पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संविधान में "समाजवाद" और "पंथनिरपेक्ष" शब्द जोड़ने की 44वीं वर्षगांठ पर दी गई श्रद्धांजलि
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Meraj Wali Khan Sameer Contributors
Deepika Chaudhary
Swarntabh Kumar 0
जब संविधान तैयार हुआ इसमे जुड़े तमाम लोग हमारी परम्पराओं से अच्छी तरह वाक़िफ़ थे, उनका राजनीतिक मक़सद बिल्कुल वाज़ेह था। लिहाज़ा धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद जैसे शब्दों को संविधान में जोड़ने की औपचारिकता महसूस नही की गयी लेकिन जिन मूल्यों पर आज़ादी की लड़ाई लड़ी गयी थी उनका पतन होने लगा तथा सियासी, सामाजिक और आर्थिक तौर पर पूंजीवाद और बहुसंख्यकवाद के अपवित्र गठजोड़ का ख़तरा मँडराने लगा इसलिए ज़रूरी था कि धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे मूल्यों को संविधान में लिखित रूप से जोड़ा जाए। तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने 42 वे संशोधन के माध्यम से ये प्राविधान किया और ये संशोधन 3 जनवरी 1977 से लागू हुआ। संविधान में ये संशोधन ज़रूरी थे। आज भी पूँजीवादी और फांसीवाद गठजोड़ की सत्ता और उससे प्रेरित तत्वों को ये संशोधन काँटे की तरह चुभते है।
आज इस संशोधन की 44वी जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक की जानिब से स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा जी को याद किया गया और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। शहर कांग्रेस कमिटी अल्पसंख्यक के शहर अध्यक्ष अनीस अख़्तर, शहज़ाद आलम, नदीमउद्दिन, मेराज वली (प्रवक्ता DCC), परवेज़ मंसूरी, विकास श्रीवास्तव, अनुभव चौधरी, मो० शोएब व अन्य कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ कार्यक्रम में शिरकत की।
मेराज वली खान
प्रवकता / मीडिया प्रभारी
ज़िला कांग्रेस कमेटी लखनऊ