तरुण भारत संघ स्थायी विकास उपायों के माध्यम से देश के असहाय लोगों के जीवन में गरिमा और समृद्धि लाने की कोशिश करता है. इसका उद्देश्य बिना किसी आर्थिक स्थिति, जाति और धर्म की परवाह किए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए काम करना है. साथ ही तरुण भारत संघ प्राकृतिक संसाधनों के समुदाय संचालित विकेंद्रित प्रबंधन को बढ़ावा देता है.
तरुण भारत संघ ने अपने लिए कुछ उद्देश्य बना रखे हैं. यह संगठन समाज के सशक्तिकरण के लिए काम कर रहा है. यह ग्राम स्वराज, गांव स्वशासन के गांधीवादी दृष्टिकोण पर विश्वास करते हैं. तरुण भारत की कार्यप्रणाली समुदाय के विकास के लिए कार्य करना है जहां समाज को आत्मनिर्भर बनाया जा सके. और ऐसा तब हो सकता है जब विकास कार्य के हर चरण में समाज की भागीदारी भी उतनी ही ज्यादा हो सके. इसके साथ-साथ या संगठन:
- मानव और प्राकृतिक संसाधन विकास के बीच संतुलन की व्यवस्था बनाने के लिए काम करता है.
- निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना भी इसके उद्देश्यों में से एक है.
- तो वहीं समुदाय में शिक्षा के स्तर में सुधार भी इस संगठन का धेय्य है.
- स्वस्थ समाज के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की वकालत भी यह संगठन करता है.
तरुण भारत संघ की स्थापना 30 मई 1975 को हुई थी. यह राजस्थान के अर्ध शुष्क इलाके में काम कर रहा गैर सरकारी संगठन है. जिसने धीरे-धीरे देशभर में प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर जल से जुड़ी हुई प्राकृतिक संरचनाओं के लिए निरंतर काम किया है. शायद इसीलिए इसके अध्यक्ष राजेंद्र सिंह को लोग जल पुरुष के नाम से भी जानते हैं. यह संस्थान ग्रामीण समुदाय में मौजूद प्रकृति के साथ एकता की भावना को पुनर्जीवित करने और एकीकृत परिस्थितिकी तंत्र के विकास और आस्था बनाने के लिए क्षेत्र की मौजूदा सांस्कृतिक परंपराओं के निर्माण के लिए प्रयासरत है. यह संगठन प्राकृतिक संसाधन विकास के लिए अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करने और समाधान खोजने के लिए समुदाय की सहायता करने में एक सुगम भूमिका अदा करता है.
तरुण भारत संघ संरक्षण, प्रबंधन, प्रदूषण, शोषण और जल संसाधनों के अतिक्रमण के मुद्दों पर हमेशा से कार्य करता रहा है और साथ ही लोगों को इस मार्ग पर काम करने के लिए प्रेरित किया है. जल, कटाई और वितरण से संबंधित नीतियों को प्रभावित करने के लिए वैश्विक, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर यह एक सक्रिय भूमिका निभाता है. देशभर में स्थानीय समुदायों, व्यक्तियों, सिविल सोसायटी, सरकारी संगठनों आदि को व्यवस्थित करने और उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के लिए काम करने को हमेशा प्रेरित करता रहा है. पारंपरिक और स्वदेशी कौशल, ज्ञान, सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन के लिए उपयुक्त संस्थागत तंत्र बनाने में तरुण भारत संघ की उपलब्धियों को देशभर में एक पहचान प्राप्त हो चुकी है.
इनकी यही पहचान शायद इन्हें प्राप्त पुरस्कार बोलते हैं. तरुण भारत संघ ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं जो समुदायों में उसके बेहतर कार्य की गवाह है :
1998 में राजेंद्र सिंह को द वीक पत्रिका ने मैन ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया.
वर्ष 2005 में राजेंद्र सिंह ने ग्राम विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में योगदान देने के लिए भारत के सबसे प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार प्राप्त किया.
वर्ष 2011 में राजेंद्र सिंह को सामुदायिक नेतृत्व के लिए एशिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार रैमन मैग्सेसे से नवाजा गया. इसे एशिया में नोबेल पुरस्कार के रूप में देखा जाता है.
यह पुरस्कार तरुण भारत संघ के कार्यों की अंश भर व्याख्या मात्र है.
आज 40 वर्ष से भी अधिक समय से तरुण भारत संघ जल, जंगल और जमीन की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहा है. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में अग्नि पीड़ितों की सहायता के लिए इस संस्था का गठन किया गया था जो आज वर्षों से राजस्थान के सूखे और विराने गांव की हरियाली वापस लाने के लिए संघर्षरत है. तरुण भारत संघ के इस संघर्ष का प्रतिफल यह है कि राजस्थान के हजारों गांव जो बिना पानी के उजड़ चुके थे आज वह फिर से बस चुके हैं. इसने अपने प्रयास से कई नदियों को पुनर्जीवित किया है शायद इसीलिए इसका दूसरा नाम नदियों को पुनर्जीवित करने वाला संगठन भी कहा जाता है. यही नहीं देशभर में इसने दस हजार से ज्यादा जोहर-तालाब बनवाए हैं. जल संरक्षण व जल के अनुशासित उपयोग को लेकर कार्य कर रहे हैं इस संगठन ने भारत को दुष्काल मुक्त करने का प्रण लिया है और इसके लिए वह कार्य कर रहे हैं. जिसमें उनका लक्ष्य भारत के एक लाख गांव तक जाना है और लोगों को जल साक्षर बनाना है.
तरुण भारत संघ के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र कहा करते थे कि जल प्रबंधन के लिए चाहिए कुशल राजनीति और इच्छाशक्ति. उम्मीद है की तरुण भारत संघ दुष्काल मुक्त भारत बनाने प्रण में सफल हो पाएगा.