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युवाओ के रोज़गार हेतु विकास सिंह ने किया जूते के कारख़ाने का उदघाटन
भभुआ: बेरोजगार एवं कर्मठ युवाओं के लिए रोज़गार की दिशा में कदम उठाने के उद्देश्य से, जूते के कारखाने के उद्योग का हौसला बढ़ाने हेतु, भभुआ जिला परिषद सदस्य विकास सिंह ने भभुआ शहर बस स्टैंड के नजदीक स्थित चंदन जूता कारखाना का उद्घाटन किया। इस मौके पर उपस्थित जिला परिषद सदस्य ने लोगों को बताया कि भभुआ प्रखंड के कोरी गांव में श्री भगवान राम का पुत्र चंदन कुमार है जो कि वर्तमान में बेरोजगार है, रोजमर्रा के साधन जुटाने की दिशा में उसने जूते का कारखाना शुरू किया है।जिला परिषद का कहना है कि सरकार Read more...
CERT-IN ने किया भारतीय गूगल क्रोम यूजर्स को सावधान, डिजिटल युग में मंडरा रहा साइबर अटैक का खतरा
डिजिटल क्रांति के इस दौर में जहां एक ओर असीम संभावनाओं के लिए नए द्वार खुले हैं, वहीं उतने ही अधिक जोखिम और खतरे भी बढ़े हैं। डिजिटल युग के इन मुद्दों में साइबर सिक्योरिटी एक बड़ी आवश्यकता के तौर पर सामने आई है। प्रश्न यह उठता है कि जहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी साइबर अटैक से बच पाना सरल नहीं हैं, वहां क्या भारत में इंटरनेट यूजर्स पूरी तरह से सेफ हैं? आज डाटा चोरी के मामलों में भारत विश्व में पांचवें स्थान पर आता है। इंटरनेट का चलन जिस तरह देश में लगातार बढ़ रहा है और लोग गूगल क्रोम के जरिए अलग अल Read more...
फेसबुक का #10yearschallenge : एक मजेदार मीम या यूजर डेटा को एकत्रित करने की एक व्यापक रणनीति?
“एक्सवाईजेड एप के माध्यम से करोड़ों फेसबुक यूजर्स का डेटा चुराया गया.”“फेशियल रिकग्निशन कंपनी ने फेसबुक से ब्रीच किया यूजर्स का पिक्चर डेटा.”हो सकता है, वर्ष 2020 में इस प्रकार की खबरें समाचार पत्रों-पत्रिकाओं का हिस्सा बनें. ऐसा नहीं होने की वाज़िब वजह भी तो नहीं है. सोचिये जब 2016 में अमेरिकी चुनाव हो रहे थे, तो क्या किसी को अंदाजा था कि आने वाले समय में “कैंब्रिज एनालिटिका”, “फेसबुक डेटा ब्रीच” जैसी खबरें सुनने को मिलेंगी? हालात आज भी वही हैं, बस समय और तरीका बदल गया है. वर्ष 2019 के आगाज़ के सा Read more...
कोरोना और शिक्षा व्यवस्था – खामियां, खाईयां और क्या करें?
क्या एक शिक्षक अपने टेबलेट, फ़ोन या लैपटॉप की स्क्रीन पर 28 बच्चों को ठीक से देख सकता है?क्या हर 28 बच्चे के पास अपना फ़ोन, टेबलेट, कंप्यूटर है, और एक अलग जगह है जहाँ बैठ कर वो क्लास अटेंड कर सके.क्या ज़ूम, फेसबुक जैसी विदेशी मार्केटिंग कंपनियों को हमारे देश के हर क्लासरूम का ख़ाका खींच के दे देना ठीक रहेगा, जो बच्चे ईमेल तक बनाने के लिए एलिजिबल नहीं हैं, उन सब बच्चों का डेटाबेस, उनकी आवाज़, चेहरे, उनकी लोकेशन आज फेसबुक, गूगल, ज़ूम के सर्वर्स पर स्टोर हो रही हैं.जिन बच्चों को पेरेंट्स यूटूब, फेसबुक से Read more...
फेसबुक का प्रजातंत्र पर वार – इजरायल चुनावों में जनतंत्र की तुलना में अधिक सक्रिय दिखा फेसबुकतंत्र
किसी भी लोकतांत्रिक देश की रीढ़ होते हैं स्वस्थ और निष्पक्ष चुनाव, शायद यह पंक्ति वर्तमान समय में लिखने या सुनने मात्र के लिए ही रह गयी है. डिजिटल युग के अंतर्गत सोशल मीडिया की संदेहास्पद भूमिका ग्रहण की भांति लोकतंत्र पर छा जाने के लिए उतारू दिखाई देती है और वास्तव में यह लोकतंत्र को अत्याधिक प्रभावित भी कर रही है. 2016 के अमेरिकी चुनावों से प्रारंभ हुई यह डिजिटल जंग थमने का नाम नहीं ले रही है, यह जानते हुए भी कि किस प्रकार फेसबुक के जरिये अमेरिका चुनावों को प्रभावित किया गया...बिना सोचे विचारे Read more...
लोकसभा चुनावों में फेसबुक की भूमिका संदेहास्पद – संसदीय समिति की फेसबुक अधिकारियों से कड़ी पूछताछ
भारत में लोकसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है, सभी पार्टियाँ अपने अपने तरीके से आगे बढ़ते हुए जन समर्थन जुटाने का प्रयास कर रही हैं. यह चुनावी माहौल वर्ष 2016 में हुए अमेरिकी चुनावों और कैंब्रिज एनालिटिका प्रकरण की एकाएक याद दिलाता है.अमेरिका जैसा सुविकसित, तकनीकी क्षमता से दक्ष देश भी जब अपने चुनावों में फेसबुकी मंच का दुरूपयोग होने से नहीं रोक पाया और लोकतंत्र की नींव को ही कुछ रुसी एजेंसियों के हाथ में फेसबुक विज्ञापनों के जरिये थमा बैठा..तो कल्पना कीजिये क्या भारत में होने वाले चुनाव निष्पक्ष Read more...
फेसबुक से प्रजातंत्र पर मंडराता खतरा - e-सत्याग्रह अभियान एक कदम समाधान की ओर
अमेरिका की सिलिकॉन वैली से निकली फेसबुक कब दुनिया के कोने कोने नाप गयी, यह तो इतिहास का विषय है..पर कब और कैसे फेसबुक के जरिये जनमानस को इस कदर प्रभावित किया जाने लगा कि किसी एक ताकत के इशारे पर देश बदलने लगे, सरकारें बदलने लगी, सत्ता बदलने लगी, यहां तक कि लोकतंत्र के मायने ही बदल गए..यह जरूर मंत्रणा का विषय है.आपको याद होगा वर्ष 2016 का अमेरिकी चुनाव या ब्रेक्सिट जनमत संग्रहण या फिर नाइजीरिया के चुनाव..थे तो ये सभी अलग अलग, परन्तु इनमें एक कॉमन सा संबंध था और वह थी इस सभी में फेसबुक की भूमिका औ Read more...
इडियट शब्द सर्च करने पर गूगल दिखा रहा है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीरें : गूगल से जुड़ा नया विवाद
गूगल की अवधारणा ही गलत है, और जनता में इसकी ज़रुरत सिर्फ पैसे के बल पर बनायीं गयी है, वही पैसा जो कोई भी लगा कर गूगल से कुछ भी करवा सकता है. आपके पास अगर पैसा हो तो आप अपने बिगड़े हुए नाम को संवार भी सकते हैं, फ़ायदा सिर्फ गूगल को ही मिलेगा.दिन में बिगाड़ना और शाम को संवारना इसी में ट्रिलियन डॉलर का कारोबार हो जाता है.- राकेश प्रसाद दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है “गूगल”, जिसके माध्यम से एक क्लिक से ही सारी जानकारियां उपलब्ध हो जाती है. एक ऐसा सर्च इंजन, जिसने अपने अन्दर पूरे ब्रह्माण्ड की जानकारियो Read more...
फेक न्यूज़ में गूगल फेसबुक और ट्विटर की भूमिका - टेक्नोलॉजी और ई-डेमोक्रेसी
जहाँ अमेरिका और यूरोप के लोग टेक्नोलॉजी से जुड़े कुछ बड़े ही बेसिक सवाल पूछ रहे हैं, हमारे यहाँ एक उथली डिबेट चल रही है, चुनाव आने वाले हैं तो इस लिए कुछ और पहलुओं पर बातचीत शुरू करना ज़रूरी लगता है.फेक न्यूज़ और फ़ेक न्यूज़ के शोर के बीच कल एक शेर सामने आया.“तोहमतें जाएंगी नादिर शाह के साथ, लूटो ए दिल्ली लूटने वालों.”फेक न्यूज़ की इस डिबेट में घिरे तीन मेगा योद्धा गूगल, फेसबुक और ट्विटर पर बातचीत शुरू करते हैं कुछ बेसिक सवालों के साथ.पहला - ये तीन कंपनियां किन मूल समस्याओं का समाधान करती हैं?कुछ ऐति Read more...
ट्वीट बाज़ी के शहीद – दुनिया का सबसे मेहेंगा ट्वीट.
बोली एक अमोल है जो कोई बोले जानी, हिये तराज़ू तौल के तब मुख बाहर आनी.ट्वीट की लत ने एक और बाहुबली को लुढ्काया.एक ट्वीट के चक्कर में अब एलोन मास्क को अपनी कंपनी की चेयरमैन शिप और 40 मिलियन डॉलर यानि तकरीबन 280 करोड़ रूपए से हाँथ धोने पड़े.एकोन मास्क टेस्ला कंपनी तकरीबन 50 बिलियन डॉलर की कंपनी है, के मालिक हैं और अपने धुवांधार ट्वीट बाज़ी के लिए जाने जाते हैं. अमीरी का जूनून और हाथ में फ़ोन और उसमे डला ट्विटर बड़े बड़ों को एक छोटे उद्दंड बच्चे जैसा बना देता है, तो इसी मस्ती में इन्होने कभी थाईलैंड गुफा Read more...
गूगल पर यूरोपियन यूनियन ने लगाया भारी जुर्माना -एंड्राइड द्वारा एकाधिकार ज़माने का मामला.
आज जहाँ भारत में गूगल का विस्तार बढ़ता जा रहा है, तो वहीँ आम जन अनभिज्ञता की वजह से और साथ ही सरकार और प्रबुद्ध जन के क्षणिक लाभ के चक्कर में गूगल को भारत एक खुले मैदान की तरह सजा कर परोसा जा रहा है. जहाँ दुनिया में अपनी प्रगति, स्वतंत्रता, विचारधारा और पहचान कायम करने के लिए चीन और यूरोपियन यूनियन के देशों कि अपनी लम्बी रणनीति है, वहीँ भारत अपनी ऐतिहासिक गलतियाँ बिना किसी गहरी सोच के लगातार दोहरा रहा है. ये एक मज़ाक ही तो है जब देश का केंद्रीय मंत्रालय और इसका अपना साइबर सिक्योरिटी डिपार्टमें Read more...
In the Android case, the European Union imposed heavy penalties on Google
आज जहाँ भारत में गूगल का विस्तार बढ़ता जा रहा है, तो वहीँ आम जन अनभिज्ञता की वजह से और साथ ही सरकार और प्रबुद्ध जन के क्षणिक लाभ के चक्कर में गूगल को भारत एक खुले मैदान की तरह सजा कर परोसा जा रहा है. जहाँ दुनिया में अपनी प्रगति, स्वतंत्रता, विचारधारा और पहचान कायम करने के लिए चीन और यूरोपियन यूनियन के देशों कि अपनी लम्बी रणनीति है, वहीँ भारत अपनी ऐतिहासिक गलतियाँ बिना किसी गहरी सोच के लगातार दोहरा रहा है. ये एक मज़ाक ही तो है जब देश का केंद्रीय मंत्रालय और इसका अपना साइबर सिक्योरिटी डिपार्टमें Read more...
गूगल की वास्तविक उत्पत्ति में सीआईए की भूमिका अहम
सिलिकॉन वैली की भीमकाय प्रौद्योगिकी का अभिन्न अंग गूगल, जो वैश्विक रूप से एक यूजर फ्रेंडली ऐप माना जाता रहा है और साथ ही एक कुशल एवं यथार्थवादी नवपरिवर्तन के संयोजन के साथ विकसित होकर अग्रणी रहा है - यदि ऊपरी तौर पर विचार करें तो यह कथन सच ही प्रतीत होता है, परन्तु गहराई से छानबीन करने पर बोध होता है कि गूगल अमेरिकी सैन्य- औद्योगिक मंतव्य को छिपाने वाला एक धुंधला चित्रपटल भर है, जो अप्रत्याशित रूप से एक ऐसे परजीवी की तरह कार्य कर रहा है, जिससे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र धीरे धीरे ताकतवर बन Read more...
धर्म विरोधी हिंसा को रोकने के लिए श्रीलंकन सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप पर लगाया प्रतिबन्ध
वर्चुअल वर्ल्ड वर्तमान में विश्व के कोने कोने तक अपनी पहुंच बनाए हुए है. संचार का विशाल नेटवर्क बनाम सोशल मीडिया जिस द्रुत गति से सूचनाओं का आदान प्रदान करता है, उससे विश्व की राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक यहां तक कि मनोवैज्ञानिक परिस्थितियां पल में करवट ले लेती हैं. परन्तु हाल फिलहाल जिस प्रकार सोशल मीडिया की भ्रामक खबरें विभिन्न देशों में उथल-पुथल मचा रही है, यह अत्यंत गम्भीर मुद्दा बनता जा रहा है. सोशल साइट्स के माध्यम से सूचनाओं को तोड़ मरोड़ कर परोसा जाना दुनिया भर की सरकारों को सकते में डाल रहा Read more...
मानवीय भावनाओं को नियंत्रित करता सोशल मीडिया
अपने जन्मदिन पर एक कानून प्रोफेसर ने अपने ई-मेल इनबॉक्स को फेसबुक के नोटिफिकेशन से भरा हुआ पाया। उन्हें उनके रिश्तेदारों, जानने वालों और सोशल मीडिया के दोस्तों ने जन्मदिन की बधाई दे रखी थी। इससे प्रोफेसर खासा निराश हुए। उन्हें यह सब अच्छा नहीं लग रहा था, इससे बचने लिए उन्होंने एक तरकीब सोची। अगली बार जन्मदिन के बधाई संदेश से बचने के लिए प्रोफेसर ने फेसबुक प्रोफाइल पर अपनी डेट आफ बर्थ बदल दी, लेकिन कानून के प्रोफेसर यह देख कर हैरान थे कि जैसे ही उनकी नकली डेट आॅफ बर्थ सार्वजनिक हुई तो सोशल मी Read more...
यूरोपियन संसद के सम्मुख मार्क ज़करबर्ग का पुराना माफ़ी एजेंडा क्या वास्तव में कारगर है ?
डेव एगेर्स का वर्ष 2013 में प्रकाशित उपन्यास "द सर्किल" बगैर किसी निजता के अमेरिका के जीवन का चित्रण उकेरता है, जहां एक महाकाय, इंटरनेट पर आधारित, मल्टीमीडिया कंपनी अपनी सर्वेक्षण तकनीक के माध्यम से अपने यूजर्स के जीवन को पूरी तरह से नियंत्रित करती है और अंततः कंपनी का संस्थापक कालडेन गोपनीयता से जुड़े एक बड़े खतरे को भांपते हुए खुद ही उहापोह की स्थिति में फंस जाता है. यूरोपियन संसद के बेल्जियम सदस्य और अलडे ग्रुप के अध्यक्ष गाए वेर्होफ्स्ताद्त के अनुसार वर्तमान में मार्क ज़करबर्ग उसी कालडेन का यथा Read more...
फेसबुक का ब्रेक्सिट वोट पर प्रभाव : ब्रिटिश प्रजातंत्र पर ख़तरा
“यदि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जालसाजी को स्थान देंगे तो,आगे आने वाले समय में क्या होगा? यह सरासर बेईमानी एवं कानूनों का उल्लंघन है.” ( क्रिस्टोफर वाईली )सिलिकॉन वैली अमेरिका से उठी प्रत्यारोपित टेक्नोलॉजी जैसे फेसबुक और गूगल जिनका, जिस समाज में वो ऑपरेट कर रहे हैं उससे सिर्फ लाभ के अलावा जब कुछ लेना देना नहीं होता तब इस तरह की घटनाएँ आम हो जाती हैं. भारत, श्रीलंका में दंगों को ले लें, या फिर ब्रिटेन जैसे देश में ब्रेक्सिट यानि ब्रिटेन को यूर Read more...
डिजिटल भारत में ई-कर्फ्यू : सूचना के अधिकार पर सरकार की तानाशाह रणनीति
टेक्नोलॉजी से हमें ऐसे समाधान मिल रहे हैं जिनके बारे में आज से कुछ साल पहले कल्पना भी नहीं कर सकते थे. आज “इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स” का युग है. (पीएम नरेन्द्र मोदी)भारतीय पीएम ने डिजिटल इंडिया का दम भरते हुए तकनीकी क्षेत्र में भारत को अपना वर्चस्व बढ़ाने की एक ख़ास मुहिम जुलाई, 2015 से शुरू की थी. देश के जन जन को इंटरन Read more...
गूगल के प्रोजेक्ट "मेवेन" द्वारा अमेरिकी सैन्य अभियानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग : उभरता विश्वव्यापी खतरा
"वर्तमान में गूगल, फेसबुक आदि से जुड़ी टेक्नोलॉजी अपने विशिष्ट डिज़ाइन के माध्यम से मनुष्य के दिमाग को हाईजैक कर रही है." (ट्रिस्टन हेरिस , भूतपूर्व गूगल कार्यकर्त्ता )तकनीकों का अविष्कार स्वतंत्र मनुष्य के नवपरिवर्तनशील दिमाग की उपज है. आधुनिक प्रगति के दौर में अपनी जीवनशैली को सहज और सुगम बनाने के उद्देश्य से ही व्यक्ति ने नई तकनीकों को इजाद किया, परन्तु धीरे धीरे इन्हीं तकनीकों की गिर Read more...
FinTech: The silver bullet of Financial Inclusion?
FinTech: Regulators take a noteThe Reserve Bank of India (RBI) has released the final ‘Enabling Framework for Regulatory Sandbox’ with an intent to allow FinTech companies to test their applications before reaching out to final consumers. A 'Regulatory Sandbox' will allow FinTechs to live test their new products or services in a controlled or test regulatory environment. The regulator may permit even certain regulatory relaxations (on a case to case basis) for the limited purpose of the testing. Read more...
डिजिटलाईजेशन के नाम पर फेसबुक, गूगल जैसी विदेशी कंपनियों की गुलामी क्यों ?
270 साल पुरानी घटना है, जब कुछ विदेशी लोग केवल व्यापार के मकसद से भारत आए थे. टुकड़ों में बटीं भारतीय रियासतों के आपसी मतभेद का लाभ उठाकर कब अंग्रेज शासनकर्ता और हम गुलाम बन बैठे, देशवासी चाह कर भी नहीं जान सके. घर का पूरा भेद पाकर देश को बांटना विदेशियों की सोची समझी रणनीति का हिस्सा था, जिसके बलबूते उन्होंने 200 वर्ष की गुलामी की नींव डाल दी.लैरी कॉलिंस की पुस्तक फ्रीडम एट मिडनाईट के अनुसार, "ब्रिटिश राज के आखिरी दिनों में सर कौनराड कोर्फील्ड ने भारत की प्रिंसली एस्टेट के राजाओं के साथ मिलीभगत Read more...