Environment

Clean air, water, safe flora and fauna protected by the communities is not just a question of moral obligation, it's a question of survival of us all, environment first should be the policy be it economics or otherwise.

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Latest on Environment

भावी पीढ़ी की सुरक्षा के लिए करना ही होगा धरा का संरक्षण
भावी पीढ़ी की सुरक्षा के लिए करना ही होगा धरा का संरक्षण

पृथ्वी हर व्यक्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए नहीं. (महात्मा गांधी)राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के कहे इस कथन को आज के संदर्भ में देखें तो यह वास्तविकता लगती है क्योंकि धरती ने हमें रहने के लिए अपनी गोद, सांस लेने के लिए प्राणवायु और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थों व ताजे जल का प्रचुर भंडार प्रदत्त कराया है लेकिन मनुष्य ने अपनी भोग विलासिता के चलते पृथ्वी के ही अस्तित्व को संकट में डाल दिया है. अथाह जल, थल और वायु प्रदूषण, वृक्षों का कटाव, Read more...

जलते अमेज़न वर्षावन और विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव – एक अध्ययन
जलते अमेज़न वर्षावन और विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव – एक अध्ययन

 वनों में आग लगना या भारतीय भाषा में दावानल का भडक उठना यूँ तो शुष्क गर्मियों के मौसम में एक सामान्य सी घटना है, जिसके अंतर्गत कभी कम तो कभी अधिक आग सघन वन के एक बड़े हिस्से में धधक उठती है और काफी प्रयासों के बाद ही यह दाहक अग्नि शमित हो पाती है.पर सोचिये, पांच करोड़ वर्ष पुराने अमेज़न वर्षावनों, जिन्हें “धरती के फेफड़ों” की संज्ञा दी गयी है, यदि उनमें ही भीष्ण अग्निपात होता रहे और वह भी बेहद व्यापक स्तर पर पिछले आठ माह में लगभग 75,000 स्थानों पर...तो क्या यह भी उतना ही सामान्य रह पायेगा. 13 अगस्त Read more...

Do you know your Ganga?
Do you know your Ganga?

For most of us the Ganga is merely a conduit of water. Is that true? In the heart of heart we do revere the River, but remain helpless spectators of the assault on the holy Ganga. The northern plains of India are a gift from the Ganga, Indus and their tributaries. Ganga plains are the largest flood plains in the world. Much of the problems of Ganga are due to ignorance/callousness of the occupants of these plains. Ganga was earlier supposed to be a self-cleansing river. This was true to a great Read more...

आदिगंगा गोमती के पुनर्जीवन के लिए इमलिया घाट पर गोमती सेवा समाज की विचारगोष्ठी
आदिगंगा गोमती के पुनर्जीवन के लिए इमलिया घाट पर गोमती सेवा समाज की विचारगोष्ठी

मोहम्मदी खीरी में प्रवाहित गोमती के संरक्षण और संवर्धन के लिए संकल्पित गोमती सेवा समाज ने यहां के प्रमुख तट इमलिया घाट पर भ्रमण करते हुए घाट की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया और साथ ही सभी गोमती मित्रों ने विचार संगोष्ठी का आयोजन भी किया. गोष्ठी में गोमती सेवा अभियान के संरक्षक नेचर फोटोग्राफर श्री सतपाल सिंह, सचिव मनदीप सिंह, अध्यापक योगेश वर्मा, अनूप बाजपेयी, ओमप्रकाश मौर्या, बक्शीश सिंह, योगेश वर्मा, रजत दीक्षित, मयंक गुप्ता, प्रियांशु त्रिपाठी, आयुष मौर्या के साथ साथ छात्रों प्रणव राव, जयदेव म Read more...

Paryavaran Sandesh by Neer Foundation for Kali Nadi..Swachta Abhiyan
Paryavaran Sandesh by Neer Foundation for Kali Nadi..Swachta Abhiyan

On behalf of Team NEER, I am excited to share its recent developments with the readers. We are happy to share that we have made significant developments in our goals. These newsletters give an insight in our ground work. I wish a happy reading to all and welcome any suggestions and comments.Kali Nadi - Swachta Abhiyan Updates ... Cleanliness work was started in Antwada village of Muzaffarnagar district, the origin of Kali River East, the main tributary of Ganga. Khatauli SDM Mr. Ajay Kumar Ambaa Read more...

एक कहानी डूबते शहरों की – इस ग्लोबल वार्मिंग से बचा ही क्या है जनाब?
एक कहानी डूबते शहरों की – इस ग्लोबल वार्मिंग से बचा ही क्या है जनाब?

 एक किस्सा सुनेंगे आप, उत्तरी जकार्ता के निवासी रासडियोनो जो काफी पहले से समुद्र किनारे पास ही स्थित एक पहाड़ी पर अपना पारिवारिक व्यवसाय यानि एक छोटा सा भोजनालय “ब्लेस्ड बोडेगा” चलाते हैं. रासडियोनो के अनुसार पहले समुद्र से इस पहाड़ी और भोजनालय की दूरी अच्छी खासी थी, पर साल दर साल समुद्र उनके पास आता चला गया, इतना कि एक दिन इस पूरी पहाड़ी को ही निगल गया. अब समुद्र उनके भोजनालय से ऊँचा हो गया है और शायद उसे भी एक दिन निगल जाने के इंतजार में है.न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से आई यह कहानी आज के जकार्ता क Read more...

नेशनल मैपिंग ऑफ वॉटर स्ट्रेस्ड ब्लॉक की रिपोर्ट - देश के 257 जिलों में गंभीर रूप से गिरता भूजल स्तर
नेशनल मैपिंग ऑफ वॉटर स्ट्रेस्ड ब्लॉक की रिपोर्ट - देश के 257 जिलों में गंभीर रूप से गिरता भूजल स्तर

निरंतर गर्माती धरती, सूखते जल स्त्रोत और त्वरित गति से बढ़ता नदी जल प्रदूषण...ये सब पंक्तियां जो अब तक अख़बारों के कोनों में या मोबाइल की ई न्यूज़ नोटिफिकेशन में कहीं छुपी हुई थी, अब हम सबके सामने आ खड़ी हुई हैं. जो चेन्नई वर्ष 2015 की बाढ़ में जलमग्न हो गया था, इस वर्ष अब तक के सबसे भयंकर सूखे का सामना कर रहा है. महानगर के वासियों ने इतने विकट जल संकट का शायद अनुमान भी नहीं लगाया होगा.हाल ही में नेशनल मैपिंग ऑफ वॉटर स्ट्रेस्ड ब्लॉक की एक रिपोर्ट हम सभी के सामने आई, जिसमें देश के 257 जिलों के अंतर्गत Read more...

पर्यावरण दिवस विशेष – संयुक्त व्यापार मंडल द्वारा पौधारोपण कर दिया गया पर्यावरण संतुलन का संदेश
पर्यावरण दिवस विशेष – संयुक्त व्यापार मंडल द्वारा पौधारोपण कर दिया गया पर्यावरण संतुलन का संदेश

दिनांक - 5 जून, 2019विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हम सभी को पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाना होगा. इसी पवित्र संकल्प के साथ आज गाजियाबाद में संयुक्त व्यापार मंडल की टीम द्वारा पौधारोपण किया गया तथा सभी देशवासियों से ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर पर्यावरण संतुलन बनाने रखने एवं प्रकृति की रक्षा करने का विनम्र आग्रह किया गया. जैसा कि सभी जानते हैं कि पर्यावरण असंतुलन के चलते अपने देश भारत सहित समूचे विश्व में भयंकर गर्मी देखने को मिल रही है, बहुत से स्थानों Read more...

गोमती बचाओ अभियान के अंतर्गत लखीमपुर खीरी में गोमती सेवा समाज की आठवीं पद यात्रा
गोमती बचाओ अभियान के अंतर्गत लखीमपुर खीरी में गोमती सेवा समाज की आठवीं पद यात्रा

उत्तर प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाने वाली गंगा की प्रमुख सहायक गोमती नदी अपने सदानीरा स्वाभाव से लाखों प्रदेशवासियों की प्यास बुझाने के साथ साथ जीविका का अहम आधार भी है. यह प्रदेश के बहुत से जिलों मसलन; लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, हरदोई, सुल्तानपुर, जौनपुर इत्यादि से होकर गुजरती है, परन्तु आज इन जिलों में गोमती या तो प्रदूषण के चलते दम तोड़ रही है या फिर अतिक्रमण, अवैध खनन, प्रशासनिक लापरवाही आदि के चलते नदी विभिन्न स्थानों पर सूख चुकी है.  “गोमती बचाओ अभियान” के जरिये गोमती क Read more...

गंगा दशहरा विशेष : दायित्व याद दिलाता गंगा दशहरा
गंगा दशहरा विशेष : दायित्व याद दिलाता गंगा दशहरा

ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, तिथि दशमी, हस्त नक्षत्र, दिन मंगलवार। बिंदुसर के तट पर राजा भगीरथ का तप सफल हुआ। पृथ्वी पर गंगा अवतरित हुई। ''ग अव्ययं गमयति इति गंगा'' अर्थात जो स्वर्ग ले जाये, वह गंगा है। पृथ्वी पर आते ही सबको सुखी, समृद्व व शीतल कर दुखों से मुक्त करने के लिए सभी दिशाओं में विभक्त होकर सागर में जाकर पुनः जा मिलने को तत्पर एक विलक्षण अमृतप्रवाह! जो धारा अयोध्या के राजा सगर के शापित पुत्रों को पु़नर्जीवित करने राजा दिलीप के पुत्र, अंशुमान के पौत्र और श्रुत के पिता राजा भगीरथ के पीछे चली Read more...

गंगा दशहरा विशेष - गंगा कब बनेगी लोक एजेण्डा?
गंगा दशहरा विशेष - गंगा कब बनेगी लोक एजेण्डा?

 आज गंगा दशहरा है। गंगा दशहरा मतलब ऐतिहासिक तौर पर गंगा अवतरण की तिथि; पारम्परिक रूप में स्नान का अवसर; उत्सव रूप में गंगा आरती का पर्व। इतिहास, परम्परा और उत्सव का अपना महत्व है, हक़ीक़त, सेहत और समय की चिंता व चिंतन का अपना। हक़ीक़त यह है कि बीते एक वर्ष के दौरान, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विज्ञान-पर्यावरण केन्द्र, संकटमोचन फाउण्डेशन समेत जिस भी विशेषज्ञ संस्थान ने गंगाजल की गुणवत्ता रिपोर्ट पेश की; सभी ने सबसे ज्यादा चिंता, गंगाजल में बीओडी और कॉलिफोर्म की मात्रा को लेकर जताई। बीओडी क्या Read more...

पर्यावरण दिवस विशेष - फिजूलखर्ची घटाओ, पुर्नोपयोग बढ़ाओ, पर्यावरण बचाओ
पर्यावरण दिवस विशेष - फिजूलखर्ची घटाओ, पुर्नोपयोग बढ़ाओ, पर्यावरण बचाओ

अंग्रेजी का 'एन्वायरन्मेंट' शब्द, फ्रांसीसी शब्द 'एन्वायरन्स' से विकसित हुआ। पारिस्थितिकीय संदर्भों में 'एन्वायरमेन्ट' शब्द का प्रयोग पहली बार 1956 में हुआ। 20वीं सदी के छठे दशक से पूर्व के किसी संस्कृत-हिंदी ग्रंथ अथवा शब्दकोष में 'पर्यावरण' शब्द का उल्लेख नहीं मिलता। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी विश्व पर्यावरण दिवस हेतु 1972 में पहली बार निर्देशित किया। प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस, वर्ष 1974 में मनाया गया। भारत की बात करें तो वर्ष 1985 से पहले भारत में पर्यावरण का अलग कोई मंत्रालय नहीं था; पर्यावरण Read more...

पर्यावरण दिवस विशेष - पर्यावरणीय समृद्धि के संकल्प सूत्र
पर्यावरण दिवस विशेष - पर्यावरणीय समृद्धि के संकल्प सूत्र

 विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामना..! हार्दिक शुभकामना है कि आप स्वस्थ जियें; मरें, तो संतानों को सांसों और प्राणजयी संसाधनों का स्वस्थ-समृद्ध संसार देकर जायें।संकल्प करें; नीचे लिखे 21 नुस्खे अपनायें; आबोहवा बेहतर बनायें; शुभकामना को 100 फीसदी सच कर जायें।1. स्वच्छता बढ़ायें कचरा चाहे, डीजल में हो अथवा हमारे दिमाग में; ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ाने में उसकी भूमिका सर्वविदित है, किंतु स्वच्छता का मतलब, शौचालय नहीं होता। शौचालय यानी शौच का घर यानी शौच को एक जगह एक जगह जमा करते जाना। ग Read more...

Sabarmati river condition is disastrous – Joint report of Paryavaran suraksha samiti and Gujrat pollution control board declares Sabarmati’s riverfront dark side
Sabarmati river condition is disastrous – Joint report of Paryavaran suraksha samiti and Gujrat pollution control board declares Sabarmati’s riverfront dark side

The Sabarmati River in the Ahmedabad City stretch, before the Riverfront, is dry and within the Riverfront Project stretch, is Brimming with Stagnant Water.  In the last 120 kilometres, before meeting the Arabian Sea, it dead comprises of just industrial effluent and sewage.On 12 March 2019, the Regional Officers Mr Tushar Shah and Ms Nehalben Ajmera of Gujarat Pollution Control Board, Rohit Prajapati and Krishnakant of Paryavaran Suraksha Samiti, Social Activist Mudita Vidrohi of Ahmedabad, Sub Read more...

हिंडन नदी में डीओ का स्तर शून्य : खतरे में जलीय एवं मानवीय जीवन - यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रिपोर्ट मार्च 2019
हिंडन नदी में डीओ का स्तर शून्य : खतरे में जलीय एवं मानवीय जीवन - यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रिपोर्ट मार्च 2019

हाल ही में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से मार्च, 2019 तक प्रदेश की सभी नदियों की जलीय गुणवत्ता से संबंधित रिपोर्ट जारी की गयी है, जिसमें मेरठ की काली नदी एवं हिंडन नदी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा शून्य बताई गयी है. मुख्यतः सहारनपुर जिले में शिवालिक पहाड़ियों के ढलान कालूवाला खोल से प्रवाहित होने वाली हिंडन नदी यमुना की प्रमुख सहायकों में से एक है और मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, बागपत, गाज़ियाबाद आदि जनपदों में बहते हुए बहुत से विषाक्त नाले हिंडन में गिराए जा रहे हैं.यूपी प्रदूषण नियंत Read more...

काली पुनर्जीवन का पुनीत प्रयास, हरियाली और तालाबों से अंतवाडा में मिलेगा काली नदी को खोया हुआ स्वरुप
काली पुनर्जीवन का पुनीत प्रयास, हरियाली और तालाबों से अंतवाडा में मिलेगा काली नदी को खोया हुआ स्वरुप

मुजफ्फरनगर स्थित खतौली का अंतवाडा गांव एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बना, जब अथक प्रयासों के बाद काली नदी में एकाएक जलधारा फूट पड़ी. आज प्रदूषण के चलते दम तोड़ती और अपना स्वरुप खोती हमारी प्राचीन नदियों के बारे में तो हर रोज ही चर्चा जारी रहती है, लेकिन उनके संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयास नहीं दिखाई देते हैं. परन्तु अंतवाडा से उद्गमित होने वाली गंगा की प्रमुख सहायक काली नदी के संवर्धन के लिए किये जा रहे प्रयासों ने इस मिथक को तोड़ दिया है. नीर फाउंडेशन और हेस्को सहित अन्य बहुत सी संस्थाओं और पर्यावरण Read more...

क्या गंगा को सिर्फ चुनावी वाहन मानने वालों को अपना प्रतिनिधि चुनें?
क्या गंगा को सिर्फ चुनावी वाहन मानने वालों को अपना प्रतिनिधि चुनें?

2014 के लोकसभा चुनाव को याद कीजिए। ''मैं आया नहीं हूं। मां गंगा ने बुलाया है।'' मोदी जी का यह वाक्य याद कीजिए। कहना न होगा कि गंगा के सहारे चुनावी नौका पार करना, 2014 के प्रधानमंत्री पद के दावेदार श्री मोदी का एजेण्डा था। 2019 में अब यह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की अपील करने वाली प्रियंका गांधी का एजेण्डा है। प्रियंका ने लोगों को लिखे खुले खत में कहा है, ''गंगाजी उत्तर प्रदेश का सहारा है और मैं भी गंगा जी के सहारे हूं।'' मोदी जी ने पांच साल तक गंगा के हितों की जमकर अनदेखी की। गंगा की अवि Read more...

जल दिवस विशेष - है अंधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मनाना है
जल दिवस विशेष - है अंधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मनाना है

करोड़ों हिंदुस्तानियों की तरह नाना ने भी सूखे का संत्रास देखा; आत्महत्या कर चुके किसानों के परिवार वालों के दर्द भरे साक्षात्कार सुने। मैनें भी सुने। मेरी हमदर्दी कलम तक सीमित रही, किंतु नाना ने कहा कि टेलीविजन पर देखे दृश्यों से उनका दम घुटने लगा; उनकी नींद उङ गई। उन्होंने सोचा कि  ''जो किसान कभी राजा थे, उनके पास आज न अपने मवेशी के लिए चारा-पानी है और न अपने लिए। मैं जो कर सकता हूं, वह तो करूं।'' जो मुट्ठी भर धन नाना के पास था, उसे लिया और मकरन्द के कहने पर 15-15 हजार रुपये करके 250 विधवाओं में Read more...

हिंडन नदी  परिचर्चा - इतिहास, चुनौतियां और शोध आधारित समाधान
हिंडन नदी परिचर्चा - इतिहास, चुनौतियां और शोध आधारित समाधान

आज से कुछ साढ़े सात हज़ार साल पहले जब श्री राम, ताड़का वध के समय, वन गुरु विश्वामित्र और लक्षमण के साथ पहुंचे तब उन्होंने पाया कि नदियाँ तालाब, काले हो चुके हैं, हवा ज़हरीली हो चुकी है और लोग वहां से पलायन कर चुके हैं.ठीक इसी तरह कृष्ण ने भी यमुना में विष घुला हुआ पाया, जल काला हो चुका था और यमुना के तट पर लोग बीमार पड़ रहे थे.श्री राम ने जब क्रुद्ध हो कर समुद्र को सुखा देने के लिए शास्त्र उठाये थे, तो समुद्र ने भी यही कहा था कि प्रकृति के पांच तत्त्व अपनी मर्यादा में रहते हैं और अगर इनकी मर्यादा टूट Read more...

मैं गंगा तुमसे पूछ रही...
मैं गंगा तुमसे पूछ रही...

पुलवामा घात में अमर हुए सी आर पी एफ के शहीदों को नमन करते हुए एक गंगा प्रश्न, कृपया विचार करें...राष्ट्र को कहते भारत मां,मुझे कहते तुम मां गंगा,वे भी सपूत, ये भी सपूत,वे भारत मां पर कुर्बान हुए,ये मुझ गंगा पर बलिदान हुए,उन पर आघात हुआ भारी,इन के घाती खुद घर-बारी,उन को वंदन, उन पर क्रंदन,बदला-बदले की आवाज़ें,शत्-शत् करती मैं उन्हे नमन्,पर इन पर चुप्पी कितनी जायज़,खुद से पूछो, खुद ही जानो,खुद का करतब पहचानो,मैं गंगा तुम से पूछ रहीं... मैं गंगा भारत की मन औ प्राण,मैं गंगा अंतिम तन पवित्र बूंद,मैं गं Read more...

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