आज से 444 साल पहले मुगल सम्राट अकबर ने जिस शहर का नाम प्रयागराज से बदलकर
इलाहाबाद कर दिया था. वह शहर पुनः अपने पुराने नाम से जाना जाने लगा है. गत वर्ष
अक्टूबर में उत्तर- प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था. धर्म
व संस्कृति को अपनी गोद में हिलोरे देने वाला प्रयागराज वह जिला है जहां गंगा,
यमुना व सरस्वती (अदृश्य) नदी का संगम होता है. प्रयागराज के बारे में कहा जाता है
–
“प्रयागस्य पवेशाद्वै पापं
नश्यति: तत्क्षणात्”
अर्थात् यह वह स्थान
है जहां
प्रवेश मात्र से ही समस्त पाप कर्म का नाश हो जाता है.
संक्षिप्त परिचय –
‘तीर्थराज’ के नाम से मशहूर
प्रयागराज उत्तर- प्रदेश के प्राचीनतम व महत्वपूर्ण जिलों में से एक है. इसे सूबे की न्यायिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है.
यहां कई पवित्र तीर्थस्थल, मंदिर व घाट हैं, जो हिन्दू संस्कृति व सभ्यता का परिचय
कराते हैं. जिस स्थान पर गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम होता है, उसे त्रिवेणी के
नाम से जानते हैं. इसके साथ ही इस जिले में प्रत्येक 6 व 12 वर्षों में क्रमशः
कुंभ व महाकुंभ मेले का आयोजन होता है. इसीलिए इस जिले को कुंभ नगरी के नाम से भी
जानते हैं. वहीं ऐतिहासिक आधार पर इस जिले के साथ इतने प्रसंग जुड़े हुए हैं कि
यदि इसे प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
क्योंकि यहां महज नदियों का ही संगम नहीं होता बल्कि विभिन्न धर्मों, सभ्यताओं व
संस्कृतियों का भी संगम होता है.
ऐतिहासिक परिपेक्ष्य –
प्रयागराज का इतिहास वर्षों पुराना नहीं बल्कि युगों पुराना है. इस शहर की
स्थापना को लेकर कई कथाएं हैं. हिन्दूओं के धार्मिक ग्रंथों में भी कई जगह
प्रयागराज का उल्लेख देखने को मिलता है.
कहा जाता है कि आधुनिक प्रयागराज की स्थापना मुगलकालीन शासक अकबर ने सन् 1574
में की थी. स्थापना के साथ ही अकबर ने इस जिले का नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया था. जिसका
अर्थ था ‘अल्लाह का शहर.’
वहीं प्राचीनतम काल की बात करें तो हिन्दुओं के पवित्र ग्रंथ रामचरित मानस में
इस जिले का प्रयागराज नाम से वर्णन किया गया है. रामचरित मानस के अनुसार इस जगह पर
भरद्वाज ऋषि का आश्रम था और भगवान
श्रीराम जब अयोध्या से वन की ओर जा रहे थे तो आश्रम से होकर गुजरे थे. इसके अलावा
मत्स्य पुराण में कहा गया है कि प्राचीनकाल में यह प्रजापति का जन्मस्थल था. इस
कारण इस शहर का नाम प्रयागराज पड़ा.
प्रयागराज का कई स्थानों पर प्रयाग के नाम से भी उल्लेख देखने को मिलता है.
मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण कार्य पूर्ण करने
के बाद सर्वप्रथम इस स्थान पर ही यज्ञ किया था. प्रथम (यज्ञ) के प्र शब्द व यज्ञ के याग शब्द के योग को
मिलाकर इस स्थल का नाम प्रयाग रखा गया.
आधुनिक
इतिहास की बात करें तो इस शहर पर कई वर्षों तक मुगलों और मराठाओं ने शासन किया.
सन् 1801 में इलाहाबाद पर अंग्रेजी हुकूमत ने अपना कब्जा जमा लिया. सन् 1857 के
स्वतंत्रता संग्राम में यह जिला आंदोलन का प्रमुख केन्द्र बनकर उभरा. 1858 में
अंग्रेजों द्वारा इस शहर को आगरा व अवध प्रांत की संयुक्त राजधानी घोषित किया गया
था. इसके अलावा 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने अहिंसा आंदोलन की
शुरूआत भी यहीं से की थी.
भौगोलिक
परिदृश्य –
क्षेत्रफल
और जनसंख्या के आधार पर प्रयागराज उत्तर- प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में से एक है.
यह जिला पूर्व में संत रविदासनगर, पश्चिम में कौशाम्बी, उत्तर में प्रतापगढ़,
दक्षिण में रीवा व दक्षिण- पश्चिम में बुंदेलखंड से घिरा हुआ है. प्रयागराज मण्डल
के अंतर्गत आने वाले प्रयागराज का जिला मुख्यालय इलाहाबाद शहर में है. जिले का कुल
क्षेत्रफल 5,482 वर्ग कि.मी. है. प्रयागराज उ.प्र. के दक्षिण में 25.45 डिग्री उत्तर तथा 81.84 डिग्री पूर्व पर स्थित है. यह जिला समुद्रतल से 98 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ
है.
प्रशासनिक
आधार पर जिले को 8 तहसीलों व 20 ब्लॉक, 10 नगर निकायों में विभाजित किया गया है.
जिनके अंतर्गत 3178 गांव है. जिले में 218 नगर पंचायतें व 1710 ग्राम पंचायतें
हैं. राजनीतिक आधार पर भी प्रयागराज सूबे की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता
है. जिले में 12 विधानसभा सीटें व 2 लोकसभा सीटें (फूलपुर व इलाहाबाद) हैं.
वहीं
प्रयागराज एकमात्र ऐसा जिला है, जहां तीन नदियों का संगम होता है. जिले में प्रमुख
रूप से गंगा व यमुना नदी बहती है, जो कि जिले में जल व सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत
है.
जनसांख्यिकी
–
ऐतिहासिक,
पौराणिक, प्रशासनिक व राजनीतिक आधार पर समृद्ध प्रयागराज की कुल जनसंख्या
59,54,390 है, जिसमें 31,32,000 पुरूष व 28,23,000 महिलाएं हैं. जिले का
लिंगानुपात 901 है. वहीं यहां की साक्षरता दर 72.3 प्रतिशत है. हिन्दी, उर्दू,
अवधी जिले की प्रमुख भाषाएं हैं. वहीं जिले का जनसंख्या घनत्व 1086 प्रति वर्ग
किमी है.
जलवायु –
उत्तर-
प्रदेश के दक्षिण में स्थित प्रयागराज का दक्षिणी भाग मध्य- प्रदेश से भी जुड़ा
हुआ है. इसलिए जिले की जलवायु पर दोनों राज्यों का प्रभाव पड़ता है. यहां की
जलवायु उप- उष्ण कटिबंधीय है. जिले में गर्मी व सर्दी का मौसम शुष्क रहता है, वहीं
मानसून आर्द्र होता है. गर्मी का मौसम मार्च- अप्रैल शुरू होकर से जून तक, मानसून
जुलाई से सितम्बर तक व सर्दियों का मौसम अक्टूबर से फरवरी तक रहता है. अधिकतम
तापमान 40- 45 डिग्री के मध्य रहता है.
पर्यटन
स्थल –
प्रयागराज
कोई साधारण पर्यटक स्थल नहीं बल्कि तीर्थों का राजा है. इसी कारण इस जिले को
तीर्थराज नाम से जानते हैं. यह सूबे का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां कुंभ मेले का
आयोजन होता है, जिसमें देश- विदेश से करोड़ों श्रृद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते
हैं. इसके साथ ही प्रयागराज में कई प्राचीन व आधुनिक पर्यटक स्थल हैं –
संगम –
यह
सिर्फ प्रयागराज ही नहीं बल्कि देशभर के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. संगमतट
पर गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती नदी का संगम होता है. इसकी विशेषता यह है कि इस
स्थान पर नदियों का समागम बिन्दु स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिसे त्रिवेणी
कहते हैं. गंगा व यमुना नदी के अलग- अलग रंगों के जल को एक स्थान पर मिलते हुए देख
कर पर्यटकों को अद्भुत अनुभूति होती है. इस जल को अत्यन्त पावन व मोक्षदायिनी कहा
जाता है. मान्यता है कि जो भी संगम में एक बार डुबकी लगा लेता है, उसके सारे पाप
धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
कुंभमेला
–
पूरे
भारत में महज़ चार स्थानों हरिद्वार, नासिक, उज्जैन व प्रयागराज में कुंभ मेले का
आयोजन होता है. जिसमें उ.प्र. के जिले का शामिल होना सूबे के लिए गौरव की बात है. प्रयागराज
में 6 वर्षों के अन्तराल में कुंभ व 12 वर्षों के अन्तराल पर महाकुंभ का आयोजन
होता हैं. धार्मिक व पौराणिक रूप से कुंभ का हिन्दू संस्कृति में अपना अलग महत्व
है, किन्तु दर्शनीय यह है कि इस मेले में विभिन्न धर्मों के ही नहीं बल्कि विभिन्न
देशों के लोग बढ़- चढ़ कर न सिर्फ हिस्सा लेते हैं बल्कि आस्था की डुबकी भी लगाते
हैं.
इस वर्ष
जनवरी, 2019 में उत्तर- प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में दिव्य व ऐतिहासिक कुंभ का
आयोजन किया. इस कुंभ की भव्यता अद्वितीय थी. वहीं इस मेले में करोड़ों की संख्या
में श्रृद्धालुओं की जो भीड़ उमड़ी वो वास्तव में देखते ही बनती थी. कहा जाता है
कि कुंभ स्नान मनुष्य व उसके पूर्वजों को सारे पापों से मुक्ति दिलाता है व उसे
स्वर्ग के द्वार ले जाता है. कुंभ का आयोजन होने के कारण प्रयागराज को कुंभनगरी भी
कहा जाता है.
बड़े
हनुमान जी का मंदिर –
संगम
में डुबकी लगाने वाले तीर्थयात्री यहां से कुछ दूरी पर स्थित बड़े हनुमान जी के
दर्शन के लिए भी अवश्य जाते हैं. कहा जाता है बिना हनुमान जी के दर्शन के कुंभ
स्नान का पुण्य पूर्ण नहीं होता. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां हनुमान जी की
मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में विराजमान है. कहते हैं कि हनुमान जी ने इस स्थान पर
विश्राम किया था. मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी की प्रतिमा 8.10 फुट नीचे स्थित
है. हनुमान जी को प्रयागराज का कोतवाल भी कहते हैं. मान्यता है कि वर्ष में एक बार
मां गंगा हनुमान जी को स्नान कराने अवश्य आती हैं. दरअसल हर वर्ष प्रयागराज में
गंगा नदी का पानी बढ़ता है और हनुमान जी की प्रतिमा को स्पर्श करके वापस लौट जाता
है, जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं. मंदिर में भगवान राम और सीता जी का सुंदर
मंदिर भी बना हुआ है. श्रृद्धालुओं की इस मंदिर के प्रति असीम आस्था है.
आनंद
भवन –
प्रयागराज
में स्थित आनंद भवन जिले के प्रमुख आकर्षण केन्द्रों में से एक है. इसकी स्थापना 1930 में मोतीलाल नेहरू ने
करवायी थी. जहां नेहरू परिवार निवास करता था. वर्तमान में यह संग्रहालय के स्वरूप
में पर्यटकों की जिज्ञासा का केन्द्र बना हुआ है.
शिवकुटी
–
कोटीतीर्थ
के रूप में जानी जाने वाली शिवकुटी गंगा नदी के किनारे स्थित है. यह भगवान शिव को
समर्पित है. सावन माह में यहां एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-
दराज से श्रृद्धालु शामिल होते हैं. यहां 285 शिवलिंग स्थापित हैं. धार्मिक
मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान शिव की कचहरी लगती है और भक्त भगवान से न्याय की
गुहार लगाने यहां आते हैं.
मंदिर
में विशेष आकर्षण व आस्था का केन्द्र है, इसके मुख्य द्वार पर स्थापित सिद्वेश्वर
महादेव मंदिर. जहां शिवलिंग के चारों तरफ भगवान शिव की आकृति बनी हुई है, जिसका
रंग बदलता रहता है. वहीं मंदिर में नागेश्वर चंद्रेश्वर की प्रतिमा के भी स्पष्ट
दर्शन किए जा सकते हैं.
इलाहाबाद संग्रहालय –
यह
संग्रहालय जिले के कंपनी बाग (चंद्रशेखर आजाद पार्क) में स्थित है. इलाहाबाद
संग्रह में 16 प्रकार की वस्तुओं का संग्रह है. जिसके अंतर्गत मूर्तिशिल्प, पाण्डुलिपि, मृण्मूर्ति, लघुचित्र कला, आधुनिक चित्र कला, पुरातात्विक वस्तु, मुद्राएं, फरमान, अस्त्र और शस्त्र व वस्त्र आदि शामिल हैं. इस संग्रहालय में देश के कई
बड़े कवियों की कृतियां, दुर्लभ हथियार, मध्य कालीन मूर्ति शिल्प में वैष्णव, शाक्त, शैव तथा जैन की अद्भुत मूर्तियां, जातक कथाओं के दृश्य आदि
दर्शनीय हैं.
इलाहाबाद किला –
संगम व बड़े हनुमान मंदिर से समीप स्थित इलाहाबाद किला
वर्तमान में भारतीय सेना द्वारा छावनी में तब्दील किया जा चुका है. हालांकि इसके
कुछ भागों में पर्यटकों को जाने की अनुमति है. इसकी स्थापना अकबर ने 1583 ई. में
करवायी थी. इस किले में जोधाबाई महल भी है. इसके अलावा अक्षय वट, सरस्वती कूप व
अशोक स्तम्भ किले में आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है.
नवीन यमुना सेतु (नैनी ब्रिज) –
प्रयागराज में आधुनिकता और विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण
प्रस्तुत करने वाला नवीन यमुना सेतु उत्कृष्ट वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है. नैनी
क्षेत्र को प्रयागराज से जोड़ने वाला यह पुल भारत का प्रथम छः लेन वाला पुल होने
के साथ ही देश के सबसे लम्बे पुलों में से एक है.
तकनीकी विशेषताओं के साथ ही नैनी ब्रिज की संरचना व डिजाइन
अद्वितीय होने के साथ ही काफी आकर्षक भी है. शाम के समय इस पुल का नज़ारा दर्शनीय
होता है.
भारद्वाज आश्रम –
प्रयागराज में स्थित इस मंदिर में भारद्वाजेश्वर महादेव,
देवी काली व ऋषि भारद्वाज का मंदिर स्थित है. इस आश्रम को लेकर कहा जाता है कि
भगवान राम चित्रकूट जाने से पहले यहां आए थे, जिसका वर्णन गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ में भी किया है. यहां भी श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
नागरिक सुविधाएं –
सूबे की न्यायिक राजधानी के रूप में जाना जाने वाले
प्रयागराज में प्रदेश का उच्च न्यायालय स्थित है. जिसकी एक शाखा लखनऊ में भी है.
प्रयागराज उच्च न्यायलय देश के सबसे पुराने न्यायालयों में से एक है. इसके साथ ही
शिक्षा के मामले में यह जिला काफी समृद्ध है व सूबे में अहम भूमिका निभा रहा है. जिले
के प्रमुख विश्वविद्यालय व शिक्षा संस्थान इस प्रकार हैं -
1. इलाहाबाद केन्द्रीय
विश्वविद्यालय -
इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय को पूर्व के
आक्सफोर्ड के रूप में जाना जाता है. यह देश के चौथा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय
है, जो कि छात्र राजनीति में भी प्रमुख भूमिका निभाता है.
2.
इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय
3.
मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
4.
भारतीय सूचना- प्रौद्योगिकी संस्थान
5. गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्था
वहीं जिले में कई सरकारी व प्राईवेट स्वास्थ्य केन्द्र व अस्पताल भी हैं. हालांकि सरकारी अस्पताओं की स्थिति में काफी सुधार की आवश्यकता है. इसके साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोंण से जिले में कुल 39 पुलिस स्टेशन हैय यह संख्या प्रदेश के कई जिलों की तुलना में काफी अधिक है.
https://www.patrika.com/allahabad-news/there-seems-shiva-kachri-in-allahabad-7214/
http://theallahabadmuseum.com/hindi/
http://allahabad.gov.in/en/destination