Ad
Search by Term. Or Use the code. Met a coordinator today? Confirm the Identity by badge# number here, look for BallotboxIndia Verified Badge tag on profile.
 Search
 Code
Searching...loading

Search Results, page of (About Results)

चाहिए बेहतर कल तो आज सहेजें जल - "रजत की बूंदें" नेशनल अवार्ड ऑनलाइन वेबिनार में जल विशेषज्ञों ने रखी राय

पानी की कहानी – है बूंद बूंद में जीवन..फिर भी कद्र ना जानी

पानी की कहानी – है बूंद बूंद में जीवन..फिर भी कद्र ना जानी Opinions & Updates

ByRaman Kant Raman Kant   Contributors Rakesh Prasad Rakesh Prasad 56

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ फ्लोरोसिस और कैंसर से जूझ रहे हैं तो वहीं शहर पानी से कहीं दूर आर. ओ. और बोतल बंद पानी के सहारे जी रहे हैं. छोटी नदियाँ खत्म हो रही हैं, पुराने कैचमेंट और बहाव क्षेत्र कहीं प्रदूषण, तो कहीं कचरे के ढेर तो कहीं शहरीकरण के दबाव में खो से गए हैं. भूजल भी लगातर नीचे जा रहा है. 

लेकिन ऐसी विषम परिस्थितियों में भी हमारे कुछ जल योद्धा हैं, जो नदियों, ताल-तालाबों, कुओं के संरक्षण और जल संचयन के नए पुराने तौर तरीकों से आज भी मानवीय सभ्यता को बचाने में जुटें हुए हैं. ऐसे ही पर्यावरण प्रेमी जल प्रहरियों को सम्मान देने और उनका प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए नीर फाउंडेशन के द्वारा "रजत की बूंदें" राष्ट्रीय पुरस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. 

नीर फाउंडेशन और इसके निदेशक रमन कांत त्यागी, जो स्वयं भी विगत दो दशकों से भारतीय नदियों को नवजीवन देने और पारंपरिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, के तत्वावधान में आयोजित होने वाला "रजत की बूंदें" अवार्ड शो एक प्रयास है समाज में विविध रूप से जल के लिए अलख जगा रहे वाटर हीरोज को सामने लाने का. 

26 जुलाई, 2020 को नीर फाउंडेशन के तत्वावधान और बैलटबॉक्सइंडिया के संचालन में जल संरक्षण विषय को लेकर नेशनल ऑनलाइन सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से शामिल हुए जल विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, सरकारी अधिकारियों, धर्म गुरु इत्यादि ने अपने अपने बहुमूल्य सुझाव साझा किए. इस दौरान सात विभिन्न श्रेणियों में "रजत की बूंदें" पुरस्कार भी जल योद्धाओं को प्रदान किया गया. जिनका संक्षिप्त वर्णन आगे दिया हुआ है..

1. रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (जल संरक्षण) : श्री हीरालाल (आई0 ए0 एस0), उत्तर प्रदेश

2. रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (पत्रकारिता) : श्री अतुल पटेरिया (दैनिक जागरण, जल व पर्यावरण मामले), नई दिल्ली

3. रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (साहित्य) : सुश्री नीलम दीक्षित, महाराष्ट्र

4. रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (नदी संरक्षण) : संत बलबीर सिंह सींचेवाल (निर्मल कुटिया) पंजाब

5. रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (कुआं संरक्षण) : श्री शिव पूजन अवस्थी (ऋषिकुल आश्रम), मध्य प्रदेश

6. रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (तालाब संरक्षण) : श्री विनोद कुमार मेलाना (अपना संस्थान), राजस्थान

7. रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (आदर्श जल गांव) : श्री उमा शंकर पाण्डेय (जलग्राम जखनी), उत्तर प्रदेश           

हालांकि रजत की बूंदें राष्ट्रीय जल सम्मेलन का आयोजन पहले 22 मार्च, 2020 को नयी दिल्ली में करना तय किया गया था, किंतु कोरोना और लॉकडाउन के चलते इसे स्थगित करना पड़ा और इसी के कारण ऑनलाइन इस अवार्ड कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में नीर फाउंडेशन निदेशक रमनकांत त्यागी, बैलटबॉक्सइंडिया से राकेश प्रसाद और सभी पुरस्कार प्राप्त विजेताओं के साथ साथ मुख्य अतिथि के रूप में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से आदरणीय स्वामी चिदानंद, हेस्को संस्थापक पदम् भुषम डॉ अनिल जोशी, आरएसएस के पर्यावरण एक्टिविटी सह प्रभारी राकेश जैन, नीतिश्वर कुमार, संयुक्त सविच, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, टैक्सएब संस्थापक मनु गौड़ और आरएसएस पर्यावरण एक्टिविटी के प्रान्त समन्वयक रामावतार जी सम्मिलित रहे. इस सभी ने जल संरक्षण की दिशा में अपने ज्ञानपूर्ण विचार सम्मेलन में साझा किये.

1. श्री हीरालाल - एक ऐसे आईएएस अधिकारी, जिन्होंने लोगों के दिलों-दिमाग में तालाब और कुएं खोदे 

उत्तर प्रदेश का बांदा जिला, जिसे अनियमित वर्षा पैटर्न और सूखे के कारण जाना जाता था, वहां श्री हीरालाल के मात्र डेढ़ वर्षीय कार्यकाल ने हालात ही बदलकर रख दिए. डीएम के रूप में उन्होंने "कुआं-तालाब जियाओं" और "पेड़ जियाओं" जैसे अभियानों से आम लोगों को जोड़कर एक मिसाल कायम की, जिसकी सराहना स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कर चुके हैं. "रजत की बूंदें" पुरस्कार के विजेता श्री हीरालाल का कहना है कि, 

Ad

"मुझे लगा कि धरती पर कुएं और तालाब खोदने से ज्यादा जरुरी लोगों के दिलों दिमाग में कुएं खोदने होंगे और यही प्रयास मैंने बांदा में किया. लोगों के पानी के साथ जोड़ने में भले ही एक वर्ष लगा हो लेकिन वर्षा जल संरक्षण का एक बेहतरीन मॉडल लोगों को उन्हीं के  प्रयासों से मिला, जो बेहद जरुरी था."

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

2. अतुल पटेरिया - जल पत्रकारिता के जरिये समाज को किया जागरूक 

जल संरक्षण के लिए कार्य करने वाले देशभर के लोगों, संस्थाओं, पर्यावरण प्रेमियों को मीडिया के जरिये जन जन तक पहुँचाने का जिम्मा उठाने वाले "रज़त की बूंदें" पुरस्कार" के विजेता अतुल पटेरिया को यह पुरस्कार उनकी बेहतरीन जल पत्रकारिता के लिए दिया गया. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

3. नीलम दीक्षित - जल साहित्य के माध्यम से जगाई अलख 

"जीवन की उत्पत्ति जल से ही हुयी है, सनातन धर्म में मत्स्य अवतार इसका साक्षात् उदाहरण हैं. पानी चाहे वह नदियों, तालाबों, भूजल, पेयजल, वर्षा आदि किसी भी रूप में क्यों न हो, उसके लिए मनुष्य में संवेदनशीलता होनी आवश्यक है, पानी से एक आत्मीय जुडाव जरुरी है. यदि आप जल संरक्षण के लिए कोई बहुत बड़ा काम नहीं कर सकते हों तो आप जल साहित्य रचकर भी समाज में एक बड़ा योगदान दे सकते हैं."

जल के महत्त्व को साहित्य में उतारने वाली महाराष्ट्र की रचनाकार नीलम दीक्षित को उनके अनूठे जल साहित्य के लिए "रज़त की बूंदें" पुरस्कार से नवाजा गया.

Ad

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

4. संत बलबीर सिंह "सींचेवाल" - एक ऐसा संत, जिसने दम तोडती काली बेई नदी की तस्वीर बदल डाली 

पदम्श्री सम्मान से विभूषित किये जा चुके पंजाब के संत बलबीर सिंह ने अथाह प्रदूषण से जूझ रही काली बेई नदी को न केवल पुनर्जीवन दिया बल्कि जल संरक्षण की अपनी धुन के चलते समस्त भारत को "सींचेवाल मॉडल" के रूप में एक ऐसा उपहार दिया है, जिससे भारत की मर रही नदियों की काया पलट की जा सकती है. नदी संरक्षण के लिए "रजत की बूंदें" राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले संत सींचेवाल नदियों के संरक्षण के लिए वह सामुदायिक प्रयास को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानते हैं. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

5. शिव पूजन अवस्थी - पारंपरिक जल स्त्रोतों को दिया पुनर्जीवन 

कुआं संरक्षण की श्रेणी में "रजत की बूंदें" राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले मध्य प्रदेश के शिव पूजन अवस्थी ऋषिकुल आश्रम के जरिये जल के प्राचीनतम स्त्रोतों में से एक कुओं को पुनर्जीवन देने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. 

6. विनोद कुमार मेलाना - सूखाग्रस्त भीलवाड़ा को बनाया हरा भरा 

राजस्थान के बेहद सूखाग्रस्त जिलों में से एक भीलवाड़ा को वर्षा जल संचयन के जरिये भूजल संपन्न बनाने में अहम योगदान देने वाले विनोद कुमार मेलाना ने अपना संस्थान के अंतर्गत भूमिजल को 5-10 फीट तक ले आये, जो वर्ष 2002 में 140 फीट नीचे था. साथ ही पानी में टीडीएस का लेवल  भी उन्होंने काफी कम कर दिया. आज भीलवाडा में जल संचयन के लगभग 1 हजार केंद्र हैं, जिनमें घर, स्कुल, चिकित्सालय, संस्थाएं, मंदिर. आश्रम इत्यादि सम्मिलित हैं. 

Ad

तालाब संरक्षण की श्रेणी में "रजत की बूंदें" पुरस्कार प्राप्त करने वाले विनोद कुमार मेलाना भीलवाडा में अबतक 10 लाख वृक्ष और 80 हजार पक्षीघर लगा चुके हैं तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अमूल्य योगदान दे रहे हैं. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

7. उमा शंकर पांडेय - सामूहिक प्रयासों से जखनी को बनाया आदर्श जलग्राम 

बुंदेलखंड के बांदा जिले का जखनी ग्राम, जो कभी भयंकर रूप से सूखाग्रस्त था, आज यहां वाटर लेबल 20 फीट से भी कम पर आ गया है. लबालब तालाब और कुएं आज जलग्राम जखनी की पहचान हैं और जखनी को आधिकारिक रूप से यह मान्यता दिलाई है उमा शंकर पांडेय के प्रयासों ने. 

आदर्श जल  गांव की श्रेणी में "रजत की बूंदें" पुरस्कार प्राप्त करने वाले उमा शंकर पांडेय ने खेत की मेड़ बंदी का जो परंपरागत भूजल संरक्षण मॉडल जखनी को दिया, उसके चलते जखनी आज न केवल देश के कृषि वैज्ञानिकों और जल प्रेमियों के लिए बल्कि विदेशियों के लिए भी रिसर्च का केंद्र बन चुका है. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

वर्चुअल सम्मेलन में शामिल विशेषज्ञों में दिए जल संरक्षण के अनमोल सुझाव 

सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल श्रद्धेय स्वामी चिदानंद ने बताया कि जल पृथ्वी का प्राण तत्व है, जिसके बिना जीवन की उम्मीद नहीं की जा सकती. उन्होंने सभी पुरस्कार विजेताओं की सराहना करते हुए बताया कि हमें "ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर", "यूज़ एंड थ्रो कल्चर से यूज़ एंड ग्रो कल्चर" की ओर चलना है. उन्होंने ग्रीन क्रेमटोरियम का उदाहरण देते हुए कहा कि आज परम्पराओं और पर्यावरण को साथ लेकर चलना होगा. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

टैक्सएब से मनु गौड़ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मानव सभ्यताएं नदी किनारे ही पोषित हुयी हैं, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ हम तटों से दूर होते होते पहले तालाब, फिर कुओं, फिर हैंडपंप, फिर ट्यूबवेल या बोरिंग, फिर टेप वाटर और आज बोतल के पानी पर आ पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि हालांकि भारत दुनिया के 10 सबसे बड़े जल संपन्न देशों में शामिल है, किंतु बढ़ते शहरीकरण और जनसंख्या के दबाव ने आज हमारे जल संसाधनों को बुरी तरह प्रभावित किया है. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

"एक हवा बनाये पानी की, नस्लों की हरी जवानी की, ये आसमान भी झुकता है, जब कसम उठाये पानी की, जल यार तेरे संग रहना है, ये भूख-प्यास का कहना है..!!"

पानी का महत्त्व दर्शाती कविता की पंक्तियों के साथ भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव नीतिश्वर कुमार ने जल संरक्षण के प्रयासों में जन सहभागिता की भूमिका को सबसे जरुरी बताया. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

वहीं पदमभूषण डॉ अनिल जोशी ने प्रकृति और पर्यावरण की ओर वापस लौटने को आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया. साथ ही उन्होंने जल और थल के मिलन से ही सृष्टि पर जीवन की उत्पत्ति के वैज्ञानिक पहलुओं को भी सामने रखा. 

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

वर्चुअल सम्मेलन के अंत में नीर फाउंडेशन से समन्वयक और ईस्ट काली रिवर वाटर कीपर सोनल भूषण ने सभी पुरस्कार प्राप्त जल प्रहरियों को नीर फाउंडेशन की ओर से शुभकामनाएं दी और उनके अनूठे प्रयासों व योगदान के लिए आभार व्यक्त किया. साथ ही कार्यक्रम में अपने बहुमूल्य विचार एवं अनुभव साझा करने के लिए सभी अतिथियों को भी साधुवाद ज्ञापित किया.   

देश में पानी की व्यवस्था संकटग्रस्त है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ

Leave a comment for the team.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें

इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.

ये कैसे कार्य करता है ?

start a research
जुड़ें और फॉलो करें

ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

start a research
संगठित हों

हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

start a research
समाधान पायें

कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।

आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?

क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे फॉलो का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें

हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।

क्या आपके पास कुछ समय सामजिक कार्य के लिए होता है ?

इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।

क्या आप किसी को जानते हैं, जो इस विषय पर कार्यरत हैं ?
ईमेल से आमंत्रित करें
The researches on ballotboxindia are available under restrictive Creative commons. If you have any comments or want to cite the work please drop a note to letters at ballotboxindia dot com.

Code# 53702

ज़ारी शोध जिनमे आप एक भूमिका निभा सकते है.

Follow