नाम : शिवकरण सिंह
पद : पूर्व विधायक, राष्ट्रीय महासचिव (रालोद)
नवप्रवर्तक कोड :
राष्ट्र की सुरक्षा एवं संप्रभुता को सुनिश्चित करने में अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भारतीय सेना के लिए समर्पित कर देने वाले शिवकरण सिंह जी बेहद प्रतिभासंपन्न व्यक्तित्व के धनी हैं. एक रिटायर्ड फौजी के रूप में वे आज समाज और देश के आंतरिक विकास की संकल्पना के साथ राजनीति के अंतर्गत अपनी सेवाएं प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं. मूल रूप से जिला बाराबंकी, लखनऊ के निवासी रहे शिवकरण जी राष्ट्रीय लोक दल से विधायक रह चुके हैं. गैस एजेंसी का व्यवसाय होने के साथ साथ वे कृषक के तौर पर भी कार्यरत हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय सचिव के पद पर क्रियाशील होकर देशहित में योगदान अर्पित कर रहे हैं.
राजनीतिक पदार्पण एवं उपलब्धियां –
वस्तुतः शिवकरण जी का रुझान राजनीति के क्षेत्र में नहीं था, फ़ौज से रिटायर्ड
होने के पश्चात वे उत्तर प्रदेश राज्य पैनल में वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के रूप में
कार्यरत होकर राज्य को सुरक्षा सेवाएं प्रदान कर रहे थे. उस समय तत्कालीन
मुख्यमंत्री ने उन्हें बुलाकर राजनीति में सम्मिलित होने का प्रस्ताव दिया, इसी
कारण उन्होंने जिला परिषद् अध्यक्ष के चुनावों में भागीदारी की और विपक्षी दलों के
उन्हें पीछे धकेलने के लाख प्रयासों के बावजूद भी वे आम जनता के मध्य एक लोकप्रिय
राजनेता के रूप में उभरकर आए.
शिवकरण जी के अनुभवी जीवन और जनता के अथाह समर्थन का परिणाम था कि चुनावों के
मात्र 6 महीने बाद ही उन्हें विधायक के पद के लिए राष्ट्रीय लोक दल की ओर से टिकट प्राप्त
हुआ. विधायक के रूप में समाज निर्माण कार्यों में योगदान करने के उपरांत वर्तमान
में शिवकरण जी रालोद के राष्ट्रीय सचिव के पद पर कार्यरत होकर जनहित के कार्य कर
रहे हैं. इसके साथ ही वर्ष 2017 में वे विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय लोक दल के
स्टार प्रचारक भी रहे हैं.
सामाजिक सरोकार –
समाज निर्माण के कार्यों के प्रति कल्याणकारी विचारधारा रखने में अग्रणी
शिवकरण जी को उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन, बाराबंकी के तत्त्वाधान में वर्ष
1987-88 में निरंतर दो बार “मैन ऑफ द इयर” का पुरस्कार मिल चुका है.
राजनैतिक क्षेत्र में भी वे मुख्यतः समाज सेवा के उद्देश्य से ही सक्रिय हुए.
सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से संबंधित शिवकरण जी ने एक शूरवीर सिपाही के रूप में
सीमाओं पर पहरा देकर केवल देश की रक्षा ही नहीं की है, अपितु वे समाज और राजनीतिक
क्षेत्र में विद्यमान अराजकता के खिलाफ मुखर होकर अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का
निर्वहन भी बखूबी कर रहे हैं.
राष्ट्रीय लोक दल के प्रति विचारधारा –
राष्ट्रीय लोक दल में भागीदारी के मूल में शिवकरण जी का ध्येय रहा है कि
राजनीति में पसरी असमानता और स्वार्थ की राजनीति का अंत हो सके. उनका मानना है कि
रालोद मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण के समान
है, जिसमें किसान हित की बात सर्वप्रमुख रखी जाएगी. शिवकरण जी के अनुसार यदि देश
में किसानों के समर्थन को प्रमुखता नहीं दी जाती, तो देश की उन्नति की कल्पना नहीं
की जा सकती है. यदि रालोद की सरकार प्रदेश में होगी तो किसानों व हाशिये पर खड़े
अन्य वर्गों की उपेक्षा नहीं होगी, उनके हितों के नए कानून बनाए जा सकेंगे,
ग्रामों में खुशहाली आयेगी, जिससे प्रदेश के साथ साथ देश भी तरक्की करेगा.
लोकतंत्र का वास्तविक ढांचा –
लोकतंत्र की असल रुपरेखा के बारे में शिवकरण जी के विचार हैं कि लोकतांत्रिक
व्यवस्था में सामान्य व्यक्ति पर बंधन कम से कम होने चाहिए. उनके व्यक्तिगत विचार
हैं कि यदि एक सामान्य व्यक्ति खुल कर स्वतंत्र रूप से विकासपरक होकर कार्य नहीं
कर सकता, उसकी छोटी से छोटी गलती के लिए भी उस पर क़ानूनी धाराएं लगा दी जाए, तो वह
खुद का भी कल्याण नहीं कर सकता, देश और समाज तो दूर की बात है.
इसके अतिरिक्त शिवकरण जी के अनुसार जब देश लोकतांत्रिक हो तो राजनीतिज्ञों का पूंजीवादी होना जनता की आँखों में किरकिरी के समान है. वे चाहते हैं कि राजनीतिक क्षेत्र में पेंशन को घटाए जाने की आवश्यकता है. वर्तमान में जहां देश में एक बड़ी आबादी रोजगार के अभाव में भटक रही हैं, वहां राजनीतिज्ञों को विशेष लाभ मिलना अनुचित ही नहीं अपितु निरर्थक भी है.
उनके अनुसार एक स्वस्थ लोकतंत्र में
प्राथमिकता जनता की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति, जन योजनाओं का ज़मीनी स्तर पर
संचालन इत्यादि होना चाहिए. भारतीय लोकतंत्र में आज बड़ी सड़कों, आंगनवाडी,
मिड-डे-मील एवं अन्य विकास परियोजनाओं का कोई लाभ नहीं है, यदि कोई भी व्यक्ति
भूखा सोने पर विवश है. शिवकरण जी चाहते हैं कि इस व्यवस्था में परिवर्तन आए.
राष्ट्रीय हित संबंधी अवलोकन –
राष्ट्र हित के मुद्दों पर शिवकरण जी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि आज देश में
राजनेताओं में वैचारिक परिवर्तन की आवश्यकता है. उनके अनुसार वर्तमान में राजनीतिक
क्षेत्र स्वार्थ और लोभ से भरा हुआ है, नेताओं की कथनी-करनी में जमीन-आसमान का
अंतर है. जहां पहले राजनीति सिद्धांतो और देशभक्ति से युक्त हुआ करती थी, वहीं आज
उसका नाममात्र भी नेताओं में नहीं दिखता. देश का वास्तविक धन, जो जनता टैक्स के
रूप में भुगतान कर रही है, वह केवल कागजों पर ही दिखाई पड़ता है, धरातल पर विकास
कार्यों के रूप में नहीं. देश के भविष्य के लिए इस अराजकतापूर्ण परिस्थिति को
शिवकरण जी एक बड़ा खतरा मानते हैं.
साथ ही देश में सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा के विकसित स्वरुप को वे जरूरी
मानते हैं, उनका कहना है कि शिक्षा का स्तर केवल किताबी ना होकर व्यवहारिक होना
चाहिए. शिक्षा के क्षेत्र में पसरा भ्रष्टाचार रुकना अति आवश्यक है, क्योंकि इससे
अथक परिश्रमी विद्यार्थी सिफारिश नहीं होने से पीछे रह जाते हैं तथा सक्षम वर्ग के
छात्र आगे निकल जाते हैं. शिवकरण जी के अनुसार देश में मौजूदा परिस्थितियों में
सकारात्मक परिवर्तन तभी आ सकता है, जब उच्च अधिकारियों की कार्यशैली का सही ढांचा
तैयार हो और नेताओं में आंतरिक सुधार आए.
देश की सैन्य क्षमता बने सुदृढ़ –
शिवकरण जी भारत को एक शक्तिशाली देश के रूप में देखते हैं, उनके अनुसार देश की
सैन्य क्षमता वैसे तो मजबूत है, परन्तु उसे अधिक विस्तृत किये जाने की आवश्यकता
है. लम्बे समय तक सेना में अपनी सेवाएं देने के कारण वे सैनिकों की मूलभूत
समस्याओं से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं. शिवकरण जी लद्दाख में तैनाती के साथ
साथ वर्ष 1971 के युद्ध में भी सक्रिय रूप से भाग ले चुके हैं, उनका मत है कि सैनिकों
को अनुकूल वातावरण, खान-पान सम्बन्धी सुविधाएं उतनी मुहैया नहीं करायी जाती, जितनी
वास्तविक्ता में होनी चाहिए.
एक रिटायर्ड फौजी के अनुभव से वे कहते हैं कि सैनिकों के प्रति नीतियों में
बदलाव नितांत अनिवार्य है और यह बदलाव तभी आ सकता है जब उच्च अफसरों में उन लोगों
की भागीदारी हो, जिन्होंने बेहद करीब से सैनिकों के जीवन को देखा और समझा है.
इसके अतिरिक्त शिवकरण जी चाहते हैं कि सिविल मुद्दों से सेना को दूर रखे जाने
की आवश्यकता है, जिसका मुख्य कारण आम जनता के मन में सैनिकों का प्रति बेहद सम्मान
और आस्था है, ऐसे में उन्हें इस प्रकार के मामलों में धकेल देना उनकी छवि पर
नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत –
वैश्विक मामलात पर शिवकरण जी का मंतव्य है कि देश में अंतर्राष्ट्रीय नीतियों
से जुड़ा हर विषय देश के सम्मुख रखकर होना चाहिए. विशेषकर कश्मीर से जुड़े मसलों पर
वे साफगोई से लिए गये निर्णयों के पक्षधर हैं. उनके अनुसार कश्मीर विवाद के कारण
वहां आम जनता और सेना सर्वाधिक प्रभावित हैं, इसीलिए शिवकरण जी सरकार से
शांतिपूर्ण क्रियान्वन की आशा करते हैं. उनका मानना है कि जब तक पाकिस्तान और भारत दोनों देश मिलकर
इस समस्या का शांतिपूर्ण निदान नहीं खोजेंगे, तब तक यह समस्या सर उठाए रहेगी और
वैश्विक पटल पर देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
वास्तविकता है, एक सैनिक से बेहतर अपने देश को कोई और शायद ही इतने गूढ़ रूप से समझ पाए, शिवकरण जी एक राजनीतिक नवप्रवर्तक के रूप में भी अनुशासन, असीम अनुभवों, सिद्धांतों और समतापूर्ण नीतियों से देश के भविष्य को सुरक्षित करने में अहम भूमिका लम्बे समय से निभाते आ रहे हैं और हम आशा करते हैं कि आने वाले समय में वे देश में सकारात्मक परिवर्तन लाने की अपनी मुहिम में भी उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त होगी.