नाम : श्रोत गुप्ता
पद : प्रभारी, युवा कांग्रेस एवं एनएसयूआई, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी
नवप्रवर्तक कोड :
परिचय –
छात्र जीवन से ही सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर सक्रिय श्रोत गुप्ता भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस के एक युवा नेता व कार्यकर्ता हैं. वर्तमान में वह उत्तर –
प्रदेश युवा कांग्रेस व एनएसयूआई के कमेटी प्रभारी हैं. श्रोत गुप्ता कानुपर के
रहने वाले हैं तथा उन्होंने कानपुर की सीएसजेएम युनिवर्सिटी से परास्नातक किया है.
राजनीति के अतिरिक्त उनका अपना रियलस्टेट का निजी व्यापार भी है तथा वह कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ में वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनीति से जुड़ी रही है तथा उनके छोटे भाई बार एसोसिएशन के मंत्री रहे हैं.
राजनीतिक पदार्पण –
एक उर्जावान युवा राजनीतिज्ञ के रूप में सक्रिय श्रोत गुप्ता छात्र जीवन से ही
राजनीति में आ गये थे. स्कूल में जब वह
महज इण्टरमीडिएट में थे, तब वह राष्ट्रीय
संगठन मंत्री रहे. इसके अलावा जब वह बी.कॉम के द्वितीय वर्ष में थे, उस समय
राजबब्बर की पार्टी युवा जनमोर्चा में शामिल हुए तथा वह इस पार्टी के राष्ट्रीय
अध्यक्ष भी रहे. यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई.
इसके उपरांत वह 2008 में कांग्रेस से जुड़ गये. कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने इस पार्टी के कई राजनीतिक पदों पर कार्य किया, जिसमें कि कांग्रेस सरकार के अंतर्गत श्रम मंत्रालय निदेशक व मनरेगा के प्रदेश संयोजक आदि पद शामिल हैं.
सामाजिक सरोकार –
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद से ही श्रोत गुप्ता ने अपना जीवन समाज और राजनीति में समर्पित कर दिया. उनका कहना है कि वे जीवन भर लोगों के लिए संघर्ष करते रहना चाहते हैं तथा किसान बेरोजगार व छात्राओं के हित के लिए हमेशा आवाज बुलंद कर कई आन्दोलन किये. उनके समाजिक कार्यों के चलते उन्हें कई संस्थानों द्वारा सम्मानित भी किया गया है.
राजनीति में आने का कारण –
देश के निर्माण में नौजवानों की भूमिका को अहम मानते हुए श्रोत गुप्ता का मानना रहा है कि देश का नौजवान जब देश चलायेगा, तभी देश को आगे बढ़ाया जा सकेगा, क्योंकि महज व्यवसाय और नौकरी से देश का विकास नहीं किया जा सकता. इसके लिए युवाओं को जिम्मेदारी लेनी होगी. इसी सोच के साथ उन्होंने राजनीति में कदम रखा.
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारधारा –
श्रोत गुप्ता के अनुसार समाज में बेरोजागारी व गरीबी प्रमुख मुद्दे हैं, जिसके लिए प्रशासनिक योजनाओं के साथ साथ जनता की सोच व विचार बदलना अतिआवश्यक है. इसके अतिरिक्त लोगों को जाति- धर्म से हटकर राष्ट्र को प्राथमिकता देनी चाहिए. वहीं एससी- एसटी एक्ट जैसे कानून समाज में भेदभाव फैलाते हैं और जातिवाद को बढ़ावा देते हैं. इसलिए हमें इन सब से हटकर एकता और राष्ट्र की बात करनी होगी, तभी देश का विकास किया जा सकेगा.