बिहार में पंचायत चुनाव
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समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
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By
Radha Bihari Ojha Shahpur Contributors
Swarntabh Kumar
Deepika Chaudhary 0
आओ हम सब अपने जमीर को जगाएं,
सबसे पहले बढ़िया एक मुखिया बनाएं.
उसके बाद आता है, नंबर सरपंच का,
मेम्बर पंचायत समिति और जिला परिषद का.
मुखिया, सरपंच, मेम्बर अच्छे चुने जाएंगे,
सांसद और विधायक फिर खुद ही सुधर जाएंगे.
जातिवादी, लोभवादी जो भी सरदार हैं,
भावना भड़काते हैं, ऐश-मौज करते हैं.
हमको बहलाते हैं, लूट-पाट करते हैं,
गाँव-गाँव फैले इनके चमचे और बेलचे हैं.
लोभ-लालच, जात-पात, पड़ता बहुत भारी है,
भेड़तंत्र, भीड़तंत्र, बहुत ही दुखकारी है.
जीते कोई, हारे कोई, हमको नहीं देखना है,
सबसे अच्छा जो भी हो, उसको वोट देना है.
तब जाकर वास्तव में, लोकतंत्र आएगा,
हमें बहुत लाभ होगा, मन नहीं पछताएगा.
आओ हम सब अपने जमीर को जगाएं,
सबसे पहले बढ़िया एक मुखिया बनाएं.