
निरंतर गर्माती धरती,
सूखते जल स्त्रोत और त्वरित गति से बढ़ता नदी जल प्रदूषण...ये सब पंक्तियां जो अब तक
अख़बारों के कोनों में या मोबाइल की ई न्यूज़ नोटिफिकेशन में कहीं छुपी हुई थी, अब हम
सबके सामने आ खड़ी हुई हैं. जो चेन्नई वर्ष 2015 की बाढ़ में जलमग्न हो गया था, इस
वर्ष अब तक के सबसे भयंकर सूखे का सामना कर रहा है. महानगर के वासियों ने इतने
विकट जल संकट का शायद अनुमान भी नहीं लगाया होगा.
हाल ही में नेशनल मैपिंग ऑफ
वॉटर स्ट्रेस्ड ब्लॉक की एक रिपोर्ट हम सभी के सामने आई, जिसमें देश के 257 जिलों के अंतर्गत भूजल
का गिरता और प्रदूषित होता जलस्तर सभी की चिंता में इजाफ़ा कर रहा है.
प्रधानमंत्री के जल
शक्ति अभियान द्वारा जारी की गयी इस रिपोर्ट के अनुसार देश के 257 जिले गंभीर भूजल
संकट की ओर बढ़ रहे हैं. भूजल दोहन और जल रिचार्ज के मध्य अव्यवस्थित संतुलन के चलते
इन जिलों में भूजल स्तर हर वर्ष 0.5-2 मीटर की दर से घट रहा है, जो वाकई चिंतन का
विषय है.
क्या कहती है रिपोर्ट
–
1. जल संकट की
सर्वाधिक विभीषिका उत्तर प्रदेश में है, जहां 35 जिलों के 139 ब्लॉक्स में भूजल न
केवल घटा है, बल्कि उसकी गुणवत्ता पर भी अत्य्दाहिक प्रभाव पड़ा है. इन जिलों में
मुख्य रूप से गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर इत्यादि सम्मिलित हैं.
2. राजस्थान के 29 जिलों
के 218 ब्लॉक्स भूजल संकट झेल रहे हैं, इन प्रखंडों में जलस्तर इतना अधिक गिर चुका
है कि स्थानीय निवासियों को टैंकर पर निर्भर होना पड़ रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों
में आम जन पलायन को मजबूर है.
3. गिरते भूजल से
राजधानी दिल्ली भी पीछे नहीं है, यहां 10 जिलों के अंतर्गत आने वाले 24 ब्लॉक्स
में भूजल के लेवल में तो कमी आई ही है, साथ ही नाइट्रेट, फ्लोराइड, साल्ट इत्यादि
केमिकल के कारण जल प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है.
4. इस रिपोर्ट में तमिलनाडु,
तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटका के भी क्रमशः 27, 24, 20, 19, 19 जिले शामिल
हैं. अन्य राज्यों में भी बहुत से जिलों में भूजल स्तर लगातार प्रभावित हो रहा है,
जिस पर यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो निकट भविष्य में हालात बदतर हो सकते
हैं.
सरकार चलाएगी “जल
शक्ति अभियान”
इस भूजल-संकट को दूर
करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिसके
अंतर्गत केंद्रीय, राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर टीम बनाई जाएगी, जो प्रत्येक
ब्लॉक का दौरा कर समस्या से सम्बन्धित रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी. इसके सभी
बिन्दुओं का लेखा-जोखा इस प्रकार है:
1. “जल शक्ति अभियान”
के नाम से चलने वाली इस योजना की थीम “संचय जल, बेहतर कल” रखी गयी है, जहाँ दो
अवधिकाल के अंतर्गत वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की जाएगी. मानसून की सक्रियता के
आधार पर 1 जुलाई-15 सितम्बर तथा 1 अक्टूबर-30 नवम्बर तक के समयकाल में यह योजना
कार्यान्वित होगी.
2. योजना के अंतर्गत जल
संचयन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी.
3. सभी जिलों एवं
क्रिटिकल ब्लॉक्स में परंपरागत जलस्त्रोतों को पुनर्जीवन देने का प्रयास किया
जाएगा.
4. ग्रामीण क्षेत्रों
के लिए कृषि विज्ञान केंद्र मेलों का आयोजन कर सिंचाई आदि के लिए प्रभावशाली रूप
से किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
5. शहरी जिलों में
वेस्ट वाटर को इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए ट्रीट किया जाएगा, साथ ही बोरवेल के
संरचनात्मक ढांचों को वर्षा जल संचयन के आधार पर विकसित किया जाएगा.
6. वनों को विकसित
करने के साथ साथ ही वृक्षारोपण की गति भी बढ़ाई जाएगी. साथ ही कार्यवाही अफसरों
द्वारा तैयार रिपोर्ट वैज्ञानिकों को अध्ययन के लिए सौंपी जाएगी.
7. इन सभी प्रखंडों
की सही मैपिंग के लिए 3डी मानचित्रण को आधार बनाया जाएगा, साथ ही वाटरशेड तकनीक का
विकास भी किया जाएगा.
उपर्युक्त प्रयासों
को सार्थक रूप से करने के साथ साथ जल शक्ति मंत्रालय ने अधिकारियों को पहले चरण की
योजनाओं के लिए 15 सितम्बर और दूसरे चरण के लिए 30 नवम्बर तक की डेडलाइन दी है.
कुल मिलाकर देखा जाये
तो सरकारी तैयारी वृहद् स्तर पर है, परन्तु एक प्रश्न फिर भी मन को कचोटता है कि
रिपोर्ट तो हर वर्ष आती रही हैं..कभी नीति आयोग की तरफ से, तो कभी नेशनल रेनफेड
अथॉरिटी की ओर से, तो इस विभीषिका की तरफ काफी पहले ही गौर क्यों नहीं किया गया?
साथ ही राजधानी दिल्ली, एनसीआर सहित बहुत से अन्य जिलों में बोरिंग करवाने पर बैन
लगा होने के उपरांत भी अत्याधिक भूजल दोहन क्यों किया गया?
इनके उत्तर भी कहीं न
कहीं हमारे पास ही हैं..क्योंकि हम ही तो आज तक इस प्रकार की रिपोर्ट्स को पढ़कर
भूलते आए हैं और हम ही तो बोरेवेल कराते समय निगरानी के लिए आए अधिकारियों की
जेबें गर्म करते आए हैं और नदियों को कूड़ादान बनाने में किसका सहयोग है? जिस पानी
ने हमारी सांसों को थाम रखा है, गर उसके ही अस्तित्व को संकट में डाल देंगे तो
इसका भुगतान कौन करेगा?
खुद से सवाल कीजिये,
जवाबदेही भी आपकी ही होगी. सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है और आप अपने स्तर
पर प्रयास कीजिये. आत्ममंथन करें, समस्या का कारण खोजें, जल के जीवन को बचाने में
अपना योगदान भी अंकित करें...क्योंकि जल है, तो कल है.
By
Deepika Chaudhary 47
निरंतर गर्माती धरती, सूखते जल स्त्रोत और त्वरित गति से बढ़ता नदी जल प्रदूषण...ये सब पंक्तियां जो अब तक अख़बारों के कोनों में या मोबाइल की ई न्यूज़ नोटिफिकेशन में कहीं छुपी हुई थी, अब हम सबके सामने आ खड़ी हुई हैं. जो चेन्नई वर्ष 2015 की बाढ़ में जलमग्न हो गया था, इस वर्ष अब तक के सबसे भयंकर सूखे का सामना कर रहा है. महानगर के वासियों ने इतने विकट जल संकट का शायद अनुमान भी नहीं लगाया होगा.
हाल ही में नेशनल मैपिंग ऑफ वॉटर स्ट्रेस्ड ब्लॉक की एक रिपोर्ट हम सभी के सामने आई, जिसमें देश के 257 जिलों के अंतर्गत भूजल का गिरता और प्रदूषित होता जलस्तर सभी की चिंता में इजाफ़ा कर रहा है.
प्रधानमंत्री के जल शक्ति अभियान द्वारा जारी की गयी इस रिपोर्ट के अनुसार देश के 257 जिले गंभीर भूजल संकट की ओर बढ़ रहे हैं. भूजल दोहन और जल रिचार्ज के मध्य अव्यवस्थित संतुलन के चलते इन जिलों में भूजल स्तर हर वर्ष 0.5-2 मीटर की दर से घट रहा है, जो वाकई चिंतन का विषय है.
क्या कहती है रिपोर्ट –
1. जल संकट की सर्वाधिक विभीषिका उत्तर प्रदेश में है, जहां 35 जिलों के 139 ब्लॉक्स में भूजल न केवल घटा है, बल्कि उसकी गुणवत्ता पर भी अत्य्दाहिक प्रभाव पड़ा है. इन जिलों में मुख्य रूप से गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर इत्यादि सम्मिलित हैं.
2. राजस्थान के 29 जिलों के 218 ब्लॉक्स भूजल संकट झेल रहे हैं, इन प्रखंडों में जलस्तर इतना अधिक गिर चुका है कि स्थानीय निवासियों को टैंकर पर निर्भर होना पड़ रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में आम जन पलायन को मजबूर है.
3. गिरते भूजल से राजधानी दिल्ली भी पीछे नहीं है, यहां 10 जिलों के अंतर्गत आने वाले 24 ब्लॉक्स में भूजल के लेवल में तो कमी आई ही है, साथ ही नाइट्रेट, फ्लोराइड, साल्ट इत्यादि केमिकल के कारण जल प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है.
4. इस रिपोर्ट में तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटका के भी क्रमशः 27, 24, 20, 19, 19 जिले शामिल हैं. अन्य राज्यों में भी बहुत से जिलों में भूजल स्तर लगातार प्रभावित हो रहा है, जिस पर यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो निकट भविष्य में हालात बदतर हो सकते हैं.
सरकार चलाएगी “जल शक्ति अभियान”
इस भूजल-संकट को दूर करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिसके अंतर्गत केंद्रीय, राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर टीम बनाई जाएगी, जो प्रत्येक ब्लॉक का दौरा कर समस्या से सम्बन्धित रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी. इसके सभी बिन्दुओं का लेखा-जोखा इस प्रकार है:
1. “जल शक्ति अभियान” के नाम से चलने वाली इस योजना की थीम “संचय जल, बेहतर कल” रखी गयी है, जहाँ दो अवधिकाल के अंतर्गत वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की जाएगी. मानसून की सक्रियता के आधार पर 1 जुलाई-15 सितम्बर तथा 1 अक्टूबर-30 नवम्बर तक के समयकाल में यह योजना कार्यान्वित होगी.
2. योजना के अंतर्गत जल संचयन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी.
3. सभी जिलों एवं क्रिटिकल ब्लॉक्स में परंपरागत जलस्त्रोतों को पुनर्जीवन देने का प्रयास किया जाएगा.
4. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र मेलों का आयोजन कर सिंचाई आदि के लिए प्रभावशाली रूप से किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
5. शहरी जिलों में वेस्ट वाटर को इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए ट्रीट किया जाएगा, साथ ही बोरवेल के संरचनात्मक ढांचों को वर्षा जल संचयन के आधार पर विकसित किया जाएगा.
6. वनों को विकसित करने के साथ साथ ही वृक्षारोपण की गति भी बढ़ाई जाएगी. साथ ही कार्यवाही अफसरों द्वारा तैयार रिपोर्ट वैज्ञानिकों को अध्ययन के लिए सौंपी जाएगी.
7. इन सभी प्रखंडों की सही मैपिंग के लिए 3डी मानचित्रण को आधार बनाया जाएगा, साथ ही वाटरशेड तकनीक का विकास भी किया जाएगा.
उपर्युक्त प्रयासों को सार्थक रूप से करने के साथ साथ जल शक्ति मंत्रालय ने अधिकारियों को पहले चरण की योजनाओं के लिए 15 सितम्बर और दूसरे चरण के लिए 30 नवम्बर तक की डेडलाइन दी है.
इनके उत्तर भी कहीं न कहीं हमारे पास ही हैं..क्योंकि हम ही तो आज तक इस प्रकार की रिपोर्ट्स को पढ़कर भूलते आए हैं और हम ही तो बोरेवेल कराते समय निगरानी के लिए आए अधिकारियों की जेबें गर्म करते आए हैं और नदियों को कूड़ादान बनाने में किसका सहयोग है? जिस पानी ने हमारी सांसों को थाम रखा है, गर उसके ही अस्तित्व को संकट में डाल देंगे तो इसका भुगतान कौन करेगा?
खुद से सवाल कीजिये, जवाबदेही भी आपकी ही होगी. सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है और आप अपने स्तर पर प्रयास कीजिये. आत्ममंथन करें, समस्या का कारण खोजें, जल के जीवन को बचाने में अपना योगदान भी अंकित करें...क्योंकि जल है, तो कल है.