गोमती हो सकती है 30 साल मे ख़त्म एक शोध से ये पता लगा है की गोमती अगले 30 सालों मे ख़त्म हो सकती है। ये एक दुखद खबर है। शोध के आंकड़े बताते हैं कि नदी क
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By Venkatesh Dutta 17
गोमती हो सकती है 30 साल मे ख़त्म
एक शोध से ये पता लगा है की गोमती अगले 30 सालों मे ख़त्म हो सकती है। ये एक दुखद खबर है। शोध के आंकड़े बताते हैं कि नदी के पानी मे 60 % से अधिक की गिरावट आयी है। मतलब पिछले तीस सालों मे गोमती का जलस्तर घटकर महज चालीस प्रतिशत रह गया है। शोध मे ये भी कहा गया है कि अगर जल्द ही इसको बचाने के प्रयास नहीं किये गए तो नदी विलुप्त हो जाएगी।
यह शोध बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के डॉ वेंकटेश प्रसाद ने सोसाइटी ऑफ़ साइंटिस्ट्स की मदद से किया है। गोमती के उद्गम स्थल पीलीभीत के माधवगढ़ से लेके कैंथी तक, करीब 960 कि मी पर किया गया।
इस पर डॉक्टर दत्त ने एक डाक्यूमेंट्री भी तैयार की है। उन्होंने बताया कि गोमती पर पिछले 30 साल का तुलनात्मक अध्यन किया है। गोमती में पानी काम होने के मुख्या दो कारण है, एक तो पीलीभीत के माधवटण्डा की फुलहार झील से पानी कम आना और दूसरा नीचे के छेत्रों में सिंचाई के लिए पानी का इस्तेमाल ज्यादा होना। अधिकाँश जल स्त्रोत सूख चुके है। पहले खेती के लिए तालाब और पोखरों के इस्तेमाल हुआ पर वे वक़्त के साथ सूख गए और लोगों ने पंप से पानी निकलना शुरू कर दिया।
इससे भूजल का स्तर छह-सात मीटर नीचे गिर गया। जिससे पानी कम आने लगा। डॉ. दत्त के अनुसार 30 साल पहले 100 प्रतिशत खेतों की सिंचाई होती थी जो अब बढ़ के 160 प्रतिशत हो गयी है। आने वाले दिनों में ये निर्भरता और बढ़ेगी।
पानी कम होने की वजह से गोमती में मिलने वाले कछुए भी विलुप्त हो गए है। मगरमछ भी कही कही मिलते है। मछलियां भी कम हो गयी है। नदी में ऑक्सीजन की मात्रा 4 मिलीग्राम होनी चाहिए पर कही कही पर वो शून्य हो गयी है।
हम किस ओर अग्रसर है और अगर आप कुछ करना चाहते हैं:
हम इस एक्शन ग्रुप के जरिये गोमती पर हो रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण की समीक्षा कर रहे है। गोमती पर करवाये जा रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण के बहुत दुष्परिणाम हो सकते है। कुछ तो दिखने भी लगे है। लखनऊ मे बहती गोमती के कई हिस्सों पे निर्माण चल रहा है। नदी की सतह में जमी गाद और गन्दगी को करोड़ों खर्च के ड्रेजिंग कर के निकाला जा रहा है। वही दूसरी ओर उसमे नाले सीवेज गिरा रहे है। सरकार गोमती की सफाई के नाम पर कई करोड़ खर्च कर चुकी है और आम जनता का पैसा लगातार अनुयोजित ढंग से खर्च किया जा रहा है। बहुत विशेषज्ञों ने रिवरफ्रण्ट की आलोचना भी की है और इससे रोकने की भी निवेदन किया पर सरकार ने कार्य को बिना रोके कार्यात रखा।
हम इस एक्शन ग्रुप से गोमती रिवरफ्रण्ट की समीक्षा करेंगे और विशेषज्ञों की राय और साइंटिफिक रिसर्च से रिवर फ्रंट के दुष्परिणाम और उसमे मुनासिब बदलाव के मौको को तलाशेंगे और सरकार को सुझाएंगे। इस रिसर्च के माध्यम से हम सही सुजाव देने मे भी समर्थ होंगे.
अगर आप इससे सम्बंधित कुछ जानते है :
अगर आप इस केस से सम्बंधित कोई जानकारी रखते है और हमसे साझा करना चाहते है, तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकते है: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो इस विषय मे कुछ जानता हो:
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो तालाब अधिग्रहण मे विशेषज्ञ हो या इस केस से सम्बंधित कुछ जानता हो , तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकतेहै: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप हमारे साथ कुछ देर अपने समुदाय के लिए काम करना चाहते है?
क्या मुझे काम करने के पैसे मिलेंगे?हाँ ! अगर आप किस क्षेत्र के विशेषज्ञ है और हमारे साथ काम करना चाहता है तो ballotboxindia .com सही प्लेटफार्म है.आपके काम को फण्ड किया जायेगा .- सोर्स लखनऊ(एस एन बी ) 18-03-2013