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फेसबुक का ब्रेक्सिट वोट पर प्रभाव : ब्रिटिश प्रजातंत्र पर ख़तरा

Fake Information on Facebook – Broken democracies and Criminal Culpability on Facebook Owners, a Research

Fake Information on Facebook – Broken democracies and Criminal Culpability on Facebook Owners, a Research विदेशों में सोशल मीडिया का बढ़ता हस्तक्षेप- डेटा संप्रभुता पर खतरा

ByDeepika Chaudhary Deepika Chaudhary   Contributors Rakesh Prasad Rakesh Prasad {{descmodel.currdesc.readstats }}

Originally Posted by {{descmodel.currdesc.parent.user.name || descmodel.currdesc.parent.user.first_name + ' ' + descmodel.currdesc.parent.user.last_name}} {{ descmodel.currdesc.parent.user.totalreps | number}}   {{ descmodel.currdesc.parent.last_modified|date:'dd/MM/yyyy h:mma' }}

“यदि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जालसाजी को स्थान देंगे तो,
आगे आने वाले समय में क्या होगा?
 यह सरासर बेईमानी एवं कानूनों का उल्लंघन है.”
                                                     ( क्रिस्टोफर वाईली )
“यदि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जालसाजी को स्थान देंगे तो,आगे आने वाले समय में क्या होगा? यह सरासर

सिलिकॉन वैली अमेरिका से उठी प्रत्यारोपित टेक्नोलॉजी जैसे फेसबुक और गूगल जिनका, जिस समाज में वो ऑपरेट कर रहे हैं उससे सिर्फ लाभ के अलावा जब कुछ लेना देना नहीं होता तब इस तरह की घटनाएँ आम हो जाती हैं. भारत, श्रीलंका में दंगों को ले लें, या फिर ब्रिटेन जैसे देश में ब्रेक्सिट यानि ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के अभियान में फेसबुक इत्यादि का गलत इस्तेमाल की ख़बरों और प्रशासनिक हलकों में मची हलचल, और खुद थेरेसा मे (ब्रिटेन की प्रधानमंत्री) की नाराज़गी, जैसे नीचे ये दावोस में दिया गया बयान:

थेरेसा मे ने दावोस में कहाँ फेसबुक आतंकियों, दास प्रथा, और बच्चों पर अत्याचार करने वालों की मदद कर रहा है.

फेसबुक इत्यादि के इस लाभ उन्माद ने उनके खुद के देश को भी नहीं छोड़ा जब जो बंदूकें दूसरों के लिए तानी गयी थी उन्हीं को रूसी ट्रोल फक्टोरियो ने ट्रम्प चुनाव में उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल कर लिया. फेसबुक के कान उनके देश के सेनेटर या नेता तो ऐंठ कर अपने निजी राष्ट्र हित (अमेरिकी हित) में ला सकते हैं, और भारत जैसे कई देशों में उसके द्वारा तैयार किये गए "सोशल नेटवर्क" और उनका डेटा, एक मोल भाव के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. 

मगर भारत जैसे देश को क्या इनसे कुछ सीख नहीं लेनी चाहिए? या फिर बस थोड़े से मज़े, फनी वीडियोस या क्षणिक, काल्पनिक लाभ के लिए इन सब प्रत्यारोपित तकनीकों का इस्तेमाल  राष्ट्र हित को ताक पर रख कर करते रहना चाहिए? सिर्फ इसलिए क्योंकि ये मुफ्त है?

ब्रेक्सिट में क्या हुआ?

कैंब्रिज एनालिटिका के कथित डायरेक्टर क्रिस्टोफर वाईली द्वारा हाल ही में दिए वक्तव्यों ने सम्पूर्ण विश्व की लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ को हिला कर रख दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने न केवल अमेरिका चुनावों को प्रभावित किया अपितु इनकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा निजी डेटा के दुरूपयोग से यूरोपियन संघ के जनमत संग्रह के नतीजों में भी फेरबदल की गयी. वाईली ने इसके लिए यूरोपियन संसद के सामने विभिन्न सबूत भी पेश किये तथा स्पष्ट किया कि ब्रेक्सिट चुनाव प्रचार कानूनों का उल्लंघन था. इसके साथ ही वाईली द्वारा अफ़सोस जताते हुए कहा गया कि:

“मुझे बेहद पश्चाताप है कि मैंने कैंब्रिज एनालिटिका के गठन में सहायता की, जिससे कोई भी बेहतर परिणाम नहीं निकला.यह न्यायसंगत व्यवसाय पर आधारित नहीं थी.”

वाईली की इस बयानबाजी का जवाब कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा ट्वीट करके दिया गया, जिसमें उन्होंने बार-बार स्वयं का बचाव किया. 

“कैंब्रिज एनालिटिका ने ब्रिटेन में ब्रेक्सिट जनमत पर कोई काम नहीं किया. हमने अपनी सेवाएं To Leave और बाकी समुदायों को दर्शायी अवश्य थी, पर उनके लिए कोई कार्य नहीं किया.”

“यदि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जालसाजी को स्थान देंगे तो,आगे आने वाले समय में क्या होगा? यह सरासर

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फेसबुक की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह

फेसबुक द्वारा प्रतिबंधित वाईली ने फेसबुक की भूमिका पर भी प्रश्न खड़े किये. उन्होंने साफ़ कहा कि फेसबुक ने सच को लोगों के सामने नहीं आने दिया, जब मैंने दस्तावेजों के हवाले से आवाज़ उठाई और साबित किया कि कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा करोड़ों यूजर्स के डेटा चुराए गये तब अंतत: फेसबुक अपना पक्ष रखने के लिए सामने आई. इसके अतिरिक्त AIQ के मामले में भी फेसबुक की गति धीमी ही रही. जहां फेसबुक को AIQ तथा CA के आपसी सम्बंधों की जांच करनी चाहिए थी वहां फेसबुक ने AIQ को तुरंत निलंबित कर अपना पल्ला झाड़ लिया.

“यदि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जालसाजी को स्थान देंगे तो,आगे आने वाले समय में क्या होगा? यह सरासर

Pic Source : flicker.com with modification

ब्रेक्सिट जनमत संग्रहण में कानूनों की अनदेखी 

वोट लीव (Vote Leave) अभियान के कथित प्रमुख डोमिनिक कम्मिंग्स द्वारा ट्रोल किये जाने के बावजूद भी वाईली ने UK चुनावी कमीशन के सामने गवाही दी. इसके साथ ही उन्होंने चिंता जताई कि केवल डेटा उल्लंघन ही नहीं बल्कि ब्रिटेन में लोकतांत्रिक शासन की नींव के मुख्य पहलु; खर्चीली चुनाव प्रक्रिया पर रोक व प्रचारकों के मध्य समन्वय भी आज दाँव पर हैं. डिजिटल युग में जब राजनीतिक दल फेसबुक को अपने प्रमुख उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं तो लोकतंत्र को निश्चय ही आघात पहुंचता है. चुनावी प्रक्रिया से जुड़े कानूनों की अनदेखी से वास्तव में जनमत पर प्रभाव पड़ता है.

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वाईली द्वारा UK संसद के सम्मुख रखे गये सबूतों का ब्यौरा

कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक एप्स के माध्यम से 87 मिलियन से अधिक फेसबुक प्रोफाइल्स को संग्रहित किया, जिनमें 1 मिलियन ब्रिटिश यूजर्स के डेटा रिकॉर्ड सम्मिलित थे.

वाईली के अनुसार वर्ष 2015 से ही फेसबुक पता लगा चुकी थी कि CA द्वारा यूजर डेटा चुराए गये हैं, परन्तु वे इस तथ्य को उस समय तक नकारते रहें जब तक स्ट्रेटजिक कम्युनिकेशन लेबोरेटरिज (SCL) इलेक्शन (CA की मूल कंपनी) तथा ग्लोबल साइंस रिसर्च (GSR), (डॉ. कोगन की कंपनी) के बीच हुए डेटा सम्बंधी कॉन्ट्रैक्ट को वाईली द्वारा सबूत के तौर पर पेश नहीं किया गया.

“यदि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जालसाजी को स्थान देंगे तो,आगे आने वाले समय में क्या होगा? यह सरासर

कनाडा की डाटा फर्म एग्रीग्रेट IQ की कैंब्रिज एनालिटिका से मिलीभगत

वाईली ने यूरोपियन संसद के सम्मुख कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स तथा IP लाइसेन्स सबूत के तौर पर रखे जो AIQ व CA कंपनी के मध्य संबंध दर्शाते हैं. SCL की स्टाफ़ लिस्ट में AIQ फर्म के प्रमुख जैक मेस्सिनघम को SCL कनाडा के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया गया. केवल यही नहीं युएसए के द गार्जियन एवं ऑब्जर्वर के लिए कार्य करने वाली पत्रकार कैरोल काडवालाडार ने भी ट्वीट के माध्यम से स्पष्ट किया कि इन दोनों संगठनों की भूमिका ब्रेक्सिट में संदेहास्पद थी

“यदि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जालसाजी को स्थान देंगे तो,आगे आने वाले समय में क्या होगा? यह सरासर

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यद्यपि AIQ द्वारा यह स्पष्टीकरण दिया गया कि वे CA की कनाडा शाखा का हिस्सा नहीं हैं, और वे फेसबुक डेटा की चोरी में समिल्लित भी नहीं हैं. AIQ ने यह तथ्य भी रखा कि उन्होंने कभी भी अनैतिक रूप से यूरोपियन संघीय चुनावों में CA से सहभागीदारी नहीं की है और वे शत प्रतिशत कनाडा में कार्यरत कंपनी है.

माईकल गोवे तथा बोरिश जोनसन द्वारा प्रस्तावित Vote Leave अभियान के लिए 40% बजट AIQ के लिए स्वीकृत था

कथित Vote Leave अभियान के अंतर्गत 40% बजट कनाडा की डेटा फर्म AIQ के लिए प्रस्तावित किया गया था. वाईली द्वारा विभिन्न सबूतों के माध्यम से इन तथ्यों की पुष्टि यूरोपियन संसद के सम्मुख की गयी. 

चुनाव कमीशन वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट्स उपयुक्त तथ्य की पुष्टि करते हैं. जिनमें डोमिनिक कम्मिंग्स द्वारा कहा गया कि ,“निसंदेह Vote Leave अभियान की सफलता का एक बड़ा श्रेय AIQ को जाता है; हम उनके बिना इस जीत की कल्पना भी नहीं कर सकते थे.”

Vote Leave द्वारा 625,000 पाउंड अतिरिक्त रूप से Be Leave मुहिम  के निमित्त AIQ को भुगतान किये गए. 

जनमत संग्रहण के दौरान Vote Leave द्वारा दी गयी यह सबसे बड़ी धनराशि थी. Vote Leave का Be Leave अभियान के साथ मिलकर यह धनराशि व्यय करना पूरी तरह से अवैध था,जिसे बार बार Vote Leave द्वारा वैध बताया गया और यह चुनाव दान प्रत्यक्ष रूप से AIQ को प्रदान की गयी.

Vote Leave और Be Leave यदि दो पृथक चुनाव अभियान थे तो उनके मध्य गोपनीय दस्तावेजों का आदान प्रदान क्यों किया गया? 

Vote Leave के सीनियर कर्मचारी डोमिनिक कम्मिंग्स, हेनरी डे जोएटे तथा विक्टोरिया वुडकॉक द्वारा Be Leave की विषयसूची को शेयर करने के लिए संयुक्त कंप्यूटर ड्राइव का उपयोग किया जाना दोनों अभियानों की सहभागिता दिखाता है.

इसके अतिरिक्त जब Vote Leave को यूरोपियन प्राधिकरण द्वारा जांच पत्र भेजा गया तो उन्होंने कथित ड्राइव से सीनियर अधिकारियों की सूचनाएं हटाने का प्रयास किया. वाईली के अनुसार यह सोचने योग्य बिंदु है कि Vote Leave द्वारा अधिकारियों सम्बंधी डेटा डिलीट करने का प्रयास क्यों किया गया?

Vote Leave, Be Leave, Veterans for Britain तथा DUP की गठजोड़ संदेह के घेरे में 

वाईली ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि कोई नहीं जानता कि इन अभियानों के आपस में क्या सम्बंध थे? और न ही इन्होंने कभी स्पष्टीकरण देना चाहा. AIQ द्वारा 100,000 पाउंड Veterns for Britain व 32,750 पाउंड DUP से भी प्राप्त किये गए. जिससे इन सभी चुनाव मुहिमों की भूमिका संदेह के घेरे में आती है.

ब्रिटिश लोकतंत्र इन सब समस्याओं का समाधान करने में समर्थ है और यदि कुछ गलत हुआ है तो जल्द ही पारदर्शी निर्णय होने चाहिए. वाईली ने यह भी कहा कि ब्रिटेन इस समय असहज तथ्यों व कठिन प्रश्नों से जूझ रहा है परन्तु फेसबुक से जुड़ी इस परिस्थिति को अनदेखा नहीं करना चाहिए और देश के लोकतान्त्रिक विकास के लिए इसकी और जरुर ध्यान देना होगा. 

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