नाम : हाजी सुहैल अहमद
पद : पार्षद, वार्ड - 109, नाज़िर बाग, काँग्रेस प्रत्याशी, 213 सीसामऊ विधानसभा, कानपुर, उत्तर प्रदेश
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कॉंग्रेस पार्टी के बैनर तले कानपुर की 213 सीसामऊ विधानसभा से प्रत्याशी के रूप में चुनावों में खड़े हाजी सुहैल अहमद एक लोकप्रिय नेता और समाजसेवक हैं। लगभग तीन दशकों के राजनीतिक अनुभव के साथ वह सीसामऊ क्षेत्र से जनता की सेवा कर रहे हैं। एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले हाजी सुहैल अहमद का परिवार भी राजनीति से जुड़ा रहा है और स्वतंत्रता संग्राम में भी उनके पुरखों की भागीदारी रही है।
जनता दल से लेकर काँग्रेस तक के अपने राजनीतिक सफर और अपने सामाजिक सेवा के प्रयासों के बारे में हाजी सुहैल अहमद ने बैलटबॉक्सइंडिया की टीम से चर्चा की और अपने साक्षात्कार में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के अंतर्गत बहुत से चुनावी मुद्दों पर अपना मत रखा।
राजनीति की शुरुआत कब की, पार्टी में किन पदों पर कार्य किया?
हाजी सुहैल अहमद - मैं 1989 से जनता दल के माध्यम से राजनीति से जुड़ा और संयुक्त सचिव पद से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद जनता दल से ही समता पार्टी का गठन होने पर यूथ मंडल अध्यक्ष रहा। इसके उपरांत 23 सालों तक सपा से जुड़ा रहा। कानपुर नगर निगम से पूर्व उपसभापति पद की जिम्मेदारी का वहन किया और दो बार नगर निगम में नेता पार्षद दल का जिम्मा बखूबी संभाला। मेरे भाई-भाभी एक एक बार क्षेत्र से पार्षद रह चुके हैं और पिछले दो बार से मैंने पार्षदीय पद पर रहकर क्षेत्र का विकास करने का प्रयास किया है। मैं जिला कैरम एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर भी सेवाएं दे रहा हूँ और खेल-कूद प्रतियोगिताओं से जुड़ा रहता हूँ।
समाज की अगुवाई करने का निर्णय क्यों लिया?
हाजी सुहैल अहमद - हम लोगों ने अनुभव किया कि सत्ता के बिना किसी प्रकार का विकास संभव नहीं है, जब तक आपका हस्तक्षेप राजनीति और समाज में नहीं होगा तब तक आप अपने समाज या क्षेत्र का विकास नहीं कर सकते हैं। पार्षद के तौर पर या विधायक के तौर पर हमारी कोशिश यही रहेगी कि जनता के विकास की बागडोर संभाली जा सके।
आपके अनुसार विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं, जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए?
हाजी सुहैल अहमद - यहां समस्त शहर की अधिकांश स्थिति मलिन बस्ती की है, मात्र 15 फीसदी जगहों को ही आप बुनियादी सुविधाओं से युक्त मान सकते हैं। यहां अधिकांश स्थानों में सीवर नहीं है, पेयजल व्यवस्था नहीं है, स्वच्छता की व्यवस्था उपयुक्त नहीं है, प्राथमिक विद्यालय नहीं है। इसके साथ साथ बड़ी संख्या में यहां समस्याएं पसरी हुई हैं।
हमनें स्वयं देखा है कि यहां बहुत सी मलिन बस्तियों में आज भी मैला नालियों में बह रहा है और साथ ही मैला की ढुलाई भी जारी है, जबकि यह प्रैक्टिस गैर-कानूनी घोषित की जा चुकी है लेकिन आज भी सरकार इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करने से जुड़ी व्यवस्था नहीं कर पाई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
आपने अपने कार्यकाल में कौन कौन से विकास कार्य करवाएं हैं?
हाजी सुहैल अहमद - अभी हमनें अपने वार्ड में दो अस्पताल बनाएं हैं, जिनसे काफी बड़े स्तर पर क्षेत्र में कार्य किया जाता है। यहां टीकाकरण के साथ साथ नि:शुल्क दवाइयाँ लोगों को दी जाती हैं। एक लाइब्रेरी भी क्षेत्र में बनाई गई है, दो प्राइमरी विद्यालयों का भी जल्द ही उद्घाटन होने जा रहा है। बहुत से क्षेत्रों में हमने सीवरेज सिस्टम की व्यवस्था करने का भी प्रयास किया है।
अवसर मिलने पर आप कौन से मुद्दों पर प्राथमिकता से कार्य करेंगे?
हाजी सुहैल अहमद - यदि हम लोगों को भविष्य में मौका मिलता है तो सबसे पहले हम लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं पर कार्य करेंगे। यहां बहुत से दीगर सरकारी व निगम के विद्यालयों जैसे इंटर कॉलेज (नगर निगम पुरवा), जुबली कॉलेज, हलीम कॉलेज इत्यादि की हालत बदतर हो गई है क्योंकि अब यह सभी शिक्षा विभाग के अंतर्गत चले गए हैं, जिसके लिए एक अलग स्तर पर प्रयास करना पड़ेगा पर यहां जनप्रतिनिधियों ने इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया है।
यदि हमें यहां से जनप्रतिनिधि होने का अवसर मिलता है तो हम सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करेंगे, क्योंकि यहीं से विकास के अन्य द्वार भी खुलते चले जाते हैं। गरीब परिवारों और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए स्वास्थ्य व शिक्षा बुनियादी आवश्यकता हैं, जिन पर काम होना जरूरी है।
आपके अनुसार प्रदेश की प्रमुख समस्याएं क्या है, जिन पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए?
हाजी सुहैल अहमद - प्रदेश की प्रमुख समस्या बेरोजगारी, अशिक्षा और गरीबी हैं, जिनसे अधिकांश समस्या जन्म लेती हैं। इसके कारण ही आज समाज में अपराध, आत्महत्या जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। यदि माता-पिता शिक्षित होंगे तो वह अपने बच्चों को भी शिक्षा की तरफ मुखर करेंगे लेकिन वास्तव में इसका उल्टा हो रहा है, आज भी अशिक्षा के कारण बाल श्रम बदस्तूर जारी है।
मलिन बस्तियों का दायरा भी प्रदेश में बढ़ता जा रहा है, आज केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी का कान्सेप्ट लेकर आ रही है लेकिन यह सुविधा पहले से विकसित क्षेत्रों के लिए है, स्लम क्षेत्र तो बस बढ़ ही रहे हैं।
सरकार की यह भेदभाव वाली नीतियां लोगों में हीनभावना पैदा करती है, जो कि गलत है। जबकि मुंबई जैसे महानगरों में स्लम बस्तियों के लिए योजनाएं हैं, जो संचालित हो रही हैं, लेकिन यूपी में इस तरह की कोई योजनाएं नहीं हैं। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर भी लूट जारी है। इन सभी समस्याओं पर काम होना बेहद जरूरी है।
आप बैलटबॉक्सइंडिया के मंच के माध्यम से जनता को क्या संदेश देना चाहेंगे?
हाजी सुहैल अहमद - हम जनता से यही अपेक्षा रखते हैं कि वह अपने लिए सही जनप्रतिनिधि का चुनाव करें, जो उनके मुद्दों को सदन में उठा सके। हम देख रहे हैं कि हमारे जन प्रतिनिधि अपने संवैधानिक अधिकारों तक का भी प्रयोग नहीं करते हैं और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। नगर निगम से संबंधित कार्यों को पूरा करने का प्रयास हम लंबे समय से करते आ रहे हैं लेकिन जन प्रतिनधि सदन तक उन प्रमुख मुद्दों को लेकर ही नहीं जाते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि जनता ऐसे जन प्रतिनिधियों का चुनाव करें जो उनके मुद्दों को सड़क से लेकर सदन तक ले जाने की क्षमता रखते हों।