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फ्लिप्कार्ट, अमेजॉन और स्नेपडील जैसे ई-कॉमर्स साईट के भारी छूट का भारी सचभारी छूट का ऑफर कहीं आपकी जेब तो नहीं कतर रहा  अखबारों में विज्ञापनों की भरमा

Can Green India and Swachh Bharat live with Big Billion Day? – A Review and Research

Can Green India and Swachh Bharat live with Big Billion Day? – A Review and Research Opinions & Updates

BySwarntabh Kumar Swarntabh Kumar   276

फ्लिप्कार्ट, अमेजॉन और स्नेपडील जैसे ई-कॉमर्स साईट के भारी छूट का भारी सच

फ्लिप्कार्ट, अमेजॉन और स्नेपडील जैसे ई-कॉमर्स साईट के भारी छूट का भारी सचभारी छूट का ऑफर कहीं आपकी ज

भारी छूट का ऑफर कहीं आपकी जेब तो नहीं कतर रहा  

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अखबारों में विज्ञापनों की भरमार, टीवी पर आकर्षक छूट का प्रलोभन. आप चाहें कोई भी अखबार उठा लो या कोई भी चैनल बदल लो सभी इन्हीं के विज्ञापन से भरे हुए हैं. ध्यान रहें आपको आकर्षक छूट का लालच देते हुए यह विज्ञापन कहीं आपकी जेब कतर ना रहे हो. अक्सर हम भारी छूट की लालच में ज्यादा की खरीदारी कर लेते हैं, एक की जगह ये भी, ये भी करते हुए 3-4 सामान ले लेते हैं. मगर क्या वाकई ये भारी छूट वाले प्रलोभन सच्चे होते हैं? फ्लिप्कार्ट का बिग बिलियन डे सेल हो, अमेज़न का ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल या स्नेपडील का अनबॉक्स दिवाली सेल ऐसा क्या है कि यह सारे ई-कॉमर्स साईट इतने भारी मात्रा में डिस्काउंट दे पाते हैं वह भी तब जब हमेशा अपने आपको को यह सभी घाटे में दिखाते हैं. विज्ञापनों पर बहाने के लिए इस तरह का बेतरतीब पैसा आखिर कहां से आता है? वह भी तब जब ये हमेशा ही नुकसान में ही रहते हैं. अर्थशास्त्र के इस तंत्र पर टिके इनके खेल में हम भी सहायक की भूमिका बड़ी बखूबी निभाते हैं और हमारे लालच का इस्तेमाल वह हमेशा अपने फायदे के लिए करते हैं.

ऑनलाइन- ऑफलाइन जब कीमत एक ही है तो छूट किस बात की?

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हमारे देश में एक साधारण सा गणित है कि कोई भी चीज नुकसान में नहीं बेची जाती है और बहुत पुरानी कहावत है कि फ्री में तो कोई यहां मैल भी नहीं देता है. तो कोई कैसे इतना भारी-भरकम छूट दे सकता है. आइये थोड़ा झांकने की कोशिश करते हैं इस डील में और वास्तविकता को समझने का प्रयत्न करते हैं. हम मोबाइल की बात करें तो ऐपल का 5s इन साइटों पर 19000 के आसपास मिल रहा है जबकि दक्षिणी दिल्ली के एक दुकानदार मोहन भार्गव से जब हमने इसी मोबइल को लेना चाहा तो मोलभाव के बाद वह भी इसे 19000 में देने को तैयार हो गए.

सेल में बढ़ा दिए जाते हैं दाम

यहीं नहीं एक बड़ी ही दिलचस्प बात नज़र आई कि आज से एक महीने पहले जिस शर्ट को मुझे लेना था उस समय उसकी कीमत हजार रूपए बताया गया था मगर आज 50 प्रतिशत की भारी छूट के बाद भी मुझे वही शर्ट आज भी हजार रूपए में ही मिल रहा है. आज इसकी कीमत वहां 2000 बताई जा रही है. मतलब साफ़ है कि कल तक जिस शर्ट का वास्तविक मूल्य 1000 रूपए था आज उसी को आप 2000 का बता कर 50 प्रतिशत छूट के साथ कल के ही मूल्य पर बेच रहे हैं. ऐसे कई एक उदाहरण है जिसका में खुद साक्षी रहा हूँ.

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एक ही कंपनी के उत्पाद के मूल्यों में हो रही हेराफेरी 

किस तरह से ई कॉमर्स साइट पर एक ही कंपनी के एक ही उत्पाद की कीमत अलग अलग हो सकती है. आपके सामने यह रहा उदाहरण :

 

फ्लिप्कार्ट, अमेजॉन और स्नेपडील जैसे ई-कॉमर्स साईट के भारी छूट का भारी सचभारी छूट का ऑफर कहीं आपकी ज

 

अब आप ही बताइए अमेजॉन पर बिकने वाले एक कंपनी का ट्रैक सूट जिसकी कुल कीमत 999 रुपए है उसे 30% डिस्काउंट के बाद 699 में बेचा जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इसी कंपनी का यही ट्रैक सूट जिसकी कीमत 1599 हो जा रही है और जिसे 60% डिस्काउंट के बाद 629 रूपय में बेचा जा रहा है. माफ कीजिए मुझे इतना गणित तो नहीं आता मगर जिस तरह की हेराफेरी इन ई-कॉमर्स साइटस् में मुझे दिख रहा है उससे इतना तो समझ आ ही जाता है कि यह किस तरह से हमारे साथ खेल खेल रही हैं. कैसे एक ही उत्पाद और एक ही कंपनी के होने के बावजूद उसके मूल्य में लगभग दोगुना फर्क आ जाता है.

विक्रेताओं का घपला, ग्राहकों की मुश्किल 

आइए आगे बढ़ते हैं. ई-कॉमर्स के इन साईट पर एक ही कंपनी के प्रोडक्ट बेचते हुए आपको बहुत से विक्रेता (सेलर) मिल जायेंगे. अभी पिछले साल ही कई नामी ई-कॉमर्स कंपनी ने अपने बहुत से विक्रेता को हटाया बावजूद कई अभी भी उनके साथ काम कर रहे हैं. दरासल होता यह है कि कुछ विक्रेता अगर किसी नामी ब्रांड के उत्पाद को बेच रहा है, मान लीजिये वह किसी ब्रांड के 300 जूते बेचता है मगर वास्तव में होता यह है कि उस ब्रांड के असली जूते उसके पास मात्र 2-3 ही होते हैं जबकि बाकी के उनके पास हुबहू नकली उत्पाद होते हैं जिसपर उनके पास बहुत ही बढ़िया मार्जिन होता है और इस कारण वह आसानी से भारी डिस्काउंट में सामान बेचते हुए भी बहुत ही बढ़िया मुनाफा बनाते हैं.   

न्यूनतम मूल्य हमेशा एक जैसा तो जनाब सेल किस बात की

हमने अपने इसी रिसर्च के दौरान कुछ आम ग्राहकों से बात की उसी में से एक नॉएडा सेक्टर 12 में रहने वाले अमित पटवाल ने बताया की हो सकता है किसी खास उत्पाद पर कुछ खास डिस्काउंट मिल रहा हो मगर बाकी चीजें आम दिनों के ही मूल्य पर बिक रही हैं. उन्होंने बताया की बिना सेल के भी पूमा के जूते वाले सेक्शन में जिस रेंज का उत्पाद पहले मिल रहे थे आज भी भारी-भरकम सेल के बावजूद उसी रेंज में मिल रहें हैं. मतलब कि कल भी पूमा का सबसे मिनियम मूल्य वाला उत्पाद अगर 1000 का था तो आज भी उसका न्यूनतम मूल्य 1000 ही है. बंपर छूट का तो मतलब तब होता जब हमें वह 700-800 या उससे कम में मिल पाता.

अब फैसला आपका है. बंपर सेल के नाम पर जेब की बंपर चपत से आप खुद को कैसे बचाते हैं. आपके लालच पर हमला करते यह ई-कॉमर्स साईट वास्तव में बेहद चालाक और दूरदर्शी हैं. वास्तव में खुद को घाटे में दिखाने वाले यह साईट कभी घाटे में रहे ही नहीं, वरना कौन इतना खर्चा विज्ञापनों में करता है साहेब.

-स्वर्णताभ

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