स्वराज अभियान एक सामाजिक राजनीतिक संगठन है. मुख्य तौर पर इस संगठन का जन्म कभी आम आदमी पार्टी से जुड़े रहे और इसके संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रोफेसर आनंद कुमार आदि के द्वारा आम आदमी पार्टी छोड़े जाने के बाद वर्ष 2015 के अप्रैल माह में हुआ था. वस्तुतः जिन मुद्दों और जिन विचारों को लेकर आम आदमी पार्टी बनाई गई थी उसमें आए बदलाव के कारण प्रशांत भूषण ने आम आदमी पार्टी के कार्य प्रणाली पर प्रश्न खड़े करने शुरू किए. उन्होंने वर्ष 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए प्रश्न खड़ा किया कि जो भी चयन प्रक्रिया अपनाई गई है वह सिद्धांतों के अनुसार नहीं है. इसके साथ ही साथ प्रशांत भूषण ने और भी कई सारे आरोप लगाए जिसके जवाब में अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों द्वारा आरोप का जवाब आरोपों में दिया गया. बात इतनी बढ़ गई कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति से हटा दिया गया और बाद में उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया गया . जिसका नतीजा यह हुआ कि आगे चलकर इन लोगों ने स्वराज अभियान नामक सामाजिक राजनीतिक संगठन बनाया.
स्वराज अभियान का मानना है कि यह अभियान स्वराज के यानी अपने राज के आदर्श को स्थापित करेगा इसका मतलब है हर तरह के प्रभुत्व से मुक्ति, जीवन के सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने और पाने की आजादी विशेष रूप से स्वराज का तात्पर्य है:
1.सत्ता के विकेंद्रीकरण के साथ जनता की संपूर्ण भागीदारी वाला प्रजातंत्र.
2. सब की भलाई और कल्याण के लिए, सत्ता तक आम जनता की, न्यायसंगत रूप से समतापूर्ण और कायम बनी रहने वाली पहुंच.
3. बिना किसी हिंसा और भेदभाव के, सभी जाति और धर्मों के लोगों का प्रेम एवम् सद्भावपूर्वक साथ रहना.
4. हमारी परंपराओं में ज्ञान और संस्कार की उस नींव का होना, जिससे हम आज के और आगे आने वाले नवीन युग को सहजता से अपना सके.
5. देश, कुल, जाति, लिंग, वर्ण-वर्ग और मजहब व मानव तथा प्रकृति की भी - समानता और भाईचारे पर आधारित वैश्विक व्यवस्था.
स्वराज अभियान का मानना है कि उसकी गतिविधियां उसके खुद के स्वराज सिद्धांतों के अनुरूप ही संचालित होगी. स्वराज अभियान निम्नलिखित मूल्यों का अनुसरण करने का प्रण लेता है:
- कार्यों व गतिविधियों में पारदर्शिता.
- सहभागी प्रजातंत्र जहां हर व्यक्ति की आवाज को सम्मान दिया जाएगा.
- प्रजातांत्रिक निर्णय प्रणाली जहां 'असहमति' के स्वर को भी सम्मान पूर्वक सुना जाएगा.
- किसी भी तरह की व्यक्ति उपासना से ऊपर उठकर एक सामूहिक नेतृत्व.
- सत्ता का विकेंद्रीकरण, जिससे कि उच्च स्तरीय संगठन सिर्फ उन निर्णयों को ले, जो ज़मीनी स्तर पर नहीं लिए जा सकते हों.
- सामाजिक विविधता, विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य अविकसित जाति आदि पिछड़े वर्ग, जो राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित रहे हैं, उन्हें अपेक्षित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा.
- जन जीवन में सच्चाई, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी (अखंडता) के उच्चतम स्तर को कायम रखना.
- सबके लिए स्वाधीनता और न्याय.
- अभियान द्वारा किसी भी सूरत में हिंसा को ना तो भड़काया जायेगा और ना ही उस में भागीदार होगी.
स्वराज अभियान आखिर क्या है?
स्वराज अभियान के मुताबिक स्वराज अभियान शुभ को सच में बदलने की एक कोशिश है. यह एक सुंदर देश और दुनिया के सपने को हमारी और आने वाली पीढ़ियों के लिए साकार करने का एक आंदोलन है. यह एक सिलसिला है जो बाहर की दुनिया को बदलने के साथ साथ खुद अपने भीतर के बदलाव के लिए भी तैयार है. स्वराज अभियान राजनीति को युगधर्म मानकर स्वराज की ओर चला एक काफिला है.
स्वराज अभियान अपने मार्ग के बारे में बताता है कि जिस सपने और जिस मार्ग पर वह चले हैं उस पर बढ़ने के लिए राजनीति के मार्ग पर चलना जरूरी है. अभियान के लिए राजनीति कैरियर या धंधा नहीं बल्कि युगधर्म है. उनके लिए राजनीति का मतलब सिर्फ चुनाव लड़ना और सरकार बनाना नहीं है. उनके लिए वैकल्पिक राजनीति में जनांदोलन और संघर्ष जरूरी होगा, सृजन और निर्माण की जगह होगी, विचार और नीतियां गढ़ने का काम होगा तथा दुनियावी बदलाव के साथ उनके अंतर्मन की सफाई और चरित्र निर्माण की भी अहमियत होगी. अभियान का मानना है कि चुनाव और सत्ता पलट की राजनीति इन सब आयामों के साथ जुड़कर ही सार्थक हो सकती है, नहीं तो वह फिसलकर बेलगाम सत्तालोलुपता का शिकार हो जाती है. इसीलिए वैकल्पिक राजनीति की जमीन को तलाशना और तैयार करना अभियान का पहला काम है.
इस संगठन को बने महज दो वर्ष ही हुए हैं. मगर इसका उद्देश्य काफी बड़ा है. स्वराज अभियान की कथनी और करनी में समानता भी दिखती है स्वराज अभियान के पहले अध्यक्ष या संयोजक रहे प्रोफेसर आनंद कुमार ने 65 वर्ष होने पर किसी भी पद पर बने रहने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि उनका मानना है कि 65 वर्ष पूर्ण हो जाने पर पद पर नहीं बने रहना चाहिए समाज के लिए निरंतर कार्य करता रहना चाहिए मगर दूसरों को भी उतना ही मौका दिया जाना आवश्यक है जितना कि किसी और को मिल रहा है. फिलहाल अभी स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत भूषण है.
स्वराज अभियान वाकई में एक बहुत बड़े अभियान को लेकर मैदान में उतरी है अगर उनका सपना पूर्ण हुआ तो भारत ही नहीं विश्व भर के लिए यह एक मानक स्थापित करेगी.