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संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन और हिंसक संघर्षों पर जताई चिंता

@COP21 - India Sets a cost of 2.5 Trillion Dollars just to maintain our carbon emission rates by 2030- Is it realistic with our inefficiencies.

@COP21 - India Sets a cost of 2.5 Trillion Dollars just to maintain our carbon emission rates by 2030- Is it realistic with our inefficiencies. Opinions & Updates

ByDeepika Chaudhary Deepika Chaudhary   50

"पागलपन की एक हवा समस्त विश्व को अपने साथ बहा ले जा रही है, वर्तमान में दुनिया में जिस तरह की अस्थिर

"पागलपन की एक हवा समस्त विश्व को अपने साथ बहा ले जा रही है, वर्तमान में दुनिया में जिस तरह की अस्थिर परिस्थितियां हैं, वह पल में हिंसक और अप्रत्याशित संघर्ष में बदल जाती हैं. यदि समय रहते इन सभी पर ध्यान नहीं दिया गया तो हालात ओर अधिक बदतर हो सकते हैं."

यह हालिया बयान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की ओर से आया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में भाषण दे रहे थे. अपने दिए हुए वक्तव्यों में उन्होंने बहुत से अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, क्लाइमेट चेंज, विश्व की बदलती आर्थिक तस्वीर, मध्य पूर्व के देशों में बढ़ रहे संघर्ष के वातावरण आदि की ताजातरीन तस्वीर लोगों के सामने रखी. 

उन्होंने यमन, लीबिया में प्रतिद्वंदी समूहों के मध्य भड़क रही हिंसा के साथ साथ लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन का भी जिक्र किया. ऑस्ट्रेलिया में भयंकर तबाही लाने वाले ऐतिहासिक दावानल से लेकर दुनिया भर के महासागरों के बढ़ते तापमान का हवाला देते हुए कहा कि आज सारी दुनिया बिगड़ते जलवायु संतुलन के प्रभावों से जूझ रही है. 

गुटेरेस ने अपने संबोधन में नववर्ष 2020 की अपनी प्राथमिकताओं में शांतिपूर्ण समाज के निर्माण के लिए प्रयास करने और दुनिया में दुःख और संघर्ष के  दुष्चक्रों को तोड़ने की बात की. इसके साथ साथ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की 75वीं वर्षगांठ पर इससे जुड़े सभी सदस्यों को दुनिया के हर कोने में पृथ्वीवासियों के बेहतर भविष्य के लिए हो रही चर्चाओं को सुनना होगा. 

"इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोगों के पास कहने के लिए बहुत कुछ है," गुटेरेस ने कहा, "दुनिया भर में सड़कों पर फैली बेचैनी इस बात का सबूत है कि लोग अपने मुद्दें सामने लाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि दुनिया के नेता प्रभावी कार्रवाई के साथ उनकी चिंताओं का जवाब दें."

वैश्विक तौर पर उभरने वाली अस्थिरता, देशों के बीच तनाव, बिगडती अर्थव्यवस्था और जलवायु पर मंडराने वाले संकट इन सभी पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने विस्तार से अपनी बात रखी, चिंता जाहिर की और साथ ही भविष्य में एक स्थिर वातावरण बनाने के लिए सभी से सहयोग की भी आशा की. एक नजर डालते हैं उनके भाषण पर, 

"बीते वर्ष के समाप्त होने के साथ साथ भी तनाव काफी अधिक था, लेकिन हम चीजों को व्यवस्थित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे थे. हम संघर्षों की तीव्रता को कम करने और प्रगति के कुछ भावी संकेत देख पा रहे थे."

"बस इतना ही बदला है."

"हाल ही में मैंने आशावादी हवा की बात की थी, लेकिन आज की दुनिया में पागलपन की हवा बह रही है."

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"लीबिया से लेकर यमन और सीरिया तक और उससे कहीं आगे, संघर्ष के बदल गहराते जा रहे हैं. हथियारों के साथ साथ अपराध भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं."

"भले ही परिस्थितियां हर जगह अलग अलग हैं लेकिन अस्थिरता की भावना हर ओर बढ़ी है, जिसने सभी कुछ अप्रत्याशित और अनियंत्रित कर दिया है."

"इस बीच सुरक्षा परिषद् के प्रस्तावों पर अमल तो दूर की बात है, उन्हें ठीक से समझा भी नहीं जाता और दरकिनार कर दिया जाता है."

"जैसा कि हम देख पा रहे हैं कि एक समस्या ही दूसरी समस्या को जन्म दे रही है. अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं और गरीबी वैसे ही बनी हुयी है. जैसे ही अस्थिरता बढती है, निवेश खत्म हो जाता है और विकास का स्तर नीचे गिर जाता है."

"जब सशस्त्र संघर्ष जारी रहता है तो समाज भी खतरनाक रूप से विघटित होने लगता है."

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"और जैसे जैसे शासन-प्रशासन कमजोर पड़ता है, वैसे ही आतंकवाद मजबूत हो जाता है."

वैश्विक जलवायु पर गुटेरेस के विचार -

दुनिया में लगातार बिगड़ रही जलवायु परिस्थितियों पर भी गुटेरेस ने अपने भाषण का एक बड़ा हिस्सा समर्पित करते हुए उल्लेखित किया कि, 

"दुनिया में समुद्र का तापमान और जलस्तर दोनों ही लगातार बढ़ने के नए रिकॉर्ड छु रहे हैं."

"वैज्ञानिकों ने चेताया है कि समुद्र का तापमान लगातार पांच हिरोशिमा बमों के समान प्रतिक्षण बढ़ रहा है."

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"पर्माफ्रॉस्ट का सिकुड़ना और टुंड्रा का विगलन दो ऐसे बड़े कारण हैं, जो वातावरण में बहुत बड़ी मात्रा में मीथेन (खतरनाक ग्रीनहाउस गैस) भेजेंगे."

"हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में जो दावानल फैली, उससे मात्र कुछ दिनों में ही जो कार्बन उत्सर्जन हुआ, वह वर्ष 2018 में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले छह महीने के कार्बन उत्सर्जन जितना है."    

"दुनिया भर की जलवायु एक दुसरे से जुडी हुयी है, यानि जो ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है, वह वहीं तक सीमित नहीं रहता और बाकि जलवायु से जुडी घटनाओं के बारे में भी यही कहा जा सकता है."

परिस्थितियों की गंभीरता के साथ साथ जताई आशा की किरण -

इस बेहद गंभीर सारांश के बाद गुटेरेस ने एक अच्छे भविष्य की उम्मीद भी जताई और कहा कि, 

"कुछ अच्छी खबरें भी हैं, अब अधिक से अधिक लोग जलवायु परिवर्तन से होने वाले जोखिमों से अवगत हैं और यह देखते हुए सरकारें और निजी क्षेत्र अपनी नीतियों को बदल रहे हैं और पर्यावरण की रक्षा के लिए पैसा लगा रहे हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है."

इसके अतिरिक्त गुटेरेस ने यू.एन. के सदस्य राष्ट्रों से "गरीबी और असमानता के दुष्चक्र को तोड़ने और निष्पक्ष वैश्वीकरण को आकार देने में किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने का आह्वान किया और कहा कि आने वाले दशकों में जलवायु परिवर्तन का विषय एक प्राथमिकता माना जायेगा और विश्व के तमाम मुद्दों को यह प्रभावित करेगा. उन्होंने घोषणा की कि आने वाले दस साल "एक निष्पक्ष वैश्वीकरण को प्राप्त करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, जिसके लिए हम सभी को कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना होगा.  

गुटेरेस की इस विश्वव्यापी चिंता के मायने काफी अधिक है, आधुनिक विश्व की समस्याएं भी बेहद गहरी और अलग हैं..जिन पर सिरे से विचार करना जरुरी है. वातावरण में पल पल आते बदलाव हमें चेताते हैं कि अभी भी वक्त है, संभलना होगा..विपदा केदारनाथ की हो या ऑस्ट्रेलिया का अग्नि तांडव आज समस्या हर ओर है. प्रकृति के साथ मानवीय खिलवाड़ कहीं से भी उचित नहीं है, पर फिर भी किया जा रहा है. सोचना होगा कि भावी पीढ़ी के लिए क्या छोड़ जायेंगे हम? शुद्ध हवा और पानी पर सभी का अधिकार है और उसे संरक्षित करना आज हर व्यक्ति का सबसे बड़ा दायित्त्व है. पर्यावरण के लिए मनन करने वालों को राजनीति का हिस्सा बनाएं, अपने जन प्रतिनिधियों को जल-जंगल-पानी के लिए नियमावली बनाने को कहें और उन नियमों को कानून का रूप देने का भरसक प्रयत्न करें. सोचिये जब कड़े ट्रैफिक नियमों के आने से लोगों के लापरवाह रवैये में बदलाव आ सकता है तो पर्यावरण के लिए कड़े नियम बनने से कुछ तो परिवर्तन अवश्य आएगा.   

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