कृषि कानूनों में होना चाहिए बेहतर संशोधन - राधा बिहारी ओझा
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By
Radha Bihari Ojha Shahpur Contributors
Swarntabh Kumar
Deepika Chaudhary 0
कल शाम को लोक सभा टीवी पर "बात-चीत से निदान" कार्यक्रम में किसान आंदोलन के संबंध में परिचर्या सुन रहा था. परिचर्या में विशेष रुप से श्री हुकुम देव नारायण यादव जी के विचार बहुत ही स्पष्ट तथा सुलझे हुए लगे.
मेरी समझ यह है कि सरकार को चाहिए कि सभी कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी निर्धारित करे, एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी दे और एमएसपी पर खरीद के बाद उचित मुनाफा पर उद्योगपतियों को कृषि उत्पादों का भंडारण तथा व्यापार करने की अनुमति दे.
खेती के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना तथा अन्य सुविधाओं के लिए कार्पोरेट सेक्टर तथा अन्य बड़े व्यापारिक घरानों से सहयोग लिया जा सकता है, जिसका सामंजन वे किसानों की फसल की उपज से कर सकते हैं, लेकिन ये सब तब जब किसानों को एमएसपी की गारंटी हो जाए.
एमएसपी पर खरीद की गारंटी के साथ यह शर्त जोड़ी जा सकती है कि किसान क्षेत्रीय स्तर पर गठित तथा कार्यरत्त कृषि सलाहकार समितियों (इस तरह की सलाहकार समितियों का गठन सरकार को करना होगा) की सलाह पर ही अपने खेतों में फसल की किस्म का निर्धारण करेंगे ताकि उत्पादों के प्रकार तथा मात्रा में असंतुलन नहीं हो. एमएसपी की गारंटी के साथ यह शर्त जोड़ी जा सकती है कि जो किसान क्षेत्रीय कृषि सलाहकार समितियों की सलाह नहीं मानकर मनमानी फसलों की खेती करेंगे, उनकी फसल को एमएसपी की गारंटी मूल्य पर खरीद की गारंटी नहीं दी जाएगी.
मुझे लगता है कि इस तरह की व्यवस्था से किसान को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलने की गारंटी हो जाएगी, फिर उसकी उपज को चाहे कोई खरीदे. किसानों की मूल समस्या है खेती के लिए उचित व्यवस्था तथा सुविधा और उनके उत्पादों की उचित कीमत अर्थात विपणन. इन संशोधनों के बाद कृषि सुधार से संबंधित कानून किसानों के लिए हितकारी हो जाएंगे.