मोहम्मदी खीरी में प्रवाहित गोमती के संरक्षण और संवर्धन के लिए संकल्पित गोमती सेवा समाज ने यहां के प्रमुख तट इमलिया घाट पर भ्रमण करते हुए घाट की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया और साथ ही सभी गोमती मित्रों ने विचार संगोष्ठी का आयोजन भी किया. गोष्ठी में गोमती सेवा अभियान के संरक्षक नेचर फोटोग्राफर श्री सतपाल सिंह, सचिव मनदीप सिंह, अध्यापक योगेश वर्मा, अनूप बाजपेयी, ओमप्रकाश मौर्या, बक्शीश सिंह, योगेश वर्मा, रजत दीक्षित, मयंक गुप्ता, प्रियांशु त्रिपाठी, आयुष मौर्या के साथ साथ छात्रों प्रणव राव, जयदेव मंडल, उमेश मंडल, सतिंदर, समरवीर सिंह, गुरमन सिंह सहित स्थानीय ग्रामीण निवासी भी उपस्थित रहे. इस अवसर पर सुखसबा ग्राम के अध्यापक व लेखक हरेंद्र वर्मा भी गोमती मित्र बने. इस अवसर पर सभी सदस्यों ने आदिगंगा के पुनरुद्धार के लिए विचार विमर्श किया.

गौरतलब है आदिगंगा गोमती जो उत्तर प्रदेश से गोमती की प्रमुख सहायक है, आज प्रदूषण का दंश खेल रही है. गोमती में गिर रहे लगभग 36 नालों ने इसे नाला बना दिया है, साथ ही रिवरफ्रंट के नाम पर लखनऊ में गोमती की प्राकृतिक धारा को ही अवरुद्ध कर इसे बांध दिया गया है. अपने घाटों पर प्रशासनिक लापरवाही और जन जागरूकता का अभाव झेल रही गोमती की पीड़ा को जन जन तक पहुँचाने के प्रयास में ही गोमती समाज सेवा टीम जुटी है.
इमलिया घाट पर गिरता जलस्तर और प्रदूषण चिंताजनक
गोमती समाज से सचिव एवं अध्यापक मनदीप सिंह ने बताया कि वर्तमान में इमलिया घाट की स्थिति चिंताजनक है, नवम्बर माह में जलस्तर का इतना गिर जाना भावी संकट की ओर इशारा कर रहा है. साथ ही इस बार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेले में जुटे श्रृद्धालुओं ने घाट पर काफी कूड़ा-कचरा फैलाया है. जाने-अनजाने ही सही पर हमारी नदियों को दूषित करने में सभी की भागीदारी है, जिसे हमें समझाना होगा.
उत्तर प्रदेश के मोहम्मदी खीरी जिले की मियांपुर कॉलोनी से कुछ ही फासले पर स्थित गोमती तट पर बना इमलिया घाट आस पास के निवासियों के लिए श्रृद्धा का केंद्र रहा है, यहां विगत 40-45 वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता रहा है. दरअसल पहले यहां काफी बड़े इलाके में जंगल फैला हुआ था और तब गोमती भी अविरल यहां प्रवाहित हुआ करती थी. चालीस वर्ष पूर्व यहां पलिया ग्राम निवासी शिवकुमार दीक्षित ने गोमती तट पर शिवलिंग की स्थापना करवाते हुए मंदिर का निर्माण कराया था. तभी से यहां हर कार्तिक पूर्णिमा और गंगा दशहरा पर विशाल मेले का आयोजन होता आ रहा है. यहां आज भी श्रृद्धालु आदिगंगा गोमती में स्नान और पूजन के लिए आते हैं. ऐसे में गोमती को संरक्षित रखना सम्पूर्ण समाज की जिम्मेदारी बनती है.

पर्यावरण संरक्षण में सुनिश्चित हो शिक्षा व्यवस्था का दायरा
गोमती सेवा समाज के तत्वावधान में आयोजित हुयी इस विचारगोष्ठी में लम्बे समय के बाद विख्यात नेचर फोटोग्राफर सतपाल सिंह का सम्मान किया गया, जिससे समस्त सदस्यों के बीच नए जोश का संचार हुआ. इस विचारसभा में गोमती के प्रति आम जनमानस की भागीदारी, टीम की सहभागीदारी, सदस्यों के प्रयासों, जनता के बीच योजनाओं का बेहतर संचालन और साथ ही वर्तमान शिक्षा व्यवस्था का पर्यावरण में योगदान के विषय में विस्तार से चर्चा की गयी.
योजनाओं का किया जायेगा बेहतर संचालन
गोमती सेवा समाज टीम के संरक्षक और प्रसिद्द वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर सतपाल सिंह ने विचार गोष्ठी में उपस्थित सभी सहयोगियों के समक्ष अपने विचार रखते हुए कहा कि सभी सक्रिय साथियों के समयदान का बहुत बड़ा महत्त्व है, हमें आगामी योजनाओं को बेहद सहज और उत्तम तरीके से संचालित करना है तभी हम मां गोमती को स्वच्छ करने के प्रयासों में सफल हो सकते हैं. टीम में हाल ही में जुडें सदस्य कवि हरेन्द्र वर्मा ने स्वयं को गोमती अभियान से जुड़ने के लिए सौभाग्यशाली बताया और कहा कि गोमती की सेवा में समय समय पर श्रमदान और विचारों के संप्रेषण में वह तत्परता से कार्य करेंगे.
विचार गोष्ठियों के जरिये किया जायेगा जनता को जागरूक
दल के वरिष्ठ सदस्य अनूप बाजपई ने उनके द्वारा मां गोमती पर रची कविता "माँ गोमती की पुकार" को साझा करते हुए मां गोमती की पीड़ा को सभी के सामने रखा, जिसमें जगह जगह दम तोड़ रही गोमती और प्रदूषण के बोझ तले दबी गोमती का मर्म साझा किया. इसके अतिरिक्त अभियान में लम्बे समय से जुड़े अध्यापक योगेश वर्मा ने बताया कि इस पुनीत कार्य में अब नदी के दोनों ओर बसे गांवों में जाकर विचारगोष्ठियों के माध्यम से जनजागरूकता का दायरा बढाया जायेगा.

By
Mandeep Singh Contributors
Deepika Chaudhary 48
मोहम्मदी खीरी में प्रवाहित गोमती के संरक्षण और संवर्धन के लिए संकल्पित गोमती सेवा समाज ने यहां के प्रमुख तट इमलिया घाट पर भ्रमण करते हुए घाट की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया और साथ ही सभी गोमती मित्रों ने विचार संगोष्ठी का आयोजन भी किया. गोष्ठी में गोमती सेवा अभियान के संरक्षक नेचर फोटोग्राफर श्री सतपाल सिंह, सचिव मनदीप सिंह, अध्यापक योगेश वर्मा, अनूप बाजपेयी, ओमप्रकाश मौर्या, बक्शीश सिंह, योगेश वर्मा, रजत दीक्षित, मयंक गुप्ता, प्रियांशु त्रिपाठी, आयुष मौर्या के साथ साथ छात्रों प्रणव राव, जयदेव मंडल, उमेश मंडल, सतिंदर, समरवीर सिंह, गुरमन सिंह सहित स्थानीय ग्रामीण निवासी भी उपस्थित रहे. इस अवसर पर सुखसबा ग्राम के अध्यापक व लेखक हरेंद्र वर्मा भी गोमती मित्र बने. इस अवसर पर सभी सदस्यों ने आदिगंगा के पुनरुद्धार के लिए विचार विमर्श किया.
गौरतलब है आदिगंगा गोमती जो उत्तर प्रदेश से गोमती की प्रमुख सहायक है, आज प्रदूषण का दंश खेल रही है. गोमती में गिर रहे लगभग 36 नालों ने इसे नाला बना दिया है, साथ ही रिवरफ्रंट के नाम पर लखनऊ में गोमती की प्राकृतिक धारा को ही अवरुद्ध कर इसे बांध दिया गया है. अपने घाटों पर प्रशासनिक लापरवाही और जन जागरूकता का अभाव झेल रही गोमती की पीड़ा को जन जन तक पहुँचाने के प्रयास में ही गोमती समाज सेवा टीम जुटी है.
इमलिया घाट पर गिरता जलस्तर और प्रदूषण चिंताजनक
गोमती समाज से सचिव एवं अध्यापक मनदीप सिंह ने बताया कि वर्तमान में इमलिया घाट की स्थिति चिंताजनक है, नवम्बर माह में जलस्तर का इतना गिर जाना भावी संकट की ओर इशारा कर रहा है. साथ ही इस बार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेले में जुटे श्रृद्धालुओं ने घाट पर काफी कूड़ा-कचरा फैलाया है. जाने-अनजाने ही सही पर हमारी नदियों को दूषित करने में सभी की भागीदारी है, जिसे हमें समझाना होगा.
उत्तर प्रदेश के मोहम्मदी खीरी जिले की मियांपुर कॉलोनी से कुछ ही फासले पर स्थित गोमती तट पर बना इमलिया घाट आस पास के निवासियों के लिए श्रृद्धा का केंद्र रहा है, यहां विगत 40-45 वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता रहा है. दरअसल पहले यहां काफी बड़े इलाके में जंगल फैला हुआ था और तब गोमती भी अविरल यहां प्रवाहित हुआ करती थी. चालीस वर्ष पूर्व यहां पलिया ग्राम निवासी शिवकुमार दीक्षित ने गोमती तट पर शिवलिंग की स्थापना करवाते हुए मंदिर का निर्माण कराया था. तभी से यहां हर कार्तिक पूर्णिमा और गंगा दशहरा पर विशाल मेले का आयोजन होता आ रहा है. यहां आज भी श्रृद्धालु आदिगंगा गोमती में स्नान और पूजन के लिए आते हैं. ऐसे में गोमती को संरक्षित रखना सम्पूर्ण समाज की जिम्मेदारी बनती है.
पर्यावरण संरक्षण में सुनिश्चित हो शिक्षा व्यवस्था का दायरा
गोमती सेवा समाज के तत्वावधान में आयोजित हुयी इस विचारगोष्ठी में लम्बे समय के बाद विख्यात नेचर फोटोग्राफर सतपाल सिंह का सम्मान किया गया, जिससे समस्त सदस्यों के बीच नए जोश का संचार हुआ. इस विचारसभा में गोमती के प्रति आम जनमानस की भागीदारी, टीम की सहभागीदारी, सदस्यों के प्रयासों, जनता के बीच योजनाओं का बेहतर संचालन और साथ ही वर्तमान शिक्षा व्यवस्था का पर्यावरण में योगदान के विषय में विस्तार से चर्चा की गयी.
योजनाओं का किया जायेगा बेहतर संचालन
गोमती सेवा समाज टीम के संरक्षक और प्रसिद्द वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर सतपाल सिंह ने विचार गोष्ठी में उपस्थित सभी सहयोगियों के समक्ष अपने विचार रखते हुए कहा कि सभी सक्रिय साथियों के समयदान का बहुत बड़ा महत्त्व है, हमें आगामी योजनाओं को बेहद सहज और उत्तम तरीके से संचालित करना है तभी हम मां गोमती को स्वच्छ करने के प्रयासों में सफल हो सकते हैं. टीम में हाल ही में जुडें सदस्य कवि हरेन्द्र वर्मा ने स्वयं को गोमती अभियान से जुड़ने के लिए सौभाग्यशाली बताया और कहा कि गोमती की सेवा में समय समय पर श्रमदान और विचारों के संप्रेषण में वह तत्परता से कार्य करेंगे.
विचार गोष्ठियों के जरिये किया जायेगा जनता को जागरूक
दल के वरिष्ठ सदस्य अनूप बाजपई ने उनके द्वारा मां गोमती पर रची कविता "माँ गोमती की पुकार" को साझा करते हुए मां गोमती की पीड़ा को सभी के सामने रखा, जिसमें जगह जगह दम तोड़ रही गोमती और प्रदूषण के बोझ तले दबी गोमती का मर्म साझा किया. इसके अतिरिक्त अभियान में लम्बे समय से जुड़े अध्यापक योगेश वर्मा ने बताया कि इस पुनीत कार्य में अब नदी के दोनों ओर बसे गांवों में जाकर विचारगोष्ठियों के माध्यम से जनजागरूकता का दायरा बढाया जायेगा.