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By
Swarntabh Kumar 43
जो अच्छा करें उसे अच्छा कहा जाना चाहिए मगर परिणाम भी देने की जरुरत
‘चुनौती 2018’, दिल्ली सरकार की अच्छी पहल, आओ स्कूल चले हम
भारत का जब संविधान निर्माण किया जा रहा था तब उसमें दसवीं तक मुफ्त शिक्षा दिये जाने का प्रावधान की बात हुई पर कुछ लोगों ने पैसे की कमी का हवाला देते हुए इसे छठवीं कक्षा तक करने को कहा. हुआ भी ऐसा ही और तबसे लेकर आजतक शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा से सरकार का बजट पैसों की कमी पर जाकर अटक जाताहै.तब हमारे नेता एक प्रगतिशील फैसला लेने से चूक गए और बाद की सरकारों में भी कभी वैसा हौसला नहीं रहा. हमें बेहतर समाज के लिए शिक्षा के क्षेत्र को लेकर आज थोड़ा उदार होने की जरूरत है.इस मामले में दिल्ली सरकार ने तारीफ योग्य कार्य किया है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार ने ‘चुनौती 2018’ के नाम से नई योजना शुरू की है जिसमें छठी कक्षा से लेकर दसवीं तक के छात्रों को एक विशेष योजना के तहत पढ़ाया जाएगा.
विषय से जुड़े तथ्य-
• दिल्ली में कक्षा 6 से 9 तक के छात्रों को नोडिटेंशनपॉलिसी(एनपीडी) के तहत पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद हर साल उत्तीर्ण कर अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता है. अब ऐसे बच्चे अगली क्लास में प्रमोट तो होंगे लेकिन उन्हें स्पेशलक्लासेज के जरिए मजबूत किया जाएगा.
• शिक्षा स्तर सुधारने के लिए सरकार का चुनौती 2018′के लिए लक्ष्य-
1. 2018 में 10वीं का परीक्षा देने वाले 100 प्रतिशत विद्यार्थी पास हो जाएं.
2. बच्चों की बुनियादी लर्निंग कौशल ऐसी हो सके कि उन्हें अपने विषय की पूरी जानकारी हो.
3. सरकार के नए प्लान में बेस लाइन असेसमेंट और विद्यार्थी की री-ग्रुपिंग अहम कड़ियांहैं. क्लास 6 से 9 के लिए री-ग्रुपिंग का अलग-अलग फॉर्म्युला बनाया गयाहै.
4. बच्चों को अलग-अलग ग्रुप में बांटा जाएगा ताकि शिक्षक को यह पता रहे कि एक क्लास में अलग-अलग ग्रुप के विद्यार्थी का लर्निंगलेवल क्या है.
5. 6ठी से 10वीं क्लास तक पढ़ाने वाले 24 हजार शिक्षकों को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है और उन्होंने अतिरिक्त शिक्षण सामग्री भी तैयार कर ली है.
6. स्टूडेंट्स को यह मटीरियल भी दिया जाएगा.
7. शिक्षक अलग-अलग ग्रुप को समझेंगे और उसके हिसाब से पढ़ाएंगे.
8. बेस्ट शिक्षक को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जा रहा है और प्राचार्यों को कहा गया है कि वे चाहें तो गेस्टटीचर्स भी रख सकते हैं.
• फेल हुए बच्चों की मैपिंग कराई जायेगी जिससे जो बच्चे 9वीं में फेल होकर स्कूल छोड़ चुके हैं उनको वापस मुख्यधारा में लाया जा सके.
• बच्चों में कोई हीन भावना न आए इसके लिए इन्हें आम बच्चों की तरह, आम स्कूल में आम दिनों में ही पढ़ाया जाएगा न कि किसी विशेष दिन.
• 9वीं में फेल हुए बच्चे को अपना स्कूल बदलने की सुविधा देंगे और आगे पढ़ाएंगे.
• जो शिक्षक बच्चों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने में अच्छे नतीजे देंगे उनको इनाम भी मिलेगा.
• पिछले दो साल में 9वीं में फेल हुए बच्चों को सरकार फिर से पढ़ने का मौका देगी.
• पत्राचार में पढ़ने वाले बच्चों को भी इसमें मौका दिया जाएगा. वे भी रोज इसमें पढ़कर इम्तिहान दे सकते हैं.
कुछ खास बातें-
• चुनौती-2018’ के इस योजना को स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षकों और विद्यार्थियों से चर्चा करने के बाद तैयार किया गया है. •दिल्ली सरकार का मानना है कि ‘राइटटुएजुकेशनएक्ट’कई मायनों में अच्छा है, लेकिन नोडिटेंशनपॉलिसी जैसे कुछ प्रावधानों से बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता को नुकसान भी होरहा है.
• दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि छठवीं से दसवीं तक की एजुकेशनक्वालिटी बहुत खराब हो गई है.नोडिटेंशन पालिसी इसका एक बड़ा कारण है.हमने कानून में संशोधन भी करके केंद्र को भेजा, केंद्र मंज़ूरीनहीं नहीं दे रहा है.
• सिसोदिया के मुताबिक दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में पिछले 3 सालों में यानी 2013-14 में 44 फीसदी, 2014-15 में 48.5 फीसदी और 2015-16 में 50 फीसदी बच्चे फेल हुए.