संक्षिप्त परिचय –
पवित्र गंगा और घागरा नदी के संगम पर बसा बलिया जिला उत्तर- प्रदेश के
प्राचीनतम जिलों में से एक है. इसे प्रदेश के सबसे पुराने जिले के रूप में भी जाना
जाता है. यह वर्तमान में आजमगढ़ मंडल के अंतर्गत आता है तथा बलिया शहर जिले का
मुख्यालय है. सूबे के उत्तरी- पूर्वी भाग में स्थित यह जिला बिहार की सीमा से
जुड़ा हुआ है. बलिया रामायण के रचनाकार महर्षि वाल्मिकी का निवास- स्थान रहा है.
वहीं इसे महर्षि भृगु की जन्म व कर्मभूमि भी कहा जाता है. इसके अलावा मंगल पांडे व
तारकेश्वर पांडे समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मस्थली होने का गौरव भी इस
जिले को प्राप्त है. आजादी के लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण जिले को
‘बागी बलिया’ भी कहा जाता है.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –
जिले के नाम को लेकर अलग- अलग किवदन्तियां प्रचलित हैं. कुछ लोगों को कहना है
कि महर्षि वाल्मिकी यहां निवास करते थे, जिस कारण उनके नाम के आधार पर जिले का नाम
बलिया पड़ा.
वहीं कुछ अन्य लोगों का मानना है कि यहां रेत बहुतायत में पायी जाती थी, जिसे
ग्रामीण लोग ‘बल्लुआ’ कहते थे. बल्लुआ का ही संसोधित रूप बलिया कहा जाने लगा.
इसके अलावा इसे राजा बलि की धरती के रूप में भी जाना जाता है तथा कहते हैं कि
उन्हीं के नाम पर जिले का नाम रखा गया है.
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में यह जिला कोसाला राज्य के अंतर्गत आता था तथा कोसाला
के 16 जनपदों में से एक था. प्राचीन इतिहास में जिले में जहां ऋषि मुनियों
(वाल्मिकी, जगदम्नि, दुर्वासा व भृगु ऋषि) के तप की गूंज सुनाई दी, वहीं आधुनिक
इतिहास में यह जिला मंगल पांडे, राम पूजन सिंह, चित्तू पांडे व तारकेश्वर पांडे
जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य की वीरगाथाएं गाता है. वहीं भारत के महान नेता
व पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का जन्म भी इसी जिले के एक इब्राहिमपत्ती गांव में
हुआ था.
भौगोलिक परिदृश्य –
बलिया जिले का क्षेत्रफल 1,981 वर्ग कि.मी. है. जिला 25°33’ - 26°11’ उत्तरी अक्षांश व 83°38’ - 84°39’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है, जो कि समुद्र तल से करीब 64 मीटर की ऊंचाई
पर बसा हुआ है. यह जिला बिहार की सीमा से जुड़ा हुआ है, जिसके कारण यह उ.प्र. व बिहार के 6
अन्य जिलों से घिरा हुआ है. बलिया पूर्व में छपरा, पश्चिम में मऊ, उत्तर में
देवरिया, दक्षिण में भोजपुर व सिवान तथा दक्षिण- पश्चिम में गाजीपुर जिले से घिरा
हुआ है. जिले में मुख्य रूप में घागरा, सरयू व गंगा नदी प्रवाहित है. गंगा व घागरा
नदी बलिया को देवरिया जिले व बिहार राज्य से अलग करती हैं. जिले का भूभाग समतल है
तथा यहां की ज्यादातर मिट्टी रेतीली है.
प्रशासनिक विभाजन –
प्रशासनिक आधार पर जिले को 6 तहसीलों में विभाजित किया गया है, जो कि बलिया
सदर, बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर, रसड़ा, बैरिया, बॉसडीह हैं. वहीं जिले में कुल 17
विकास खंड (ब्लॉक), 2 नगर पालिका परिषद् तथा 163 नगर पंचायतें हैं. यहां कुल 2317
गांव बसे हुए हैं.
वहीं बलिया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसके
अंतर्गत बलिया सदर, फेफना, मुहम्मदाबाद, बैरिया, जहूराबाद विधान सभा क्षेत्र शामिल
हैं. इसके अलावा जिले में कुल थानों की संख्या 31 है.
जनसांख्यिकी –
2011 की जनगणना के अनुसार, बलिया
की कुल जनसंख्या 32,39,774 है, जो कि उ.प्र.
की कुल आबादी का 1.62% है. जिले का जनसंख्या घनत्व
1087 प्रति वर्ग कि.मी तथा जनसंख्या वृद्धि दर 17.31% है. यहां स्त्री- पुरूष लिंगानुपात 937 है, जो
कि 2001 के आंकड़ों से भी कम है. 2001 में जिले का लिंगानुपात 953 था. वहीं जिले
का बाललिंगानुपात भी 900 ही है.
साक्षरता के मामले में इस जिले ने बीते वर्षों में काफी उन्नति की है. जिले की
औसत साक्षरता दर 70.94 प्रतिशत है, जो कि पिछली जनगणना में 57.86 प्रतिशत ही थी.
हालांकि जिले में अभी भी पुरूष व महिला साक्षरता दर में काफी अंतर है. यहां की
पुरूष साक्षरता दर 81.49 % तथा महिला साक्षरता दर 59.75% ही है.
पर्यटन
स्थल –
बलिया
जिले के अंतर्गत आने वाले प्रमुख दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं –
1.
श्री रामजानकी मंदिर –
जिले की फेफना वि.स. के अंतर्गत आने वाले खोरीपाकर गांव में स्थित यह मंदिर
भगवान श्री राम व माता सीता को समर्पित है. इस मंदिर के 150 वर्ष पुराना होने का
अनुमान लगाया जाता है. यह मंदिर जिले में आस्था का प्रमुख केन्द्र है. मंदिर के
भीतरी भाग में श्री राम- सीता, लक्ष्मण व श्री राधे- कृष्ण की अष्टधातु मूर्तियां
स्थापित हैं.
2.
महावीर घाट, हनुमान मंदिर –
गंगा नदी के तट पर बसा यह मनोरम घाट जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक
है. घाट के किनारे श्रीराम भक्त हनुमान जी का सुंदर मंदिर बना हुआ है, जहां
मंगलवार व शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. वहीं घाट पर शाम को होने वाली
गंगा आरती भी दर्शनीय है.
3.
ददरी मेला –
जिले में आयोजित होने वाला ददरी मेला बलिया का प्रमुख आकर्षण केन्द्र है. यह
देश के दूसरे सबसे बड़े मवेशी मेले के रूप में जाना जाता है. मेले का आयोजन दर्दर
मुनी की स्मृति में किया जाता है, जिस कारण इसे ददरी मेला कहते हैं. गंगा नदी के
तट पर लगने वाला यह मेला कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होता है तथा एक माह तक चलता है.
4.
भृगु आश्रम –
भृगु आश्रम जिले में स्थित अत्यन्त प्राचीन आश्रम है. यह आश्रम विशाल परिसर
में फैला हुआ, जिसके अंदर महर्षि भगु का समाधि स्थल भी बना हुआ है. इसके अलावा
आश्रम में मंदिर भी बना हुआ है, जहां भगवान शंकर माता पार्वती व बजरंग बली की
प्रतिमा विराजमान है. वहीं इस आश्रम में महर्षि भृगु व उनके शिष्य दर्दर मुनि की
मूर्ति भी स्थापित है.
5.
सुरहा ताल –
गंगा व सरयू नदी के दोआब में स्थित सुरहा ताल बलिया शहर से कुछ दूरी पर स्थित है.
इस मनोरम ताल के समीप कई प्रकार के पक्षियों का कोलाहल सुनाई देता है. इस कारण इसे
सुरहा ताल पक्षी अभ्यारण्य तथा पक्षी विहार भी कहते हैं.
जलवायु –
बलिया में उ.प्र. और बिहार की जलवायु का मिला- जुला प्रभाव रहता है. यहां गर्मियों का मौसम में अत्याधिक गर्मी पड़ती है. वहीं सर्दियों का मौसम शांत तथा सुखद रहता है. गर्मियों में जिले का तापमान 45 -50°C तक पहुंच जाता है, जबकि सर्दियों में जिले का औसत तापमान 17°C तक रहता है तथा कभी- कभी तापमान 6-10°C तक भी चला जाता है. जिले में मानसून जुलाई से सितम्बर के बीच रहता है तथा सर्वाधिक वर्षा जुलाई- अगस्त में होती है.
REFRENCES -
https://www.census2011.co.in/census/district/564-ballia.html