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कृष्णी नदी, शामली में आयोजित तितली विविधता कार्यक्रम

कृष्णी नदी बेसिन में तितलियों की विविधता  और संरक्षण: जारी  शोध

कृष्णी नदी बेसिन में तितलियों की विविधता और संरक्षण: जारी शोध कृष्णी नदी बेसिन, शामली में तितलियों की जैव विविधता कार्यक्रम

ByDeepika Chaudhary Deepika Chaudhary   Contributors Swarntabh Kumar Swarntabh Kumar 79

ग्रामीण स्तर पर जैव विविधता के अंतर्गत प्रवासी पक्षियों व तितलियों को लेकर छात्रों के मध्य जागरूकता का प्रसार करने हेतु तथा जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृष्णी नदी के बेसिन में तितलियों की विविधता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम निर्मल हिंडन जैव विविधता संरक्षण समूह शामली के तत्वाधान में आयोजित हुआ. कार्यक्रम के अंतर्गत सिल्वरबेल्ट्स स्कूल के जिज्ञासु छात्रों के समूह, शामली के जिला क्षेत्रीय अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी नरेश चन्द्र, निर्मल हिंडन कार्याधिकारी डी. वी. कपिल, जिला वनाधिकारी अनुज कुमार सक्सेना, पक्षी विशेषज्ञ एवं सलाहकार डॉ. उमर सैफ व सहयोगी टीम, 2030 वाटर रिसोर्स ग्रुप की सदस्या एन्नेलिके लानिंगा, जिला विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव तथा क्षेत्रीय रिसर्चर्स ने भागीदारी दर्ज करायी. 

छात्रों को प्रवासी पक्षियों के विषय में जागरूक किया गया 

वन विभाग के सौजन्य से राष्ट्रीय पक्षी दिवस के उपलक्ष्य में सिल्वरबेल्ट्स स्कूल के उन छात्रों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया, जिनकी दिलचस्पी प्रकृति के विभिन्न आयामों में है. इन छात्रों को प्रवासी पक्षियों के परिवेश के सम्बंध में बहुत सी जानकारियां दी गयी. छात्रों के मध्य इस विषय को लेकर अति उत्साह बना रहा और पक्षियों, नदी तंत्र से जुड़ी बहुत सी जानकारियां उन्होंने कृष्णी नदी क्षेत्र भ्रमण से प्राप्त की. विभिन्न अध्यापकों, वन्य अधिकारियों व रिसर्च समूहों के माध्यम से  विद्यार्थियों  में ज्ञान का प्रचार किया गया.

ग्रामीण स्तर पर जैव विविधता के अंतर्गत प्रवासी पक्षियों व तितलियों को लेकर छात्रों के मध्य जागरूकता

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शामली के जिला वनाधिकारी अनुज कुमार सक्सेना ने छात्रों से रूबरू होते हुए कहा कि, छात्रों में पक्षियों के प्रति जानकारी होना बहुत जरुरी है, प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा, उनके रहन सहन से जुड़ी जानकारियां, उनमें  यह भावना जाग्रत करना कि उन्हें प्रकृति के लिए किस प्रकार कार्य करना है, यह बेहद आवश्यक विषय है. उन्होंने मामौर झील के स्वरुप को भी विद्यार्थियों के सामने उजागर किया और बताया कि किस प्रकार गंगा विचार मंच द्वारा प्रदूषित झील को साफ़ करने की कोशिश की जा रही है और गाँव के लोग प्रवासी पक्षियों को लेकर सचेत हैं.   

जीवविज्ञानी व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. उमर सैफ ने छात्रों से मुखर होते हुए बताया कि, “प्रवासी पक्षी हिमालय के पार से ठंडे प्रदेशों जैसे साइबेरिया, मंगोलिया इत्यादि से भारत में आते है. ये पक्षी हमारे लिए अतिथि की तरह है इसलिए इनका स्वागत होना चाहिए और इनका सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना हम सबकी जिम्मेदारी है. दुर्लभ वन्य जीव जंतुओं को बचने के लिए सभी को मिलकर अभियान चलाना चाहिए.”

ग्रामीण स्तर पर जैव विविधता के अंतर्गत प्रवासी पक्षियों व तितलियों को लेकर छात्रों के मध्य जागरूकता

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वनाधिकारी द्वारा इस मुहिम में स्कूली छात्रों को समिल्लित करने के लिए अध्यापकों ने साधुवाद अर्पण किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के आयोजन से छात्रों में कुदरत के विभिन्न स्वरूपों को जानने में सहायता मिलेगी और भविष्य में इस तरह के और आयोजन होने पर बल भी दिया गया. 

बैठक के द्वारा कार्यक्रम की समीक्षा व भविष्यगत रुपरेखा निर्मित की गयी

ग्रामीण स्तर पर जैव विविधता के अंतर्गत प्रवासी पक्षियों व तितलियों को लेकर छात्रों के मध्य जागरूकता  

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ग्रामीण स्तर पर इस कार्यक्रम से जुड़े विभिन्न पक्षों पर बातचीत की गई, केवल प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा ही नहीं अपितु जल संरक्षण, तालाबों का तकनीकी विकास, नदियों को प्रदूषण से मुक्ति तथा वन्य जीव जंतुओं के संरक्षण पर वार्ता करने के उद्देश्य से गठित की गयी, बैठक में बहुत से क्षेत्रीय अधिकारियों व ग्रामीण समुदायों द्वारा भाग लिया गया. निर्मल हिंडन के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर डी. वी. कपिल ने बताया कि शामली जिले के लोगों का उत्साह देखते हुए यहां तालाबों से जुडे कार्यक्रमों का क्रियान्वन सबसे पहले किया जाएगा तथा इससे जुड़े उद्देश्य भी स्पष्ट किये गए. जैसे :-

1. नदी संरक्षण के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.

2. जिला अधिकारी की सहायता के लिए एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी.

3. मीटिंग्स लगातार होती रहे और अधिकारियों की मौजूदगी इनमें बनी रहे, यह देखा जाएगा.

4. गाववालों की राय लेकर ही वास्तविक कार्य होंगे तथा पहले से एकत्रित की गयी जानकारियों को उचित प्रकार परखा जाएगा.

इसके अतिरिक्त जिला पंचायतराज अधिकारी नरेश चन्द्र ने कार्यक्रम की रुपरेखा पर प्रकाश डालते हुए समझाया कि जैव विविधता व नदियों की सुरक्षा को समर्पित यह कार्यक्रम अभी अपने आरम्भिक चरण में है, इसमें बहुत से कार्यक्रम शामिल किये जायेंगे. गाँव के वे छात्र जो स्वच्छ भारतीय अभियान के लिए कार्य कर रहे है सरकार को उनकी सहायता व समर्थन करना चाहिए. कार्य भले ही धीरे धीरे आगे बढे परन्तु वह वास्तविकता से जुड़ा होना चाहिए.

कृष्णी ग्रामीण क्षेत्र का दौरा टीम द्वारा किया गया 

कार्यक्रम को ज़मीनी स्तर पर मजबूती प्राप्त हो, इसके लिए सभी अधिकारियों, स्वयंसेवा समूहों तथा निर्मल हिंडन कार्यकर्ताओं द्वारा स्वयं नदी क्षेत्र से जुड़े गाँव का दौरा किया गया. ग्रामीणों से वार्ता करके उनसे नदी से जुड़ी समस्याओं की जानकारी ली गई, जिससे पता चला कि पिछले 4-5 वर्षों में कैसे नदी दूषित हो गयी है. गाँव में टॉयलेट्स की संख्या बढ़ने से पीएम के स्वच्छता अभियान को तो बढ़ावा मिला परन्तु सीवेज संयंत्र के अभाव में दूषित पानी सीधे नदी में जाने से बीमारियाँबढ़ना एक विकराल समस्या की ओर इशारा कर रहा है. 2030 वॉटर रिसोर्सेज ग्रुप की सदस्या एन्नेलिका द्वारा गाँव की जल सम्बन्धित समस्याओं को सुना गया और तालाबों के सुधारीकरण के लिए उचित नीति बनाने का संकल्प लिया गया. उन्होंने यह भी बताया कि तालाबों के उत्थान से भूजल रिचार्ज होगा, गर्मी के दिनों में पानी की स्टोरेज से ग्रामीणों का जीवन सुगम होगा तथा नदियों को भी पुनर्जीवन मिलेगा. 

ग्रामीण स्तर पर जैव विविधता के अंतर्गत प्रवासी पक्षियों व तितलियों को लेकर छात्रों के मध्य जागरूकता   

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