Ad
Search by Term. Or Use the code. Met a coordinator today? Confirm the Identity by badge# number here, look for BallotboxIndia Verified Badge tag on profile.
सर्च करें या कोड का इस्तेमाल करें, क्या आज बैलटबॉक्सइंडिया कोऑर्डिनेटर से मिले? पहचान के लिए बैज नंबर डालें और BallotboxIndia Verified Badge का निशान देखें.
 Search
 Code
Searching...loading

Search Results, page {{ header.searchresult.page }} of (About {{ header.searchresult.count }} Results) Remove Filter - {{ header.searchentitytype }}

Oops! Lost, aren't we?

We can not find what you are looking for. Please check below recommendations. or Go to Home

गोमती रिवर फ्रंट अपडेट प्रथम तिमाही 2018- करोड़ों खर्चने पर भी गोमती की दशा बदहाल

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development News and Media Coverage

BySwarntabh Kumar Swarntabh Kumar   Contributors Rakesh Prasad Rakesh Prasad Venkatesh Dutta Venkatesh Dutta {{descmodel.currdesc.readstats }}

Originally Posted by {{descmodel.currdesc.parent.user.name || descmodel.currdesc.parent.user.first_name + ' ' + descmodel.currdesc.parent.user.last_name}} {{ descmodel.currdesc.parent.user.totalreps | number}}   {{ descmodel.currdesc.parent.last_modified|date:'dd/MM/yyyy h:mma' }}

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि "दो वस्तुओं की कोई सीमा नहीं; "एक अंतरिक्ष और दूसरा व्यक्ति की मूर्खता." यह कथन वर्तमान परिपेक्ष्य में सत्य की कसौटी पर खरा उतरता हुआ प्रतीत होता है. नदियों को पहले इंसानी जरूरतों ने मैला कर दिया और फिर उनके सुधारीकरण में पानी की तरह पैसे फूंक डाले, यह मूर्खता का प्रमाण ही तो है. गोमती नदी के संरक्षण पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं परन्तु गोमती की दशा स्वयं ही अपना दुखड़ा कहती दिखती है. अथाह प्रदूषण, तटीय क्षेत्रवासियों द्वारा अतिक्रमण, पानी के बहाव में अल्पता, सरकारी नीतियों का दिखावा यह सब काफी है गोमती का दर्द दर्शाने के लिए.

 

क्या 1400 करोड़ रुपए कम थे गोमती के सुधार के लिए?

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि "दो वस्तुओं की कोई सीमा नहीं; "एक अंतरिक्ष और दूस

 एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वर्षों में लगभग 1400 करोड़ रुपए गोमती रिवर फ्रंट परियोजाओं में खर्च कर दिए गए परन्तु परिणाम केवल बदतर ही निकला. आज गोमती और अधिक प्रदूषित हो गई है, रबर डैम एवम् मेट्रो सिटी रोड के पास के इलाकों में गोमती के ऊपर सघन झाग उसके प्रदूषित स्वरूप को बयान करते दिख रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की हालिया रिपोर्ट के अनुसार ED विभाग की शिकायत पर उत्तर प्रदेश सिचाईं विभाग के 8 सीनियर अभियंताओं के खिलाफ गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में गड़बड़ी करने, घूसखोरी करने व प्रमुख दस्तावेजों की गोपनीयता भंग करने के आरोप में केस दर्ज किया गया.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की अवरोधित योजना

गोमती के दोनों किनारों पर सीवेज के प्रत्यक्ष बहाव को रोकने के लिए बनाई गई एक बड़ी सीवेज संयंत्र योजना अभी तक अटकी हुई है. इस परियोजना को अभी तक हरी झंडी नहीं दिखाई जाना एक बड़ी सरकारी असफलता का द्योतक है.

संपादकीय नोट - विशेषज्ञों ने तो इस तरह की महाकाय एस.टी.पी योजना का शुरुवात से ही विरोध ही किया था की ये नहीं चल पाएंगी और पानी शोधन को विकेन्द्रित तरीके से ही चलाया जाए इसकी पैरवी की गयी थी, मगर तब भी प्रशासन नहीं चेता और आज भी लगता नहीं की कोई भी दूरगामी नीति प्रशासन के पास है इस समस्या से निपटने के लिए. ये हमारी आर्थिक, सामाजिक नीतिओं की ही विफलता है जो प्रदूषण और अति उपभोक्तावाद की ओर इतनी बड़ी जनसँख्या को लगातार धकेल रहा है. 

ये समस्या सिर्फ गोमती की ही नहीं लगभग जितनी भी नदियाँ हमने कवर की हैं, कहानी सामान है. दुनिया भर का सस्ता इंजन बनती हमारी आर्थिक नीति, जिसका प्रदूषण पर्यावरण हो या समाज आज देश झेल रहा है.

Ad

गोमती संरक्षण की जमीनी हकीकत

विशेषज्ञों और इंडिपेंडेंट अगेंसियों द्वारा की गयी जांच-पड़ताल से दृष्टि गोचर हुआ कि गोमती परियोजनाओं के नाम पर जो पैसे पानी तरह बहाए गए उनका कोई उचित परिणाम नही निकला. रिवर फ्रंट के अंतर्गत लगी टाइलें व पत्थर जगह जगह टूटे हुए हैं, सरकारी विभागों द्वारा फाउंटेंस के नाम पर 40 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद भी सभी फाउंटेंस निष्क्रिय खड़े हुए हैं, लोहिया पुल के पास लगे फाउंटेंस के पार्ट्स चुरा लिए गए तथा रबर डैम के पास लगी लाइट्स व म्यूजिकल फाउंटेंस उचित रखरखाव के अभाव में ख़राब हो चुके हैं. यहां तक कि गोमती के किनारों पर कूड़े का अंबार लगाना आम बात है.

हमारी टीम की अभी हाल फिलहाल (पहली तिमाही 2018) यानि रिवर फ्रंट जांच की शुरुवात के तकरीबन एक साल बाद  की गोमती यात्रा के दौरान ये दृश्य देखने को मिला जो की स्थिति की गंभीरता समझाने के लिए काफी है.

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि "दो वस्तुओं की कोई सीमा नहीं; "एक अंतरिक्ष और दूस

रुका हुआ पानी और रिवर फ्रंट का फैला मलबा.

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि "दो वस्तुओं की कोई सीमा नहीं; "एक अंतरिक्ष और दूस

Ad

इतनी विशाल नदी में इस तरह से जल्खुम्भी का उगना जैसे मानव शरीर में कैंसर. नदी के स्वास्थ्य की सही दशा बताता है.

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि "दो वस्तुओं की कोई सीमा नहीं; "एक अंतरिक्ष और दूस

आज भी लखनऊ शहर का नदी में गिरता सीवर सिर्फ ये ही बताता है की - बस neon लाइट लगाने और सीमेंट कंक्रीट से नदी का दम घोंटने के अलावा कुछ और नहीं किया गया.

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि "दो वस्तुओं की कोई सीमा नहीं; "एक अंतरिक्ष और दूस

यहाँ तक की जो कुड़िया घाट पर कच्छा बाँध बनाया गया था उसको भी नहीं हटाया गया है, जो की आने वाले मानसून में बड़ी समस्या बन सकता है.

नीचे दी गयी documentry जिसमे नदियों की व्यथा को दर्शाया गया है.

Ad

सरकारी जांच पड़ताल प्रभावहीन

राज्य सरकार द्वारा गोमती की जांच पड़ताल के नाम पर केवल खर्चें किए गए. जिससे परियोजनाओं में बाधा के अतिरिक्त कुछ और हाथ नहीं लगा. सिंचाई विभाग भी केवल गोमती योजनाओं का खाका व इससे जुड़े खर्चें बताता रहा परंतु वस्तिवकता में 2016 के अंत तक लोहिया पथ के केवल 1.5 किमी. क्षेत्र का नवीनीकरण किया गया और वर्तमान में उसकी हालत भी संरक्षण के अभाव में बदतर है. इस जांच में भी पर्यावरण और नदी की व्यथा नहीं सिर्फ पैसा और घोटालों पर ही ध्यान दिया गया और कुछ जूनियर अधिकारिओं पर कार्यवाही ही हो पाई है. इस व्यथा पर एक डिबेट जो होनी चाहिए थी अभी तक नहीं शुरू हो पाई है और इस तरह के नदी, तालाब प्रतारणा के व्यवसायिक ढ़र्रे देश में अलग अलग जगहों पर अनवरत जारी हैं, जिसमे गंगा जैसी नदी भी सीधे शामिल है.

प्रोब पैनल की रिपोर्ट भी नदारद

पिछले साल प्रोब पैनल की जांच रिपोर्ट भी सार्वजनिक रूप से नहीं रखी गयी है जिससे आम जन समाज इस नदी की इतनी दुर्गति के बारे में एक ठोस सन्दर्भ पा सके और आगे इस तरह की प्रतारणा के समक्ष खड़ा हो पाए.

प्रधान मंत्री कार्यालय और केंद्रीय जल अधिनियम भी खामोश.

अथक प्रयासों के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले साल ये मुद्दा केंद्रीय जल अधिनियम के सुपुर्द किया था - स्टेटस अपडेट की कॉपी और मीडिया में लगातार कवरेज के बावजूद आज वहां से भी वही चुप्पी और ख़ामोशी है, बस कुछ आम जन और वैज्ञानिक लगातार कभी जल्खुम्भी तो कभी कचरा निस्तारण नदी में उतर कर खुद अपने हाथों से कर समस्या से जूझ रहे हैं.

संपादकीय टिपण्णी - भारत जैसे अध्यात्मिक देश की प्राण वाहिनी नदियों की ये दशा और उनकी ये उपेक्षा कहीं से भी प्रशासनिक राष्ट्र प्रेम की भावना की और संकेत नहीं करती, आखिर ऐसी कौन सी शक्तियां हैं जो इतने ऊंचे ऊंचे पदों पर बैठे इतने मज़बूत अधिकारिओं को भी नदी की रक्षा में सामने आने से रोकती है.

आज अँगरेज़ भले ही  चले गए हों मगर उपनिवेश वाद आधारित कॉलोनी की जो प्रणाली बनायीं गयी थी - जिनमे ऐसे देशों की प्राकृतिक और जन संसाधन को सिर्फ एक शोषण और लाभ के पैमानों से ही देखा जाता है, लगता है अभी भी ज़ारी है और खूब फल फूल रही है.

Attached Images

Related Videos
Related Audio
Leave a comment for the team.
Subscribe to this research.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें

Join us on the latest researches that matter.

इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.

Responses

{{ survey.name }}@{{ survey.senton }}
{{ survey.message }}
Reply

How It Works

ये कैसे कार्य करता है ?

start a research
Follow & Join.

With more and more following, the research starts attracting best of the coordinators and experts.

start a research
Build a Team

Coordinators build a team with experts to pick up the execution. Start building a plan.

start a research
Fix the issue.

The team works transparently and systematically fixing the issue, building the leaders of tomorrow.

start a research
जुड़ें और फॉलो करें

ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

start a research
संगठित हों

हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

start a research
समाधान पायें

कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।

How can you make a difference?

Do you care about this issue? Do You think a concrete action should be taken?Then Follow and Support this Research Action Group.Following will not only keep you updated on the latest, help voicing your opinions, and inspire our Coordinators & Experts. But will get you priority on our study tours, events, seminars, panels, courses and a lot more on the subject and beyond.

आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?

क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे फॉलो का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
Communities and Nations where citizens spend time exploring and nurturing their culture, processes, civil liberties and responsibilities. Have a well-researched voice on issues of systemic importance, are the one which flourish to become beacon of light for the world.
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
Share it across your social networks.
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें

Every small step counts, share it across your friends and networks. You never know, the issue you care about, might find a champion.

हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।

Got few hours a week to do public good ?

Join the Research Action Group as a member or expert, work with right team and get funded. To know more contact a Coordinator with a little bit of details on your expertise and experiences.

क्या आपके पास कुछ समय सामजिक कार्य के लिए होता है ?

इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।

Know someone who can help?
क्या आप किसी को जानते हैं, जो इस विषय पर कार्यरत हैं ?
Invite by emails.
ईमेल से आमंत्रित करें
The researches on ballotboxindia are available under restrictive Creative commons. If you have any comments or want to cite the work please drop a note to letters at ballotboxindia dot com.

Code# 5{{ descmodel.currdesc.id }}

ज़ारी शोध जिनमे आप एक भूमिका निभा सकते है. Live Action Researches that might need your help.

Follow