एक शिक्षित एवं सिद्धांतवादी व्यक्ति अपने साहस, शक्ति और आदर्शों से न केवल एक राष्ट्र अपितु समस्त विश्व के लिए सकारात्मक परिवर्तन और नवाचार के मार्ग को प्रशस्त कर सकता है। आज देश और समाज को ऐसे लोगों की आवश्यकता सर्वाधिक है, जो अपने ज्ञान के प्रकाश से एक बेहतर दुनिया का सृजन करने में योगदान दे सकें। संजय सिंह राजपूत, रचनात्मक नेतृत्व की एक ऐसी ही मिसाल हैं, जो छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र से जुड़े हैं और लंबे समय से दलितों-पिछड़ों के कल्याण के जज्बे को साथ लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में विगत 17 वर्षों से समाज की अंतिम कतार में खड़े लोगों के बीच काम कर रहे संजय सिंह राजपूत एक जमीनी स्तर के नेता के तौर पर जाने जाते हैं। जिन्होंने अपनी कार्य कुशलता से समाज के लोगों के बीच आज एक निष्ठावान समाज सेवक का मुकाम हासिल किया है। आइए करीब से जानते हैं संजय सिंह राजपूत के जीवन, लोकसेवा के प्रति उनके जज्बे और उनके राजनीति सफर को..
परिचय –
संजय सिंह राजपूत विगत 17 वर्षों से राजनीतिक और सामाजिक सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं, अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत में उन्होंने समाज के प्रति संकल्पित होकर सेवा करने का जो प्रण लिया था, उस पर वह आज भी उसी दृढ़ इच्छा के साथ अडिग हैं और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल यानि "निषाद पार्टी" के बैनर तले अपने विकास कार्यों को जारी रखे हुए हैं।
संजय सिंह राजपूत ने पीजी तक शिक्षा रायपुर, छत्तीसगढ़ से ही प्राप्त की है और फिलवक्त वह एक जागरूक व्यक्ति के रूप में हाशिये पर खड़े हर वर्ग को न्याय दिलाने में हाथ बढ़ाने के साथ साथ निषाद पार्टी से राष्ट्रीय सचिव और राज्य प्रभारी का कार्यभार वह कुशलतापूर्वक संभाले हुए हैं।
विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर बढ़े आगे -
2005 में भोजपुरी और क्षत्रिय समाज के साथ जुड़कर कार्य करते हुए संजय सिंह राजपूत ने अपने सामाजिक सफर का श्री गणेश किया। यहां उन्होंने विभिन्न पदों पर सेवाएं देते हुए अपने अनुभव क्षेत्र को विस्तार दिया। राजपूतों की संस्था महाराणा प्रताप एकेडमी से वह प्रदेश अध्यक्ष रहे, छत्तीसगढ़ चैंबर्स ऑफ कॉमर्स में सदस्य पद पर कार्यरत रहे, यहां से उन्होंने प्रदेश सचिव के लिए चुनावों में भी शिरकत की और विलासपुर ज़ोन (बीआरसीसी) में तीन वर्ष तक एडवाईजरी कमेटी के सदस्य का जिम्मा संभाला। बीआरसीसी में संजय सिंह राजपूत की कार्य कुशलता को देखते हुए उन्हें एक वर्ष का पद विस्तार भी दिया गया।
भोजपुरी समाज में भी संजय सिंह राजपूत ने संस्था के अंतर्गत काफी काम किया। वह छठ घाट समिति के सदस्य रहे हैं और यहां सचिव पद की जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली। छत्तीसगढ़ में रहने वाले पूर्वांचली लोगों के लिए उन्होंने छठ पूजा के विशेष प्रबंधन हेतु बहुत काम किया और वर्तमान में भी छठ घाट समिति के सदस्य के रूप में वह सक्रिय रहते हैं।
आदिवासी/पिछड़े समाज की लड़ाई के लिए राजनीति में हुए सक्रिय -
छत्तीसगढ़ में आदिवासी जाति/जनजातियों की बहुलता है, जिनके पास आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इन जनजातियों के मध्य लगातार काम करते हुए संजय सिंह राजपूत ने इनके जीवन को बेहद करीब से देखा और समझा है। लगभग दस वर्षों से इन पिछड़ी जनजातियों के लिए कल्याणकारी कार्य करते हुए उन्होंने इनके हितों के लिए राजनीति का हिस्सा बनने का निर्णय लिया और 2018 में कॉंग्रेस से जुडते हुए संजय सिंह राजपूत कॉंग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त हुए।
किंतु पार्टी के साथ तकरीबन अढाई वर्ष काम करते हुए उन्होंने अनुभव किया कि कॉंग्रेस में पिछड़ों/दलितों के हितों की बात नहीं होती है और उनकी विचारधारा भी पार्टी से मेल नहीं खाती है। इसी के चलते वह पार्टी से पृथक हो गए और इसके उपरांत उन्होंने पिछड़ी जाति-जनजातियों के अधिकारों के संघर्ष से जुडने हेतु निषाद पार्टी का दामन थामा।
2021 में निषाद पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद संजय सिंह राजपूत की योग्यता को देखते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय कुमार निषाद ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी। साथ ही वह 2022 में पार्टी के स्टार प्रचारक भी रहे, जिसका परिणाम यह रहा कि 2022 के चुनावों में पार्टी को भाजपा के गठबंधन के साथ 15 सीटों में से 11 सीटों पर जीत हासिल हुई। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय कुमार निषाद के मार्गदर्शन में आगे बढ़ते हुए संजय कुमार सिंह ने बहुत कुछ सीखा और लगातार आगे बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ से पार्टी के प्रभारी नियुक्त हुए। वर्तमान में निर्बाध जनसेवा और संगठन विकास से जुड़कर संजय सिंह राजपूत हाशिये पर खड़े लोगों के विकास की दिशा में कृत संकल्पित हैं।
छत्तीसगढ़ में शोषितों-वंचितों के विकास का विज़न -
निषाद पार्टी के अंतर्गत अति पिछड़ों, अति दलितों और वंचित वर्गों के लिए काम करने और उनके अधिकारों की आवाज को बुलंद करने को संजय सिंह राजपूत अपना भावी विज़न मानते हैं। वह वर्तमान में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्षों व कार्यकर्ताओं इत्यादि की सहभागिता से संगठन को मजबूती दे रहे हैं और अपने हितों की लड़ाई के लिए पिछड़े समाज को जागरूक कर रहे हैं।
आगामी 2023 के चुनावों के लिए संजय सिंह राजपूत छत्तीसगढ़ की लगभग 16 उपजातियों जैसे निषाद, मल्हार, केवट इत्यादि को आगे लाने का काम कर रहे हैं, जिनकी जनसंख्या 44-45 लाख के करीब है। यह जनजातियाँ विकास से इतनी दूर हैं कि इनमें अधिकतर का नाम वोटर लिस्ट में भी नहीं है। संजय सिंह राजपूत इन सभी के अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए प्रदेश में गरीबों व पिछड़ों की सरकार बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार -
देश में रोजगार मुखर शिक्षा नीति को अमल में लाने को संजय सिंह राजपूत वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता मानते हैं। उनका मानना है कि भारत में युवा शक्ति का अभाव नहीं है लेकिन आधुनिक शिक्षा नीति में बदलाव लाकर उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता बनी हुई है।
भारत में आरक्षण की नीति में बदलाव को भी संजय सिंह राजपूत वर्तमान समय की मांग बताते हैं। उनका कहना है कि माननीय बाबा साहब अंबेडकर ने उस समय जो आरक्षण की नीति बनाई, वह भी जानते थे कि इसमें समय समय पर संशोधन होना जरूरी है। साथ ही देश में ब्रिटिश सरकार के समय से चली आ रही पुलिस व्यवस्था में भी आधुनिक समय के अनुसार बदलाव को संजय सिंह राजपूत एक बड़ी आवश्यकता मानते हैं।
संजय सिंह राजपूत के अनुसार भारत में आज जनसंख्या विस्फोट की समस्या भी बहुत बड़ी है, जो देश को विकास पथ से पीछे धकेलने का काम कर रही है। मसलन, एक विकासशील देश में जनसंख्या दर में सतत वृद्धि से आर्थिक संसाधनों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, जिसके चलते बेरोजगारी बढ़ती है और रोजगार के अभाव में भुखमरी फैलती हैं। संजय सिंह राजपूत कहते हैं कि आज सरकार भले ही लोगों को रोटी, कपड़ा, मकान जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उनका लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच ही नहीं पाता।
इसके अतिरिक्त देश में व्यापरियों को लेकर भी नीतिनिर्माण की बात संजय सिंह राजपूत करते हैं। उनके अनुसार हर व्यापारी आज देश के विकास में योगदान देना चाहता है और सुगमता से व्यवसाय करना चाहता है। लेकिन बेहद पुराने बने कड़े नियम-कायदों के चलते नए उद्यमी पीछे हट जाते हैं और युवा सरकारी नौकरियों के पीछे भागते हैं।
संजय सिंह राजपूत कहते हैं कि वास्तविकता यह है कि जब एक व्यक्ति नौकरी करता है तो वह अपने परिवार के भरण पोषण तक सीमित रहता है लेकिन वहीं व्यापार कर वही व्यक्ति अनेकों लोगों को रोजगार देने में समर्थ हो जाता है।
इसके लिए सरकार को नई योजनाएं बनानी चाहिए और कोरोना काल में भी कितने व्यापार ठप्प हो गए, उनके लिए भी विशेष रूप से काम करना आवश्यक है।
इन समस्याओं के समाधान के लिए संजय सिंह राजपूत जमीनी स्तर पर काम कर भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने और वंचितों के सही विकास के लिए योजनाबद्ध कार्य करने को जरूरी मानते हैं। उपर्युक्त मुद्दों को लेकर ही संजय सिंह राजपूत आमजन के बीच जाते हैं और समाज व राष्ट्र कल्याण की विज़न के साथ संकल्पित होकर वह निरंतर कार्य कर रहे हैं।