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घर, आँगन,परिवार
घर, आँगन,परिवार घर है मेरा छोटा-सा, ये धरती मेरा अंगना है| प्रेम,विश्वास, सम्मान से, सबको यहाँ रहना है|बाबा- दादी, माता- पिता, चाचा- चची भी रहते है|एक दूसरे का सदा, उपकार करते है|दिल में सबके लिए शुभ भावना, यही सबका गहना है| प्रेम, विश्वास, सम्मान से सबको यहाँ रहना हे|सभी स्वस्थ रहे धरती पर, यही रहती है सबकी कामनासभी समझदार हो जग में, सबकी यही भावना|सब सुख से रहे नित यहाँ, यही सबका चाहना है|प्रेम, विश्वास, सम्मान से सबको यहाँ रहना हे|जल, जंगल, जमींन, जानवर, यहाँ जन- जन के पोषक है| न समझदार मान Read more...
कानून, व्यवस्था व व्यवहार को आइना दिखाती एक जंगल बुक वाइल्डलाइफ इण्डिया@50
जब दिमाग और दुनिया...दोनों का पारा चढ़ रहा हो, खुशियों की हरियाली घट रही हो और मन का रेगिस्तान बढ़ रहा हो तो किसी को आइना भी झूठ लग सकता है। किन्तु सच यह है कि आइना झूठ नहीं बोलता। कहते हैं कि किताबें वक्त का आइना होती हैं। किन्तु दूसरी ओर अनुभव कहता है कि ज़मीनी हक़ीक़त जानने के लिए राइटर्स से ज्यादा प्रेक्टिशनर्स पर यकीन किया जाना चाहिए। इस वर्ष - 2022 के ऐसे वैश्विक माहौल में एक ऐसी भारतीय किताब का आना बेहद अहम् है, जिसे लिखने वाले वे हैं, जिन्होने जंगली जीवों की संवेदनाओं व उनसे इंसानी रिश्तों को Read more...
केवल बाढ़ नियंत्रण पर काम करना नहीं है पर्याप्त, देश को है जल-निकासी आयोग के गठन की आवश्यकता
गुजराती में एक कहावत है, "छतरी पलटी गयी, कागड़ी थई गई"। जिसका अर्थ होता है कि बरसात में आंधी-पानी से अगर छतरी उलट जाये तो उसमें और कौवे में कोई अन्तर नहीं रह जाता। आजकल कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखण्ड, बिहार आदि प्रान्तों से बाढ़ और वहां के शहरों से गाड़ियों, ट्रकों के बह जाने, लोगों की बिजली के खम्भों को पकड़ कर जीने की कोशिशों की फोटो, गिरते हुए घरों आदि के भयानक दृष्य टी.वी. पर देखने को मिल रहे हैं। कुछ दिन पहले यही विवरण अन्य असम्भव स्थानों से भी देखने में आ रही थीं Read more...
177.6 एमएलडी की क्षमता वाले नए सीवेज प्लांट से क्या आगरा में यमुना होगी स्वच्छ?
यमुना क्या एक नदी भर है? यह सवाल यदि खुद से भी पूछे तो जवाब ना में ही आएगा, क्यों? क्योंकि यह एक नदी नहीं है अपितु हमारी आस्था है, हम इसकी पूजा करते हैं, इसे जीवनदायीनी मानते हैं। यमुना के बिना इलाहबाद के संगम की कल्पना अधूरी है। यह नदी उत्तर भारत की संस्कृति भी है, सभ्यता भी और अस्मिता भी। इस नदी ने खुद अपनी आँखों से इन तमाम संस्कृतियों को आपस में लड़ते, मिलते, बिछुड़ते और बढ़ते देखा है। तमाम बसावटों को बसते-उजड़ते देखने का सुख व दर्द, दोनों का एहसास आज भी यमुना की लहरों में जिंदा है। यमुना हमार Read more...
दो बूंद गंगाजल
(वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐसे कारणों को राजनीति और अर्थशास्त्र के फौरी लाभ के तराजू पर तौलकर मुनाफे की बंदरबांट में मगन दिखाई दे रही है। जन-जागरण के सरकारी व स्वयंसेवी प्रयासों से जनता तो कम जागी; बाज़ार ने अवसर ज्यादा हासिल कर लिए। राजसत्ता ने बाजारसत्ता से हाथ मिला लिया। धर्मसत्ता, इस गठजोड़ के आगे दण्डवत् हो गई। पर्वतराज हिमालय, हिमनद और गंगा को माध्यम बनाकर इस परिस्थिति को रेखांकि Read more...
जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं को लेकर गुरुग्राम बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की सार्थक पहल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी से की चर्चा
गुरुग्राम ज़िले के जल प्रबंधन, भूजल में खारे पानी की बढती समस्या और शहरी बाढ़ की स्थिति में ज़िले के आपदा निवारण, प्रबंधन एवं त्वरित जल निकासी के उपायों और विभागीय तैयारियों के विषय में आज भारतीय जनता पार्टी बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ गुरुग्राम के ज़िला संयोजक, श्री अमर झा ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण श्री सुधीर राजपाल (IAS) से मुलाकात कर विस्तार में चर्चा की और ज़िले में अपनी टीम का विषय पर सम्पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया.चर्चा में गुरुग्राम बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ से राजेंद Read more...
असम की बाढ़ : कुछ सवालों के जवाब जरूरी हैं
असम में बाढ़ कोई नई घटना नहीं है। किन्तु मानसून के पहले ही चरण में बाढ़ का इतना ज्यादा टिक जाना और इसके लिए सरकार के मुखिया द्वारा लोगों पर दोषारोपण असम के लिए नई घटना है।गौर फरमाइए कि असम के मुख्यमंत्री ने सिल्चर नगर की बाढ़ के लिए बराक नदी के तटबंध के क्षतिग्रस्त हो जाने को जिम्मेदार ठहराया है। किन्तु किसी एक तटबंध के क्षतिग्रस्त हो जाने के लिए कुछ लोगों को दोषी ठहराकर श्रीमान हिमंत बिस्वा अपनी सरकारी जवाबदेही से बच नहीं सकते। रिपोतार्ज कह रहे हैं कि अब तक एक नहीं, 297 तटबंध क्षतिग्रस्त हो चुके ह Read more...
आइए चेतें कि यूं ही नहीं दरकता कोई ग्लेशियर
ग्लेशियर हो या इंसान, रिश्तें हों या चट्टान, यूं ही नहीं दरकता कोई। किसी पर इतना दाब हो जाए कि वह तनाव में आ जाए अथवा उसका पारा इतना गर्म हो जाए कि उसकी नसें इसे झेल न पाएं, तो वह टूटेगा ही। किसी के नीचे की ज़मीन खिसक जाए, तो भी वह टूट ही जाता है। चमोली में यही हुआ।वर्षों पहले जोशीमठ की पहाड़ियों के भूगर्भ में सोए हुए पानी के स्त्रोत के साथ भी यही हुआ था। पनबिजली परियोजना सुरंग निर्माण के लिए किए जा रहे बारूदी विस्फोटों ने उसे जगा दिया था। धीरे-धीरे रिसकर जोशीमठ को पानी पिलाने वाला भूगर्भीय हुआ Read more...
मैथिलीशरण गुप्त वार्ड में नालियों से निकाला कचरा ,चला सफाई अभियान
लखनऊ के मैथिलीशरण गुप्त वार्ड के अंतर्गत नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के द्वारा वार्ड के विभिन्न हिस्सों में सफाई अभियान चलाते हुए नालियों से कचरा निकाला गया। इस विशेष सफाई अभियान का निरीक्षण स्वयं पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने इस दौरान स्वच्छता ग्राहियों को निर्देशित करते हुए कहा कि सफाई कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही न बरते और नालियों की सफाई पूरी तरह से करें। साथ ही उन्होंने कचरे को भी तत्काल उठाने कहा।गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन अभियान के चलते नगर निगम लखनऊ इन दिनों शहर के व Read more...
उत्तराखंड अस्थायी राजधानी गैरसेण क्यों है विवादों में - बंद हो गैरसेण को राजधानी बनाने के बहकावे का खेल
उत्तराखण्ड राज्य बने 20 वर्ष, 06 महीने से अधिक हो गए। गैरसेण को राजधानी बनाने की मांग इससे भी पुरानी है; 1960 के दशक की। गौर कीजिए कि गैरसेण, गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर स्थित है। दोनो मण्डल के लोगों को सहूलियत होगी। इसी तर्क के आधार पर गैरसेण को राजधानी बनाने की मांग की जाती रही है। उत्तराखण्ड क्रांति दल ने तो 25 जुलाई, 1992 को ही गैरसैण को राजधानी घोषित कर दिया था। उत्तराखण्ड क्रांति दल के संस्थापक काशीसिंह ऐरी के हाथों शिलान्यास भी करा दिया था। वीर चन्द्रसिंह गढवाली भी उन लोगों में शामिल थे, ज Read more...
जैविक कृषि – रसायन मुक्त एवं दीर्घकालीन कृषि व्यवस्था
ग्रामों का देश कहे जाने वाले भारत में कृषि अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत माना जाता है. भारत में लगभग 64.5% जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है और कुल राष्ट्रीय आय का 27.4% भाग कृषि से होता है. देश के कुल निर्यात में कृषि का योगदान 18% है और कृषि ही एक ऐसा आधार है, जिस पर देश के 5.5 लाख से भी अधिक ग्रामीण जनसंख्या 75% प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका प्राप्त करती है. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वर्ष 1966-67 के दौरान आई हरित क्रांति ने जहां एक ओर कृषि को विकास की ओर अग्रसर किय Read more...
नर्मदा निर्मलता : कुछ विचारणीय सुझाव
(राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रूड़की द्वारा हिंदी सप्ताह - 2020 के दौरान प्रकाशित पत्रिका 'प्रवाहिनी' में प्रकाशित तकनीकी लेखों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त लेख)नीति पहले, कार्ययोजना बाद मेंकिसी भी कार्ययोजना के निर्माण से पहले नीति बनानी चाहिए। नीतिगत तथ्य, एक तरह से स्पष्ट मार्गदर्शी सिद्धांत होते हैं। एक बार दृष्टि साफ हो जाये, तो आगे विवाद होने की गुंजाइश कम हो जाती है। इन सिद्धांतों के आलोक में ही कार्ययोजना का निर्माण किया जाना चाहिए। कार्ययोजना निर्माताओं और क्रियान्वयन करने वालों Read more...
गोमती सेवा समाज ने इमलिया घाट पर चलाया स्वच्छता अभियान, पूर्व में रोपें गए वृक्षों का निरीक्षण भी किया गया
सदानीरा रही गोमती हजारों वर्षों से अनेकों संस्कृतियों को सहेज रही है, कईं सभ्यताओं को पनपने में अपनी भूमिका प्रदान कर चुकी है, अनगिनत पौराणिक मान्यताओं ने इसके पवित्र तटों पर विश्राम ग्रहण किया है तथा बेहिसाब जलचर, दुर्लभ वनस्पतियां व वन्य जीवन गोमती पर निर्भर हैं। गोमती अपने आप में अनूठी नदी है, जो बरसाती होने के बावजूद भी अपने आप को भूजल द्वारा रिचार्ज करने की क्षमता में माहिर रही है। आज वही पतित पावनी गोमती प्रदूषण, अतिक्रमण, भूजल स्तर के घटने से संकुचित होती जा रही है, ग्रामीण अंचल के साथ ही Read more...
लखनऊ के सेक्टर डी अलीगंज वार्ड में पार्षद सुरेश चंद्र अवस्थी द्वारा पौधारोपण किया गया
कोरोना महामारी ने बता दिया है कि मानव जीवन में आक्सीजन का क्या महत्व है। वायुमंडल में अधिक मात्रा में आक्सीजन होगा तब ही शुद्ध हवा हमें मिलेगी। इस बात को महत्व देते हुए लखनऊ के सेक्टर डी अलीगंज वार्ड में सुरेश चंद्र अवस्थी ने अपने वार्ड के अंतर्गत पौधारोपण किया। इस कार्य को प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरण तथा वन विभाग का भरपुर सहयोग मिला, जिसके उपरांत पार्षद ने वृक्षारोपण का कार्य पार्षद गीता सुरेश अवस्थी एवं स्थानीय बरिष्ठ निवासियों के साथ सम्पन्न किया। Read more...
पानी रे पानी : तेरा समाधान क्या
जीवन का पालना कहा जाने वाला पानी आज अपनी स्थिति पर आंसू बहा रहा है. पानी के लिए संघर्ष बढ़ते जा रहे हैं. पिछले दिनों पानी के झगड़े में ससरनपुर के एक गांव में दबंगों ने दूसरे परिवार के पांच लोगों को मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया. प्याऊ लगाकर पानी पिलाने वाली संस्कृति का देश आज कैम्पर, बोतल, पाउच व टैंकर आदि माध्यम से पानी खरीद रहा है. हालात गांवों में भी बदतर हो चले हैं. यहां भी तेजी से पानी के बाजार बन रहे हैं. यह परम सत्य है कि इस जगत के हर एक प्राणी के लिए पानी ही जीवन का आधार है. वर्तमान स Read more...
Welcome to Urban floods
Lucknow received the first heavy downpour of this year’s monsoon on Monday 30th July. Just little over 100 mm of rainfall in 24 hours wrecked havoc in the city! The railing over the Gomti riverfront over Kukrail drain (it is actually a river – tributary of Gomti) broke due to excessive flows of water. The low lying areas experienced up to the neck flooding with their drawing rooms converted into a temporary swimming pool – only with filthy and smelly water.Several colonies like Lalplace, Gomti N Read more...
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस विशेष – हर पल हो रहे बदलावों से सीख लें और प्रकृति को महसूस कराएं आल इज़ वेल
इस बार दिल्ली में बारिश बड़ी देर से आई, गर्मी के प्रचंड रूप, पानी की कमी और लाचार सी दिल्ली को देख कर लगा कि यही है वो ग्लोबल वार्मिंग जिसकी चर्चा अब तक बस सुनी ही थी. अखबारों में पढ़ा था, ब्लोग्स में लिखा था और वार्तालापों में कहा और सुना था...पर कभी इतनी नजदीक से ग्लोबल वार्मिंग से मुलाकात करनी पड़ेगी ये तो कभी सोचा भी नहीं था. कल विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस था, सभी ने प्रकृति और प्रकृति के संसाधनों के संरक्षण संवर्धन के लिए एक से बढ़कर एक सुझाव भी दिए. अच्छा लगा कि चलिए लोगों को फ़िक्र तो है, वरना Read more...
काली नदी की तर्ज पर सँवरेगी नीम नदी, विभिन्न जिलों में नीम नदी संरक्षण के प्रयास शुरू
नीम नदी को उसके उद्गम स्थल पर पुनर्जीवित करने के पुनीत कार्य का बीड़ा नीर फाउंडेशन ने उठाया है और प्रकृति व पर्यावरण की अनूठी धरोहर नदियों ओ संरक्षित करने की मुहिम का आगाज नीम नदी के उद्गम स्थल पर किया गया। जहां नीर फाउंडेशन और दैनिक जागरण के संयुक्त प्रयासों के बाद अब शासन -प्रशासन सहित स्थानीय जनता, किसान, छात्र-छात्राएं, स्वयं सहायता समूह, नेता-अधिकारी सब नदी को उसका पुरातन स्वरूप लौटने की दिशा में जुट गए। बता दें कि उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में बहने वाली नीम नदी का उद्गम स्थल दत्तियाना गां Read more...
नहीं बन रहे इंसान इस धरती पर
बन गए बहुत डॉक्टर इंजिनियर पर नहीं बने इंसान इस धरती पर बच्चे ,पशु ,पक्षी परेशान इस धरती पर।। कोई अधिकारी, कोई व्यापारी, कोई वैज्ञानिक, कहलाता है, खेती, बाग़, पशुपालन, छोड़ सब नौकर बनने जाता है, कही साधन सुविधा बहुत दिख रहा, पर नहीं दिख रहा इंसान इस धरती पर बच्चे ,पशु, पक्षी, परेशान इस धरती पर।। लोग बने मशीन यहां, भाव भावना नहीं बची, प्रेम और विश्वास ह्रदय में, करुणा दया भी नहीं बची, एक दूसरे का शोषण, तेज़ी से भाग रहा इंसान इस धरती पर बच्चे, पशु, पक्षी, परेशान इस धरती पर।। उपजाऊ धरती पर मानव कंकड़ Read more...
राजनगर एक्सटेंशन स्थित एपेक्स हॉस्पिटल के चिकित्सक स्टाफ ने मनाया पर्यावरण दिवस
दिनांक - 5 जून, 2021 चिकित्सा कर लोगों की जान बचाने वाले हाथों ने आज विश्व पर्यावरण के अवसर पर प्रकृति को बचाने का भी संकल्प लिया। राजनगर एक्सटेंशन के एपेक्स हॉस्पिटल के चिकित्सक दलों ने अपने समस्त स्टाफ के साथ मिलकर पर्यावरण दिवस मनाया और अस्पताल के इर्द-गिर्द पड़े कूड़े-कचरे को साफ करते हुए "स्वच्छ रहे-स्वस्थ रहें" का सामाजिक संदेश जन जन तक पहुंचाया। अस्पताल की निदेशक डॉ प्रगति त्यागी ने पर्यावरण मित्र कहे जाने वाले पक्षियों के दाना-पनि की उपलब्धता के इए पात्रों की व्यवस्था अस्पताल परिसर में की Read more...
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