संक्षिप्त परिचय
यमुना नदी के तट पर बसा सहारनपुर लकड़ी की
नक्काशी वाले कुटीर उद्योग के लिए प्रसिद्ध है. सहारनपुर को उत्तर प्रदेश में 1997
में सहारनपुर मंडल का दर्जा प्राप्त हुआ. जहां तक इसकी भौतिक विशेषताओं का संबंध
है, जिले का उत्तर और उत्तर-पूर्व भाग शिवालिक पहाड़ियों से घिरा हुआ है जो
इसे देहरादून से अलग करता है. यमुना नदी पश्चिम दिशा से हरियाणा के करनाल और यमुना
नगर जिलों से सहारनपुर को अलग करती है. पूर्व में हरिद्वार (वर्तमान में उत्तरांचल
राज्य का) जिला है, जो सन् 1989 से पहले सहारनपुर जिले का
हिस्सा था. जिले के दक्षिण दिशा में जिला मुजफ्फरनगर है. ब्रिटिश शासनकाल के समय
मुजफ्फरनगर भी जिला सहारनपुर का एक हिस्सा था. सहारनपुर मुख्य रूप से एक कृषि
प्रधान जिला है.
ऐतिहासिक परिदृश्य-
जिले के विभिन्न हिस्सों में हड़प्पा
की ही तरह खुदाई का कार्य किया गया था जिनमें अंबाखेड़ी, बड़ागांव, हुलास, भदरबाद और नसीरपुर आदि क्षेत्र आते हैं. इन जगहों पर खुदाई
के दौरान कई चीजें मिली हैं, जिसके आधार पर यह जिला स्थापित किया. सहारनपुर जिले में 2000 ईसा पूर्व
में सिंधु घाटी सभ्यता के निशान पाए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि अंबाखेड़ी, बड़ागांव, नसीरपुर और
हुलास हड़प्पा संस्कृति के केंद्र थे जिसका अंदाजा हड़प्पा सभ्यता की चीजों के
जिले में मौजूद होने से लगाया जा सकता है.
क्षेत्र का इतिहास बहुत प्राचीन है.
इल्तुतमिश सहारनपुर क्षेत्र के गुलाम वंश का हिस्सा बन गया. मुहम्मद तुगलक 1340
में शिवालिक राजाओं के विद्रोह के खिलाफ उत्तरी टोब में पहुंचा था. वहां उसे 'पंडोहि' नदी के किनारे
एक सूफी संत शाह हारुन चिश्ती के बारे में पता चला. वह उसके पास गया और क्षेत्र का
नाम शाह-हारुनपुर' रखने का आदेश भी दिया.
मुगल बादशाह अकबर पहला शासक थे जिन्होंने
सहारनपुर में नागरिक प्रशासन की स्थापना की. इसके दिल्ली में 'सहारनपुर-सरकार' बनाया.
सहारनपुर के जागीर राज साह रणवीर सिंह को सम्मानित किया गया, जिन्होंने सहारनपुर
शहर की स्थापना की थी. उस समय सहारनपुर एक छोटा गाँव था और वहां की निकटतम बस्तियाँ
शेखपुरा और मल्हीपुर थीं. सहारनपुर का अधिकांश हिस्सा जंगलों से ढका था जो कि 'पंडोहि', 'धमोला' और 'गंडा नाला' थे.
जिला 'पंधोई' नदी के किनारे
'नखासा', 'रानी बाजर', 'शाह बहलोल' और 'लखी गेट' से घिरा था.
सहारनपुर एक दीवारों वाला शहर था और इसके चार द्वार थे: सराय गेट, माली गेट, बुरिया गेट, लखी गेट.
सहारनपुर सन् 1803 में अंग्रेजों के
कब्जे में था. दारुल उलूम देवबंद के संस्थापकों ने अंग्रजों के खिलाफ विद्रोह में
सक्रिय रूप से भाग लिया. उन्होंने दिल्ली की जनता को संगठित किया और अपने अभियानों के साथ
थोड़े समय के लिए ब्रिटिश सत्ता को खदेड़ने में सफल रहे. उनकी गतिविधियों का
केंद्र छोटा सा शहर शामली था जो कि वर्तमान में मुजफ्फरनगर है.
कासिम नानौतवी ने देवबंद (
जिन्होंने ब्रिटिशों का विरोध किया) का प्रतिनिधित्व किया, देवबंद ने भारतीय राष्ट्रवाद के पक्ष में, हिंदू-मुस्लिम एकता और एकजुट भारत के लिए शाह वलीउल्लाह के
क्रांतिकारी विचारों का समर्थन किया. मौलाना नानौतवी और मौलाना राशिद अहमद गंगोही
ने सन् 1867 में एक स्कूल की स्थापना की जो बाद में दारुल-उलूम के नाम से लोकप्रिय
हुआ.
कृषि-
उपजाऊ भूमि होने के साथ ही जिले में शीशम और
आंवला की मुख्य फसल होती है. यमुना नदी और इसकी सहायक नदियों के जल से ही यहां
बेहतर सिंचाई हो पाती है. समतल से 428 मीटर की ऊंचाई पर
बसे ललितपुर में मार्च से जून के मध्य गर्मियों का मौसम तथा नवबंर से फरवरी के
मध्य सर्दियों का मौसम रहता है. जुलाई से सितंबर माह तक मुख्यता बारिश अपना स्थान
ग्रहण करती है.
भौगोलिक ढ़ांचा-
जिले का आकार आयताकार है. यह 29 डिग्री 34 मिनट 45 सेकंड और 30 डिग्री 21 मिनट 30 सेकंड उत्तरी अक्षांश और 77 डिग्री 9 मिनट और 78 डिग्री 14 मिनट 45 सेकंड पूर्व देशांतर के बीच स्थित है. क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो जिला 3689 वर्ग किलोमीटर है. क्षेत्र की जलवायु आर्द्र थी इसलिए यह मलेरिया से ग्रस्त रहता था. क्षेत्रफल की दृष्टि से जिला 3,689 वर्ग किमी है. जिले में कुल गाँव 887 हैं.
जनसांख्यिकी-
साल 2001 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल
जनसंख्या 21,49,291 है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार सहारनपुर जिले की कुल
जनसंख्या 34,67,332 है. जिसमें पुरुषों की संख्या 18,34,709
और महिलाओं की संख्या 16,32,623 है.
पर्यटन-
पर्यटन के लिहाज से जिले में कई प्रमुख स्थल
हैं. धार्मिक स्थलों के लिए जिला प्रमुख माना जाता है. यहां हिन्दू और मुस्लिम
दोनों ही आबादी निवास करती है इसलिए जिले में दोनों ही धर्म के प्रमाण और पूजन
स्थल मौजूद हैं.
बाबा भूरादेव मंदिर
यह मंदिर शाकुंभरी देवी मंदिर से लगभग 1 किमी पहले स्थित है. शाकंभरी माता की पूजा करने से पहले, बाबा भूरादेव की पूजा करना आवश्यक है. माता के मंदिर से यात्रा पर लौटने के दौरान भी लोग बाबा भूरा देव के सामने सिर झुकाते हैं.
बाला सुंदरी देवी मंदिर
देवबंद में स्थित बाला सुंदरी देवी मंदिर हिन्दू धर्म की आस्था का प्रतीक है. सहारनपुर-मुजफ्फरर नगर रोड पर बने इस मंदिर में वर्ष भर हजारों श्रृद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
नौगजा पीर
नौ गाजा पीर दरगाह शहर से लगभग 9 KM की दूरी पर स्थित है. सहारनपुर के बाहरी इलाके में नौ गाजा पीर दरगाह और मंदिर का एक साथ सुंदर संयोजन है जो एक दूसरे के बगल में स्थित हैं. सभी समुदायों के लोग यहां आते हैं. यह सहारनपुर-देहरादून/ हरिद्वार हाईवे पर स्थित है नौगजा पीर जिले में खासा रूप से प्रसिद्ध है.
दारुल उलूम
इस्लामिक मदरसा है जो कि इस्लामिक संस्थान है. दारुल
उलूम देवबन्द में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा, भोजन, आवास व पुस्तकों की सुविधा दी जाती है. दारुल
उलूम अपने देशप्रेम की विचार धारा के लिए संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है.
Reference-
https://www.districtsofindia.com/uttarpradesh/saharanpur/agriculture/index.aspx