पटरी पर नहीं है गाजियाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था
गाजियाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था के जो हालात हैं उन्हें अगर आप समझने और देखने की कोशिश करेंगे तो आपको हैरानी ही होगी. गाजियाबाद उत्तर प्रदेश राज्य के सबसे अधिक राजस्व देने वाले जिलों में से एक है बावजूद इसके गाजियाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था की गाड़ी आगे बढ़ना तो दूर पटरी से ही उतरती दिख रही है.
निराशाजनक अवस्था में स्वास्थ्य व्यवस्था
एक तरफ तो यह उत्तर प्रदेश का हॉट सिटी है तो वहीं दिल्ली एनसीआर का एक प्रमुख अंग भी. ऐसे में जब राजधानी के आसपास के शहरों की ही स्वास्थ्य व्यवस्था लचर होगी तो सोचिए की सुदूर इलाकों में देशभर की स्वास्थ्य व्यवस्था का आंकड़ा क्या होगा. समाज के लिए बुनियादी सुविधाओं में से एक अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था का होना भी है, मगर हम इसमें अभी भी बेहद पिछड़े नजर आते हैं. आज से कुछ वर्ष पहले हम अक्सर सुना करते थे कि किसी गर्भवती महिला ने अस्पताल ले जाते हुए बीच रास्ते में ही दिया बच्चे को जन्म या फिर समय पर न पहुंच पाने के कारण किसी इंसान को गंवानी पड़ी अपनी जान. मगर सच जानिए कि आज भी स्थिति बहुत ज्यादा सुधरी नहीं है. स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से जरूर बेहतर हुई है मगर यह गुणगान करने वाली स्थिति में नहीं बल्कि कहीं ज़्यादा निराशाजनक है.
उम्मीद से बड़ी नाउम्मीदी
पिछले वर्ष आई स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ी एक खबर पर निराशा ही होती है. पिछले साल यह
खबर आई थी कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में मौजूदा वर्ष 2017 में कई तरह की नई सुविधाएं गाजियाबाद को मिलेगी जिसमें आईसीयू, बर्न वार्ड, ट्रामा सेंटर, आइसोलेशन वार्ड और ब्लड बैंक के अलावा डायलिसिस आदि की सुविधाएं देने की बात कही गई थी. इस से गाजियाबाद में रहने वाले लोगों की उम्मीद बढ़ी थी कि अब स्वास्थ्य व्यवस्था के अभाव के कारण उन्हें दिल्ली, नोएडा और मेरठ की ओर दौड़ नहीं लगाना होगा. साथ ही गरीब लोगों में भी यह आस जगी थी कि स्वास्थ्य व्यवस्था के कमी के कारण प्राइवेट और महंगे इलाज के लिए अब उन्हें कहीं भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यही नहीं स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने के लिए पीएचसी, सीएचसी पर भी सुविधाएं बढ़ाई गई है ऐसी जानकारी दी गई थी मगर अफ़सोस ये अफ़साने हकीकत नहीं बन सके. गाजियाबाद के स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत यही है कि यहां आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद लचर हालत में है.
कब स्वस्थ होगी गाजियाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था
इस वर्ष के शुरुआत में गाजियाबाद समेत 79 जिलों में उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में राज्य सरकार की ओर से
नए डॉक्टरों की बहाली की गई है. इन सभी जिलों में कुल मिलाकर 516 डॉक्टरों की बहाली हुई. तब यह बात कही गई थी कि डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों में अब मरीजों को बेहद राहत मिल सकेगी. मगर प्रश्न यह है कि क्या ऐसा हो पाया? सरकारी अस्पतालों में क्या स्वास्थ्य व्यवस्था की हालात सुधर सकी? यकीन जानिए कुछ आंकड़ों को देखकर ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा का हाल बुरा
गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सिर्फ हम ही नहीं कह रहे हैं ऐसा कहना यहां के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का भी है. टेली मेडिसिन सेवा का उद्घाटन करने आए सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा का हाल बुरा है लेकिन हम काम कर रहे हैं. उन्होंने कहां के चिकित्सा सेवा जल्द ही बेहतर होगी. हमें भी उम्मीद है कि वह बेहतर काम कर सके. इसके साथ स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है लेकिन राज्य सरकार ने 7800 डॉक्टरों की जरुरत के मुताबिक तकरीबन 3500 डॉक्टरों का इंतजाम कर लिया है. इसके साथ उनका यह भी दावा था कि अगले कुछ महीने के भीतर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर दिखेंगी मगर फिर से हमें एक बार अफसोस और खेद ही है कि ऐसा कुछ नहीं दिख रहा.
स्वास्थ्य सेवा देने के मामले में 72 जिलों की रैंकिंग में गाजियाबाद 62 नंबर पर
गाजियाबाद के बुरे स्वास्थ्य व्यवस्था की गवाही यहां एनआरएचएम भी दे रहा है. स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एनआरएचएम द्वारा जारी की गई रैंकिंग में गाजियाबाद दूसरे जनपदों से बेहद पिछड़ा साबित हुआ है. एनआरएचएम द्वारा जारी की गई
72 जिलों की रैंकिंग में गाजियाबाद जैसे शहर को 62 वां स्थान मिला है क्या यह दर्शाने को काफी नहीं कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद ऑक्सीजन सिलैंडर पर चल रही है. स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में गाजियाबाद के इतने बुरे हाल की मुख्य वजह अधिकारियों द्वारा बरती जा रही लापरवाही को बताया जा रहा है. रिपोर्ट में ऐसा कहा जा रहा है कि अस्पताल में तय समय पर न ही डॉक्टर आते हैं और ना ही जरूरत की दवा ही स्टॉक में आ पाती है. जरूरत की दवा कई महीनों से स्टॉक में रहता ही नहीं. भरसक आपने नए डॉक्टरों की बहाली की हो, स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की कोशिश की हो मगर पिछले साल 2016 में यह रैंकिंग 27 वें स्थान पर थी जबकि अभी यह 62 वें नंबर पर आ गई है. ऐसे में इसपर क्या कहा जा सकता है समय के साथ चीजें बेहतर होती हैं जबकि यहां तो इसके उलट हुआ है.
हर जगह फिसड्डी
इतना ही नहीं बात यहां यह भी निकल कर सामने आ रही है कि मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (एमसीटीएस) के जरिए जच्चा-बच्चा को ट्रैक करना होता है जिसके तहत जांच व टीके लगवाए जाते हैं. इस पूरे काम का दायित्व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी का होता है. मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम के तहत जिले में सिर्फ 62.7 फिसदी बच्चे ही रजिस्टर्ड है और उनमें भी सिर्फ 36.3 फीसदी बच्चों का ही टीकाकरण हो पाया है.
गाजियाबाद स्वास्थ्य व्यवस्था की नाकामी है कि प्रसव के मामले में भी गाजियाबाद पूर्णता पिछड़ा हुआ है. जिले में जननी सुरक्षा योजना के द्वारा अब तक सिर्फ 28.4 फिसदी महिलाओं की ही संस्थागत डिलीवरी हुई है. जबकि इनमें से भी सिर्फ 69.6 फ़ीसदी महिलाओं को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है. जननी सुरक्षा योजना के तहत गाजियाबाद जिले की सिर्फ 31.2 फीसदी आशा को ही उनके हिस्से का पैसा दिया गया है.
स्वास्थ्य व्यवस्था की यह नाकामी ही है कि प्रसव पूर्व जांच में भी गाजियाबाद बेहद पिछड़ा हुआ है. इसका भी आंकड़ा अगर हम आपको बताए तो 71.6 फीसदी महिलाओं का ही प्रसव पूर्व होने वाली जो तीन जांच होती है वह करवाई गई है.
गाजियाबाद नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे कार्य
गाजियाबाद में स्वास्थ्य व्यवस्था में इस तरह की कमी यहां की नाकामी को ही दर्शाता है. जबकि गाजियाबाद नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताए गए कार्य जो उनके द्वारा किए जा रहे हैं वह वाकई अगर हो पा रहे हैं तो यह वास्तव में बेहतरीन है मगर इसके अलावा नगर निगम को बुनियादी सुविधाओं की ओर भी ध्यान देने की जरूरत है.
नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे कार्य निम्न है:
1. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किया जाने वाला सबसे महत्पूर्ण कार्य नगर की साफ-सफाई सुचारु और नियमित रुप से कराने का है. इससे शहर में गंदगी का माहौल नही बन पाता है. इसका यह फायदा है कि संक्रमण रोगों के फैलने की स्थिति ना के बराबर होती है.
2. सडकों की न सिर्फ साफ सफाई करवाई जाती है बल्कि कूडों का भी निदान किया जाता है.
3. छोटे और बडे नाले की सफाई स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ही करायी जाती है.
4. निगम के स्वास्थ्य विभाग में जन्म-मृत्यु का रजिस्ट्रेशन भी कराया जाता है.
5. स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर फॉगिंग मशीनों से शहर भर में दवाईयों का भी छिडकाव कराया जाता है. इससे बीमारियों का प्रकोप कम हो जाता है.
6. हिंडन नदी पर किए जाने वाले दाह संस्कार का भी कार्य नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा रजिस्ट्ररों में रिकार्ड किये जाते हैं.
7. स्वास्थ्य विभाग ने मंदिरों से निकलने वाली बची हुई पूजन सामग्री (वेस्ट) के निस्तारण हेतु भी विशेष व्यवस्था की हुई है.
8. गाजियाबाद के नगर निगम क्षेत्रों में जितना भी कूड़ा है उसे स्वास्थ्य विभाग वाहनों के जरिये एक चिन्हित जगह पर डालता है.
9. निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को पूर्ण सहयोग किया जाता है.
सांसद वीके सिंह की पहल ने जगाई उम्मीद
गाजियाबाद की नाकाम स्वास्थ्य व्यवस्था के हालात में हो सकता है जल्द ही कुछ सुधार हो सके. गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह ने
5 हॉस्पिटल के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था जिसे हाल ही में राज्य सरकार द्वारा मंजूर कर लिया गया है. प्रस्ताव की मंजूरी के बाद गाजियाबाद जनपद में पांच हॉस्पिटल को बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. इतना ही नहीं सूचना के मुताबिक विभाग ने भिन्न-भिन्न जगहों पर इन अस्पतालों के लिए जमीन को भी चिन्हित कर लिया है. नए अस्पतालों में 30 बेड से लेकर 100 बेड तक होंगे. जल्द ही अस्पताल बनाने का भी काम शुरू किया जाएगा. यह वाकई अच्छी खबर है और लोगों की उम्मीद इससे बहुत बढ़ी है.
सभी को आना होगा आगे
गाजियाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था को स्वस्थ करने के लिए आज राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी सोचने की आवश्यकता है कि हम विकास का पैमाना आखिर क्या बनाए जब हम एक स्वास्थ्य की सुविधा तक पूर्ण ढंग से लोगों को मुहैया नहीं करवा पा रहे हैं. बेशक हमारे सामने स्वास्थ्य की ढेर सारी चुनौतियां है मगर इससे निपटने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं हम सब की भी है. आज सभ्य समाज के साथ नेताओं को इसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है. हमारे नेता और हमारे समाज के लोग मिलकर ही एक सतत स्वास्थ्य प्रणाली का विकास कर सकते हैं. इस रिसर्च में हम गाजियाबाद में होने वाले स्वास्थ्य संबंधी कार्यों का अवलोकन करेंगे. समस्याओं और उनके समाधान जो स्थानीय तौर पर लाए जा रहे हैं उन पर ध्यान देते हुए उनकी संभावनाओं की तलाश करेंगे जिससे गाजियाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरे. आज हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो स्वत: ही इस दिशा में आगे बढ़ काम करने के लिए सामने आए और समाज के लिए एक प्रेरणा का काम कर सके.