मेघालय सूचना आयोग को आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का संतोषजनक जवाब ना देने और आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था ना कर पाने के कारण किया गया डाउनग्रेड.
सूचना का अधिकार मीडिया का एक विकल्प भी
मेघालय उत्तर पूर्व का एक राज्य. मीडिया में जहां की खबरें शायद ढूंढने पर भी ना मिले. ऐसे में अपने ही देश के किसी राज्य की कोई जानकारी आपके पास ना हो वह भी तब जब आपके पास चौबीसों घंटे चलने वाले न्यूज़ चैनेल उपलब्ध हो, हर पल ऑनलाइन समाचार अपडेट होते रहते हो. मीडिया में जिस तरह से उत्तर पूर्व के खबरों की शून्यता होती वैसे में अगर किसी अलग प्रकार की आप सूचना चाहते हो तो वैसे में आपके पास क्या विकल्प बचता है? शायद आपका उत्तर आरटीआई हो. वाकई ऐसी स्थिति में आरटीआई का महत्व और भी बढ़ जाता है.
आरटीआई है आपका हथियार
मेघालय जैसे राज्य के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है. ऐसी स्थिति में आरटीआई कानून का अच्छे से पालन हो यह बेहद जरुरी है. मेघालय जैसे राज्य में जहां आम जनता को कई प्रकार के परेशानियों से हर दिन सामना करना पड़ता है. स्कूल में शिक्षक की उपलब्धता का प्रश्न हो, या अस्पताल में डॉक्टर का आभाव, टूटी सड़कों से गुजरना पड़ता हो, या खुले ड्रेनेज के कारण बीमारियों का सामना करना पड़ता हो ऐसे में इन सब की जवाबदेही प्रशासन की होती है और आरटीआई आपको यानि आम जनता को ये अधिकार देता है कि इन कमियों से जुड़े प्रश्न आप सरकार से पूछ सके. फंड के उपयोग-दुरूपयोग की जानकारी प्राप्त कर सके.
मेघालय मुख्य सूचना आयुक्त ने लगाया जुर्माना
हमने बात की किस प्रकार मेघालय की ख़बरें मीडिया में गौण हो जाती है. ऐसे में यहां कि आम जनता के साथ दूसरे राज्य के लोगों के लिए भी सूचना का अधिकार बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है. इसी संदर्भ में एक उदहारण आरटीआई की उपयोगिता का कि किस प्रकार चंडीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राजिंदर के सिंगला ने सूचना के अधिकार कानून के तहत गलत नियुक्ति का खुलासा किया. मंदीप जोसन जिन्हें नकली पीएचडी के आधार पर डीएवी कालेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (कंप्यूटर साइंस) नियुक्त किया गया था उनकी डिग्री मेघालय के सीएम्जे यूनिवर्सिटी की थी. जिसको लेकर राजिंदर के सिंगला ने मेघालय सरकार से पूछा था कि डिग्रियों की वैधता पर सरकार ने क्या निर्णय लिया है. इसका जवाब देने की जगह संबंधित सूचना अधिकारी ने इसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट करने के लिए जन-संपर्क विभाग को भेज दिया. हास्यास्पद की आवेदन अंग्रेजी में ही था. इससे भी शर्मनाक बात कि सूचना अधिकारी ने आवेदन के सवालों का जवाब देने की जगह खुद ही नए सवाल बना कर उसका उत्तर दे दिया. मेघालय सरकार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का इस प्रकार मजाक बनाए जाने पर सिंगला ने राज्य सूचना आयोग से इसकी शिकायत की. मुख्य सूचना आयुक्त ने अपना निर्णय देते हुए सूचना अधिकारी तथा अपीलीय अधिकारी दोनों को ही गलत पाया और जुर्माना लगाया.
आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था आपकी जवाबदेही भी है
मेघालय मुख्य सूचना आयुक्त ने जिस प्रकार से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की गंभीरता को समझते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राजिंदर के सिंगला के आवेदन पर अपना फैसला सुनाया काश उसी गंभीरता के साथ वह हमारे आवेदन पर भी ध्यान दे पाते. यह दुर्भाग्य ही है कि जिस सिंगला के आवेदन के प्रति हम मुख्य सूचना आयुक्त के सजगता और गंभीरता के हम कायल हुए उन्हीं ने हमें बेहद निराश किया. हमारे द्वारा पूछे गए प्रश्न की क्या आपके पास आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था है? का जवाब तो आया पर संतुष्ट करने लायक नहीं. पता नहीं आप आरटीआई को ऑनलाइन करने की किस प्रक्रिया में उलझ गए कि एक वर्ष से भी अधिक अवधि के बीत जाने के बाद भी मेघालय राज्य सूचना आयोग अब तक आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था नहीं दे पाया है. हम मेघालय सूचना आयोग को डाउनग्रेड करते हैं.

क्या चाहते हैं हम?
एक ऐसा भारत जहां हर राज्य के पास एक ऐसी उन्नत व्यवस्था हो जिससे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की शक्ति को और भी बल मिल सके. हर राज्य के पास खुद की आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसे और भी सुचारू तरीके से चलाया जा सके. जब केंद्र सरकार आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था प्रदान कर सकती है तब दूसरे राज्य उसका अनुसरण क्यों नहीं कर सकते? जब भारत एक है तो #OnenationOneRTI क्यों नहीं हो सकता?
अगर आप आरटीआई विशेषज्ञ हैं या आरटीआई कार्यकर्ता जो वास्तव में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की बेहतरी के लिए हमारे साथ काम करना चाहते हैं तो अपना विवरण हमें coordinators@ballotboxindia.com पर भेजें.
आप किसी को जानते हैं, जो इस मामले का जानकार है, एक बदलाव लाने का इच्छुक हो. तो आप हमें coordinators@ballotboxindia.com पर लिख सकते हैं या इस पेज पर नीचे दिए "Contact a coordinator" पर क्लिक कर उनकी या अपनी जानकारी दे सकते हैं.
अगर आप अपने समुदाय की बेहतरी के लिए थोड़ा समय दे सकते हैं तो हमें बताये और समन्वयक के तौर हमसे जुड़ें.
क्या आपके प्रयासों को वित्त पोषित किया जाएगा? हाँ, अगर आपके पास थोड़ा समय,कौशल और योग्यता है तो BallotBoxIndia आपके लिए सही मंच है. अपनी जानकारी coordinators@ballotboxindia.com पर हमसे साझा करें.
धन्यवाद
Coordinators @ballotboxindia.com
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Swarntabh Kumar 26
मेघालय सूचना आयोग को आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का संतोषजनक जवाब ना देने और आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था ना कर पाने के कारण किया गया डाउनग्रेड.
सूचना का अधिकार मीडिया का एक विकल्प भी
मेघालय उत्तर पूर्व का एक राज्य. मीडिया में जहां की खबरें शायद ढूंढने पर भी ना मिले. ऐसे में अपने ही देश के किसी राज्य की कोई जानकारी आपके पास ना हो वह भी तब जब आपके पास चौबीसों घंटे चलने वाले न्यूज़ चैनेल उपलब्ध हो, हर पल ऑनलाइन समाचार अपडेट होते रहते हो. मीडिया में जिस तरह से उत्तर पूर्व के खबरों की शून्यता होती वैसे में अगर किसी अलग प्रकार की आप सूचना चाहते हो तो वैसे में आपके पास क्या विकल्प बचता है? शायद आपका उत्तर आरटीआई हो. वाकई ऐसी स्थिति में आरटीआई का महत्व और भी बढ़ जाता है.
आरटीआई है आपका हथियार
मेघालय जैसे राज्य के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है. ऐसी स्थिति में आरटीआई कानून का अच्छे से पालन हो यह बेहद जरुरी है. मेघालय जैसे राज्य में जहां आम जनता को कई प्रकार के परेशानियों से हर दिन सामना करना पड़ता है. स्कूल में शिक्षक की उपलब्धता का प्रश्न हो, या अस्पताल में डॉक्टर का आभाव, टूटी सड़कों से गुजरना पड़ता हो, या खुले ड्रेनेज के कारण बीमारियों का सामना करना पड़ता हो ऐसे में इन सब की जवाबदेही प्रशासन की होती है और आरटीआई आपको यानि आम जनता को ये अधिकार देता है कि इन कमियों से जुड़े प्रश्न आप सरकार से पूछ सके. फंड के उपयोग-दुरूपयोग की जानकारी प्राप्त कर सके.
मेघालय मुख्य सूचना आयुक्त ने लगाया जुर्माना
हमने बात की किस प्रकार मेघालय की ख़बरें मीडिया में गौण हो जाती है. ऐसे में यहां कि आम जनता के साथ दूसरे राज्य के लोगों के लिए भी सूचना का अधिकार बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है. इसी संदर्भ में एक उदहारण आरटीआई की उपयोगिता का कि किस प्रकार चंडीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राजिंदर के सिंगला ने सूचना के अधिकार कानून के तहत गलत नियुक्ति का खुलासा किया. मंदीप जोसन जिन्हें नकली पीएचडी के आधार पर डीएवी कालेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (कंप्यूटर साइंस) नियुक्त किया गया था उनकी डिग्री मेघालय के सीएम्जे यूनिवर्सिटी की थी. जिसको लेकर राजिंदर के सिंगला ने मेघालय सरकार से पूछा था कि डिग्रियों की वैधता पर सरकार ने क्या निर्णय लिया है. इसका जवाब देने की जगह संबंधित सूचना अधिकारी ने इसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट करने के लिए जन-संपर्क विभाग को भेज दिया. हास्यास्पद की आवेदन अंग्रेजी में ही था. इससे भी शर्मनाक बात कि सूचना अधिकारी ने आवेदन के सवालों का जवाब देने की जगह खुद ही नए सवाल बना कर उसका उत्तर दे दिया. मेघालय सरकार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का इस प्रकार मजाक बनाए जाने पर सिंगला ने राज्य सूचना आयोग से इसकी शिकायत की. मुख्य सूचना आयुक्त ने अपना निर्णय देते हुए सूचना अधिकारी तथा अपीलीय अधिकारी दोनों को ही गलत पाया और जुर्माना लगाया.
आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था आपकी जवाबदेही भी है
मेघालय मुख्य सूचना आयुक्त ने जिस प्रकार से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की गंभीरता को समझते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राजिंदर के सिंगला के आवेदन पर अपना फैसला सुनाया काश उसी गंभीरता के साथ वह हमारे आवेदन पर भी ध्यान दे पाते. यह दुर्भाग्य ही है कि जिस सिंगला के आवेदन के प्रति हम मुख्य सूचना आयुक्त के सजगता और गंभीरता के हम कायल हुए उन्हीं ने हमें बेहद निराश किया. हमारे द्वारा पूछे गए प्रश्न की क्या आपके पास आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था है? का जवाब तो आया पर संतुष्ट करने लायक नहीं. पता नहीं आप आरटीआई को ऑनलाइन करने की किस प्रक्रिया में उलझ गए कि एक वर्ष से भी अधिक अवधि के बीत जाने के बाद भी मेघालय राज्य सूचना आयोग अब तक आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था नहीं दे पाया है. हम मेघालय सूचना आयोग को डाउनग्रेड करते हैं.
क्या चाहते हैं हम?
एक ऐसा भारत जहां हर राज्य के पास एक ऐसी उन्नत व्यवस्था हो जिससे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की शक्ति को और भी बल मिल सके. हर राज्य के पास खुद की आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसे और भी सुचारू तरीके से चलाया जा सके. जब केंद्र सरकार आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था प्रदान कर सकती है तब दूसरे राज्य उसका अनुसरण क्यों नहीं कर सकते? जब भारत एक है तो #OnenationOneRTI क्यों नहीं हो सकता?
अगर आप आरटीआई विशेषज्ञ हैं या आरटीआई कार्यकर्ता जो वास्तव में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की बेहतरी के लिए हमारे साथ काम करना चाहते हैं तो अपना विवरण हमें coordinators@ballotboxindia.com पर भेजें.
आप किसी को जानते हैं, जो इस मामले का जानकार है, एक बदलाव लाने का इच्छुक हो. तो आप हमें coordinators@ballotboxindia.com पर लिख सकते हैं या इस पेज पर नीचे दिए "Contact a coordinator" पर क्लिक कर उनकी या अपनी जानकारी दे सकते हैं.
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