संक्षिप्त परिचय -
गंगा नदी के तट पर बसा शहर कानपुर नगर उत्तर- प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के रूप में जाना जाता है, यह जिला कानपुर मंडल के अंतर्गत आता है, जो कि गंगा व पाण्डु नदी के मध्य में स्थित है. जिले का मूल नाम ‘कान्हपुर’
था. चमड़े के उद्योग के लिए प्रसिद्ध इस शहर को उत्तर- भारत का मैनचेस्टर भी कहा जाता है. इसके साथ ही उ.प्र. का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम ‘ग्रीनपार्क’
भी इसी जिले में स्थित है.
इतिहास-
कानपुर नगर प्रदेश की औद्योगिक उपलब्धि के साथ ही ऐतिहासिक विरासत भी है. जिले का इतिहास काफी विस्तृत व व्यापक है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में भी मिलता है. रामायण काल अर्थात त्रेतायुग में कानपुर ‘कनकपुर’ नाम से प्रसिद्ध था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पति भगवान श्रीराम के बाद सीता जी कानपुर के बिठूर स्थित वाल्मिकी आश्रम में ही निवास करती थीं तथा यहीं उन्होंने लव- कुश को जन्म दिया था. जहां लव- कुश ने अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा बांधा था तथा माता सीता धरती में समां गई थीं. वहीं कई जगह वर्णन मिलता है कि महाभारतकाल के योद्धा कर्ण के नाम पर इस शहर का नाम कर्णपुर पड़ा.
वहीं इस शहर की स्थापना के विषय में प्रमाण मिलते हैं कि इसकी नींव सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने रखी थी. उस समय शहर का नाम 'कान्हपुर' था. इसके बाद अवध के नवाबों के शासनकाल के अंतिम चरण में पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवां, जुही तथा सीमामऊ गांवों को जोड़कर कानपुर के वर्तमान स्वरूप की स्थापना की गई.
गंगा नदी के तट पर बसा होने के कारण यह जिला अंग्रेजों के शासनकाल में औद्योगिक केन्द्र बना तथा ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां व्यापार को बढ़ावा दिया. इसके बाद सन् 1832 में अंग्रेजों द्वारा ‘ग्रैंड ट्रंक रोड’ के माध्यम कानपुर को इलाहाबाद सड़क मार्ग से जोड़ने का कार्य किया गया. इसके साथ ही जिले का ज्यादातर विकास अंग्रेजों के शासन काल में ही हुआ.
भौगोलिक पृष्ठभूमि –
यह
जिला पाण्डु व गंगा नदी के बीच में बसा हुआ है, जो कि 25°25’-
25°54’ अक्षांश रेखा व
79°34’- 80°34’ देशांतर रेखा के मध्य स्थित है. जिले का क्षेत्रफल 10,863 वर्ग कि.मी. है. कानपुर नगर उत्तर में कन्नौज व हरदोई, दक्षिण में फतेहपुर व हमीरपुर, पूर्व में उन्नाव व पश्चिम में कानपुर देहात से घिरा हुआ है. गंगा नदी कानपुर नगर को उन्नाव व पांडु नदी को कानपुर देहात से अलग करती है. जिले का भूभाग मैदानी व समतल है.
जनसांख्यिकी –
2011
की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या के मामले में कानपुर का उ.प्र. में छठवां स्थान है. जिले की कुल जनसंख्या 45,81,268 है, जिसके अंतर्गत पुरूष व महिलाएं क्रमशः 2,459,806
व 2,121,462 हैं. यह एक घनी आबादी वाला जिला है. जिले का जनसंख्या घनत्व 1452 है, जो कि औसत जनसंख्या घनत्व (829) से काफी अधिक है.
यहां की साक्षरता दर 79.7 प्रतिशत तथा लिंगानुपात 863 है. जिले की
जनसंख्या वृद्धिदर 9.9 प्रतिशत है. जिले का ज्यादातर आबादी शहरी है, जिसके अंतर्गत जिले की कुल जनसंख्या का 65.8 प्रतिशत भाग शामिल है.
प्रशासनिक विभाजन –
प्रशासनिक आधार पर कानपुर नगर को 4 तहसीलों (कानपुर नगर, घाटमपुर, बिल्हौर व नरवल) व 10 विकास खंडों में विभाजित किया गया है. जिनके अंतर्गत कुल 1011 गांव हैं.
सूबे की राजनीतिक उठापटक में इस जिले का विशेष महत्व है, क्यों कि कानपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जो कि संख्या के लिहाज़ से प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों को बनाने व बिगाड़ने के लिए पर्याप्त हैं. जिले की वि.स. सीटों को आर्य नगर, बिठूर, बिल्हौर, घाटमपुर, गोविंदनगर, कल्याणपुर, कानपुर केंट, सीसामऊ, किदवई नगर, महाराजपुर में बांटा गया है.
उद्योग नगरी एवं आर्थिक विकास –
चेन्नई के बाद कानपुर चमड़ा उद्योग के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा शहर है. यही कारण है कि कानपुर नगर को ‘लेदर सिटी’
व उत्तर भारत के ‘मैनचेस्टर’
के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि वर्तमान में जिले के औद्योगिक विकास का स्तर कुछ खास अच्छा नहीं है.
वर्तमान में जिले में लगभग 400 चमड़े की टेनरीज़ हैं. साथ ही 1000 घरेलू इकाइयां है. कानपुर नगर में चमड़ा उद्योग से 1200 करोड़ रुपये की वार्षिक इनकम होती है. वहीं यहां से 6500 करोड़ रुपये के चमड़े का वार्षिक निर्यात किया जाता है. साथ ही जिले की घरेलू इकाइयां लगभग 1000 करोड़ रूपए का वार्षिक निर्यात करती हैं.
यहां सर्वाधिक टेनरियां जाजमऊ में हैं तथा प्रदूषण के मामले में कानपुर की बदहाली का श्रेय भी इन्हीं टेनरियों को जाता है. साथ ही टेनरियों से निकलने वाला गंदा पानी गंगा नदी को भी प्रदूषित करता है. जिसे रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं. भविष्य में जिले में 400 करोड़ रूपए के जलशोधक प्लांट के निर्माण को प्रस्तावित कराने की योजना चल रही है.
पर्यटन स्थल –
कानपुर नगर प्रदेश का वह जिला है जहां इतिहास व आधुनिकता का संगम होता है. एक तरफ जिले में जहां कई प्राचीन मंदिर व पर्यटन स्थल है, वहीं दूसरी तरह अत्याधुनिक मॉल्स व वाटर,
थीम पार्क भी मौजूद हैं. कानपुर नगर के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं-
स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाला कानपुर का बिठूर क्षेत्र पौराणिक व पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं. इस स्थान पर कई ऐतिहासिक तीर्थस्थल स्थित हैं.
इस रमणीय आश्रम का रामायण में वर्णन देखने को मिलता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, भगवान श्री राम द्वारा जब अपनी पत्नी सीता का त्याग कर दिया गया था, तो वह इसी आश्रम में निवास करने आई थीं, जहां उन्होंने अपने दो पुत्रों लव- कुश को जन्म दिया तथा उनका पालन पोषण किया. तथा इसी स्थान पर सीता जी धरती की गोद में समां गई थीं.
आश्रम में भगवान राम व माता सीता की प्रतिमा विराजमान है. इस
आश्रम में कई ऐसे दृश्य व स्थान हैं जो आश्रम के बारे में गढ़ी गई किंवदन्तियों की सत्यता का बोध कराते हैं. जिसके अंतर्गत यहां बना सीता रसोइया व सीता कुंड शामिल है.
वाल्मिकी आश्रम से कुछ दूरी पर स्थित ध्रुव टीला वह स्थान है जहां ध्रुव ने एक पैर पर खड़े होकर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु
ने उन्हें सदैव दैवीय तारे के रूप में चमकने का वरदान दिया था.
गंगा नदी के तट पर स्थित यह प्राचीन घाट बिठूर के साथ ही कानपुर के प्रमुख घाटों में से एक है. इस घाट के विषय में मान्यता है कि श्रृष्टि निर्माण के बाद ब्रह्मा जी ने इसी स्थान पर यज्ञ किया था तथा एक खूंटी गाड़ी थी, जिसे ब्रह्मा जी की खूंटी कहते हैं. शाम के समय इस घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है.
सुधांशु आश्रम –
बिठूर का प्रमुख आकर्षण केन्द्र यह आश्रम भक्ति व भव्यता का अद्भुत मेल है. आश्रम में हरा- भरा सुंदर उद्यान बना हुआ है, जिसके इर्द- गिर्द भगवान शिव- पार्वती, राधा- कृष्ण व हनुमान जी की सुंदर मूर्तियां व दृश्य देखने को मिलते हैं. आश्रम का निर्माण संत सुधांशु जी महाराज ने करवाया है.
मंदिर में एक कृत्रिम पहाड़ पर भगवान शंकर व मां पार्वती अपने पुत्रों गणेश व कार्तिकेय के साथ विराजमान हैं. इसके साथ ही आश्रम में बनी कृत्रिम गुफा व इसके अंदर बनी धार्मिक मूर्तियां व कलात्मक दृश्य यहां आने वाले सभी पर्यटकों को सम्मोहित करते हैं.
इस्कॉन मंदिर –
देश- विदेश में राधा- कृष्ण के मंदिरों का निर्माण कराने वाले अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ द्वारा कानपुर के बिठूर में भी राधाकृष्ण के अद्भुत मंदिर का निर्माण कराया गया है. मंदिर प्रांगण काफी विशाल है. मुख्य मंदिर में राधाकृष्ण की सुंदर प्रतिमाएं स्थापित हैं, जहां भगवान का कीर्तन चलता रहता है.
वहीं मंदिर प्रांगण में सुंदर पार्क व धार्मिक वस्तुओं की दुकानें व शाकाहारी भोजनालय भी स्थित है. इसके साथ ही मंदिर प्रांगण में पुजारियों व संघ से जुड़े श्रद्धालुओं के लिए निवास- स्थान भी बना हुआ है.
जे.के. मंदिर –
इस मंदिर का निर्माण जे.के. ट्रस्ट द्वारा कराया गया है. यह मनोरम व आधुनिक मंदिर राधा- कृष्ण को समर्पित हैं. मंदिर की दिवारों पर अद्भुत शिल्प कला का प्रदर्शन किया गया है. रात्रि के समय इस भव्य मंदिर की लाइटिंग व फव्वारे दर्शनीय हैं. मंदिर में विशाल पार्क भी बना हुआ है.
कानपुर के भीतरगांव ब्लॉक के समीप बेहटा नामक गांव में स्थित यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है. मंदिर शिल्पकला का अप्रतिम उदाहरण है. इस रहस्यमयी मंदिर के गूढ़ रहस्यों का पता विज्ञान व तमाम वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए. एक तरफ इस अद्भुत मंदिर की स्थापना अभी तक एक रहस्य है. वहीं दूसरी तरफ इस मंदिर की विशेषता है कि बारिश से कुछ दिनों पहले ही मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं, यह बूंदें कहां से आती हैं, यह एक पहेली है, जिसका पता अब तक कोई नहीं लगा पाया. वहीं मंदिर के प्रति ग्रामीणों की अपार श्रद्धा व विश्वास है.
अत्यन्त विस्तृत क्षेत्र में फैला ब्लू वर्ड थीम पार्क आधुनिक कानपुर का प्रमुख आकर्षण केन्द्र है. इस पार्क में कई विशाल झूले व स्वीमिंग पूल हैं. इसके साथ ही पार्क में 7डी हॉल भी है. बिठूर में स्थित इस पार्क में प्रतिदिन सैकड़ों लोग घूमने आते हैं.
कानपुर का छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय उ.प्र. के जाने- माने विश्वविद्यालयों में से एक हैं, जो कि 264 एकड़ में फैली हुई है. वहीं कानपुर आईआईटी देश के प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों में शुमार है. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी जिले के डीएवी जिले से ही पढ़े हैं. इसके साथ ही कानपुर के पूर्व व वर्तमान कई राजनेताओं ने भी इसी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की है.
कानपुर नगर में प्रमुख सरकारी अस्पतालों में (हैलट) लाला लाजपतराय सरकारी अस्पताल, उर्सला, रिजेंसी, चाँदनी नर्सिंग होम शामिल हैं. हालांकि इन अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त बेडों व सुविधाओं का अभाव है.
वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से जिले में कुल 42 पुलिस स्टेशन हैं.
REFRENCES
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