पद : अध्यक्ष, राज इंटर कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी
नवप्रवर्तक कोड : 71183116
वेबसाइट : http://rajintercollege.in/
शिक्षा को भारत का भविष्य मानने वाले सिकन्दरा के राज इंटर कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी शैलेन्द्र शंकर पाठक विश्व के प्रेरक महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेते हुए वर्तमान में शिक्षा से समाज और देश में नवपरिवर्तन लाने की दिशा में अग्रसर हैं. राज इंटर कॉलेज के मेधावी छात्र-छात्राएं आज अपनी काबिलियत से ना केवल संस्थान अपितु कानपुर देहात का नाम भी रोशन कर रहे हैं, जिसमें कॉलेज प्रबंधक शैलेन्द्र जी की अहम भूमिका है.
जीवन परिचय :
शैलेन्द्र जी मूल रूप से सिकंदरा के निवासी हैं, उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा औरेया से प्राप्त की है. छात्र जीवन से ही समाज में बेहतरी के विचारों से ओतप्रोत उनका मन उन्हें समाज कल्याण की ओर उन्मुख करता रहा. सर्वप्रथम वे एनएसयूआई से जिला उपाध्यक्ष रहे. तत्पश्चात समाजवादी जनता पार्टी के सम्पर्क में बहुत से कार्य करते हुए औरेया से समाजवादी युवजन परिषद् के जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश संगठन मंत्री के रूप में अग्रणी रहे. वर्ष 1998 में देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सांसद कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के सम्पर्क में आकर उन्होंने अनेकों जनहित कार्यों एवं योजनाओं को सार्थक किया.
कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के संरक्षक में कानपुर देहात में प्रदूषण मुक्त ग्रामीण चेतना समिति का संचालन जनरल सेक्रेटरी के रूप में किया. इन संस्थानों के माध्यम से शैलेन्द्र जी ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपना योगदान दिया. इटावा एवं औरेया जनपद के गांव गांव जाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के कार्यों को संचालित करने के लिए शैलेन्द्र जी व उनके सहयोगियों द्वारा बहुत से अभियान जैसे वृक्षारोपण, विचार संगोष्ठी, जनचेतना अभियान इत्यादि का सफल आयोजन किया गया. वर्ष 2002 तक वे पर्यावरण संरक्षण के लिए इटावा तथा औरेया जिले में अथक कार्य करते रहे.
शिक्षा को बनाया जनजागरण की मुहिम :
वर्ष 2003 में शैलेन्द्र जी ने अपनी जन्मभूमि सिकंदरा में छात्रों को उचित शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थानीय कस्बे मालवीय नगर में राज इंटर कॉलेज की स्थापना की. विद्यार्थी जीवन से ही शैलेन्द्र जी समाज में जागरूकता, नागरिकों के मध्य समरसता और समाज को एकसूत्र में संगठित करने के पक्षधर रहे हैं, उनका मंतव्य रहा है कि केवल शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है, जो समाज में पनप रही बुराइयों को समाप्त कर सकता है. वे मानते हैं कि विद्यालय एक ऐसा मंच है, जहां भारत के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण प्रतिदिन किया जाता है. इन सभी ध्येयों को लेकर निर्मित राज इंटर कॉलेज आज शिक्षा के उच्च गुणवत्ता स्तर के जरिए अनेकों प्रतिभावान विद्यार्थियों को अपनी आंतरिक क्षमता निखारने का एक बेहतरीन मंच प्रदान कर रहा है.
विद्यालय में प्रतिवर्ष विभिन्न विचार सम्मेलनों का क्रियान्वन किया जाता है, जिनमें समाज के संभ्रांत विचारकों व विद्वानों को आमंत्रित करके उनके सिद्धांतों को मुखर किया जाता है. सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक व पर्यावरण आदि क्षेत्रों के विभिन्न अधिवक्ता विद्यालय परिसर में होने वाले कार्यक्रमों में अपने सुविचारों से विद्यार्थियों के जीवन को प्रकाशवान बनाने में सहायता करते हैं. शैलेन्द्र जी राज इंटर कॉलेज को विकसित स्वरुप प्रदान करके प्रतिवर्ष हजारों छात्र- छात्राओं के भविष्य को उज्जवल करने का बीड़ा कुशलतापूर्वक उठाए हुए हैं.
राजनैतिक पदार्पण के मुख्य कारण :
किसी बड़ी नौकरी या पद-प्रतिष्ठा को प्राप्त करना कभी भी शैलेन्द्र जी के जीवन का लक्ष्य नहीं रहा, उन्होंने कभी भी सामाजिक कल्याण कार्यों से अधिक किसी पक्ष को बहुलता नहीं दी. बचपन से ही उनका मन समाज में अच्छे बदलावों की ओर रमा हुआ था. अपने जीवन के एक छोटे से प्रेरक प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए शैलेन्द्र जी बताते हैं कि कक्षा चार में अध्यापक के यह पूछे जाने पर कि वे बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शैलेन्द्र जी ने बाल सुलभ मन से उत्तर दिया था कि, "वे राजनेता बनना चाहते हैं."
आज भी उनका यही मानना है कि राजनीति कोई पद नहीं है, अपितु एक नैतिक जिम्मेदारी है, जिसे देश के प्रत्येक नागरिक को उठाना चाहिए. राजनैतिक क्षेत्र में आगमन से व्यक्ति सामाजिक कुरीतियों से सरलतापूर्वक लड़ सकता है. वर्तमान में भले ही राजनीति का स्वरुप दूषित हो चुका है, क्योंकि आज व्यक्ति राजनीति को सत्ता प्राप्ति का साधन मात्र मान कर कार्य कर रहा है, केवल शक्ति व सत्ता का प्रदर्शन करने के लिए राजनीति का दुरूपयोग किया जा रहा है.
शैलेन्द्र जी राजनीति के साफ़ सुथरे और व्यापक स्वरुप का समर्थन करते हैं, साथ ही वे राजनीति के माध्यम से समाज हित और देश विकास की संकल्पना की मुहिम भी लाना चाहते हैं. अपनी कल्याणकारी विचारधारा के चलते समाजवादी पार्टी से जिला सचिव के रूप में भी शैलेन्द्र जी कार्य कर चुके हैं, साथ ही वे नगर पंचायत सिकंदरा के सदस्य के रूप में विकास कार्य करते आए हैं.
उत्तम सामाजिक विचार :
शैलेन्द्र जी के उत्कृष्ट विचार वर्तमान के स्वार्थी व लोभी मनुष्यों के कुटिल व्यक्तित्व पर एक गहरे आघात की भांति हैं, उनका मानना है कि सत्ता में अंधे हो चुके लोगों को कोई भी याद नहीं रखता है, परन्तु समाज के लिए कुछ करने की जिज्ञासा रखने वाले भले ही साधारण क्यों ना हो, लेकिन उन्हें विश्व भर में सम्मान दिया जाता है. मनुष्य का जीवन चार प्रकार का होता है अल्पकालीन, दीर्घकालीन, सर्वकालीन और अनंतकालीन. सत्ता में रहने वाले किसी व्यक्ति का जीवन दीर्घकालीन, अनंतकालीन या सर्वकालीन नहीं हुआ है. सत्ता का जीवन अल्पकालीन होता है, दीर्घकालीन या अनंतकालीन जीवन महात्मा गांधी, महात्मा बुद्ध, श्री राम, श्री कृष्ण, सुकरात, कबीर आदि का हुआ है और जिनके भी दीर्घकालीन, सर्वकालीन और अंतकालीन जीवन हुए हैं, वे सत्ता के कारण नहीं जाने जाते हैं बल्कि इसलिए पूजे जाते हैं क्योंकि इन्होंने सत्ता को ठोकर मार कर संघर्ष का रास्ता अपनाया.
शैलेन्द्र जी चाहते हैं कि व्यक्ति समाज में रहकर समाज के लिए कार्य करे और समाज में व्यापक बुराई के खिलाफ निडरता से अडिग खड़ा हो जाए.
क्षेत्र-विकास से जुड़े मुद्दें :
राजपुर मुख्य रूप से कानपुर देहात के पिछड़े इलाकों में आता है, जहाँ मूलभूत सुविधाओं का काफी अभाव रहता है. शैलेन्द्र जी मानते हैं कि राजपुर क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा का विकास होना आवश्यक है, जिससे क्षेत्र निरन्तर विकसित हो सके. इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक रूप से अहम राजपुर क्षेत्र वर्तमान में जातिवाद, संप्रदायवाद आदि विषाक्त सामाजिक बुराइयों की जद में कैद सा होकर रह गया है, जिनसे आज़ादी केवल अशिक्षा को जड़ से मिटने पर ही संभव हो सकती है.
राजपुर क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी प्राय: अभाव ही रहता है, अच्छे चिकित्सालयों एवं कुशल चिकित्सकों की कमी के कारण स्थानीय निवासियों को औरेया या इटावा का रुख करना पड़ता है. शैलेन्द्र जी अपने क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता जैसी मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति होते देखने के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रहे हैं.
विकसित भारत की संकल्पना :
शैलेन्द्र जी का मानना है कि यदि भारत से कुछ समस्याओं को दूर कर दिया जाये, तो देश को विकसित होने से कोई भी बाधा नहीं रोक सकती. वर्तमान में देश के अन्नदाता किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता, इससे अधिक शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि आज व्यापारी वर्ग अपनी वस्तुओं के मनचाहे दाम वसूल करते हैं, परन्तु एक किसान अपनी फसल के लिए समर्थन मूल्य को लेकर संघर्ष ही करता रह जाता है. भारत, जो एक प्रमुख कृषि प्रधान देश है, उसमें किसानों के प्रति ऐसा रवैया देश के विकास पर स्वयं ही एक बड़े ग्रहण की तरह है.
देश में असल विकास के मार्ग में क्षेत्रवाद, जातिवाद तथा धार्मिक दंगे इत्यादि भी बहुत बड़ी बाधा के रूप में आज उभर कर आ रहे हैं. शैलेन्द्र जी कहते हैं कि जब तक जनता एकजुटता से कार्य नहीं करेगी और राजनेता धर्म के आधार पर वोट बैंक के माध्यम से स्वार्थ की रोटियां सेंकते रहेंगे तब तक भारत का आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता. इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगनी चाहिए, देश का आज व्यापक रूप से भ्रष्ट होना एक बहुत बड़ी समस्या है.
शैलेन्द्र जी भारत को विकास के एक नए स्तर पर देखने के लिए तत्परता के साथ संकल्पित हैं. वे चाहते हैं कि हर प्रकार की बाधाओं को उचित समाजिक स्तर पर जनता व सरकार के आपसी सहयोग द्वारा नियंत्रित किया जाये और देश को नव-आयामों पर स्थापित किया जाए.
वैश्विक पटल पर भारत :
वर्तमान में भारत को पड़ोसी मुल्कों से बेहतर संबंध रखने का प्रयास करना होगा, शैलेन्द्र जी कहते हैं कि हालांकि हमारा देश इस दिशा में सदैव सकारात्मक पहल करता आया है, परन्तु कुछ पड़ोसी देशों का व्यवहार अच्छा नहीं होने के कारण देश को नुकसान उठाना पड़ता है. इस दिशा में कुछ बेहतर नीतियों का निर्माण होने से यह समस्या सुलझ सकती है. इसके साथ ही भारत को अपनी सैन्य क्षमता को अधिक मजबूत करने पर भी ध्यान देना आवश्यक है, जिससे विश्व पटल पर भारत एक शक्तिशाली देश की छवि कायम कर सके.