नाम : वीरेंद्र भास्कर
पद : विधायक प्रत्याशी, डेहरी (रोहतास), राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य (जन अधिकार पार्टी)
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वेबसाइट - https://bhashakar.com/
परिचय
छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े वीरेंद्र भास्कर बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले हैं और उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी बोधगया से पीएचडी की शिक्षा प्राप्त की है. राजनीति और समाज सेवा के अपने प्रयासों के अंतर्गत उन्होंने बहुत से संघर्षों का सामना किया, छात्र जीवन में कमजोर व दलित वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ते हुए जेल भी गए और राजनीतिक उठा-पटक का भी सामना किया।
इन सभी बाधाओं के बावजूद भी उन्होंने वर्ष 2019 में डेहरी विधानसभा क्षेत्र से हुए उप चुनावों में वोटर्स इंटरनेशनल पार्टी से विधायक प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए। फिलवक्त वह जन अधिकार पार्टी के साथ जुड़कर राजनीति में सक्रिय हैं और बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए इसी पार्टी के टिकट पर प्रत्याशी के रूप में उतरने के क्रम में प्रयासरत हैं।
राजनीति में पदार्पण
वीरेंद्र भास्कर का राजनीतिक जीवन बेहद उथल-पुथल और बदलावों से भरपूर रहा है। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था, वह 2003 से ही राजनीति व समाज कल्याण क्षेत्र का हिस्सा रहे हैं, 2005-06 में वह मगध यूनिवर्सिटी, बोधगया में यूनिवर्सिटी प्रेसीडेंट रहे और काँग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई की नेशनल कमेटी में भी उन्होंने काम किया। इसके बाद 2010 में जब काँग्रेस की ओर से पहली बार बोधगया में छात्रों को सक्रिय राजनीति में आने का मौका मिल और वीरेंद्र भास्कर को प्रत्याशी भी चुना गया तो वह कुछ बाधाओं के चलते चुनाव नहीं लड़ पाए।
इसके उपरांत उन्होंने महसूस किया कि काँग्रेस में रहकर उन्हें अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करना पड़ रहा है तो उन्होंने पार्टी से अलग राह पकड़ ली। दरअसल उनका मानना है कि बड़ी पार्टियां अधिकतर पूँजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनी हुई हैं और आम आदमी की आवाज इन पार्टियों में दब जाती है। इसके साथ ही उन्होंने देखा कि काँग्रेस पार्टी अधिकतर राजद के साथ गठबंधन कर सत्ता में बने रहना चाहती है, जनहित के मुद्दों से उसका कुछ भी लेना देना नहीं है, तो भी उन्होंने पार्टी से किनारा कर लिया।
आम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी से प्रभावित होकर वीरेंद्र भास्कर ने आम पार्टी को ज्वाइन किया और इसमें वह प्रदेश सचिव के पद पर भी कार्यरत रहे। किंतु वैचारिक परिवर्तनों के चलते उन्होंने इस पार्टी को भी छोड़ दिया और 2019 के उप चुनावों में वह वोटर्स इंटरनेशनल पार्टी के अंतर्गत चुनावों में खड़े हुए। यह पार्टी सकल राष्ट्रीय आय में देश के सभी नागरिकों के समान अधिकारों की बात करती है और इस सिद्धांत ने वीरेंद्र भास्कर को प्रभावित किया।
2019 में हुए उप चुनावों में भाजपा की लहर के चलते प्रत्याशी के तौर पर वीरेंद्र भास्कर को बेहतर जन समर्थन नहीं मिल पाया लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं अपना स्वयं का एक संकल्प घर कर चुका था और अपने इसी संकल्प यानि "आर्थिक आजादी आंदोलन" को यथार्थ करने के लिए उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए।
इसी राह पर चलते हुए उन्होंने अनुभव किया कि वर्तमान में परिस्थितियां इस प्रकार की हो गई हैं कि अपना एक सार्थक मिशन आगे बढ़ाने की लिए व्यक्ति को किसी सशक्त माध्यम की आवश्यकता होती है अन्यथा आपकी बात दबी रह जाती है। इसी विचार के चलते उन्होंने अपने "आर्थिक आजादी आंदोलन" को आगे बढ़ाने के लिए जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ "पप्पू यादव" से चर्चा की और उन्होंने उनके आंदोलन को बेहद सराहा व पार्टी के अंतर्गत इन मुद्दों को उठाने की बात की। जिसके बाद वीरेंद्र भास्कर ने जन अधिकार पार्टी को ज्वाइन किया और राष्ट्रीय कार्यकारिणी कमेटी के सदस्य भी नियुक्त हुए।
अपने आर्थिक आजादी के मुद्दों को आगे लाने के क्रम में वर्तमान में वह जन अधिकार पार्टी के अंतर्गत ही बिहार विधानसभा चुनावों में डेहरी विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश करने के लिए पार्टी से टिकट मिलने की कड़ी में प्रयासरत हैं। वीरेंद्र भास्कर कहते हैं कि भविष्य में क्या हो, यह तो निश्चित नहीं है किंतु वह आर्थिक आजादी आंदोलन के लिए स्वयं को पूरी तरह से समर्पित कर चुके हैं।
डेहरी विधानसभा से जुड़े प्रमुख मुद्दे
डेहरी विधानसभा को बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में काफी विकसित और सम्पन्न माना जाता है। वीरेंद्र भास्कर का कहना है कि यह प्रखंड सड़कों, नहरों, खनिज संपदा इत्यादि के लिहाज से बेहद सुविधासंपन्न है, लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या लूट और भ्रष्टाचार की है। वह बालूघाट का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि सरकार ने इस स्थान का भी निजीकरण कर दिया है, जिससे स्थानीय निवासी बस मजदूर बन कर रह गए हैं, जबकि इस स्थान पर व इससे प्राप्त होने वाली आय पर यहां की जनता का भी बराबर का अधिकार होना चाहिए।
इसके अतिरिक्त वीरेंद्र भास्कर इस क्षेत्र के अधिकतम विकास के लिए सोन नदी के किनारे रिवर वियु के साथ ही एक सड़क का निर्माण कराना चाहते हैं ताकि यहां ट्रैफिक जाम की समस्या समाप्त हो सके। साथ ही वह बालू घाट की समस्या के लिए वहां एक ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें स्थानीय जनता का भी समान विकास हो सके।
जनता के लिए संदेश
वीरेंद्र कुमार डेहरी की जनता को अपना संदेश देते हुए कहते हैं कि जन अधिकार पार्टी के अंतर्गत उनका पूरा प्रयास नीति और व्यवस्था में परिवर्तन लाना है। चुनावों में भागीदारी के जरिए वह जनता को आर्थिक आजादी देने के अपने मिशन को वह पूरा करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि वर्तमान में संविधान के साथ खिलवाड़ और जनता के साथ लूट-खसोट जारी है। लॉक डाउन के दौर में सरकारी घोषणाओं के चलते लोगों से उनकी रोजी-रोटी तक छिन गई। इसके बावजूद भी सरकार ने माइक्रो-फाइनेंस कंपनियों पर लगाम नहीं लगाई और उन्होंने दिहाड़ी मजदूरों, छोटे किसानों, छोटे दुकानदारों आदि को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
वह कहते हैं कि यदि सरकार किसानों, प्रॉपर्टी डीलर्स और बड़े बड़े उद्योगपतियों का लोन माफ कर सकती है तो इन छोटे किसानों, छोटे दुकानदारों, मजदूरों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। इन्हें माइक्रो-फाइनेंस कंपनियों के द्वारा शोषित करने की आजादी क्यों दी गई है, वह भी मात्र 10-20 हजार रुपयों के लिए। वीरेंद्र भास्कर कहते हैं कि संविधान में लिखे अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से मिलने चाहिए लेकिन आज आजादी के 70 वर्ष बाद भी भारत और आम आदमी केवल कुछ पूँजीपतियों के हाथों की कठपुतली बना हुआ है।
वीरेंद्र कुमार डेहरी की जनता से अनुरोध करते हुए कहते हैं कि जनता को अब जगरूक होना होगा और अपने अधिकारों को समझना होगा। यदि जनता अपने लिए सही प्रतिनिधि चुनने पर उतर आए तो देश में नीतिगत परिवर्तन होने से कोई नहीं रोक सकता है।