राजनीतिक चंदे में बड़ा बदलाव, अरुण जेटली ने बजट में किया बड़ा ऐलान
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By
Swarntabh Kumar 36
चुनाव सुधार को लेकर बैलेटबॉक्सइंडिया की पहल धीरे-धीरे ही सही मगर आगे बढ़ रही है. हमारी इसी कोशिश को बल तब मिला जब 1 फरवरी 2017 को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट के दौरान राजनीतिक पार्टी फंडिंग में भी सुधार लाने की पहल की. बजट पेश करने के दौरान अरुण जेटली ने घोषणा करते हुए बताया कि अब राजनीतिक पार्टियां एक व्यक्ति से 2,000 रुपए से ज्यादा का चंदा नहीं ले पायेंगी. अब तक यह सीमा 20000 रुपए थी यानी कि अब इसमें 90 फ़ीसदी की कमी की गई है. पार्टियों को मिलने वाला दान चेक या डिजिटल माध्यम से ही लिया जा सकेगा. साथ ही साथ सभी राजनीतिक पार्टियों को तय समय पर अपना रिटर्न फाइल करना होगा.
लोकतांत्रिक सुधार की इस पहल में आदर्श तो यही होगा की चंदा पार्टी विशेष को ना दे कर सीधे इलेक्शन कमीशन के पास जमा कराया जाए. चुनाव आयोग ही इस चंदे का सही इस्तेमाल जनमेला या इसी तरह के सामान अवसर प्रदान करने वाले उपक्रम पर कर सकेगा. साथ ही चुनाव आयोग के पास चंदा देने से हो सकता है चंदे में कमी आये मगर इसके साथ भ्रष्टाचार में भी कमी आयेगी.
दूसरी ध्यान देने वाली बात अब चुनावी चंदे का परोक्ष या जटिल मिलीभगत से निस्तारण ना हो, इसका सबसे बड़ा साक्ष्य चंदे की राशि में लगातार आती कमी से जरूर लग पाएगा.
इस बारे में पता लगाने के लिए सूचना के अधिकार का इस्तेमाल किया जा सकता था मगर राजनितिक दल इसके दायरे से बाहर हैं. जो सभ्य समाज के लिए एक बड़ी समस्या की तरह भविष्य में सामने आएगा.
बहरहाल ये एक महत्वपूर्ण फैसला है. डिजिटल या चेक के द्वारा चंदा लेने की बात का ग्रामीण अंचल से जुड़ी पार्टियों पर क्या असर पड़ेगा यह आने वाला समय बताएगा. उनके चुनाव लड़ने की क्षमता आज के दौर में कितनी रह जाएगी ये भी एक बड़ी कसौटी होगी. क्या इससे एक बड़ा तबका राजनितिक भागीदारी से अलग हो जाएगा? डिजिटल धन के अपने फायदे और नुक़सान हैं जैसा की इस रिपोर्ट में लिखा गया है. गुप्त दान और उससे जुडी निजता एक बड़ा मसला है. क्या बैंक इस तरह का डाटा सुरक्षित रख पाएंगे? या सत्तारूढ़ पार्टी किसी तरह से ये डाटा कब्ज़ा सारे विपक्ष को ही दबा दें, ये भी एक बड़ा सवाल और सोचने वाली बात है.
ख़ैर इस फैसले पर नज़र ज़रूर रहेगी.
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