Ad
Search by Term. Or Use the code. Met a coordinator today? Confirm the Identity by badge# number here, look for BallotboxIndia Verified Badge tag on profile.
 Search
 Code
Searching...loading

Search Results, page of (About Results)

अप्रैल स्वास्थ्य विशेषांक – ऋतु परिवर्तन के सूचक माह में करें अपनी इम्युनिटी को बूस्ट, कोरोना वायरस से ऐसे रहें सावधान

भारतीय त्यौहार एवं संस्कृति.

भारतीय त्यौहार एवं संस्कृति. Opinions & Updates

ByKavita Chaudhary Kavita Chaudhary   Contributors Deepika Chaudhary Deepika Chaudhary 252

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल का नाम ग्रीक गॉडेस, एफ़्रोडाइट के नाम पर रखा गया है. रोमन कैलेंडर के अंतर्गत चौथे महीने को पहले अप्रिलिस लिखा जाता था, जिसका अर्थ है "खुल जाना." उत्तरी गोलार्द्ध के अंतर्गत इस माह को बसंत ऋतू का प्रतीक माना जाता है, जिसमें वृक्ष फलों और फूलों से लद जाते हैं और इसी विशिष्टता के चलते इस माह को अप्रैल नाम दिया गया.

हालांकि इस वर्ष नवसृजन का प्रतीक यह माह कोरोना के भय के बीच आया है, अंग्रेजी नववर्ष के हिसाब से भी देखा जाए तो जनवरी से ही यह महामारी चीन में अपने पैर पसार चुकी थी और फिर वहां से यह सभी देशों में चली आई और फिलवक्त यह तमाम विश्व में खौफ का पर्याय बनी हुयी है. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के आगाह पर लगभग सभी देशों को लॉकडाउन कर दिया गया है. 

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

आइयें जानते हैं कैसे महामारी के इस दौर में अपने स्वास्थ्य का रखें ख्याल, कैसे बीमारियों को खुद से दूर रखें और कैसे अप्रैल माह में बदलते मौसम के बीच खुद को रखें फिट एंड फाइन. 

1. अप्रैल में जलवायु परिवर्तन –

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मार्च से ही ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है और उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में मार्च से ही सूर्य की कर्क रेखा की ओर बढ़त के साथ ही तापमान में भी वृद्धि होने लगती है. सामान्यत: अप्रैल माह में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही रहता है, जिसमें बढ़त निरंतर जारी रहती है, वहीं दक्षिणी भारत में हालांकि तापमान तो अधिक रहता है, परन्तु प्रायद्वीपीय स्थिति के चलते मौसम मृदु बना रहता है.

वहीँ परंपरागत रूप से छ: ऋतुओं में विभाजित भारतीय मौसम चक्र के अंतर्गत चैत्र माह को बसंत ऋतु का ही अंतिम माह माना जाता है. चरक संहिता के कथनानुसार शिशिर ऋतु को उत्तम बलवाली, बसंत ऋतु को मध्यम बलवाली और ग्रीष्म ऋतु को दौर्बल्य वाली ऋतु माना गया है.

चूंकि अप्रैल में तापमान अधिकता से बढ़ता है, इसलिए इसे ग्रीष्म ऋतू के अंतर्गत ही सम्मिलित किया जा सकता है. ग्रीष्म ऋतु में गरम जलवायु शरीर में पित्त एकत्र करती है और प्रकृति में होने वाले परिवर्तन शरीर को प्रभावित करने लगते हैं.

गर्मी के बढ़ने से शरीर की धातुएं भी क्षीण होने लगती है, सूर्य की प्रखर किरणें शारीरिक ऊर्जा को सोखने का कार्य करती हैं, जिससे थकान और कमजोरी महसूस होना सामान्य है. अप्रैल माह में विशेष रूप से गर्मी बढ़ने के साथ साथ ही धूल भरी आंधी भी चलने लगती है, मौसम में होने वाले इस बदलाव से होने वाले प्रभाव इस प्रकार हैं..

1. मौसम बदलने के साथ ही वातावरण में वायरस सक्रिय हो जाते हैं.

2. वायु में बैक्टीरिया के कण बड़ी मात्रा में उत्पन्न होते हैं, जो तेज हवा चलने से धूल के अन्य कणों के साथ ही शरीर में प्रवेश करने लगते हैं.

3. तापमान बढ़ने से शरीर में पित्त की मात्रा भी बढती है, जो प्रतिरोधक क्षमता को धीमा कर देती है और वायरल इन्फेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है.

2. मौसमी फल एवं सब्जियां -

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

जिस प्रकार मौसम में परिवर्तन होता है उसी प्रकार हमें भी अपनी जीवनशैली व खानपान में परिवर्तन करना पड़ता है. सर्दियों के मौसम के बाद गर्मियों का आरंभ होने लगता है. इसी कारण शरीर में पोषक तत्वों का अभाव होने लगता है, जिससे शरीर से जल की मात्रा भी कम होने लगती है तो इसी लिहाज से गर्मियों में जलतत्व से भरपूर सब्जियों व ठंडे तासीर वाले फलों को अपने डायट चार्ट में शामिल किया जाता है. जिससे शरीर में जल की आपूर्ति भी होती रहे और साथ ही आवश्यक पोषक तत्व भी शरीर को प्राप्त होते रहें.

कुछ इस प्रकार की सब्जियां व फल अपने खाने में प्रयोग कर आप गर्मियों में स्वस्थ रह सकते हैं :

करेला - विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर करेला सम्पूर्ण भारत में सब्जी व अचार के रूप में प्रयोग में लाया जाता है. करेला स्वाद में बेहद कड़वा होता है परन्तु यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

लौकी/घीया – भरपूर मात्रा में जलतत्त्व से परिपूर्ण लौकी ज्यादातर लोगों को खाने में पसंद होती है. गर्मियों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने वाली लौकी से लोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं, जैसे लौकी की भाजी, लौकी का रायता, नवरात्रि व्रत में खाई जाने वाली लौकी की खीर व बर्फी इत्यादि.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

खीरा - शरीर की आन्तरिक तपन को शांत करने में खीरा सर्वाधिक सहायक होता है. जिसे केवल भारत में ही नही अपितु सम्पूर्ण विश्व में लोग प्राय: 12 महीने सलाद के रूप में प्रयोग करते हैं, परन्तु अप्रैल माह से यह ताजा व सरल रूप से बाज़ार में उपलब्ध होता है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

कद्दू/सीताफल – गर्मियों के दिनों में सर्वाधिक रूप से प्रयोग में लाया जाने वाले कद्दू में पोटेशियम व फाइबर की मात्रा प्रचुर रूप से होती है. भारत में लोग प्राय: कद्दू को सब्जी बनाने के साथ-साथ, सूप आदि के रूप में भी सेवन करते है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

तोरई – तोरई जिसे ‘तुरई’ व ‘तुरूई’ के नाम से भी जाना जाता है. यह सर्वत्र भारतवर्ष में सब्जी के रूप में प्रयोग की जाती है. आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त व कफ़ दोष को समाप्त करती है. तराई को सब्जी, सूप, चटनी अथवा रायते के रूप में प्रयोग में लाया जाता है.   .

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

शरीर को शीतलता प्रदान करते कुछ फल

बेल -  बेल अथार्त वुड एप्पल आध्यात्मिक दृष्टि से पूजनीय होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है. कफनाशक प्रवृति होने के कारण बेल पेट के लिए पूर्ण रूप से औषधि का कार्य करता है. बेल का जूस गर्मियों में शरीर को तरोताजा बनाये रखने में बेहद लाभप्रद है.  

Ad

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

संतरा – स्वास्थवर्धक गुणों से भरपूर संतरे में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है. रक्तशोधक व शक्तिवर्धक संतरे का लोग फल के रूप में तो सेवन करते ही हैं साथ ही इसे जूस, स्मूदी के तौर पर भी गर्मियों में शरीर को शीतलता देने में प्रयोग किया जा सकता है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,   

आम – फलों के राजा का ताज सर पर पहने आम में निहित पोषक तत्त्व हमारे शरीर के लिए बेहद उपयोगी होते हैं. आम एक ऐसा फल है, जिसकी भारत में विभिन्न किस्में उपलब्ध होती है. केवल भारत में ही नही यह फल सम्पूर्ण विश्व में अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. आम केवल फल के ही रूप में नही अपितु आमरस, लस्सी, शेक, एवं आम पापड़ के लिए भी लोगों के मध्य लोकप्रिय है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

अंगूर – अपने खट्टे-मीठे स्वाद से लोगों के बीच प्रसिद्ध अंगूर मात्र फल ही नही अपितु एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी जाना जाता है. इसके सेवन से शरीर गर्मियों में भी तरोताजा बना रहता है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

3. योगासनों द्वारा पाएं उत्तम स्वास्थ्य 

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

चैत्र माह से तापमान में तपिश होने लगती है, इसलिए प्राणायाम व कुछ योगासनों से शरीर को आन्तरिक ठंडक प्रदान की जा सकती है. व्यायाम हमारी जीवनशैली का महत्वपूर्ण अंग माना गया है और योगाभ्यास द्वारा शरीर की इम्युनिटी में भी वृद्धि की जाती है, जिससे शरीर विभिन्न रोगों से लड़ने में सक्षम हो सके. इसी दृष्टिकोण से हमें स्वस्थ शरीर व गर्मी से राहत पाने के लिए ऋतुचर्या के अनुसार प्राणायाम व आसनों को उपयोग में लाना चाहिए :

शीतली प्राणायाम

शीतली प्राणायाम अर्थात शरीर को शीतलता प्रदान करना. इसके लाभ इस प्रकार हैं..

1. इस प्राणायाम के माध्यम से व्यक्ति तनावमुक्त होता है.

2. शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए यह बेहद उपयोगी होता है.  

3. यह प्राणायाम त्वचा एवं नेत्र सम्बन्धी रोगों के लिए भी लाभदायक है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

भ्रामरी प्राणायाम

Ad

भ्रमर की भांति स्वर निकाल कर करने वाले प्राणायाम को भ्रामरी प्राणायाम की संज्ञा दी गयी है.

1. इसके नियमित रूप से अभ्यास करने से व्यक्ति तनाव मुक्त होता है.

2. इसके द्वारा स्वच्छ वायु का शरीर में प्रवेश होता है.

3. मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से शरीर को स्वाभाविक शीतलता प्राप्त होती है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

अनुलोम विलोम प्राणायाम   

श्वासों को साधने के लिए किया जाने वाले इस प्राणायाम के अनगिनत लाभ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार है..

1. इस प्राणायाम के द्वारा व्यक्ति अपने शरीर की ऊर्जा प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायक होता है.

2. इसके अभ्यास से कुछ ही समय में व्यक्ति का मन स्थिर व शांत होता है.

3. अनुलोम विलोम प्राणायाम से तनाव व थकान से भी राहत मिलती है.

4. यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में भी कारगर सिद्ध होता है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

शीतकारी प्राणायाम

मुख से “ओ” का आकार बनाकर साँस लेने से जीभ के द्वारा शीतल वायु शरीर के अंदर प्रवेश करती है, इसी प्रक्रिया को शीतकारी प्राणायाम कहा जाता है.

1. इस प्राणायाम के माध्यम से व्यक्ति को गर्मी से राहत मिलती है.

2. मुंह को खोलकर तथा जीभ को बाहर निकाल कर मुंह के द्वारा गहरी साँस लेने से ठंडी हवा का शरीर में समाहित होती है, जो गर्मी के लिए बेहद उपयोगी होता है.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

Ad

सर्वांगासन

चैत्र के दिनों में शरीर के तापमान में बेहद वृद्धि हो जाती है जिसे नियंत्रित करने में सर्वांगासन बेहद उपयोगी होता है.

1. इस आसन के द्वारा रक्त प्रवाह मस्तिष्क की ओर हो जाता है, जो शरीर के प्रत्येक अंग के लिए लाभकारी होता है.

2. इस आसन के नियमित अभ्यास से व्यक्ति के सभी रोग समाप्त होने लगते हैं.

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

विशेष नोट - उच्च रक्तचाप व सर्वाइकल के रोगियों को इसे न करने की सलाह दी जाती है.

4. क्या होती है प्रतिरक्षा प्रणाली 

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

किसी भी जीव के शरीर में होने वाली जैविक प्रक्रियाओं के समूह को उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली के रूप में जाना जाता है, जिसका कार्य किसी भी बाहरी रोगजनक तत्व या नियोप्लास्टिक कोशिकाओं की पहचान करना और फिर उन्हें समाप्त करना होता है, जिससे इन रोगजनकों से होने वाले रोगों से शरीर की रक्षा हो सके. इस बाहरी रोगजनक तत्वों में विषाणु, वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी कृमि आदि सम्मिलित होते हैं. इन रोगजनकों की पहचान करना बेहद मुश्किल काम है, जिसके लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर से पोषक तत्व ग्रहण करती है. यह सभी जीवों जैसे मानवों, जंतुओं, पक्षियों, पौधों, वृक्षों आदि में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है. 

5. इस तरह बढ़ाये अपनी इम्युनिटी पॉवर 

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

Covid-19 या नोवल कोरोनावायरस एक वैश्विक महामारी के रूप में देखा जा रहा है, जिससे चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन, ईरान, फ़्रांस सहित दुनिया के लगभग सभी देश त्रस्त हैं. लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा यह वायरस अब तक हजारों जानें ले चुका है. भारत में इससे प्रभावित लोगों की संख्या (2 अप्रैल, 2020 तक) 2000 का आंकड़ा पार कर चुकी है और लगभग 50 लोगों की जान इससे जा चुकी है. 

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

Covid-19 से बचने के लिए कोई भी एंटीडॉट या दवा अब तक नहीं बनी है और जितने भी लोगों ने इससे रिकवरी की है वह अपनी बेहतर इम्युनिटी के दम पर. कोरोना से मरने वाले लोगों के आंकड़ों पर गौर करें तो उनमें बुजुर्गों और विभिन्न रोगों (जैसे डायबीटीज, ह्रदय रोग, थायरोइड, हाइपरटेंशन आदि) से ग्रसित लोगों की संख्या अधिक है. इसलिए यह बेहद जरुरी हो जाता है कि हमारी इम्यून क्षमता मजबूत हों ताकि किसी भी रोग से हम लड़ सकें. आगे दिए गए कुछ उपायों से हम अपनी इम्युनिटी को बूस्ट कर सकते हैं..

1. विटामिन सी युक्त आहार जैसे संतरा, आंवला, नींबू, पपीता, अमरुद, पालक, अखरोट, तुलसी के पत्ते आदि का सेवन अवश्य करें. 

2. विटामिन ई और डी भी हमारी इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं, इनमें मुनक्का, बादाम, पालक, ब्रोकली आदि सम्मिलित हैं. साथ ही प्रयास करें आप दिन में कुछ समय सूर्य की रोशनी भी प्राप्त कर सकें.  

3. पोषक तत्त्वों के आलावा योग और प्रणायाम से भी इम्युनिटी बेहतर होती है, श्वसन तंत्र को सुचारू बनाने वाली प्रक्रिया अनुलोम-विलोम, भ्रामरी आदि के नियमित अभ्यास से आप स्वयं ही स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करेंगे. 

4. पानी का सेवन अधिक करें, शरीर में वाटर लेवल संतुलित होने से भी आपकी प्रतिरोधक क्षमता सुचारू रूप से कार्य करती है.

5. गिलोय, तुलसी, अदरक, हल्दी, काली मिर्च जैसे आयुर्वेदिक तत्त्वों में एंटीबायोटिक, एंटीसेप्टिक, एंटी इंफ्लेमेटरी और जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, जो किसी भी बीमारी से लड़ने में बेहद कारगर सिद्ध होते हैं.   

6. बेहतर आहार-विहार के साथ साथ सकारात्मकता से भरे विचार भी बेहद अहम हैं. अपनी सोच को पॉजिटिव रखें, प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें, अच्छा संगीत सुने, अपनी हॉबी के अनुसार कोई कार्य करें या ऐसा कुछ भी जिससे आपको तरोताजा महसूस होता हो, वह एक्टिविटी अपनी दिनचर्या में जोडें.  

6. ऐसे रहें कोरोना के कहर से सावधान

अप्रैल माह वैश्विक रूप से विविधता और नवऊर्जा का प्रतीक महीना है. मुख्यत: अप्रैल
का नाम ग्रीक गॉडेस,

1. स्वयं को और अपने आस पास के वातावरण को स्वच्छ रखें, यहां हम आपको हर 2 मिनट में रगड़ रगड़ कर हाथ धोने और बार बार सेनिटाईज करने के लिए नहीं कहेंगे. लेकिन भोजन करने से पहले, भोजन बनाने से पहले, किसी भी बाहरी वस्तु को छूने के बाद आप जरुर हाथों को अच्छे से धोएं.

2. हालांकि लॉकडाउन के चलते अधिकतर लोग बाहर नहीं जा रहे हैं, लेकिन फिर भी किसी कारणवश यदि आप बाहर जाते हैं तो विशेष रूप से ध्यान दें. मास्क, ग्लोवस पहनकर ही बाहर जायें और घर आने के बाद इन्हें उतारकर गर्म पानी से धोने के बाद ही उपयोग में लाये. 

3. कोरोना वायरस किसी भी सतह पर कुछ घंटों से कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है, इसलिए बेहतर है कि बाहर से आये सामान को अच्छे से सेनिटाईज करें तभी उसका उपयोग करें. 

4. सब्जियों और फलों का सेवन भी गर्म पानी से धोकर करें, चाहे तो पानी में नमक, बेकिंग पाउडर या सिरका डालकर उसमें कुछ समय सब्जियों व फलों को भिगोकर छोड़ दें.  

5. यदि आपको बदलते मौसम से खांसी-जुखाम आदि की शिकायत है तो निरंतर मास्क का प्रयोग करें और बुखार होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें.  

 

Leave a comment for the team.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें

इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.

ये कैसे कार्य करता है ?

start a research
जुड़ें और फॉलो करें

ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

start a research
संगठित हों

हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

start a research
समाधान पायें

कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।

आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?

क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे फॉलो का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें

हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।

क्या आपके पास कुछ समय सामजिक कार्य के लिए होता है ?

इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।

क्या आप किसी को जानते हैं, जो इस विषय पर कार्यरत हैं ?
ईमेल से आमंत्रित करें
The researches on ballotboxindia are available under restrictive Creative commons. If you have any comments or want to cite the work please drop a note to letters at ballotboxindia dot com.

Code# 52554

ज़ारी शोध जिनमे आप एक भूमिका निभा सकते है.

Follow