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Jahangirabad Ward-11 (Prayagraj)
प्रयागराज को ऋषि-मुनियों ने प्रमुख तीर्थस्थल माना है. वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय में भी कार्तिक मास की पूर्णिमा को लाखों की संख्या में साथ संगम में स्नान करने के लिए लोग एकत्र होते हैं. इसके अतिरिक्त कुंभ मेले में प्रयागराज में देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में लोग पवित्र गंगा नदी के में स्नान करते हैं. कुम्भ के समय देश-विदेश के महापुरुषों एवं विद्वानों का संगम यहाँ देखने को मिलता है. आरम्भ से ही यह पवित्र स्थली धरती भारतीय संस्कृति और आधुनिक सभ्यता का केंद्र रही है. मुगल काल में सम्राट अकब Read more...
Medical college Area Ward-55 (Prayagraj)
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सम्पूर्ण पृथ्वी पर सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने प्रयागराज को ही यज्ञ के लिए चुना था और यहां सबसे बड़ा यज्ञ किया गया था. जिसमें सभी देवी-देवताओं ने भागीदारी ली थी. यह स्थल तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है, परन्तु मुस्लिम शासक अकबर ने इसका नाम बदलकर इलाहाबाद रख दिया था, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान में इसके प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम में परिवर्तित कर दिया गया है. तो आज बात करते है, प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज क्षेत्र वार्ड की, जो वर्तमान में प्रयागरा Read more...
Mehdauri, Ward-33 (Prayagraj)
तीर्थराज अथार्त प्रयागराज, जिसे तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है. यदि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह शहर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है. सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उभरने में प्रयागराज को जाना जाता है साथ ही 1920 के दशक में महात्मा गांधी ने अहिंसा आंदोलन की शुरुआत भी यही से की थी. इसके अतिरिक्त यदि इस शहर को धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्रयागराज को आरंभ से ही प्रयाग के नाम से जाना जाता था, जिसमें प्र अथार्त बहुत विशाल और याग या Read more...
Omprakash Sabhasad Nagar-2 Ward-45 (Prayagraj)
पवित्र नदियों गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर बसा प्रयागराज शहर जो हिंदु धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों के लिए भी काफी महत्व रखता है. तीर्थों के महातीर्थ प्रयागराज में प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. इस स्थल को प्राचीन काल से ही प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता रहा है. परन्तु मुग़ल सम्राट ने इस शहर को इलाहाबाद का नाम दिया, इसी वजह से इस शहर को इलाहाबाद के नाम से जाना जाने लगा. वर्तमान में सरकार द्वारा इसे इसके प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम से जाना जाने लगा. तो आज बात करते हैं, Read more...
Omprakash Sabhasad Nagar Ward-44 (Prayagraj)
प्रयागराज अथार्त पवित्र नदियों के संगम का वह स्थान जहाँ हर 12 वर्ष में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. इस स्थल को प्राचीन काल से ही प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता रहा है. मुगल सम्राट अकबर ने 16वीं शताब्दी में इलाहाबाद शहर का निर्माण कर इसे इलाहाबाद का श्रेय दिया. उस समय संगम के किनारे सम्राट अकबर ने किले का निर्माण भी कराया. इसी कारण धीरे-धीरे इस शहर को इलाहाबाद के नाम से जाना जाने लगा. चूँकि यहां तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना व सरस्वती का संगम हुआ है. इसी के चलते हिंदु धर्म के अनुसार यह तीर Read more...
Tulsipur, Ward-48, Prayagraj
यूँ तो प्रयागराज को हिन्दुओं के लिए बेहद पवित्र स्थल माना जाता है, परन्तु यहां हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख, जैन व ईसाई समुदायों की भी मिश्रित संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. यह गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है और सबसे महत्वपूर्ण कि यह उत्तर प्रदेश के बड़े जनपदों में से एक माना जाता है. मुगलकालीन ग्रंथो के अनुसार सन 1583 में इलाहाबाद के मुग़ल सम्राट ने इस शहर का नाम अरबी और फारसी के दो शब्दों को मिला कर रखा था. जिसमें इल्लाह शब्द अरबी का था और आबाद फारसी से बना था, इन दोनों ही Read more...
Chak bhatahi Ward-59 (Prayagraj)
हिंदुग्रंथानुसार सम्पूर्ण पृथ्वी पर भगवान ब्रह्मा जी ने प्रयागराज को ही यज्ञ के लिए चुना था. इसी वजह से यह स्थल तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है. परन्तु यहां मुस्लिम शासक अकबर का शासन होने पर प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद में परिवर्तित कर दिया गया और इसे अल्लाह का शहर कहा जाने लगा. जिसे वर्तमान समय में योगी सरकार द्वारा पुनः इसके प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम में परिवर्तित कर दिया गया है. तो आज बात करते है, पावन स्थली प्रयागराज के चक भटाई वार्ड की, जो वर्तमान में प्रयागराज नगर निगम का Read more...
New Katra Ward-53 (Prayagraj)
तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ स्थल प्रयागराज, जिसका नाम मुस्लिम शासक अकबर ने इलाहाबाद के नाम में परिवर्तित कर दिया था, जिसका अर्थ था ‘अल्लाह का शहर’, या फिर वह शहर जिसे अल्लाह ने बसाया हो. जबकि प्रयागराज को आरंभ से ही प्रयाग के नाम से जाना जाता था, जिसमें प्र मतलब बहुत विशाल और याग यानि यज्ञ जिसका पूर्ण अर्थ प्रयाग है. हिन्दुग्रंथानुसार अनुसार सम्पूर्ण पृथ्वी पर भगवान ब्रह्मा ने इसी स्थल को यज्ञ के लिए चुना था. इस समय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे पुनः इसके प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम में परिवर्त Read more...
Mohatsim Ganj Ward-58 (Prayagraj)
विद्या और ज्ञान का गढ़ कहे जाने वाले प्रयागराज को देश का राजनीतिक व अध्यात्मिक रूप से सर्वाधिक जागरूक शहर माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसी शहर से बड़ी संख्या में देश को प्रधान मंत्री प्रदान किए हैं. इसके अतिरिक्त यदि धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो देवभूमि प्रयागराज हिन्दुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थल है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार पृथ्वी की रक्षा करने के लिए सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने यहां पर बहुत बड़ा यज्ञ किया था. जिसमें पुरोहित, भगवान विष्णु ने यजमान की भूमिका निभाई और भगवान शिव उस य Read more...
Ganganagar Ward-21 (Prayagraj)
तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ स्थल प्रयागराज को मुस्लिम शासक अकबर ने इलाहाबाद के नाम में परिवर्तित कर दिया था, जिसका अर्थ था ‘अल्लाह का शहर’, या फिर वह शहर जिसे अल्लाह ने बसाया हो. जबकि प्रयागराज को आरंभ से ही प्रयाग के नाम से जाना जाता था, जिसमें प्र मतलब बहुत विशाल और याग यानि यज्ञ जिसका पूर्ण अर्थ प्रयाग है. पौराणिक मान्यता के अनुसार सम्पूर्ण पृथ्वी पर भगवान ब्रह्मा ने इसी स्थल को यज्ञ के लिए चुना था. इस समय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे पुनः इसके प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम में परिवर्तित कर द Read more...
Phaphamau, Ward – 17 (Prayagraj)
सन 1583 में मुग़ल सम्राट ने प्रयागराज का नाम अरबी और फारसी के दो शब्दों को मिला कर इलाहाबाद रखा था, जिसमें इल्लाह शब्द अरबी का और आबाद फारसी से बना था, इन दोनों ही शब्दों को मिला कर अर्थ ईश्वर का शहर बनता था, जिसका मतलब वह शहर जिसे ईश्वर ने बसाया हो. परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम फिर से बदल कर इसे इसका पुराना नाम वापिस दिलाया. अब यह पुनः प्रयागराज के नाम से जाना जाता है. यह तीर्थ नगरी हिन्दुओं के लिए बेहद पवित्र स्थल माना गया है, परन्तु यहां हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख, जैन व ईसाई समुदाय Read more...
Azad Square Ward-27 (Prayagraj)
प्रयागराज को शुरू से ही प्रयाग के नाम से जाना जाता था, जिसमें प्र का अर्थ विशाल और याग यानि यज्ञ इसका पूर्ण अर्थ प्रयाग है. ऐसा माना जाता है कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर भगवान ब्रह्मा जी ने प्रयागराज को ही यज्ञ के लिए चुना था और उन्होंने यहां पर सबसे बड़ा यज्ञ किया था. इस स्थल को तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है. बदलते समय के साथ मुस्लिम शासक अकबर ने प्रयागराज के नाम को बदलकर इलाहाबाद रख दिया और इसे इलाहाबाद कहा जाने लगा. काफी समय से लोगों द्वारा व सरकार द्वारा इलाहाबाद के नाम को बदलने का प्रयास Read more...
Jhulelal nagar, Ward-36 (Prayagraj)
स्थल तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ प्रयागराज जिसका नाम मुस्लिम शासक अकबर ने बदलकर इलाहाबाद रखा था और तभी से इसे अल्लाह का शहर कहा जाने लगा. इस समय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे पुनः इसके प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम में परिवर्तित कर दिया गया है. प्रयागराज को आरंभ से ही प्रयाग के नाम से जाना जाता था, जिसमें प्र अथार्त बहुत विशाल और याग यानि यज्ञ जिसका पूर्ण अर्थ प्रयाग है. तो आज रुख करते हैं, प्रयागराज के झूलेलाल नगर वार्ड का, जो वर्तमान में प्रयागराज नगर निगम का हिस्सा है. स्थानीय पार्षद के अनुसा Read more...
Chakiya Ward-22 (Prayagraj)
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार पृथ्वी की रक्षा करने के लिए सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने प्रयागराज में सबसे बड़ा यज्ञ किया था. जिसमें पुरोहित, भगवान विष्णु ने यजमान की भूमिका निभाई और भगवान शिव उस यज्ञ के देवता बने. साथ ही यज्ञ के अंत में तीनों देवताओं ने अपनी शक्ति पुंज के द्वारा पृथ्वी से पाप का बोझ हल्का करने के लिए एक 'वृक्ष' को उत्पन्न किया. जो बरगद का वृक्ष था, जिसे आज अक्षयवट के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह वृक्ष आज भी प्रयागराज में विद्यमान है. जिसे आरंभ से ही इसे प्रयाग के Read more...
Allenganj, Ward-35, Prayagraj
पौराणिक नगरी प्रयागराज...जो गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है. इसे उत्तर प्रदेश के बड़े जनपदों में से एक माना गया है. यह पतित पावनी नगरी केवल हिन्दुओं के लिए ही नही अपितु यहां हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख, जैन व ईसाई समुदायों की मिश्रित संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है. यहां गुरूद्वारे, चर्च, मंदिर, मस्जिद सभी मौजूद है. जिससे यहां के साम्प्रदायिक सौहार्द का भी पता चलता है. प्रयागराज त्रिवेणी संगम के स्थल पर स्थिति है, जहां हर 12 साल में कुम्भ का मेला लगता है और यहां दूर-दूर स Read more...
Civil Line - I Ward-13 (Prayagraj)
यमुना, गंगा व सरस्वती जैसी पवित्र नदियों के संगम पर स्थित पावन नगरी प्रयागराज, जो पूरी दुनिया के तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस तीर्थस्थल को शुरू से ही प्रयागराज के नाम से जाना जाता रहा है, परन्तु मुस्लिम शासक अकबर ने सन 1583 में बदलकर इसे इलाहाबाद का नाम दे दिया और अल्लाह का शहर अथार्त इलाहाबाद के नाम से इसे जाना जाने लगा. परन्तु वर्तमान समय में सरकार द्वारा इसे पुनः प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम में परिवर्तित कर दिया गया है. तो रुख करते हैं, प्रयागराज के सिविल लाइन प्रथम वार्ड का Read more...
Bingawan, Ward 87 (Kanpur)
वार्ड 87, बिनगवां कानपुर जिले की अकबरपुर लोकसभा व महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला एक वार्ड है, जो कानपुर नगर निगम के द्वारा संचालित एक मिश्रित आबादी वाला परिक्षेत्र है. इस वार्ड का विस्तार मुख्यत: बिनगवां, टिकापुरवा, पहाडपुर, बकतौरी पुरवा, खादेपुर पुर (आंशिक भाग), जरौली गांव, टिकला बली का पुरवा तक है. वार्ड के परिसीमन की बात की जाये तो यह वार्ड उत्तर में हाई टेंशन लाइन हमीरपुर रोड से हरदेव नगर चौराहे तक तथा जरौली कालोनी फेस-1 एवं फेस-2 तक, दक्षिण में पांडू नदी एवं नगर निगम की सीमा Read more...
Vasant vihar, Ward 88 (Kanpur)
वार्ड 88, वसंत विहार कानपुर जिले के अंतर्गत आने वाला एक मिश्रित आबादी वाला परिक्षेत्र है. जिसमें पार्षद के तौर पर वर्ष 2017 से भारतीय जनता पार्टी से अनूप कुमार शुक्ला कार्यरत हैं. पार्षद के अनुसार वार्ड में तकरीबन 45-50,000 की आबादी का रहवास है, जिनमें लगभग 25,000 वोटर हैं. मिली जुली आबादी वाले इस क्षेत्र में हर वर्ग के लोगों का आवास है, जहां कुछ क्षेत्रों में नौकरीपेशा लोग हैं, तो कुछ इलाकों में कारखानों में कार्य कर गुजर-बसर करने वाली जनसंख्या भी है. वार्ड में तकरीबन 5 से 7 प्रतिशत अनुसूचित जा Read more...
Dalelpurwa, Ward 83 (Kanpur)
वार्ड 83, दलेलपुरवा कानपुर जिले के अंतर्गत आने वाले अल्पविकसित इलाकों में से एक है, जो एक मिश्रित आबादी वाला परिक्षेत्र है. इस वार्ड का विस्तार मुख्यत: चक संख्या 89 दलेलपुरवा, चक संख्या 91 व चक संख्या 98 नाज़िरबाग (आंशिक भाग) है तथा यह वार्ड उत्तर में चक 90 व 92 हिराम्न्पुरवा (नगर निगम स्कूल चौराहे से गंगू हलवाई चौराहा तक, दक्षिण में शाह गुलाम रसूल रोड़, पूर्व में चक संख्या 79 बांसमंडी रोड (डिप्टी पड़ाव चौराहे से बांसमंडी चौराहे होते हुए बांसमंडी पुलिस चौकी तक व पश्चिम में चक 98 बेकगंज से जुड़ा हुआ Read more...
Anwarganj, Ward 56 (Kanpur)
वार्ड 56, अनवरगंज कानपुर जिले का एक अल्प विकसित भूभाग है, जो कानपुर नगर निगम के द्वारा संचालित एक मिश्रित आबादी वाला परिक्षेत्र है. इस वार्ड का विस्तार मुख्यत: अनवरगंज (आंशिक भाग) चक संख्या 78, बांसमंडी चक संख्या 90 (आंशिक भाग), हीरामनपुरवा चक संख्या 79 एवं चक संख्या 92 (आंशिक भाग) तक है. वार्ड के परिसीमन की बात की जाये तो यह वार्ड उत्तर में सादिक शाह मजार तिराहे से चमड़ा मंडी फूलवाली गली होते हुए मूलगंज चौराहे तक, दक्षिण में बांसमंडी चौराहे से डिप्टी पड़ाव चौराहा (कालपी रोड), पूर्व में चक 78 व 7 Read more...
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