नाम - शैलेन्द्र कुमार शुक्ल
पद - जिलाध्यक्ष, जिला काँग्रेस कमेटी, पूर्वी चंपारण
नवप्रवर्तक कोड - 71187016
परिचय
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले से काँग्रेस पार्टी के वरिष्ठ एवं अनुभवी पदाधिकारी शैलेन्द्र कुमार शुक्ल राजनीति से भी बढ़कर अपने समाज सेवा के रुझान के लिए जाने जाते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की कर्मभूमि कहे जाने वाले पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी से आने वाले शैलेन्द्र कुमार शुक्ल स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से संबंधित हैं और राष्ट्र सेवा के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले अपने पुरखों के आदर्शों का अनुसरण करते हुए ही वह आगे बढ़े हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी आदि महानुभावों से प्रेरणा लेते हुए श्री शुक्ल ने भी समाज सेवा के उद्देश्य से काँग्रेस को एक विचारधारा मानते हुए राजनीति में प्रवेश किया और लंबे समय तक जिला स्तर पर संगठन को मजबूती हुए आज वह पूर्वी चंपारण से जिला काँग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष हैं।
राजनीति में पदार्पण
छात्र जीवन से ही काँग्रेस पार्टी से राजनीति का अभिन्न अंग रहे श्री शुक्ल ने समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए राजनीति में पदार्पण किया। वर्ष 1979 से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एनएसयूआई छात्र संगठन के अध्यक्ष पद से की, जिसके बाद वह छात्र संगठन (एनएसयूआई) में जिलाध्यक्ष भी रहे। बिहार यूनिवर्सिटी में तीन साल इसी क्रम में रहने के बाद उन्होंने सीनेट के चुनावों में भी जीत हासिल की।
वर्ष 1983-84 में श्री शुक्ल यूथ काँग्रेस से पूर्वी चंपारण जिले के जनरल सेक्रेटरी रहे और फिर लगातार 13 वर्षों तक उन्होंने यूथ काँग्रेस में जिलाध्यक्ष के तौर पर अपनी सेवाएँ दी। काँग्रेस पार्टी के प्रति उनकी कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए उन्हें 1997 में जिला काँग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष का पद सौंपा गया और 2000 में उन्हें जिला काँग्रेस कमेटी में अध्यक्ष पद का निर्वहन करने का अवसर मिला। इस पद पर रहते हुए श्री शुक्ल ने 2013 तक संगठन को सुदृढ़ किया।
2014 में श्री शुक्ल काँग्रेस पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी कमेटी के सदस्य बने और साथ ही वह सिवान जिले से पार्टी के प्रभारी भी रहे। इसके बाद पुन: 2015 में उन्हें जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया, जिस पर वह वर्तमान समय में भी कार्यरत हैं।
विगत चार दशकों से श्री शुक्ल समाज कल्याण, काँग्रेस संगठन और राष्ट्र की सेवा में संलग्न रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पूर्वी चंपारण और आस पास के जिलों में अपने काँग्रेस सहयोगियों के साथ मिलकर विभिन्न मुद्दों पर लोकहित कार्य किए हैं, फिर मामला चाहे आगजनी, बाढ़, अन्याय, महिला सुरक्षा, अत्याचार, कोरोना काल, किसान हित इत्यादि कुछ भी क्यों न रहा हो।
पूर्वी चंपारण जिला : समस्याएं एवं विशेषताएं
बापू की दांडी यात्रा का साक्षी रहा बिहार का पूर्वी चंपारण जिला भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में बेहद अहम रहा है। श्री शुक्ल बताते हैं कि दांडी यात्रा के समय जनसेवक श्री राजकुमार शुक्ला गांधी जी को चंपारण में लेकर आए थे और यही वह स्थान है, जिसने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी बनाया। वह जानकारी देते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत ने किसानों पर सबसे अधिक जुल्म चंपारण में किया और गांधी जी को यहां के स्वतंत्रता सेनानियों ने असीम सहयोग देकर राष्ट्र को स्वतंत्र बनाया।
श्री शुक्ल कहते हैं कि आज बापू का वही चंपारण विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है। यहां 75 फीसदी हिस्सा प्रतिवर्ष बाढ़ की मार झेलता है। उनके अनुसार आज से पाँच-छह वर्ष पहले बांधों की मरम्मत का कार्य समय पर होता था और हर बांध पर एक गार्ड रहता था लेकिन वर्तमान सरकार के शासन में बांधों की सुरक्षा और रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं है। यह सरकार केवल अखबारों या सोशल मीडिया पर ही बाढ़ के बारे में बात करती है, जमीनी स्तर पर मात्र मूकदर्शी बनकर रह गई है।
इसके अतिरिक्त पूर्वी चंपारण में पहले बहुत सी शुगर मिलें थी, जो जनता के रोजगार का बड़ा साधन हुआ करती थी, किन्तु पिछले कुछ वर्षों से वह सभी बंद पड़ी हुई हैं और उचित रोजगार के अभाव में लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। साथ ही वह बताते हैं कि बेरोजगार की समस्या भी यहां सर उठाए हुए है, मनरेगा योजना में सरकार लोगों को रोजगार देने की बात करती है किंतु इस योजना में कितना भ्रष्टाचार धरातल पर हो रहा है, इसकी सुध सरकार को लेनी चाहिए।
प्रमुख राष्ट्रीय समस्याएं
वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर श्री शुक्ल कहते हैं कि विगत 5-6 वर्षों से देश में जात-पात और मजहब को लेकर हिंसा की घटनाएँ बढ़ी हैं। इन घटनाओं के होने से देश के लोकतंत्र और संविधान को क्षति पहुंचती है। उनका कहना है कि आज हाथरस जैसी घटना हमें विचार करने पर मजबूर करती है कि राजनीति का दामन कितना दागदार हो चुका है। आज लोग समाज और राष्ट्र की सेवा के उद्देश्य से राजनीति में नहीं आते बल्कि सत्ता की लालच से राजनीति का हिस्सा बनते हैं, जो किसी भी देश की संस्कृति व प्रगति के लिए बाधक है।
इसके अतिरिक्त नौजवानों के रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भी श्री शुक्ल ने उठाते हुए अपने विचार रखें और बताया कि आज इन सबसे अहम मुद्दों की परवाह सरकार को नहीं है लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के समान बांटो और शासन करो की नीति पर सरकार चल रही है। वर्तमान सरकार भूल गई है कि स्वाधीनता के संग्राम में शहीदों ने जाति और मजहब से ऊपर उठकर भाग लिया था और इसलिए यह देश सभी का है व सभी विकास के समान अधिकारी हैं।