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By
Mohd. Irshad Saifi 108
पानी से है हरियाली, पानी नही तो जीवन में होगी बदहाली
हमारे देश में जल को जीवन कहा जाता है, कहते है जल के बिना जीवन संभव नही, लेकिन वो जल जो जीवन को जलाने लगे तो हमारा भविष्य खतरे में पड़ जायेगा। नदीयां जिनको कभी शुद्ध कहा जाता था, आज उन नदीयों का अस्तित्व साफ खतरे में नजर आ रहा है। आइए देखते है बैलिट-बाक्स इंड़िया की रिपोर्ट.....
कभी महानगरों की पहचान मानी जाने वाली हिंड़न नदी का अस्तित्व खतरें में है। इससे जलीय प्राणीयों का जीवन भी खतरें में पड़ गया है। इसका पानी पीने लायक तो कभी रहा ही नहीं, बच्चे में अब इसमें नहाने से कतराते है। इसमें आक्सीजन की मात्रा लगातार दिनों दिन घटती नजर आ रही है। अब ये नदी शोध करने तक ही सीमित रह गई है। वर्षा ऋतु में भी यह लगभग सूखी रहती है, इस नदी में जलीय जीवन के नाम पर काइरोनाॅस लार्वा ही बचा है, जोकि भारी जल प्रदूषण का संकेत है। यह सूक्ष्म जीव की श्रेणी में आता है।
उत्तर भारत में यमुना की सहायक नदी हिण्ड़न, जो कि जिला मुजफफरनगर, मेरठ, बागपत, गाज़ियाबाद, ग्रेटर नोएड़ा और दिल्ली से कुछ दूर यमुना में जाकर मिल जाती है।
हिंड़न नदी गाजियाबाद के मोहन नगर औद्योगिक क्षेत्र से आने वाला जहरीला पानी, धार्मिक पूजन सामिग्री व मलमूत्र मिलते है। गांव छगारसी में पशुओं का नहलाना आदि से पानी में प्रदूषण की बढ़ोत्तरी होती है। लगभग दस साल पहले इस नदी में अनेक जजीय पशु, मछलियां व मेढ़क दिखाई देते थे। अब वर्तमान में सूक्ष्मजीव, काइरोनाॅमस लार्वा, नेपिड़ी, प्लैनेरोबिड़ी आदि परिवार के सदस्य बचे है।
लगातार घटती जा रही जल में आक्सीजन की मात्रा को देखते हुए ये कहना अब गलत नही होगा कि हिंड़न नदी एक प्रदूषण फैलाने वाली नदी बन जायेगी।
अब क्या करना होगा
हिंड़न नदी को बचाने के लिए स्थानीय लोगों को साथ जुड़कर एक अभियान चलाना होगा और एक मंच पर आकर इस जिम्मेदारी को हम सभी को निभाना होगा। इसके साथ-साथ आरटीआई एक्टिविस्ट, एड़वोकेट को साथ जोड़कर सरकार की कार्यप्रणाली को जनता के सामने लाया जायेगा। जिससे जनता सरकार के ऊपर दवाब बना सके।
पहला चरण
हिंड़न की वर्तमान में स्थिति क्या है, हिंड़न की पानी कितना प्रतिशत तक कम है। इससे आम जन मानस को कितने खतरे हैं, जिससे लोगों को आगह किया जा सके। नदी में प्रदूषण कहां-कहां से हो रहा है, कैसे हो रहा है, क्या इसे रोका जा सकता, इसके लिए क्या-क्या कदम उठाने उचित है। आस-पास के सीवेज व औद्योगिक क्षेत्रों का पानी हिंड़न में न ड़ालकर कहां ड़ाला जाये, क्या विकल्प हो सकते है। हम समस्याओं का हल निकालने की कोशिश करेगें न कि विरोध।
दूसरा चरण
इस ड़िटेल को लेकर नदी के लिए काम कर रहे लोगों से बात करेगें। सीधे तौर पर हिंड़न नदी बचाओ अभियान चलाकर स्थानीय मीड़िया में इन मुद्दों को उठाया जायेगा। अधिकारों को लेकर एक पत्राचार किया जायेगा। हमारी कोशिश यह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड़ व हिंड़न को लेकर होने वाली बैठक में हमारे द्वारा बनाये गये सदस्य भी भाग लें।
अभी चर्चा बाकी है....