नाम : सरस्वती कुसुम कमल
पद : समाज सेविका
कार्य : महिला सशक्तिकरण, किसान उत्थान
परिचय
सरस्वती जी एक समाज सेविका के रूप में जनसाधारण में कार्य कर रहीं हैं । आप स्मृतिशेष जननायक कपूरी ठाकुर जी की परपोती हैं । बिहार राज्य की रहने वाली सरस्वती जी ने उस क्षेत्र से निकल कर समाज कल्याण में योगदान दिया है , जहां पर बेटियों का पैदा होना अभिशाप माना जाता है ।
सरस्वती जी की माँ का नाम कुसुम देवी जी हैं जिन्होंने अपनी पूरी लगन और परिवार के विरुद्ध जाकर अपनी सभी बेटियों को शिक्षित औए कर्मठ बनाया । सरस्वती जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया है ।
समाज कल्याणी कार्य
सरस्वती जी ने समाज में शिक्षित होने की अलग धारणा को प्रस्तुत किया । आपका मानना है , कि शिक्षित होने से स्वावलम्बन आता है साथ ही समाज भी प्रगति
के शिखर पर पहुंचता है । समाज मे आप सभी वर्गों के उत्थान के कार्य कर रहीं हैं जिसमे
बच्चे , पुरूष , महिलाएं , वृद्ध सभी शामिल हैं ।
आपने समाज 2014 के लोकसभा चुनाव
में चुनाव आयोग की पद्धति में कई परिवर्तन कराए । जिसके अंतर्गत ईवीएम मशीन में उम्मीदवार
की फ़ोटो लगवाने का कार्य किया । झूठे एफिडेविट लगा के चुनाव में लड़ने लगते थे , इस नियम में परिवर्तन लाये ।
2013 में आईआईटी कानपुर में
4 विद्यार्थियों की मौत हुई उस समय आप मीडिया के क्षेत्र में कार्य कर रहीं थीं । आप
कठिनाई का सामना करते हुए कानपुर आईआईटी गयीं । वहां पर अंदर जाने के लिए मना कर दिया
गया । तब एक मंच लगा कर आंदोलन किया ।
आपका मनना है , कि अगर वारदात के समय लोगों को कॉलेज
में नहीं जाने दिया जा रहा है तो अन्तरागिनी जैसे कार्यक्रम में मीडिया का आगमन वर्जित
क्यों नहीं है । जिस बच्चे की मौत हुई है उस बच्चे के माँ -पापा को अपने बच्चे का पार्थिव शरीर भी उसके कमरे में देखने को नसीब नहीं हो पाता
। कारण है , कि कॉलेज में लड़कियों को नंबर लेन के लिए कोई समझौता करने होते हैं परंतु लड़कों
को कारण ही नहीं मिलता समझौते करने का । ऐसे में आत्महत्या के अलावा उन्हें कोई रास्ता
नहीं मिलता । इस प्रकार आईआईटी कानपुर को आपने मौत का कुआँ घोषित कर दिया ।
2002 में सेज नामक प्रोजेक्ट जिसे वर्तमान में ट्रांस गंगासिटी कहा जाता है , इसमें 1152 एकड़ जमीन को चस्पा कर दिया गया । इसके बदले किसानों को मुआवजा और घर देने की बात की गई । न ही उन्हें मुआवजा मिला नया ही घर । उनकी जमीन को अनुपजाऊ भी घोषित कर दिया गया ।
2009 में गरीब बस रोता रह गया
और कोई कार्यवाही इस मुद्दे पर नहीं की गई । किसान मंडल के नेता भी चमक कर आगे बढ़ गये
। लखनऊ मंडल के विजय कुमार जी से आपने बात की और जमीन की मिट्टी को जांच के लिए भेजा
। उस मिट्टी के परीक्षण में ये पता चला कि यदि 300 साल तक इस मिट्टी में कुछ उर्वरक
न भी मिलाये जाएं तो इसमें पैदावार बहुत अच्छी होगी ।
2017 आते - आते आपने किसानों के साथ लग कर उस उपजाऊ
मिटफी में चना , दाल , मटर , फूल , सब्जियां उगा कर भेंट स्वरूप ऑफिसर को दी ।
राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन
ईवीएम मशीनसे चुनाव चिन्ह
हटवाने का कार्य किया । उसके स्थान पर केंडिडेट का फ़ोटो लगवाने के कार्य की शुरुआत
की । घरेलू महिलाओं के वेतन की चिंता करते हुए सरस्वती जी ने 25 हज़ार रुपये वेतन की
मांग की जिससे कानपुर क्षेत्र में इन महिलाओं को तीन हज़ार रुपये वेतन की शुरुआत की
।
सरस्वती जी का मानना है , कि कामकाजी महिलाओं को तो उनका वेतन मिल जाता है लेकिन घरेलू महिलाएं 8 घंटे की
जगह 24 घंटे कार्य करती हैं , जिसके लिए उन्हें कोई वेतन नहीं मिलता
। इसके लिये आपने कार्य करना शुरू किया ।
331 आईटीआई द्वारा सरस्वती जी ने भारत की चल- अचल संपत्ति को जानने की पीआईएल दाखिल की । अफसरों द्वारा बहुत टहलाने के बाद वित्त मंत्रालय से ये नोटिस आया कि इस कोई ब्यौरा हमारे पास नहीं है कृपया इसे पत्र न भेजें ।
कार्य में बाधाएं
सरस्वती जी के अनुसार महिला
अगर कोई कार्य करना चाहती है तो उसे सबसे पहले अपने घर वालों से ही लड़ना पड़ता है ।
घर से निकलने के बाद मोहल्ला , समाज , प्रशासन , पैसा इन सबसे लड़ाई लड़नी पड़ती है ।
आज का युवा बहुत परेशान रहता है , उसे पढ़ने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती है । उसे अपने जीवन यापन के लिए 9 बुनियादी
चीजों की जरूरत होती है , जो कि उसे नहीं मिल पाती । जिसके अंतर्गत
रोटी , कपड़ा , मकान , शिक्षा , सड़क , सुरक्षा , बिजली , पानी , सफाई आते हैं ।
नीति परिवर्तन पर विचार -
सरस्वती जी लखनऊ में चंद्रभूषण पांडेय जी से बात
की , कि चेक बाउंस होने पर लोगों को जेल हो जाती है, ऐसे में परिवर्तन कैसे होगा । हमारे
संविधान में सेंट्रल गवर्मेंट का नाम नहीं है , केवल यूनियन और स्टेट गवर्मेंट की बात
हुई है, लेकिन शासन तो सेंट्रल गवर्मेन्ट का चलता है , ऐसे में परिवर्तन कहा से आएगा ।
आज कल लोग सोचते तो हैं
, कि गांधी , भगत पैदा हों लेकिन वो सोचते हैं कि हमारे घर में नहीं दूसरे के घर में हों । इस
सोच में परिवर्तन लाना आवश्यक हो गया है । राजेन्द्र जी , अन्ना अनशन में सरस्वती जी जेल गयीं थी ।वहां की व्यवस्था आपको समझ नहीं आयी ।
शाहजहांपुर की जेल को सरस्वती जी ने गोद लिया है । वहां हो रही गलत बातों को वे ठीक
करना चाहती हैं ।
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