Name : Chandra Bhushan Tiwari
Education : B.A. B.Ed. and doctorate in Sanskrit from National Sanskrit University
Designation : left his Central Government Job
Mission : left his Central Government Job to start schools to educate poor children of migrant labor population. Fulfilled his promise to plant and maintain 1 Lack trees, with a unique innovative methodology on 15th August 2015.
आचार्य चंद्रभूषण तिवारी का जन्म 1 जुलाई 1969 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भठवा तिवारी गाँव में हुआ| माता श्रीमती कान्ति देवी पिता श्री मिथिला बिहारी तिवारी व पत्नी डॉ सुशीला तिवारी पी0एच0डी0 प्रवक्ता राजनीति शास्त्र के साथ 3/ 69 रजनीखंड शारदानगर लखनऊ में रहते है|
थोड़ा पढ़ो तो काम से जुड़ो, ज्यादा पढ़ो तो गाँवो से जुड़ो, बहुत ज्यादा पढ़ो, तो हिंदुस्तान व सारे संसार से जुड़ो,
चंद्रभूषण जी को बचपन से ही पेड़ पौधे लगाने व शिक्षक बनने दीन दुखियो के सेवा के प्रति समर्पण का भाव था| अपने जीवन में दो मुख्य लक्ष्य रखे वृक्षरोपण मुख्यत: फलदार वृक्ष, मजदूरों के झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चो को शिक्षा और उनके लिए पुस्तकें, भोजन ,सामग्री ,खिलौने एवं
कपड़ो की आपूर्ति सन् 1980 के दशक में लखनऊ विश्वविद्यालय में बीए बी0एड0 और आचार्य की डिग्री राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान लखनऊ से प्राप्त की|
वर्ष
1993-94
में केंद्रीय विद्यालय सम्बलपुर, उड़ीसा
में अध्यापन किया| लखनऊ
में अपने द्वारा पोषित मजदूरों के बच्चों के पुकार पर नौकरी छोड़कर लखनऊ आ गए
और अपने उद्देश्य में लग गए| अपने
लक्ष्य एक लाख पौधारोपण 2006 में रखा आज 5 सितम्बर 2014 तक 96 हज़ार से अधिक पौधे लगा चुके| जो
फल-फूल
रहे है| गोमती
से गंगा तट की यात्रा के दौरान नैमिषारण्य तीर्थ में 88 हज़ार ऋषियों की स्मृति में 84 कोस की परिक्रमा के क्षेत्र मे 88 हज़ार पौधा लगाने व वितरण
का संकल्प को 15 जुलाई 2011 से 13 अगस्त
2011
तक राधेकृष्ण दुबे जी के साथ लोक भर्ती एवं अन्य लोगो के सामूहिक प्रयास से पूरा हुआ| गरीब, बेसहारा
बच्चों को पढ़ाने के लिए चार निःशुल्क शिक्षा केंद्र एवं एक मोबाइल स्कूल (सचल पाठशाला) मारुती वैन पर
लोगो के सहयोग से चल रही है|
चंद्रभूषण
तिवारी के पर्यावरण व गरीब
बच्चों के शिक्षा के कार्य अद्वितीय है| इनके
प्रयास को डिस्कवरी, दूरदर्शन, रेडियो, बी.बी.सी, लंदन इंडिया टुडे, दैनिक
जागरण, अनगिनत
पत्र-पत्रिकाओं
ने प्रकाशित व प्रसारित
किया है|
साथ-साथ ही जीना जग में,मेरे भाई होता है| अकेला अगर रह गया जग मे, दुखी सदा ही होता है|
सबसे रिश्ता समझ गये तो , सुख ही सुख फैलाओगे| पहले समझो फिर कर लेना, नहीं तो तुम थक जाओगे|
उत्तर-प्रदेश के पूर्व महामहिम राज्यपाल श्री बी.एल. जोशी ने अख़बार में पढ़कर राजभावन में बुलाकर सम्मानित किया था| गाडफ्रे
फिलिप ब्रेवरी पुरस्कार अवध गौरव श्री श्री रविशंकर द्वारा कर्मयोगी नागरिक सम्मान व जन-जन का सम्मान मिल रहा है| हमेशा
साईकिल, मोटरसाइकिल, व मारुती
वैन पर पौधे व पाठ्य
सामग्री कपड़े व खिलौने
बाँटते एकत्र करते बच्चों को पढ़ाते वे मिल जायेंगे गूगल व फेसबुक
पर भी मौजूद हैं|
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