नाम : शुभम सिंह "अनन्त"
पद : पूर्व लोकसभा अध्यक्ष, युवा कांग्रेस, उत्तर प्रदेश
नवप्रवर्तक कोड : 71184154
परिचय
शुभम सिंह एक मध्यम वर्गीय और साधारण से परिवार में जन्में एक ऐसे युवक जिन्होंने राजनीति में जाने की कभी सोची भी नहीं थी। इनके पिता इंद्रजीत, खेड़ा गांव में किसान थे और ऐसी हालत में एक साधारण से परिवार का लड़का कभी राजनीति की तरफ जाने का सोचता भी नहीं तो वैसे में इन्होंने शुरुआत से भारतीय सेना में जाने का अपने लिए लक्ष्य चुना था। इसीलिए शुभम एनडीए की तैयारी भी कर रहे थे और उसी दौरान उन्होंने लखनऊ स्थित केकेसी कॉलेज के बीकॉम में अपना दाखिला लिया। लेकिन नियति ने कुछ ऐसा बदलाव किया कि उनकी दिलचस्पी राजनीति में बढ़ती चली गई और उनके लिए राजनीति का द्वार भी खुलता चला गया।
राजनीतिक पर्दापण
सामान्य तौर पर दिन कट रहे थे, कॉलेज की पढ़ाई चल रही थी, भारतीय सेना में जाने की सोच प्रबल हो रही थी कि उसी दौरान 2010 में उन्होंने राहुल गांधी के बारे में सुना। उन्होंने देखा कि देश जिसे प्रिंस के नाम से पुकारता है, वह आम लोगों के लिए, किसानों के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। वह किसानों, मजदूरों, आदिवासियों के हक के लिए कई कई किलोमीटर पैदल ही यात्रा कर रहे थे। यहीं से शुभम सिंह का रुझान राजनीति में बढ़ा और वह उनके संघर्ष में साथ हो गए।
इसके साथ राहुल गांधी ने भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव सुनिश्चित किया, उन्होंने युवाओं को मौका देना शुरू किया। उनका जोर युवा नेतृत्व पर ज्यादा था और इसीलिए उन्होंने कांग्रेस की स्टूडेंट विंग नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) और युवा कांग्रेस में एक बड़ा बदलाव लाने का प्रयास किया। उन्होंने दोनों ही संगठनों में चुनाव करवाएं, जिससे नए और हर वर्ग से आने वाले साधारण से लोग भी बड़े-बड़े पदों पर चुने गए। जबकि पहले बड़े बड़े राजनीतिज्ञों से जुड़े लोग ही इन पदों पर आ पाते थे। ऐसे में यह राजनीति में एक बहुत बड़ा बदलाव था और वैसे में शुभम सिंह जैसे लोगों को राजनीति में अपने लिए भी एक मौका नजर आया।
वर्ष 2012 में उन्होंने एनएसयूआई ज्वाइन की और पार्टी के दिए गए कार्यों को करते रहें। उनके कार्यों से प्रभावित होकर और साथ ही राजनीति में बढ़ती उनकी दिलचस्पी को देखते हुए युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष ने उन्हें वर्ष 2013 में शहर सचिव के पद की जिम्मेदारी सौंपी। 2013 के दौरान राहुल गांधी के सारे कार्यक्रमों में शुभम सिंह ने शिरकत की। उसके बाद वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव हुए और उनकी पार्टी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद पार्टी को महसूस हुआ कि वह सोशल मीडिया में बेहद कमजोर हैं और इसीलिए सोशल मीडिया सेल बनाया गया, जिसमें शुभम सिंह को पूरे उत्तर प्रदेश के मध्य जोन का सह प्रभारी बनाया गया।
वर्ष 2014 से 2016 तक शुभम सिंह सोशल मीडिया मध्य जोन उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी पद पर रहे और इनके काम और मेहनत को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने इन्हें युवा कांग्रेस का लोकसभा अध्यक्ष बनाकर और बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। इन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र मोहनलालगंज में काफी जोर-शोर से कार्य किया, कई प्रदर्शन किए और पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस पद पर वह 2018, जब तक कि फिर से चुनाव नहीं हुए तब तक बने रहें। वर्ष 2018 में वह प्रदेश महासचिव का चुनाव लड़ें, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान समय में वहां पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर हर तरह से पार्टी के कार्यों में लगे हुए हैं।
राजनीति में आने की वजह
शुभम सिंह के राजनीति में आने की एक प्रमुख वजह राहुल गांधी की युवा सोच तो रही ही, साथ ही वह किसान परिवार से रहे हैं एवं उन्होंने किसानों की समस्याओं को बड़े गौर से देखा और समझा है। उनका मानना है कि जिस देश की 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर आश्रित है, उस वर्ग का प्रतिनिधित्व राजनीति में बेहद ही कम है। अगर किसानों के बीच से निकलकर किसानों की समस्याओं को जमीनी स्तर पर समझने वाला कोई राजनीति में आएगा तो उनके लिए बेहतर कर पाएगा। ऐसे में राहुल गांधी ने एनएसयूआई और युवा कांग्रेस में जो चुनाव करवाने की परंपरा शुरू की वह शुभम सिंह जैसे लोगों के लिए राजनीति में आने का एक कारण बना और इसी ने उनके लिए राजनीति का दरवाजा खोला।
इसके साथ शुभम सिंह महात्मा गांधी जी के विचारों से भी बेहद प्रभावित रहे हैं। उनका मानना है कि गांधी जी बैरिस्टर रहते हुए भी अपनी नौकरी को छोड़कर देश सेवा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। यह उनके लिए बड़ी प्रेरणा रही और उन्होंने भी नौकरी की न सोच कर समाज सेवा के लिए राजनीति के मार्ग को चुना।
प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दें
शुभम सिंह का मानना है कि कि उनका लोकसभा क्षेत्र मोहनलालगंज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे हुए होने के बावजूद हमेशा अपेक्षित रहा है। वह बताते हैं कि आवाजाही का प्रमुख साधन यहां उपलब्ध नहीं है। सिटी बस यहां पर नहीं चलाई जाती है जोकि एक प्रमुख समस्या है, सरकार का ध्यान इस तरफ नहीं है। उनका मानना है कि जो मेट्रो पॉलिटेक्निक तक आ सकती थी वह मोहनलालगंज में भी लाई जा सकती थी।
शुभम सिंह कहते हैं कि बेहतर भारत के लिए हमारा कल बेहतर होना चाहिए और उसके लिए अच्छी शिक्षा और खेलकूद की व्यवस्था की जानी चाहिए किंतु मोहनलालगंज में एक भी कन्या महाविद्यालय नहीं है और ना ही बालकों के लिए महाविद्यालय है। खेलकूद से जुड़ा कोई भी ऐसा स्टेडियम नहीं है जिससे कि बच्चों को खेलने की उचित व्यवस्था मिल पाए।
देश की प्रमुख समस्याओं पर विचार
शुभम सिंह का मानना है कि आज भारत गृहयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है। एक और जहां 55 लाख कश्मीरियों को हमने बंधक बनाकर रखा हुआ है तो वहीं मेघालय और कुछ दूसरे राज्य अपना अलग ही झंडा फहरा रहे हैं और स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पूर्व ही अपना स्वतंत्रता दिवस मना लेते हैं।
शुभम मानते हैं कि आज देश में बहुत बड़ी समस्या बेरोजगारी की है, आज देश का हर क्षेत्र ही बेरोजगारी के चपेट में है। उनके मुताबिक देश की तीसरी प्रमुख समस्या है किसानों की वह बताते हैं किस स्वतंत्रता के वक्त है किसानों के लिए 14.7% का बजट का प्रावधान था किंतु मौजूदा सरकार ने इसे घटाकर 3.7% कर दिया है जो कि किसानों के साथ मजाक है। वह बताते हैं कि देश में साढ़े तीन करोड़ किसानों ने अपने जमीनों को बेचकर शहर में दुकानें ले ली घर ले लिया क्योंकि उन्हें अपने लागत का भी मूल्य नहीं मिल पा रहा था।
चौथी समस्या के तौर पर शुभम सिंह का मानना है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था दूसरे देशों के मुकाबले बेहद खराब है। भारत में शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया गया है जो कि एक प्रमुख समस्या है। एक और प्रमुख समस्या का जिक्र करते हुए शुभम बताते हैं कि भारत जैसे देश में जहां कट्टरता का कोई मतलब नहीं बनता था वहां आज लोगों में कट्टरता व्याप्त होने लगी है और भारत का सौहार्द पूर्ण वातावरण बिगड़ रहा है।
वैश्विक मुद्दें
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है वह सही नहीं है। भारत एक ऐसा राष्ट्र रहा है जो सबको साथ में लेकर चलने का कार्य करता रहा है। हम पहले भी रशिया और अमेरिका को साथ में लेकर चलते रहे हैं। भारत कभी भी दूसरे देशों की राजनीति में दखल देने का कार्य नहीं करता था किंतु हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री ने अमेरिका में जाकर और साथ ही इजराइल में जाकर वहां के नेताओं के लिए प्रचार किया जोकि एक सोचने का विषय है कि इससे दूसरी पार्टी जो कभी सत्ता में आएगी उसके साथ भारत के संबंध का क्या होगा? हमारी सोच, जो हमारे 70 साल पुराने दोस्त रहे हैं और जो नए देश हैं उन सब के साथ समन्वय बैठा कर चलने की होनी चाहिए।