
दिव्यांगों में शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल मार्ग स्थित गांधी पीस फाउंड़ेशन में राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का आयोजन सामाजिक संस्था पुनरुत्थान की ओर से किया गया। गोष्ठी में 19 राज्यों के 55 शोधकर्ताओं ने डिजीटल इंड़िया में दिव्यांगों की भूमिका पर अपनी रिसर्च प्रस्तुत की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डिजीटल इंड़िया के आरम्भ के बाद देश में इसी दिशा में काम हो रहा है। मगर दिव्यांग अब भी इस मुहिम से दूर ही नजर आ रहे हैं लेकिन अब ऐसा नही होगा, क्यों कि दिव्यांगों को टैक्नोलॉजी से जोड़ने की दिशा में काम करने वाली संस्थाओं को अब इस काम के लिए सरकार भी मदद देगी। डिजीटल इंड़िया में दिव्यांगों की भूमिका बढ़ाने के विषय पर पुनरुत्थान संस्था द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में सीएसआईआर एनआईसीएसआईआर के निर्देशक डा. मनोज पटैरिया ने धोषणा की कि दिव्यांगों को तकनीकी से जोड़ने में सरकार की तरफ से भी मदद दी जायेगी। लेकिन उन्होने यह स्पष्ट नही किया कि यह मदद किस प्रकार की होगी और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकेगा। इस अवसर पर मौजूद आईआईएमसी के ड़ारेक्टर जनरल केजी सुरेश ने इस विषय पर इसी वर्ष के अंत में होने वाली अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए वह अपने संस्थान के प्रांगण में स्थान देने की घोषणा की।

जिसमें निम्न वक्ताओं ने शिकरत की। वही पुनरुत्थान एनजीओ के चेयरमैन ड़ा. दिलीप कुमार ने सभी आये अतिथियों का शॉल उढ़ाकर, फुटवाल देकर व तुलसी के पौधों को भेटकर स्वागत किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ड़ा. अनुज श्रीवास्तव ने कहा कि पुनरुत्थान संस्था जो वंचित बच्चों, युवाओं और महिलाओं को प्रासंगिक शिक्षा, अभिनव स्वास्थ्य सेवा और बाजार केन्द्रित आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाने का कार्य करती आ रही है। अब इस संस्था के पर निकल आये जो उड़ने लगी है। इस तकनीकी शुरुआत में बहुत लोगों का योगदान रहा है। हमारे बीच पुनरुत्थान संस्था के चेयरमैन ड़ा दिलीप कुमार और कई दिव्यांग मित्रों ने साथ मिलकर संघर्ष और प्रयासों से इसे आकाश में ले जाने का कार्य किया है।


हम सभी इसके साक्षी हैं। हम तकनीकी का सहारा ले। आज ड़िजीटल इंड़िया को इसके साथ जोड़ने की सबसे ज्यादा जरुरत है जो दिव्यांगों को उड़ने का सहारा बनेगी। यही हमें देखना है और इसी पर विचार करने के लिए हम लोग आज एकत्रित हुए हैं। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए गौतम पाल ने विकलांग भाई-बहनों से कहा कि मैं जानता हूं कि मैं बोल नही सकता, लेकिन बोलना भी नही चाहता हूं। दिव्यांगता होना कोई अभिश्राप नही है, बल्कि परिमात्मा का दिया हुआ वरदान है। जब आप दो हजार लोगों की भीड़ अकेले खड़े होगें वहां पर आपकी अलग पहचान होगी, मैं इस दिव्यांगता को अभिश्राप नही परमात्मा का वरदान मानता हूॅ। इसी कड़ी में डा सुधीर कुमार ने दिव्यांगों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि दिव्यांगता एक चुनौती है या हम इसे अवसर के रुप में जाकर देखें कि दिव्यांगों को चुनौतीयां है समाज से, सुसाईटी से, समान अवसर के लिए ये सब समान हो और ये सबको चाहिए। दिव्यांगों को दया नही स्वाभिमान चाहिए इसके लिए संवेदनापूर्वक वातावरण चाहिए।

13 दिसम्बर 2006 को जब यूनाईटेड नेशन दिव्यांगों के राइट्स की बात कर रहा होता है तो कितने ही कानून बने और दिव्यांगों की जनगणना करने का प्रयास किया गया था। वही वीके पुष्पा ने अपने विचारों में दिव्यांग भाई बहनों से कहा कि सामाजिक सुरक्षा के तहत अपंगता काम करने की आपकी अक्षमता पर आधारित होती है। सामाजिक सुरक्षा के तहत उस समय आपको अपंग समझा जाता है जब आप वह काम नहीं कर पाते जो आम लोग कर सकते हों। कार्यक्रम में आगे स्टार न्यूज व आज तक के न्यूज एंकर सैयद अंसारी ने दिव्यांगों के लिए सरकार द्वारा क्या पॉलिसी दी जा रही है उसके ऊपर प्रकाश ड़ालते हुए कहा कि सरकार द्वारा दिव्यांगों के लिए अनेक पॉलिसी चलाई जा रही है जिनके बारे में जानकारी अभी पूर्ण रुप से हमारे दिव्यांग भाई-बहनों को नही है जब आप गूगल सर्च करेगें तो सरकार की वेव साईट्स पर अनेकों पॉलिसी का जिक्र किया गया है क्यों हम लोगों तक ये पॉलिसी पहुंच नही पाती हैं।
क्यों हमे ऐसे सेमिनारों में आने की जरुरत पड़ती है। आज पुनरुत्थान जैसी सस्थाऐं है जो हमारे दिव्यांग भाई-बहनों को आगे कार्य करने के लिए प्रोत्साहन कर रही है। वही आदि वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे। इस मौके पर पुनरुत्थान ट्रस्ट के चेयरमैन डा. दिलीप कुमार, डा. सुरेश चंद्र नायक, राहुल मित्तल, अनिल जरोटिया, अंकित कुमार गौर, प्रजूस दत्ता, राकेश कुमार, हरमीत कौर, पवन कुमार, सचिन तिवारी, विकास मौर्या, गौरव कुमार, भूमिका तंवर, आकाश, पंकज अरोरा, पवन कुमार, शिवानी, राजेश्वरी, पूजा चौरसिया, रितिका, अजीत कुमार, सचिन कुमार, हिमांशू, आकाश चावला, नमन जैन, शुभम् गोश्वामी, लवेश पॉल आदि कमेटी के मैबरांन मौजूद थे।
Irshad saifi
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Mohd. Irshad Saifi 147
दिव्यांगों में शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल मार्ग स्थित गांधी पीस फाउंड़ेशन में राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का आयोजन सामाजिक संस्था पुनरुत्थान की ओर से किया गया। गोष्ठी में 19 राज्यों के 55 शोधकर्ताओं ने डिजीटल इंड़िया में दिव्यांगों की भूमिका पर अपनी रिसर्च प्रस्तुत की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डिजीटल इंड़िया के आरम्भ के बाद देश में इसी दिशा में काम हो रहा है। मगर दिव्यांग अब भी इस मुहिम से दूर ही नजर आ रहे हैं लेकिन अब ऐसा नही होगा, क्यों कि दिव्यांगों को टैक्नोलॉजी से जोड़ने की दिशा में काम करने वाली संस्थाओं को अब इस काम के लिए सरकार भी मदद देगी। डिजीटल इंड़िया में दिव्यांगों की भूमिका बढ़ाने के विषय पर पुनरुत्थान संस्था द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में सीएसआईआर एनआईसीएसआईआर के निर्देशक डा. मनोज पटैरिया ने धोषणा की कि दिव्यांगों को तकनीकी से जोड़ने में सरकार की तरफ से भी मदद दी जायेगी। लेकिन उन्होने यह स्पष्ट नही किया कि यह मदद किस प्रकार की होगी और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकेगा। इस अवसर पर मौजूद आईआईएमसी के ड़ारेक्टर जनरल केजी सुरेश ने इस विषय पर इसी वर्ष के अंत में होने वाली अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए वह अपने संस्थान के प्रांगण में स्थान देने की घोषणा की।
जिसमें निम्न वक्ताओं ने शिकरत की। वही पुनरुत्थान एनजीओ के चेयरमैन ड़ा. दिलीप कुमार ने सभी आये अतिथियों का शॉल उढ़ाकर, फुटवाल देकर व तुलसी के पौधों को भेटकर स्वागत किया।
हम सभी इसके साक्षी हैं। हम तकनीकी का सहारा ले। आज ड़िजीटल इंड़िया को इसके साथ जोड़ने की सबसे ज्यादा जरुरत है जो दिव्यांगों को उड़ने का सहारा बनेगी। यही हमें देखना है और इसी पर विचार करने के लिए हम लोग आज एकत्रित हुए हैं। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए गौतम पाल ने विकलांग भाई-बहनों से कहा कि मैं जानता हूं कि मैं बोल नही सकता, लेकिन बोलना भी नही चाहता हूं। दिव्यांगता होना कोई अभिश्राप नही है, बल्कि परिमात्मा का दिया हुआ वरदान है। जब आप दो हजार लोगों की भीड़ अकेले खड़े होगें वहां पर आपकी अलग पहचान होगी, मैं इस दिव्यांगता को अभिश्राप नही परमात्मा का वरदान मानता हूॅ। इसी कड़ी में डा सुधीर कुमार ने दिव्यांगों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि दिव्यांगता एक चुनौती है या हम इसे अवसर के रुप में जाकर देखें कि दिव्यांगों को चुनौतीयां है समाज से, सुसाईटी से, समान अवसर के लिए ये सब समान हो और ये सबको चाहिए। दिव्यांगों को दया नही स्वाभिमान चाहिए इसके लिए संवेदनापूर्वक वातावरण चाहिए।
13 दिसम्बर 2006 को जब यूनाईटेड नेशन दिव्यांगों के राइट्स की बात कर रहा होता है तो कितने ही कानून बने और दिव्यांगों की जनगणना करने का प्रयास किया गया था। वही वीके पुष्पा ने अपने विचारों में दिव्यांग भाई बहनों से कहा कि सामाजिक सुरक्षा के तहत अपंगता काम करने की आपकी अक्षमता पर आधारित होती है। सामाजिक सुरक्षा के तहत उस समय आपको अपंग समझा जाता है जब आप वह काम नहीं कर पाते जो आम लोग कर सकते हों। कार्यक्रम में आगे स्टार न्यूज व आज तक के न्यूज एंकर सैयद अंसारी ने दिव्यांगों के लिए सरकार द्वारा क्या पॉलिसी दी जा रही है उसके ऊपर प्रकाश ड़ालते हुए कहा कि सरकार द्वारा दिव्यांगों के लिए अनेक पॉलिसी चलाई जा रही है जिनके बारे में जानकारी अभी पूर्ण रुप से हमारे दिव्यांग भाई-बहनों को नही है जब आप गूगल सर्च करेगें तो सरकार की वेव साईट्स पर अनेकों पॉलिसी का जिक्र किया गया है क्यों हम लोगों तक ये पॉलिसी पहुंच नही पाती हैं।
क्यों हमे ऐसे सेमिनारों में आने की जरुरत पड़ती है। आज पुनरुत्थान जैसी सस्थाऐं है जो हमारे दिव्यांग भाई-बहनों को आगे कार्य करने के लिए प्रोत्साहन कर रही है। वही आदि वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे। इस मौके पर पुनरुत्थान ट्रस्ट के चेयरमैन डा. दिलीप कुमार, डा. सुरेश चंद्र नायक, राहुल मित्तल, अनिल जरोटिया, अंकित कुमार गौर, प्रजूस दत्ता, राकेश कुमार, हरमीत कौर, पवन कुमार, सचिन तिवारी, विकास मौर्या, गौरव कुमार, भूमिका तंवर, आकाश, पंकज अरोरा, पवन कुमार, शिवानी, राजेश्वरी, पूजा चौरसिया, रितिका, अजीत कुमार, सचिन कुमार, हिमांशू, आकाश चावला, नमन जैन, शुभम् गोश्वामी, लवेश पॉल आदि कमेटी के मैबरांन मौजूद थे।
Irshad saifi