नाम : वी. के. जोशी
पद : निदेशक (पूर्व) , जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया
कार्य : पर्यावरण व उसके संरक्षण
उत्तरांचल के अल्मोड़ा में 30 सितंबर सन 1941 में जन्मे विजय
कुमार जोशी ने लखनऊ
विश्वविद्यालय से भूविज्ञान में परास्नातक करने के बाद जियोलॉजिकल
सर्वे ऑफ इंडिया में 36 सालों तक अपना योगदान दिया है. इस दौरान उन्होने
पूरे देश में घूम- घूम कर बेहद जटिल पर्यावरणीय शोध किए. जोशी जी ने इस दौरान
पूर्व कालिक पर्यावरणीय शोध भी किये, तत्पश्चात 2001 में जोशी जी जियोलॉजिकल सर्वे
ऑफ इंडिया से सेवा निवृत हुए.
सेवा निवृत होने के बाद जोशी जी नें फ्रीलान्स पत्रकारिता की ओर
रुख किया. जहां उन्होंने पर्यावरण व उसके संरक्षण पर 2000 से अधिक लेख हिन्दी व अंग्रेजी
भाषा में लिखे व सभी लेखों को प्रमुखता से अग्रणी समाचार पत्रों व मीडिया घरानों
ने प्रदर्शित किया. वी. के. जोशी जी नें अपने लेखों के माध्यम से हमेशा समाज में
पर्यावरण व उसके संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने की कोशिश की है. पर्यावरणीय
पत्रिका जैसे “ डाउन
टू अर्थ ” व ‘जर्नल
ऑफ यूनाइटेड नेशन्स एनवायरोमेंटल प्रोग्राम’ ने भी जोशी जी के लेखों को प्रमुखता से
समाज को प्रदर्शित किया.
2011 में जोशी जी ने विज्ञान
प्रसार के लिए रसायन विज्ञान, जल व बिल्डिंग मटेरियल्स पर 6 रेडियो कार्यक्रम लिखे. इन सभी कार्यक्रमों को
आल इंडिया रेडियो पर 2013
में प्रसारित किया गया व आम जन में यह कार्यक्रम काफी लोकप्रिय भी
हुए.
विज्ञान प्रसार ने जोशी जी की दो पुस्तकों “परमाणु ऊर्जा स्वस्थ
ऊर्जा” व “बाजीगर आईसोटोप्स” को भी 2014 में प्रकाशित किया जो
क्रमशः परमाणु ऊर्जा व आईसोटोप्स पर आधारित थीं. उसी वर्ष “बेनेट कोलमेन एंड
कंपनी लिमिटेड ” द्वारा
प्रकाशित कॉफ़ी टेबल बुक “ यूपी अ कोलेडोस्कोप ऑफ कल्चर ” में उत्तर प्रदेश के
आर्किटेक्चर पर एक लेख लिखने के लिए अनुबंधित भी किए गए, जिसे 2015 में प्रकाशित किया गया व “जियो – डाइवरसिटी इस द क्रेडल ऑफ
बायो डाइवरसिटी”
में जोशी जी ने अपने पर्यावरणीय
विचारों को आगे बढ़ाया.
अपने इंटरनेट ब्लॉग “ डॉग डोम ” में इन्होने अपने कुत्तों
के प्रति लगाव को दिखाया है. उन्होने ब्लॉग पर कुत्तों से जुड़ी अनेकों महत्वपूर्ण
जानकारियों को आम जन से साझा किया है. यह ब्लॉग नवीन पशु पलकों के लिए बेहद उपयोगी
है. वहीं वह 1997
से लगातार हिंदुस्तान टाइम्स के लिए इस विषय पर कॉलम लिखते आ रहे
हैं.
2017 में जोशी जी के अंग्रेजी उपन्यास “अवध, बियोंड ब्रीक्स एंड मोर्टार” भी प्रकाशित किया गया है.
वी के जोशी जी ने अपने जीवन काल के बड़े हिस्से को नदियों के नवनिर्माण में लगाया है खासकर गोमती के लिए उनके प्रयास देखते ही बनते हैं