नाम - शेखर दीक्षित
पद - राष्ट्रीय अध्यक्ष , राष्ट्रीय किसान मंच , लखनऊ, उत्तर प्रदेश
नवप्रवर्तक कोड - 71183034
परिचय -
शेखर जी लखनऊ से किसान मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं । वें लखनऊ क्षेत्र के निवासी हैं तथा प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह से जुड़ने के बाद किसानों एवं मजदूरों के लिए कई कार्य उन्होंने किये । राजा साहब के सहयोग से 2006- 2007 में जनमोर्चा संभाला एवं अनिल अंबानी द्वारा हड़प ली गयी किसानों की जमीन छुड़ाने के प्रयास में भी सफल रहे ।
क्षेत्रीय कार्य –
शेखर जी राजबब्बर के किसानमंच को छोड़ने के बाद कांग्रेस में चले गए थे
। उसके बाद ये आंदोलन ना रुके, इसके लिए उन्होंने कई प्रयास किये, वी के सिंह के साथ उन्नाव
में कार्य भी किये । वें ग्रामीण क्षेत्र को विकसित करने की ओर लगातार कार्यरत रहते हैं ।
उन्होंने अपने कार्यों एवं जन जागरण के द्वारा पूर्वजों की कुर्बानी को याद दिलाने एवं उस कुर्बानी को व्यर्थ न होने देने की पूर्ण कोशिश की है । चकाचौंध के इस दौर में संस्कृति, एकता, परम्पराओं को न भूलने देने का प्रयास प्रत्येक मनुष्य को करना चाहिए , ऐसा विचार शेखर जी रखते हैं ।
शेखर जी ने अन्ना हज़ारे के आंदोलन में सहयोग भी किया । वें अम्बेडकर नगर में हुए टांडा आंदोलन में भी शामिल रहे । अखिलेश यादव की सरकार के समय ओला व्रष्टि तथा सूखे की मार झेल रहे किसानों को पूर्ण मुआवजा मुहैया कराने में भी उन्होंने सहयोग दिया । शेखर जी ने मोदी सरकार के समय में हुए भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध किया, जिसके बाद सरकार को बिल वापस लेना पड़ा ।
भविष्य की योजनाएं –
संवैधानिक किसान आयोग की मांग शेखर जी के किसान मंच ने की है जो अभी तक प्रस्तावित नहीं हुई है । किसान मंच चीनी के सही पैसे व फसल का सही मूल्य दिलाने का कार्य करता है, जिससे किसानों को काफी फायदा भी होता है ।
सामाजिक कार्यों में बाधा –
शेखर जी के अनुसार वर्तमान समय भागम-भाग, लाभ–हानि, चकाचौंध आदि से भरपूर है, जिससे सामाजिक कार्यों में दिक्कत आती है. राजनीतिक पार्टियां भी अपना ही लाभ देखती हैं । वें खुद भी 4 वर्षों तक कार्य नहीं करती और किसी अन्य कार्यकर्ता पर भी दवाब बनाया जाता है । जनता भी केवल प्रतीक्षा एवं सरकार को कोसती रहती है, जबकि वास्तविकता में प्रजा को भी स्पष्ट वार्ता में माहिर होना चाहिए, ताकि वें अपने अधिकारों की बात कह सकें.
सामाजिक परिवर्तन –
हमारे संविधान में पहले से ही कई कानून हैं, इसीलिए देश को अन्य कानूनों की आवश्यकता नहीं है । शेखर जी का मानना है कि पहले से बने कानूनों, नीतियों को यदि सही तरीके से लागू कर दिया जाए तो इससे बेहतर देश का निर्माण हो सकता है तथा सामाजिक हितों के लिए यदि प्रत्येक युवा निज लाभ छोड़कर कार्य करने लगेगा तो देश खुद ही जल्द से जल्द प्रगति की ओर अग्रसर होकर सफल हो जाएगा ।