Environment

Clean air, water, safe flora and fauna protected by the communities is not just a question of moral obligation, it's a question of survival of us all, environment first should be the policy be it economics or otherwise.

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Latest on Environment

दो बूंद गंगाजल
दो बूंद गंगाजल

(वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐसे कारणों को राजनीति और अर्थशास्त्र के फौरी लाभ के तराजू पर तौलकर मुनाफे की बंदरबांट में मगन दिखाई दे रही है। जन-जागरण के सरकारी व स्वयंसेवी प्रयासों से जनता तो कम जागी; बाज़ार ने अवसर ज्यादा हासिल कर लिए। राजसत्ता ने बाजारसत्ता से हाथ मिला लिया। धर्मसत्ता, इस गठजोड़ के आगे दण्डवत् हो गई। पर्वतराज हिमालय, हिमनद और गंगा को माध्यम बनाकर इस परिस्थिति को रेखांकि Read more...

जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं को लेकर गुरुग्राम बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की सार्थक पहल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी से की चर्चा
जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं को लेकर गुरुग्राम बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की सार्थक पहल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी से की चर्चा

गुरुग्राम ज़िले के जल प्रबंधन, भूजल में खारे पानी की बढती समस्या और शहरी बाढ़ की स्थिति में ज़िले के आपदा निवारण, प्रबंधन एवं त्वरित जल निकासी के उपायों और विभागीय तैयारियों के विषय में आज भारतीय जनता पार्टी बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ गुरुग्राम के ज़िला संयोजक, श्री अमर झा ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण श्री सुधीर राजपाल (IAS) से मुलाकात कर विस्तार में चर्चा की और ज़िले में अपनी टीम का विषय पर सम्पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया.चर्चा में गुरुग्राम बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ से राजेंद Read more...

असम की बाढ़  : कुछ सवालों के जवाब जरूरी हैं
असम की बाढ़ : कुछ सवालों के जवाब जरूरी हैं

असम में बाढ़ कोई नई घटना नहीं है। किन्तु मानसून के पहले ही चरण में बाढ़ का इतना ज्यादा टिक जाना और इसके लिए सरकार के मुखिया द्वारा लोगों पर दोषारोपण असम के लिए नई घटना है।गौर फरमाइए कि असम के मुख्यमंत्री ने सिल्चर नगर की बाढ़ के लिए बराक नदी के तटबंध के क्षतिग्रस्त हो जाने को जिम्मेदार ठहराया है। किन्तु किसी एक तटबंध के क्षतिग्रस्त हो जाने के लिए कुछ लोगों को दोषी ठहराकर श्रीमान हिमंत बिस्वा अपनी सरकारी जवाबदेही से बच नहीं सकते। रिपोतार्ज कह रहे हैं कि अब तक एक नहीं, 297 तटबंध क्षतिग्रस्त हो चुके ह Read more...

आइए चेतें कि यूं ही नहीं दरकता कोई ग्लेशियर
आइए चेतें कि यूं ही नहीं दरकता कोई ग्लेशियर

ग्लेशियर हो या इंसान, रिश्तें हों या चट्टान, यूं  ही नहीं दरकता कोई। किसी पर इतना दाब हो जाए कि वह तनाव में आ जाए अथवा उसका पारा इतना गर्म हो जाए कि उसकी नसें इसे झेल न पाएं, तो वह टूटेगा ही। किसी के नीचे की ज़मीन खिसक जाए, तो भी वह टूट ही जाता है। चमोली में यही हुआ।वर्षों पहले जोशीमठ की पहाड़ियों  के  भूगर्भ में सोए हुए पानी के स्त्रोत के साथ भी यही हुआ था। पनबिजली परियोजना सुरंग निर्माण के लिए किए जा रहे बारूदी विस्फोटों ने उसे जगा दिया था। धीरे-धीरे रिसकर जोशीमठ को पानी पिलाने वाला भूगर्भीय हुआ Read more...

मैथिलीशरण गुप्त वार्ड में  नालियों से निकाला कचरा ,चला सफाई अभियान
मैथिलीशरण गुप्त वार्ड में नालियों से निकाला कचरा ,चला सफाई अभियान

लखनऊ के मैथिलीशरण गुप्त वार्ड के अंतर्गत नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के द्वारा वार्ड के विभिन्न हिस्सों में सफाई अभियान चलाते हुए नालियों से कचरा निकाला गया। इस विशेष सफाई अभियान का निरीक्षण स्वयं पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने इस दौरान स्वच्छता ग्राहियों को निर्देशित करते हुए कहा कि सफाई कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही न बरते और नालियों की सफाई पूरी तरह से करें। साथ ही उन्होंने कचरे को भी तत्काल उठाने कहा।गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन अभियान के चलते नगर निगम लखनऊ इन दिनों शहर के व Read more...

उत्तराखंड अस्थायी राजधानी गैरसेण क्यों है विवादों में - बंद हो गैरसेण को राजधानी बनाने के बहकावे का खेल
उत्तराखंड अस्थायी राजधानी गैरसेण क्यों है विवादों में - बंद हो गैरसेण को राजधानी बनाने के बहकावे का खेल

उत्तराखण्ड राज्य बने 20 वर्ष, 06 महीने से अधिक हो गए। गैरसेण को राजधानी बनाने की मांग इससे भी पुरानी है; 1960 के दशक की। गौर कीजिए कि गैरसेण, गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर स्थित है। दोनो मण्डल के लोगों को सहूलियत होगी। इसी तर्क के आधार पर गैरसेण को राजधानी बनाने की मांग की जाती रही है। उत्तराखण्ड क्रांति दल ने तो 25 जुलाई, 1992 को ही गैरसैण को राजधानी घोषित कर दिया था। उत्तराखण्ड क्रांति दल के संस्थापक काशीसिंह ऐरी के हाथों शिलान्यास भी करा दिया था। वीर चन्द्रसिंह गढवाली भी उन लोगों में शामिल थे, ज Read more...

जैविक कृषि – रसायन मुक्त एवं दीर्घकालीन कृषि व्यवस्था
जैविक कृषि – रसायन मुक्त एवं दीर्घकालीन कृषि व्यवस्था

ग्रामों का देश कहे जाने वाले भारत में कृषि अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत माना जाता है. भारत में लगभग 64.5% जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है और कुल राष्ट्रीय आय का 27.4% भाग कृषि से होता है. देश के कुल निर्यात में कृषि का योगदान 18% है और कृषि ही एक ऐसा आधार है, जिस पर देश के 5.5 लाख से भी अधिक ग्रामीण जनसंख्या 75% प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका प्राप्त करती है. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वर्ष 1966-67 के दौरान आई हरित क्रांति ने जहां एक ओर कृषि को विकास की ओर अग्रसर किय Read more...

मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?
मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।एक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा.अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल-बेहाल न होता।उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल, बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ह Read more...

नर्मदा निर्मलता : कुछ विचारणीय सुझाव
नर्मदा निर्मलता : कुछ विचारणीय सुझाव

(राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रूड़की द्वारा हिंदी सप्ताह - 2020 के दौरान प्रकाशित पत्रिका 'प्रवाहिनी' में प्रकाशित तकनीकी लेखों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त लेख)नीति पहले, कार्ययोजना बाद मेंकिसी भी कार्ययोजना के निर्माण से पहले नीति बनानी चाहिए। नीतिगत तथ्य, एक तरह से स्पष्ट मार्गदर्शी सिद्धांत होते हैं। एक बार दृष्टि साफ हो जाये, तो आगे विवाद होने की गुंजाइश कम हो जाती है। इन सिद्धांतों के आलोक में ही कार्ययोजना का निर्माण किया जाना चाहिए। कार्ययोजना निर्माताओं और क्रियान्वयन करने वालों Read more...

गोमती सेवा समाज ने इमलिया घाट पर चलाया स्वच्छता अभियान, पूर्व में रोपें गए वृक्षों का निरीक्षण भी किया गया
गोमती सेवा समाज ने इमलिया घाट पर चलाया स्वच्छता अभियान, पूर्व में रोपें गए वृक्षों का निरीक्षण भी किया गया

सदानीरा रही गोमती हजारों वर्षों से अनेकों संस्कृतियों को सहेज रही है, कईं सभ्यताओं को पनपने में अपनी भूमिका प्रदान कर चुकी है, अनगिनत पौराणिक मान्यताओं ने इसके पवित्र तटों पर विश्राम ग्रहण किया है तथा बेहिसाब जलचर, दुर्लभ वनस्पतियां व वन्य जीवन गोमती पर निर्भर हैं। गोमती अपने आप में अनूठी नदी है, जो बरसाती होने के बावजूद भी अपने आप को भूजल द्वारा रिचार्ज करने की क्षमता में माहिर रही है। आज वही पतित पावनी गोमती प्रदूषण, अतिक्रमण, भूजल स्तर के घटने से संकुचित होती जा रही है, ग्रामीण अंचल के साथ ही Read more...

लखनऊ के सेक्टर डी अलीगंज वार्ड में पार्षद सुरेश चंद्र अवस्थी द्वारा पौधारोपण किया गया
लखनऊ के सेक्टर डी अलीगंज वार्ड में पार्षद सुरेश चंद्र अवस्थी द्वारा पौधारोपण किया गया

कोरोना महामारी ने बता दिया है कि मानव जीवन में आक्सीजन का क्या महत्व है। वायुमंडल में अधिक मात्रा में आक्सीजन होगा तब ही शुद्ध हवा हमें मिलेगी। इस बात को महत्व देते हुए लखनऊ के सेक्टर डी अलीगंज वार्ड में  सुरेश चंद्र अवस्थी ने अपने वार्ड के अंतर्गत पौधारोपण किया। इस कार्य को प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरण तथा वन विभाग का भरपुर सहयोग मिला, जिसके उपरांत पार्षद ने वृक्षारोपण का कार्य पार्षद गीता सुरेश अवस्थी  एवं  स्थानीय बरिष्ठ निवासियों के साथ सम्पन्न किया।  Read more...

पानी रे पानी : तेरा समाधान क्या
पानी रे पानी : तेरा समाधान क्या

 जीवन का पालना कहा जाने वाला पानी आज अपनी स्थिति पर आंसू बहा रहा है. पानी के लिए संघर्ष बढ़ते जा रहे हैं. पिछले दिनों पानी के झगड़े में ससरनपुर के एक गांव में दबंगों ने दूसरे परिवार के पांच लोगों को मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया. प्याऊ लगाकर पानी पिलाने वाली संस्कृति का देश आज कैम्पर, बोतल, पाउच व टैंकर आदि माध्यम से पानी खरीद रहा है. हालात गांवों में भी बदतर हो चले हैं. यहां भी तेजी से पानी के बाजार बन रहे हैं. यह परम सत्य है कि इस जगत के हर एक प्राणी के लिए पानी ही जीवन का आधार है. वर्तमान स Read more...

Welcome to Urban floods
Welcome to Urban floods

Lucknow received the first heavy downpour of this year’s monsoon on Monday 30th July. Just little over 100 mm of rainfall in 24 hours wrecked havoc in the city! The railing over the Gomti riverfront over Kukrail drain (it is actually a river – tributary of Gomti) broke due to excessive flows of water. The low lying areas experienced up to the neck flooding with their drawing rooms converted into a temporary swimming pool – only with filthy and smelly water.Several colonies like Lalplace, Gomti N Read more...

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस विशेष – हर पल हो रहे बदलावों से सीख लें और प्रकृति को महसूस कराएं आल इज़ वेल
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस विशेष – हर पल हो रहे बदलावों से सीख लें और प्रकृति को महसूस कराएं आल इज़ वेल

इस बार दिल्ली में बारिश बड़ी देर से आई, गर्मी के प्रचंड रूप, पानी की कमी और लाचार सी दिल्ली को देख कर लगा कि यही है वो ग्लोबल वार्मिंग जिसकी चर्चा अब तक बस सुनी ही थी. अखबारों में पढ़ा था, ब्लोग्स में लिखा था और वार्तालापों में कहा और सुना था...पर कभी इतनी नजदीक से ग्लोबल वार्मिंग से मुलाकात करनी पड़ेगी ये तो कभी सोचा भी नहीं था. कल विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस था, सभी ने प्रकृति और प्रकृति के संसाधनों के संरक्षण संवर्धन के लिए एक से बढ़कर एक सुझाव भी दिए. अच्छा लगा कि चलिए लोगों को फ़िक्र तो है, वरना Read more...

काली नदी की तर्ज पर सँवरेगी नीम नदी, विभिन्न जिलों में नीम नदी संरक्षण के प्रयास शुरू
काली नदी की तर्ज पर सँवरेगी नीम नदी, विभिन्न जिलों में नीम नदी संरक्षण के प्रयास शुरू

नीम नदी को उसके उद्गम स्थल पर पुनर्जीवित करने के पुनीत कार्य का बीड़ा नीर फाउंडेशन ने उठाया है और प्रकृति व पर्यावरण की अनूठी धरोहर नदियों ओ संरक्षित करने की मुहिम का आगाज नीम नदी के उद्गम स्थल पर किया गया। जहां नीर फाउंडेशन और दैनिक जागरण के संयुक्त प्रयासों के बाद अब शासन -प्रशासन सहित स्थानीय जनता, किसान, छात्र-छात्राएं, स्वयं सहायता समूह, नेता-अधिकारी सब नदी को उसका पुरातन स्वरूप लौटने की दिशा में जुट गए।  बता दें कि उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में बहने वाली नीम नदी का उद्गम स्थल दत्तियाना गां Read more...

नहीं बन रहे इंसान इस धरती पर
नहीं बन रहे इंसान इस धरती पर

बन गए बहुत डॉक्टर इंजिनियर पर नहीं बने इंसान इस धरती पर बच्चे ,पशु ,पक्षी परेशान इस धरती पर।।  कोई अधिकारी, कोई व्यापारी, कोई वैज्ञानिक, कहलाता है, खेती, बाग़, पशुपालन, छोड़ सब नौकर बनने जाता है, कही साधन सुविधा बहुत दिख रहा, पर नहीं दिख रहा इंसान इस धरती पर बच्चे ,पशु, पक्षी, परेशान इस धरती पर।। लोग बने मशीन यहां, भाव भावना नहीं बची, प्रेम और विश्वास ह्रदय में, करुणा दया भी नहीं बची, एक दूसरे का शोषण, तेज़ी से भाग रहा इंसान इस धरती पर बच्चे, पशु, पक्षी, परेशान इस धरती पर।। उपजाऊ धरती पर मानव कंकड़ Read more...

राजनगर एक्सटेंशन स्थित एपेक्स हॉस्पिटल के चिकित्सक स्टाफ ने मनाया पर्यावरण दिवस
राजनगर एक्सटेंशन स्थित एपेक्स हॉस्पिटल के चिकित्सक स्टाफ ने मनाया पर्यावरण दिवस

दिनांक - 5 जून, 2021 चिकित्सा कर लोगों की जान बचाने वाले हाथों ने आज विश्व पर्यावरण के अवसर पर प्रकृति को बचाने का भी संकल्प लिया। राजनगर एक्सटेंशन के एपेक्स हॉस्पिटल के चिकित्सक दलों ने अपने समस्त स्टाफ के साथ मिलकर पर्यावरण दिवस मनाया और अस्पताल के इर्द-गिर्द पड़े कूड़े-कचरे को साफ करते हुए "स्वच्छ रहे-स्वस्थ रहें" का सामाजिक संदेश जन जन तक पहुंचाया। अस्पताल की निदेशक डॉ प्रगति त्यागी  ने पर्यावरण मित्र कहे जाने वाले पक्षियों के दाना-पनि की उपलब्धता के इए पात्रों की व्यवस्था अस्पताल परिसर में की Read more...

कानपुर देहात की सिकंदरा तहसील में पर्यावरण दिवस के अवसर पर हुआ वृक्षारोपण
कानपुर देहात की सिकंदरा तहसील में पर्यावरण दिवस के अवसर पर हुआ वृक्षारोपण

दिनांक - 5 जून, 2021 पानी बोतल में, ऑक्सीजन सिलेंडर में क्या देखना चाहोगें,पेड़ नही लगाओगें तो अपना जीवन बचा नही पाओगें..!!पर्यावरण के संरक्षण की विचारधारा के साथ विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कानपुर देहात की सिकंदरा तहसील से लोकप्रिय समाजसेवी मोहम्मद मारूफ ने पर्यावरण प्रहरी के रूप में लोगों से पौधारोपण की अपील की और स्थानीय मान्यगणों के सहयोजन में वृक्षारोपण करते हुए लोगों को पर्यावरण को सहेजने का संदेश भी दिया। इस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि पर्यावरण को संरक्षित रखने के क्रम में उनकी ओर से प Read more...

हिंदनगर वार्ड में अवसर हेल्प फाउंडेशन ने कबाड़ से जुगाड़ के लिए जनता को किया जागरूक, पर्यावरण दिवस को बनाया विशेष
हिंदनगर वार्ड में अवसर हेल्प फाउंडेशन ने कबाड़ से जुगाड़ के लिए जनता को किया जागरूक, पर्यावरण दिवस को बनाया विशेष

दिनांक - 5 जून, 2021 लखनऊ के हिन्द नगर वार्ड में अवसरहेल्प फाउंडेशन (अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ) द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अति महत्वपूर्ण एवं स्वागत योग्य परिचर्चा करके उसके लाभों से सभी को अवगत कराया गया। पर्यावरण दिवस के अवसर पर हुई इस परिचर्चा में यह बताया गया कि घरों में उपयोग की जाने वाली सभी प्रकार की प्लास्टिक एवं अन्य अनुपयोगी वस्तुएं जैसे खराब टीवी, खराब कूलर, खराब फ्रीज़, टूटी बोतल इत्यादि को इधर उधर न फेंककर उनसे किस प्रकार से सजावट की वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। स्थानीय पार्षद सौ Read more...

जरूरत है जलवायु परिवर्तन को समझने की
जरूरत है जलवायु परिवर्तन को समझने की

 जिस तरह से प्राकृतिक आपदायें क्रम से लगातार हो रही है, उससे अब यही महसूस होता है, कि जलवायु परिवर्तन/स्थानांतरण ने अपनी गति बढ़ा दी है. जनवरी 2020 में ही 7 आपदायें जिनमें ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग, हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने के कारण हिमालय में वनस्पति को हानि, दुबई में बाढ़ आदि, हाल ही में चक्रवात अम्फान, दिल्ली में हलके भूकंप का आना और चक्रवात निसर्ग (मुंबई में ये चक्रवात पूरे 100 साल बाद आया) यह सब इस बात का सबूत है, कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाओं की घटनायें बढ़ती जा रही हैं Read more...

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