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'सोत-बान नदी' पुनर्जीवन अभियान कार्यक्रम

Hindon River- A Research on a dying Tributary of Yamuna

Hindon River- A Research on a dying Tributary of Yamuna Nirmal Hindon Origin Yatra - Shri Raman Tyagi Ji (Neer Foundation)

BySwarntabh Kumar Swarntabh Kumar   138

अमरोहा. नदिया हमारे जीवन व संस्कृति से जुड़ी है. नदी रहेंगी तो हम जीवित रहेंगे. जीव-जंतु, जड़, जंगल व वनस्पतियां सभी बचेंगे. अन्यथा आगे आने वाली पीढ़ियां एक-एक बूंद को तरस जाएगी. यह विचार यहां जे.एस हिंदू डिग्री कॉलेज के सुदर्शन सभागार में 'सोत-बान नदी' पुनर्जीवन अभियान कार्यक्रम में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चाहल ने व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि नागरिक समाज की नदियों को बचाने के इस मुहिम में जनपद प्रशासन पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा. 

इस अवसर पर उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी सी.पी.सिंह को इस अभियान का नोडल अधिकारी घोषित किया तथा अधीक्षण अभियंता बाढ़ नियंत्रण सुरेंद्र सिंह यादव एवं अधीक्षण अभियंता सिंचाई डी.पी.सिंह को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया. 

संगोष्ठी का शुभारंभ इस अभियान के मुख्य संयोजक अजय टंडन के विषय प्रवर्तन के साथ हुआ. श्री टंडन ने इस अभियान की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए अधतन कार्यक्रमों की जानकारी दी उन्होंने कहा कि हम अमरोहा की दो नदियों सोत एवं बान नदी को पुनर्जीवित करके नमामि गंगे मिशन में योगदान कर सकते हैं. श्री टंडन ने जल संरक्षण पर बल देते हुए अत्यधिक जल दोहन पर भी गहरी चिंता जताई.

इस अवसर पर नीर फाउंडेशन, मेरठ के अध्यक्ष रमन कांत त्यागी जी ने सोत व बान नदी के पुनर्जीवन के लिए सर्वप्रथम इन नदियों के मानचित्र तैयार करने, योजना बनाने, नदियों के किनारे वृक्षारोपण करने के लिए एक प्रारूप बनाने की आवश्यकता होगी. उन्होंने मुख्य वक्ता के रूप में अपने उद्बोधन में कहा कि यदि नदियों में साफ जल होगा तो हम सब भी स्वस्थ होंगे.  गंदे पानी से कैंसर जैसी बीमारियां फैल रही है.

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सोत-बान नदी बचाओ अभियान में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए मुख्य विकास अधिकारी सी.पी.सिंह ने नदियों को बचाने के लिए इनके उद्गम स्थलों को चिन्हित करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि गंदे हो गए सभी नदी-नाले/तंग होंगे उनके रखवाले.

इस अवसर पर बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधीक्षण अभियंता सुरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि नदियों के प्रवाह क्षेत्र को चिन्हित करते हुए दोनों और संघन वृक्षारोपण की आवश्यकता है. तभी पर्यावरण की रक्षा भी होगी और जल संरक्षण भी. उन्होंने इस विषय पर अधिक से अधिक जन जागरण की आवश्यकता पर जोर दिया.

सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता डी.पी.सिंह नदियों के अविरल प्रवाह के लिए अवरोधकों को हटाने पर बल दिया, लोगों को समझना होगा कि हम नदियों को नहीं, स्वयं को बचा रहे हैं. 

संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए भूगोल विभाग अध्यक्ष डॉ संजय शाही ने कहा कि नदी के नीचे भी एक नदी बहती है जिसे खोजना होगा. इस अभियान को सतीश अरोड़ा जी ने अमृत कार्य कहा. डॉक्टर जाकिर अमरोही ने कहा कि डैमों ने हमारी नदियों को भारी नुकसान पहुंचाया है. संगोष्ठी में अमीर उलहक, ने कहा कि समस्त प्रकृतिक संसार मानव सहित सभी जीव जंतुओं के लिए है नदी ही हमारे जीवन का आधार है. 

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इस अवसर पर सुधांशु विश्नोई, सरदार सिंह, हकीन हाफिज अफजाल, सलाउद्दीन, पंकज मित्तल, बंसन सारस्वत, एक.के.गर्ग ने भी विचार रखें.

धन्यवाद प्रस्ताव में प्राचार्या डॉ वंदना रानी गुप्ता ने जल संरक्षण को एक आंदोलन का रूप देने पर जोर दिया. इस अवसर पर डॉ सयुक्ता देवी, डॉ बी.बी.वरतरिया, डॉ अनिल रायपुरिया, डॉ मनीष टंडन, डॉ बृजेश, डॉ नरेंद्र सिंह, गणेश खन्ना, मोहम्मद शुराव, इकबाल खां, डॉ आशा सिंह, नीरज शर्मा सहित अनेक व्यक्तियों ने विचार व्यक्त किए. संगोष्ठी का संचालन डॉ अशोक रुस्तगी ने किया.

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