.
2019 लोकसभा चुनाव –
2014 में ‘मोदी मैजिक’ नामक जो आंधी आई थी, उसने 2019 में सुनामी का रूप ले
लिया. इस चुनाव में भाजपा ने अपने ही सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए विपक्षी पार्टियों
के सभी प्रयासों व गठबंधनों को असफ़ल कर दिया. इन आम चुनावों में भारतीय जनता
पार्टी को 303 सीटों पर जीत हासिल हुई तथा एनडीए के सांसदों की संख्या 350 पार
पहुंच गई. इस चुनाव में भाजपा ने सभी जातिवादी राजनीतिक समीकरणों को ध्वस्त कर
दिया.
कांग्रेस का चुनावी अभियान व महागठबंधन को देखते हुए इस चुनाव से पहले लोगों को कांटे की टक्कर की उम्मीद थी, किन्तु चुनाव के एकतरफा परिणामों ने पूरे विश्व को हैरत में डाल दिया, साथ ही वैश्विक स्तर पर श्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा का कद भी बढ़ा दिया. 17वें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 54 तथा सपा- बसपा गठबंधन को महज़ 15 सीटें ही मिलीं. जिसके परिणामस्वरूप किसी भी पार्टी को लोकसभा में नेता विपक्ष का दर्जा नहीं मिल सका. वर्तमान में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में भारतीय जनता पार्टी का शासन है.