Latest on Governance
Acharya Narendra Dev– 12 (Ayodhya)
उच्च कोटि के निष्ठावान व महान शिक्षाविद आचार्य नरेंद्रदेव भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. वह काशी विद्यापीठ के आचार्य भी रहें हैं, इसीलिए उन्हें आचार्य नाम की उपाधि भी मिली. देश को आज़ादी दिलाने के लिए उन्होंने बहुत से आन्दोलनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 1934 में श्री जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया व अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया, जिसके प्रथम अधिवेशन के अध्यक्ष वह स्वयं रहे. कांग्रेस से बाहर आने पर सोशलिस्ट पार्टी का पटना में सम्मेलन हु Read more...
Ambedkar nagar ward – 33 (Ayodhya)
अंबेडकर नगर वार्ड, बन्नी खानम के मकबरे से मशहूर है. यह मकबरा 1400 ईसवी के समय का बना हुआ है. साथ ही इस वार्ड में काफी संख्या में मंदिर भी मौजूद है. इसके अतिरिक्त वार्ड में आकाशवाणी का भी केंद्र स्थापित है. यह सर्वविदित सत्य है कि प्राचीन अयोध्या नगरी एक धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगरी है. जिसके जनपद का नगरीय क्षेत्र अयोध्या नगर निगम के अंतर्गत समाहित है. प्राचीन समय में साकेत, कौशल देश अथवा कौशलपुरी के नाम से विख्यात अयोध्या को प्रभु श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में देखा जाता है और यह हिन्दू धर्म Read more...
Paramhans Ram mangal das – 18 (Ayodhya)
18वीं सदी में जन्में सिद्ध संत व महापुरुष संत परमहंस बाबा राम मंगल दास जी, जिन्हें सभी संत व महंत आज भी पूजते हैं. उनके बारे में कहा गया है कि उन्हें साक्षात भगवान हनुमान जी के दर्शन होते थे. परमहंस राम मंगल दास बाबा जी को लोग पीर-फ़क़ीर व भगवान के काफी समीप मानते थे. वह बाल कृष्ण के अनन्य भक्त थे. उन्होंने अभी तक काफी सारी किताबें लिखी हैं. जिनमें पीर-फ़क़ीर व सूफी संतों के बारे में भी पुस्तक उनके द्वारा लिखी गयी है. मोक्षदायिनी अयोध्या नगरी पौराणिक समय में कौशल राज्य की राजधानी एवं प्रसिद्ध महाका Read more...
Gurugram, Ward- 15 (Haryana)
प्राचीन काल में गुडगाँव अहीर साम्राज्य का हिस्सा माना जाता था. जहां हिंदु आबादी की बहुलता थी. ऐसा माना गया है कि कौरवों और पांडवों के शिक्षक गुरु द्रौणाचार्य भी इसी गांव में रहते थे. अकबर के शासनकाल के दौरान गुडगाँव, दिल्ली और आगरा के क्षेत्रों में आता था. बदलते समय के साथ मुग़ल साम्राज्य शक्तियों के बीच दरार पड़ने लगी और सुरजी अरजगांव के संधि के तहत इसका अधिकतर हिस्सा ब्रिटिश हुकूमत के पास चला गया. 1861 में जिले का पुनर्गठन पांच तहसीलों में किया गया, जिसमें गुडगाँव, फिरोजपुर झिरका, नूह, पलवल और र Read more...
Bangalitola, Ward 71 (Varanasi)
बंगालीटोला वार्ड, जिसे बंगाली समुदाय का गढ़ भी कहा जाता है, वाराणसी की दशाश्वमेध जोन एवं सबजोन का प्रमुख दक्षिणतम भूभाग है. यहां की वेशभूषा, संस्कृति, खान-पान सभी में बंगाल की झलक आसानी से देखी जा सकती है, यहां तक कि इस क्षेत्र में आने के बाद आपको लगेगा जैसे बंगाल की ही किसी गली में भ्रमण कर रहे हों. यह वार्ड क्षेत्रफल की दृष्टि से 0.650 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. बंगाली आबादी वाले इस वार्ड में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 11-12,000 है. इस वार्ड में आने वाले प्रमुख मोहल्लों मे Read more...
Jolha Uttari, Ward 25 (Varanasi)
वाराणसी का मिश्रित आबादी वाला जोल्हा उत्तरी वार्ड 25 वाराणसी के अल्पविकसित वार्डों में से एक माना जाता है. तकरीबन 15-20,000 की आबादी वाले इस वार्ड में हिन्दू-मुस्लिम संप्रदाय की जनता का निवास है और यहां पार्षद के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से इंद्रदेव पटवा कार्यरत हैं, जो वर्ष 2017 से जोल्हा उत्तरी वार्ड से जन प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय विकास कार्यों में संलग्न हैं. इस वार्ड में जीविका के साधन मिले जुले हैं, यानि यहां व्यापारी वर्ग, छोटे लघु-कुटीर उद्योगों से जुड़ी जनता, छोटे व्यापार में संलग् Read more...
Nayi Basti (Varanasi), Ward 7
वाराणसी का मिश्रित आबादी वाला नई बस्ती वार्ड 7 वाराणसी के सघन वार्डों में से एक माना जाता है. तकरीबन 40,000 की आबादी वाले इस वार्ड में हिन्दू-मुस्लिम संप्रदाय की जनता का निवास है और यहां पार्षद के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से जय सोनकर जी कार्यरत हैं, जो वर्ष 2017 से नई बस्ती वार्ड से जन प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय विकास कार्यों में संलग्न हैं. यह वार्ड काफी बड़ा है और इसमें विकसित कॉलोनियों से लेकर मलिन बस्तियां तक सम्मिलित है. इस वार्ड में जीविका के साधन मिले जुले हैं, यानि यहां व्यापारी वर् Read more...
Sahabganj ward – 4 (Ayodhya)
प्राचीन समय में साकेत, कौशल देश अथवा कौशलपुरी के नाम से जानी जाने वाली अयोध्या को प्रभु श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में देखा जाता है और यह हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. मोक्षदायिनी अयोध्या नगरी पौराणिक समय में कौशल राज्य की राजधानी एवं प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की पृष्ठभूमि का केंद्र थी और आज भी प्रभु श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण अयोध्या को हिन्दुओं की प्रमुख तीर्थस्थली एवं सप्तपुरियों में से एक माना जाता है. तो चलिए बात करते हैं इसी अयोध्या नगरी के एक वार्ड Read more...
Bahubegam ward – 25 (Ayodhya)
सरयू नदी के दक्षिणी तट पर बसी अयोध्या एक धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगरी है. इस जनपद का नगरीय क्षेत्र अयोध्या नगर निगम के अंतर्गत समाहित है. प्राचीन समय में साकेत, कौशल देश अथवा कौशलपुरी के नाम से जानी जाने वाली अयोध्या को प्रभु श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में देखा जाता है और यह हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. मोक्षदायिनी अयोध्या नगरी पौराणिक समय में कौशल राज्य की राजधानी एवं प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की पृष्ठभूमि का केंद्र थी और आज भी प्रभु श्री राम की जन्मस्थली होने के क Read more...
Mahatma Gandhi Ward – 27 (Ayodhya)
सत्य व अहिंसा के पुजारी मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें बापू के नाम से सभी लोग जानते हैं. उन्होंने भारतीय स्वाधीनता के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी. उनका जन्म 2 अक्टूबर को पोरबन्दर में हुआ था. गांधी जी ने अपने पूरे जीवन काल में अहिंसा के धर्म का पालन किया. इसके साथ ही उन्हें अहिंसक आन्दोलन, दांडी मार्च यात्रा, सत्याग्रह आंदोलनों के कारण भी जाना जाता है. उन्होंने देश के नागरिकों को ब्रिटिशों के खिलाफ़ लड़ाई करने व उनकी जड़ों को कमज़ोर करने के लिए भी प्रेरित किया. इन्हीं सत्य के मार्गदर्शक व अहिंसा के पुजा Read more...
Katuapura, Ward 54 (Varanasi)
कोतवाली जोन एवं सबजोन के अंतर्गत आने वाला कतुअपुरा वार्ड वाराणसी नगर निगम द्वारा संचालित वार्ड है. मिली जुली आबादी वाले इस वार्ड में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 10,000 की आबादी का निवासस्थान है. इस वार्ड में आने वाले प्रमुख मोहल्लों में विशेश्वरगंज, हरतीरथ, कतुआ, हनुमान चौक इत्यादि सम्मिलित हैं. साथ ही यहां मलिन बस्ती के रूप में कतुअपुरा हरिजन बस्ती का क्षेत्र आता है. यहां पार्षद के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से सुरेश कुमार चौरसिया जी कार्यरत हैं, जो वर्ष 2017 से जन प्रतिनिधि के रू Read more...
Pandariba Ward 72 (Varanasi)
वाराणसी अपने लजीज जायकों के लिए जानी जाती है, यहां की ठंडाई, मलाईयो, टमाटर कचौड़ी, जलेबी इत्यादि का जायका तो प्रसिद्द है ही, साथ ही विश्व विख्यात है बनारस का पान..जो अपने अनूठे स्वाद के चलते जाना जाता है. वाराणसी में पान के प्राचीनतम इतिहास को खंगालना हो तो आपको जाना होगा यहां के पानदरीबा इलाके में, यह क्षेत्र आज भी पान की खुशबू से सरोबार लगता है. पानदरीबा, जो दशाश्वमेध जोन एवं सबजोन का हिस्सा है, वह वाराणसी नगर निगम के अनुसार तकरीबन 2.5 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. यहां पार्षद के त Read more...
Jai Prakash Narayan Ward – 29 (Ayodhya)
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी व प्रसिद्ध राजनेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने देश की स्वाधीनता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ज्यादातर लोगों के मध्य वह इसीलिए जाने जाते हैं क्योंकि उन्होंने भारत की पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी का विरोध किया था. भारत को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष करने वाले जय प्रकाश नारायण ने कभी भी अंग्रेजों की हुकुमत के आगे अपने घुटने नही टेके. 11 अक्टूबर को बिहार में जन्में जयप्रकाश नारायण ने अमेरिका से अपनी शिक्षा पूरी कर भारत आकर महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरु के साथ मिलकर काम Read more...
Sitakund ward-24 (Ayodhya)
सप्तपुरी नगरियों में से एक नगरी अयोध्या, जिसे भारत की मोक्षदायिनी नगरी माना जाता है तथा जिसका इतिहास सदियों पूर्व से प्राचीन माना जाता रहा है. पवित्र ग्रंथ “रामायण” के अनुसार अयोध्या की स्थापना स्वयं मनु ने सरयू नदी के किनारे की थी, जिसे भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में भी महता प्राप्त है. स्थानीय साक्ष्यों के अनुसार यहाँ आज भी हजारों की तादाद में छोटे-बड़े मंदिरों की उपस्थिति दर्शाती है कि अयोध्या भारतवासियों के हृदय में विशेष स्थान रखता है और यह देश का प्रमुख धार्मिक-सांस्कृतिक शहर होने के सा Read more...
Sardar bhagat singh Ward – 21 (Ayodhya)
जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसे अमानवीय कृत्य से प्रभावित होकर देश को आज़ाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सरदार भगत सिंह को भारत का प्रत्येक नागरिक जानता है. उनका जन्म लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था, यह स्थान अब पाकिस्तान में है. उनका परिवार आर्य समाजी सिख परिवार से संबंध रखता था. उन्होंने चन्द्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर एक संगठन तैयार किया, जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिशों के चंगुल से आज़ाद कराना था. वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने अल्पायु Read more...
Sultanpur Bhava Ward-68 (Prayagraj)
पौराणिक ग्रंथानुसार प्रयागराज का इतिहास बेहद समृद्धशाली रहा है. इसके साथ जुड़ी एक काफी पुरानी कथा भी है, जिसमें बताया गया है कि प्राचीन पृथ्वी की रक्षा करने के लिए सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने यहां पर बहुत बड़ा यज्ञ किया था. जिसमें पुरोहित, भगवान विष्णु ने यजमान की भूमिका निभाई और भगवान शिव उस यज्ञ के देवता बने. साथ ही यज्ञ के अंत में तीनों देवताओं ने अपनी शक्ति पुंज के द्वारा पृथ्वी से पाप का बोझ हल्का करने के लिए एक 'वृक्ष' को उत्पन्न किया. जो बरगद का वृक्ष था, जिसे आज अक्षयवट के नाम से जा Read more...
Malakraj Ward-9 (Prayagraj)
प्रयागराज को आरंभ से ही प्रयाग के नाम से जाना जाता था, जिसमें प्र अथार्त बहुत विशाल और याग यानि यज्ञ जिसका पूर्ण अर्थ प्रयाग है. हिंदुग्रंथानुसार सम्पूर्ण पृथ्वी पर भगवान ब्रह्मा जी ने प्रयागराज को ही यज्ञ के लिए चुना था. यह स्थल तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ है परन्तु मुस्लिम शासक अकबर ने इसका नाम बदलकर इलाहाबाद रख दिया और इसे अल्लाह के शहर कहा जाने लगा. इस समय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे पुनः इसके प्राचीन नाम प्रयागराज के नाम में परिवर्तित कर दिया गया है. तो आज चलते है, पावन स्थली प्रयागराज के Read more...
Himmatganj Ward-26 (Prayagraj)
प्राचीन समय से ही प्रयागराज को विद्या और ज्ञान का गढ़ कहा जाता रहा है साथ ही देश का राजनीतिक व अध्यात्मिक रूप से सर्वाधिक जागरूक शहर प्रयागराज को माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसी शहर से बड़ी संख्या में देश को प्रधान मंत्री प्रदान किए हैं. इसके अतिरिक्त यदि धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो देवभूमि प्रयागराज हिन्दुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थल है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार पृथ्वी की रक्षा करने के लिए सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने यहां पर बहुत बड़ा यज्ञ किया था. जिसमें पुरोहित, भगवान विष्णु ने Read more...
Saraygarhi - Ward 43 (Prayagraj)
वर्ष 1583 में इलाहाबाद के मुग़ल सम्राट ने शहर का नाम अरबी और फारसी के दो शब्दों को मिला कर रखा था. जिसमें दोनों ही शब्दों के मेल का अर्थ ईश्वर का शहर यानि वह शहर जिसे ईश्वर ने बसाया है. परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम फिर से बदल कर इसे इसका पुराना नाम वापिस दिलाया. वर्तमान में फिर से यह शहर प्रयागराज के नाम से जाना जाता है. प्रयागराज में काफी सारे मंदिर बने हुए हैं. इसीलिए इसे मंदिरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के बड़े जनपदों में से एक माना जाता है. वैस Read more...