क्या गोमती का उद्गम गोमद ताल नहीं?
लखनऊ, 27 मई (जागरण संवाददाता) : क्या गोमती का उद्गम गोमद ताल नहीं! वर्ष 1970 के सेटेलाइट चित्र से इस बात का पता चला है कि गोमती गोमद ताल से नहीं बल्कि 60 किमी. ऊपर हिमालय की तलहटी से निकली है। गोमती हिमालय से निकली पेलियो चैनल (वह रास्ता जिससे होकर पानी नदी तक पहुंचता है) से रिचार्ज होती थी। हालांकि उपेक्षा के चलते यह चैनल बंद हो चुका है। जरूरत है कि इस चैनल को पुनर्जीवित किया जाए, जिससे गोमती फिर लबालब हो सके। यह सच सामने आया है स्पेस एप्लीकेशन सेंटर व बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के संयुक्त शोध के बाद। शोध से जुड़े डॉ. वेंकटेश दत्ता बताते हैं कि वर्ष 1970 की सेटेलाइट तस्वीर में इस पैलियो चैनल को साफ देखा जा सकता है। आज स्थिति यह है कि नदी का प्राकृतिक जल प्रवाह घटकर 35 फीसदी रह गया है। उद्गम स्थल से ही पचास किलोमीटर तक नदी के निशान नहीं मिलते। वहीं दूसरी ओर गोमती फिर से लबालब हो सके और इस चैनल को पुनर्जीवित करने के लिए सिंचाई विभाग का एक्शन प्लान तैयार है। महज इंतजार इसे शासन को सौंपने और उसकी मंजूरी का है। लोक भारती संस्था की पहल पर समाज सेवियों, पर्यावरणविदों व वैज्ञानिकों ने गोमती यात्रा के जरिए खत्म होती नदी का सच सामने रखा तो सरकार को इसे बचाने की याद आई। सिंचाई विभाग नदी को बचाने के लिए एक वृहद कार्ययोजना तैयार कर रहा है। कोशिश यह है कि मिट्टी से भर चुके इस पेलियो चैनल को साफ कर पुनर्जीवित किया जाए। प्रमुख अभियंता सिंचाई देवेंद्र मोहन बताते हैं कि गोमती का भूगर्भ जल से गहरा रिश्ता था। धीरे-धीरे यह रिश्ता लगभग खत्म हो गया। यही नहीं जंगलों का घनत्व कम हुआ और हरियाली कम होने से नदी का इको सिस्टम भी गड़बड़ा गया। नतीजा यह हुआ कि बीते 30 वर्षों में नदी जल में पांच गुना की कमी दर्ज की गई है। हालांकि वह आश्वस्त हैं कि गोमती फिर पानी से लबालब होगी। इसके लिए प्रथम चरण में गोमती को शारदा से पानी लेकर सराबोर करने की जुगत की जा रही है। इसके अलावा अतिक्रमण का शिकार गोमती नदी की जमीन को खाली करवा कर सिंचाई विभाग को दिए जाने का भी प्रस्ताव है। सहायक नदियों पर चेक डेम बनाए जाएंगे। वन विभाग इस जमीन को हरियाली से आच्छादित करेगा जबकि भूमि संरक्षण विभाग भूक्षरण रोकने के उपाय करेगा। यह सारे कार्य एक एक्शन प्लान के तहत किए जाएंगे, जिसे जल्द शासन को सौंपा जाएगा
हम किस ओर अग्रसर है और अगर आप कुछ करना चाहते हैं:
हम इस एक्शन ग्रुप के जरिये गोमती पर हो रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण की समीक्षा कर रहे है। गोमती पर करवाये जा रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण के बहुत दुष्परिणाम हो सकते है। कुछ तो दिखने भी लगे है। लखनऊ मे बहती गोमती के कई हिस्सों पे निर्माण चल रहा है। नदी की सतह में जमी गाद और गन्दगी को करोड़ों खर्च के ड्रेजिंग कर के निकाला जा रहा है। वही दूसरी ओर उसमे नाले सीवेज गिरा रहे है। सरकार गोमती की सफाई के नाम पर कई करोड़ खर्च कर चुकी है और आम जनता का पैसा लगातार अनुयोजित ढंग से खर्च किया जा रहा है। बहुत विशेषज्ञों ने रिवरफ्रण्ट की आलोचना भी की है और इससे रोकने की भी निवेदन किया पर सरकार ने कार्य को बिना रोके कार्यात रखा।
हम इस एक्शन ग्रुप से गोमती रिवरफ्रण्ट की समीक्षा करेंगे और विशेषज्ञों की राय और साइंटिफिक रिसर्च से रिवर फ्रंट के दुष्परिणाम और उसमे मुनासिब बदलाव के मौको को तलाशेंगे और सरकार को सुझाएंगे। इस रिसर्च के माध्यम से हम सही सुजाव देने मे भी समर्थ होंगे.
अगर आप इससे सम्बंधित कुछ जानते है :
अगर आप इस केस से सम्बंधित कोई जानकारी रखते है और हमसे साझा करना चाहते है, तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकते है: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो इस विषय मे कुछ जानता हो:
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो तालाब अधिग्रहण मे विशेषज्ञ हो या इस केस से सम्बंधित कुछ जानता हो , तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकतेहै: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप हमारे साथ कुछ देर अपने समुदाय के लिए काम करना चाहते है?
क्या मुझे काम करने के पैसे मिलेंगे?हाँ ! अगर आप किस क्षेत्र के विशेषज्ञ है और हमारे साथ काम करना चाहता है तो ballotboxindia .com सही प्लेटफार्म है.आपके काम को फण्ड किया जायेगा .
This was a major finding by Dr. Venkatesh Dutta. Wrong information on river start lead to sub optimal plans around river maintenance. Government agencies were missing close to 200 KM stretch of Gomti river.
NEW FINDING......!!!लखनऊ, 27 मई (जागरण संवाददाता) :
By Venkatesh Dutta 705
क्या गोमती का उद्गम गोमद ताल नहीं?
लखनऊ, 27 मई (जागरण संवाददाता) : क्या गोमती का उद्गम गोमद ताल नहीं! वर्ष 1970 के सेटेलाइट चित्र से इस बात का पता चला है कि गोमती गोमद ताल से नहीं बल्कि 60 किमी. ऊपर हिमालय की तलहटी से निकली है। गोमती हिमालय से निकली पेलियो चैनल (वह रास्ता जिससे होकर पानी नदी तक पहुंचता है) से रिचार्ज होती थी। हालांकि उपेक्षा के चलते यह चैनल बंद हो चुका है। जरूरत है कि इस चैनल को पुनर्जीवित किया जाए, जिससे गोमती फिर लबालब हो सके। यह सच सामने आया है स्पेस एप्लीकेशन सेंटर व बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के संयुक्त शोध के बाद। शोध से जुड़े डॉ. वेंकटेश दत्ता बताते हैं कि वर्ष 1970 की सेटेलाइट तस्वीर में इस पैलियो चैनल को साफ देखा जा सकता है। आज स्थिति यह है कि नदी का प्राकृतिक जल प्रवाह घटकर 35 फीसदी रह गया है। उद्गम स्थल से ही पचास किलोमीटर तक नदी के निशान नहीं मिलते। वहीं दूसरी ओर गोमती फिर से लबालब हो सके और इस चैनल को पुनर्जीवित करने के लिए सिंचाई विभाग का एक्शन प्लान तैयार है। महज इंतजार इसे शासन को सौंपने और उसकी मंजूरी का है। लोक भारती संस्था की पहल पर समाज सेवियों, पर्यावरणविदों व वैज्ञानिकों ने गोमती यात्रा के जरिए खत्म होती नदी का सच सामने रखा तो सरकार को इसे बचाने की याद आई। सिंचाई विभाग नदी को बचाने के लिए एक वृहद कार्ययोजना तैयार कर रहा है। कोशिश यह है कि मिट्टी से भर चुके इस पेलियो चैनल को साफ कर पुनर्जीवित किया जाए। प्रमुख अभियंता सिंचाई देवेंद्र मोहन बताते हैं कि गोमती का भूगर्भ जल से गहरा रिश्ता था। धीरे-धीरे यह रिश्ता लगभग खत्म हो गया। यही नहीं जंगलों का घनत्व कम हुआ और हरियाली कम होने से नदी का इको सिस्टम भी गड़बड़ा गया। नतीजा यह हुआ कि बीते 30 वर्षों में नदी जल में पांच गुना की कमी दर्ज की गई है। हालांकि वह आश्वस्त हैं कि गोमती फिर पानी से लबालब होगी। इसके लिए प्रथम चरण में गोमती को शारदा से पानी लेकर सराबोर करने की जुगत की जा रही है। इसके अलावा अतिक्रमण का शिकार गोमती नदी की जमीन को खाली करवा कर सिंचाई विभाग को दिए जाने का भी प्रस्ताव है। सहायक नदियों पर चेक डेम बनाए जाएंगे। वन विभाग इस जमीन को हरियाली से आच्छादित करेगा जबकि भूमि संरक्षण विभाग भूक्षरण रोकने के उपाय करेगा। यह सारे कार्य एक एक्शन प्लान के तहत किए जाएंगे, जिसे जल्द शासन को सौंपा जाएगा
हम किस ओर अग्रसर है और अगर आप कुछ करना चाहते हैं:
हम इस एक्शन ग्रुप के जरिये गोमती पर हो रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण की समीक्षा कर रहे है। गोमती पर करवाये जा रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण के बहुत दुष्परिणाम हो सकते है। कुछ तो दिखने भी लगे है। लखनऊ मे बहती गोमती के कई हिस्सों पे निर्माण चल रहा है। नदी की सतह में जमी गाद और गन्दगी को करोड़ों खर्च के ड्रेजिंग कर के निकाला जा रहा है। वही दूसरी ओर उसमे नाले सीवेज गिरा रहे है। सरकार गोमती की सफाई के नाम पर कई करोड़ खर्च कर चुकी है और आम जनता का पैसा लगातार अनुयोजित ढंग से खर्च किया जा रहा है। बहुत विशेषज्ञों ने रिवरफ्रण्ट की आलोचना भी की है और इससे रोकने की भी निवेदन किया पर सरकार ने कार्य को बिना रोके कार्यात रखा।
हम इस एक्शन ग्रुप से गोमती रिवरफ्रण्ट की समीक्षा करेंगे और विशेषज्ञों की राय और साइंटिफिक रिसर्च से रिवर फ्रंट के दुष्परिणाम और उसमे मुनासिब बदलाव के मौको को तलाशेंगे और सरकार को सुझाएंगे। इस रिसर्च के माध्यम से हम सही सुजाव देने मे भी समर्थ होंगे.
अगर आप इससे सम्बंधित कुछ जानते है :
अगर आप इस केस से सम्बंधित कोई जानकारी रखते है और हमसे साझा करना चाहते है, तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकते है: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो इस विषय मे कुछ जानता हो:
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो तालाब अधिग्रहण मे विशेषज्ञ हो या इस केस से सम्बंधित कुछ जानता हो , तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकतेहै: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप हमारे साथ कुछ देर अपने समुदाय के लिए काम करना चाहते है?
क्या मुझे काम करने के पैसे मिलेंगे?हाँ ! अगर आप किस क्षेत्र के विशेषज्ञ है और हमारे साथ काम करना चाहता है तो ballotboxindia .com सही प्लेटफार्म है.आपके काम को फण्ड किया जायेगा .
This was a major finding by Dr. Venkatesh Dutta. Wrong information on river start lead to sub optimal plans around river maintenance. Government agencies were missing close to 200 KM stretch of Gomti river.
NEW FINDING......!!!लखनऊ, 27 मई (जागरण संवाददाता) :