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काली नदी संसद देगी काली को नवजीवन, केंद्रीय राज्यमंत्री भी जल्द करेंगे अंतवाडा में उद्गम स्थल का निरीक्षण

पूर्वी काली नदी : संरक्षण  एवं परियोजनाएं

पूर्वी काली नदी : संरक्षण एवं परियोजनाएं Kali Calling - Invitation to everyone for Shramdaan at Kali river origin place in Antwara village

ByRaman Kant Raman Kant   Contributors Rakesh Prasad Rakesh Prasad Deepika Chaudhary Deepika Chaudhary 62

काली नदी के उद्धार के लिए समाज के साथ साथ अब प्रशासन का भी सहयोग मिलने लगा है. इन भागीरथ प्रयासों को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही काली अपने उद्गम स्थल पर कल कल करते हुए प्रवाहित होगी. काली के उद्धार के साथ साथ ही अंतवाडा गांव की तस्वीर भी बदलने लगी है, अथक प्रयासों से काली की दशा तो संवर ही रही है साथ ही अब लोग अंतवाडा गांव को भी जानने लगे हैं. गौरतलब है नीर फाउंडेशन के लम्बे समय से किये गए प्रयासों से काली अपने उद्गम स्थल पर जलधारा के रूप में प्रस्फुटित हो चुकी है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से रोजाना यहां आ रहे हैं. नौ जिलों की जीवनरेखा काली को नवजीवन देने के लिए अब बहुत सी भावी परियोजनाओं पर कार्य किया जाने लगा है.

काली नदी के उद्धार के लिए समाज के साथ साथ अब प्रशासन का
भी सहयोग मिलने लगा है. इन भागीरथ प्रयासों को

नदी संसद से किया जायेगा काली का पुनरुद्धार

राजस्थान की अरवरी नदी से उदहारण लेते हुए काली उद्धार के लिए भी ऐसे ही मॉडल पर काम किया जायेगा. काली नदी मुख्यतः मुज्जफरनगर से बहते हुए मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, अलीगढ़, एटा व फर्रूखाबाद के बीच से होते हुए अन्त में कन्नौज जाकर गंगा में मिल जाती है. नदी के आरंभ में जहां ग्रामवासी इसे “नागिन” नाम से जानते हैं, तो नदी के गंगा में विलीन होने से पहले यह “कालिंदी” के नाम से जानी जाती है. नदी संरक्षण के प्रयासों के बाद अब नदी संसद बनाने की मांग उठने लगी है और इस योजना पर कार्य होना शुरू भी हो गया है. नदी संसद की प्रक्रिया को आगे लिखे बिन्दुओं के जरिये समझा जा सकता है..

1. नदी संसद में जिलास्तरीय कमेटी का निर्माण किया जायेगा, यानि नदी के प्रत्येक प्रवाह क्षेत्र में एक नदी संसद होगी, जिसमें 20-25 लोग सम्मिलित होंगे. साथ ही हर समिति का एक संयोजक और सह-संयोजक होगा.

2. नदी समिति के सदस्यों को नदी स्वच्छता, नदी संरक्षण, किनारों पर वृक्षारोपण, नदी संवर्धन जैसे सभी बिन्दुओं पर कार्य करना होगा.

3. समय समय पर नदी समिति के तत्वावधान में अधिवेशन भी किये जायेंगे, जिनमें जिले से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी, नदी कार्य से जुड़े विभागों के अधिकारी, नदी कार्यकर्ता, समाजसेवी और जिले के अन्य समाज सेवकों की मौजूदगी रहेगी.

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4. इन अधिवेशनों में नदी संरक्षण से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, समिति के सदस्य अपने जिले में आने वाले नदी क्षेत्र की सभी समस्याओं को अधिवेशन में आये अधिकारियों के सामने रखेंगे. साथ ही नदी की समस्याओं का निराकरण भी किया जायेगा.  

काली नदी के उद्धार के लिए समाज के साथ साथ अब प्रशासन का
भी सहयोग मिलने लगा है. इन भागीरथ प्रयासों को

राजस्थान की अरवरी नदी मॉडल के रूप में होगा काली का कायाकल्प

अरवरी नदी की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है. राजस्थान के 70 गांवों को सींचने वाली यह बारहमासी नदी 1960 के दशक में बिल्कुल सुख चुकी थी, सिंचाई आदि के लिए बेतहासा जल के उपयोग और संगमरमर की खुदाई के लिए पानी के अतिउपयोग से नदी निष्प्राण हो गयी थी. जिसे समाज के अथक प्रयासों से एक बार फिर जीवित करने का प्रयास किया गया और वर्ष 1990 में अक्टूबर माह में स्वत: ही नदी से जलधारा फूट पड़ी. नदी सेवकों और ग्रामवासियों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा वर्ष 1995 में कल कल करती अरवरी के रूप में सामने आया.
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इस नदी को संरक्षित और संवर्धित बनाये रखने के लिए ग्रामवासियों ने मिलकर नदी संसद का निर्माण किया और 70 गांवों में समितियां बनाई गयी. इन समितियों ने नदी संरक्षण की जिम्मेदारी ली, फसल चक्र में परिवर्तन करते हुए अधिक पानी दोहन करने वाली फसलों की उपज पर रोक लगायी, अति दोहन को रोका, बड़े उद्योगों की स्थापना पर प्रतिबंध लगाया, बोरिंग बंद करवाया और ऐसे तमाम उपाय किये जिससे नदी तंत्र को सुरक्षित रखा जा सके. इन जुझारू प्रयासों के कारण आज भी अरवरी नदी को देशभर में मॉडल नदी के रूप में देखा जाता है.   

युवाओं की टोली करेगी नदी को स्वच्छ

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युवा ग्राम विकास समिति में सम्मिलित युवाओं ने रविवार को हुयी बैठक में निर्णय लिया कि आने वाले रविवार को युवाओं की यह टीम अंतवाडा में काली नदी के बहाव को सुनिश्चित करने के लिए सक्रियता से कार्य करेगी. बैठक में नदीपुत्र रमन कांत के सम्मुख समिति के कार्यकर्ताओं ने बात रखी कि रविवार को अंतवाडा में जहां भी काली नदी के प्रवाह में गाद, जलकुंभी, कूड़ा-कचरा होगा, उसे हटाकर सफाई की जाएगी, ताकि नदी के प्रवाह को बल मिल सके.

काली नदी के उद्धार के लिए समाज के साथ साथ अब प्रशासन का
भी सहयोग मिलने लगा है. इन भागीरथ प्रयासों को

केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ बालियान जल्द करेंगे नदी उद्गम क्षेत्र का दौरा

मुज्जफरनगर से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत अंतवाडा गांव को गोद लेने की इच्छा जताई है. केंद्रीय मंत्री डॉ. बालियान ने नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन कान्त से वार्तालाप करके अंतवाडा को आदर्श ग्राम के रूप में स्थापित करने की बात रखी. वार्तालाप में केंद्रीय मंत्री डॉ बालियान ने नदी पुत्र रमन कान्त को बताया कि वें जल्द ही काली उद्गम स्थल का निरीक्षण करेंगे और सिंचाई, जल इत्यादि विभाग से जुड़े संबंधित अधिकारियों से भी नदी विकास से जुडी जरुरी चर्चा की जाएगी. नदी विकास कार्य में आ रही अडचनों को दूर करने के लिए भी आवश्यक कार्यवाही करने की बात डॉ बालियान ने रखी.  

काली नदी के उद्धार के लिए समाज के साथ साथ अब प्रशासन का
भी सहयोग मिलने लगा है. इन भागीरथ प्रयासों को

साथ ही उन्होंने बताया कि नदी विकास के लिए आमजन की भागीदारी देखते हुए वें इस गांव के विकास के लिए उत्साहित हैं और इसी क्रम में अन्य अहम जानकारियां जुटा रहे हैं. राजधानी दिल्ली में हुयी इस शिष्टाचार मुलाकात के अंतर्गत नदी अभियान से जुडी योजनाओं और भावी कार्यक्रमों की रुपरेखा के लिए चर्चा की गयी.

क्या है सांसद आदर्श ग्राम योजना?

बता दें कि प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना का आरम्भ 11 अक्टूबर, 2014 को हुआ था, जिसमें सांसदों को एक वर्ष के लिए कोई भी एक ग्राम गोद लेकर वहां के विकास कार्यों को बढ़ावा देते हैं. इन बुनियादी विकास कार्यों में कृषि, पशुपालन, कुटीर उद्योग इत्यादि से जुड़े विकास कार्य सम्मिलित हैं. योजना की आवश्यकता, समाज की प्रेरणा और ग्रामवासियों की भागीदारी को देखते हुए ही इस योजना का क्रियान्वन किया जाता है.

बेहद सुकूनदायक है, किसी नदी को स्वच्छ, अविरल रूप में प्रवाहित होते देखना. प्रकृति की अनुपम छटाओं में से एक दृश्य कलकल करती नदियां हैं और यह और अधिक विहंगम हो जाता है गर लम्बे प्रयासों से नदी को उसका खो चुका स्वरुप लौटाने के लिए कड़ी मशक्कत की जा रही हो. दो दिन से हो रही वर्षा से काली नदी में छह फीट तक जल बढ़ गया, जो अपने आप में बेहद सुखद है. नदी को वापस उसी पुरातन रूप में आते देख एक बात तो साबित होती है कि "कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता..एक पत्थर तबियत से उछाल कर तो देखिये...."

काली नदी के उद्धार के लिए समाज के साथ साथ अब प्रशासन का
भी सहयोग मिलने लगा है. इन भागीरथ प्रयासों को  

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