नाम- समृद्ध वर्मा उर्फ आयुष वर्मा
पद- समाजसेवक, नरकटिया, सिकटा विधानसभा
नवप्रर्वतक कोड- 71190534
परिचय
कहा जाता है कि युवाओं की ताकत समस्त विश्व की साझी संपदा है, युवाओं के भीतर सृष्टि परिवर्तन की भरपूर क्षमता निहित है और समाज की कोई भी इकाई युवाओं में छिपी आत्मशक्ति, साहस, जुझारूपन और आदर्श को चुनौती नहीं दे सकती। अपने सिद्धांतों, आदर्शों और गौरवमयी पारिवारिक विरासत के साथ संकल्पित होकर आगे बढ़ रहे एक ऐसे ही युवा हैं समृद्ध वर्मा, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की कर्मभूमि पश्चिमी चंपारण के सिकटा विधानसभा क्षेत्र से आते हैं।
समृद्ध वर्मा उर्फ आयुष वर्मा पश्चिमी चंपारण के शिकारपुर गांव के मूल निवासी हैं और सिकटा में "गरीबों के मसीहा" के रूप में विख्यात पांच बार के विधायक रह चुके श्री दिलीप वर्मा के सुपुत्र हैं। समृद्ध की शुरुआती शिक्षा पटना से हुई, सातवीं कक्षा के बाद उन्होंने ग्वालियर, मध्य प्रदेश के सिंधिया स्कूल से अपनी बारहवीं तक की शिक्षा पूरी की। जिसके बाद उन्होंने मुंबई से बी.कॉम में स्नातक किया। ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद समृद्ध ने दुबई में एक एडवर्टाइजिंग कंपनी में लगभग साढ़े चार वर्ष तक नौकरी की और उसके बाद उन्होंने हायर एजुकेशन प्राप्त करने का निर्णय लिया।
यूएस, लॉस एंजिल्स के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से समृद्ध ने इंटरनेशनल बिजनेस से पोस्ट ग्रेजुएट किया। यहां उन्हें नौकरी करने के बहुत से बेहतर अवसर भी मिले लेकिन उनके मन में अपने देश के लिए कुछ करने का जज़्बा हमेशा से रहा है, जिसके चलते उन्होंने अपने वतन वापस आना सुनिश्चित किया। समृद्ध ने मुंबई में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (ब्रांडिंग) में प्रबंधक पद पर कार्य किया और इस दौरान उन्हें काफी कुछ नया सीखने का अवसर मिला, इसके बाद उन्होंने टाटा पावर (बाहरी संचार और ब्रांडिंग) में लीड एसोसिएट के पद पर भी सेवाएं देते हुए ज्ञान और अनुभव अर्जित किया।
नौकरी करते हुए भी उनके मन में हमेशा अपने चंपारण जिले के विकास के लिए कुछ बेहतर करने का ख्याल बना रहता था, लेकिन उन्हें एक अच्छा मौका नहीं मिल पा रहा था, जिसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर चंपारण का रुख किया और उसके बाद से वह लगातार अपने जिले की बेहतरी और लोगों की सेवा के लिए कार्य कर रहे हैं।
समृद्ध को हमेशा कुछ नया सीखते रहने और अपने उन अनुभवों से समाज का कल्याण करने में काफी दिलचस्पी रही है। वह न केवल एक अच्छे पाठक हैं, जिन्हें फ़ाईनेन्स, अर्थव्यवस्था, आध्यात्मिक इत्यादि का अध्ययन करना पसंद है बल्कि वह एक अच्छे लेखक भी हैं, जो अपनी लेखन क्षमता से लोगों के जीवन को बदलने, राष्ट्र को विकसित करने और सर्वजन कल्याण की संकल्पना को साकार करने का प्रयास भी करते रहते हैं।
कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल लीडरशिप से डिप्लोमा कोर्स कर चुके समृद्ध भारत को एक विकसित देश के रूप में प्रगति करते देखना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने
"चंपारण विकास यात्रा" के माध्यम से अपने प्रयासों को जिला स्तर पर प्रारंभ भी कर दिया है। उनका मानना है कि आज युवाओं को आगे आकर देश के प्रमुख मुद्दों पर अपनी समझ, अनुभवों और ज्ञान के आधार पर काम करना चाहिए ताकि देश की समस्याओं पर विस्तृत कार्य किया जा सके और उनके समाधान के वैचारिक प्रयासों को धरातल पर भी उतारा जा सके।
राजनीतिक क्षेत्र में रुझान के लिए प्रेरणा
समृद्ध सिकटा के एक ऐसे ऐतिहासिक और गौरवशाली परिवार से आते हैं, जिसके प्रत्येक वंशज की रग रग में दीन दुखियों की सेवा व राष्ट्र सेवा का व्रत रचा-बसा हुआ है। उनके पुरखों ने स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, विपिन चंद्र पॉल सहित अनेकों स्वतंत्रता नायकों के साथ मिलकर योगदान दिया। सिकटा में शिकारपुर परिवार के नाम से विख्यात कुलीन एवं प्रतिष्ठित परिवार के पुनीत संस्कारों को समृद्ध भी अपने बड़ों की भांति आगे बढ़ा रहे हैं।
समृद्ध का कहना है कि वह राजनीति से अधिक समाज कल्याण की विचारधारा पर काम करते हैं। वह जिस परिवार से आते हैं, उन्होंने हमेशा समाज के बीच रहकर लोगों की सेवा की है और वह भी अपने पूर्वजों के पद चिन्हों पर चलना चाहते हैं। उन्होंने विदेशों से शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करते हुए अलग अलग स्थानों से अनेकों अनुभव अर्जित किए हैं, जिनके माध्यम से वह चंपारण में जन कल्याण की मुहिम को जारी रखना चाहते हैं और अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उनके अनुसार राजनीति एक बेहतर मंच है, जहां से आप लोगों की विचारधारा को आगे बढ़ाने, उनकी आवाज बनने और उनकी समस्याओं पर काम करने के लिए प्रयास कर सकते हैं।
चंपारण का विकास
चंपारण के विकास को लेकर समृद्ध माइक्रो स्तर की व्यवस्थाओं की बात करते हैं, उनके अनुसार छोटे छोटे गांवों से एक प्रखंड बनता है, प्रखंड से जिला, जिले से राज्य और राज्यों से मिलकर देश बनता है। इसलिए हमें माइक्रो लेवल पर अपने गांवों, प्रखंडों इत्यादि को व्यवस्थित करके सभी की समस्याओं पर काम करना होगा। समृद्ध कहते हैं कि प्रत्येक क्षेत्र की समस्याएं अलग अलग होती हैं और अगर इन छोटे छोटे क्षेत्रों की व्यवस्था पर उचित प्रकार से काम होगा, तो बड़े स्तर पर समस्याएं खुद ही सुलझ जाएंगी। साथ ही चंपारण में ग्राम स्वराज्य की स्थापना पर भी वह बल देते हैं, जिसके लिए उन्होंने
"चंपारण विकास यात्रा" की मुहिम की शुरुआत की है।
अनुभवों से ली प्रेरणा
समृद्ध ने लगभग दस साल बहुत सी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ काम किया है, जिससे उन्हें हमेशा कुछ नया, कुछ अलग सीखने को मिला है। जब वह दुबई में काम कर रहे थे तो अपने सीनियर राजेश सर से उन्होंने सीखा कि जीवन में ऐसी कोई चीज नहीं है, जो आप प्राप्त नहीं कर सकते बशर्तें आपका लक्ष्य निर्धारित हो और आप में उस कार्य को करने की ललक हो; जब आप किसी काम में अपना शत प्रतिशत योगदान देते हुए आगे बढ़ते हैं तो मंजिल आपको खुद ही मिल जाती है।
इसके अतिरिक्त टाटा में कार्य करते हुए उन्होंने अपनी सीनियर शालिनी जी से सीखा कि हमारे जीवन का सर्वप्रमुख उद्देश्य अपने काम को करते रहना है, हमें अपने हर कार्य को गंभीरता से करते हुए आगे बढ़ना है और साथ ही अपने कार्य को हमें उत्साह और आनंद के साथ करना है तभी हम अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाएंगे। अपने जीवन में सभी प्रसंगों से कुछ न कुछ सीखते हुए समृद्ध आगे बढ़ रहे हैं। समृद्ध का कहना है कि,
"यदि आप समाज के लिए कुछ कार्य करने का मन बना चुके हैं, तो आपको परिणाम की परवाह नहीं करना है बल्कि आपका फोकस बस इस बात पर होना चाहिए कि आप क्या, कैसे और कितना कर रहे हैं।"
राष्ट्रीय विकास एवं नीति निर्माण पर विचार
भारत के राष्ट्रीय विकास एवं नीति निर्माण को लेकर समृद्ध का मानना है कि हमारे देश को भी एक विकसित देश की तौर पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। जब हम विश्व की अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका, जापान इत्यादि से अपने देश की तुलना करते हैं तो हमारे सामने बहुत सी समस्याएं आती हैं। हम सभी चाहते हैं कि हमारे देश में सुविधाओं का स्तर बढ़ें, गरीबी खत्म हो सके, सभी को पर्याप्त भोजन, स्वच्छ पानी, बेहतर जीविका इत्यादि का लाभ सभी को मिले। हमें आगे बढ़ना है तो सभी को एक साथ लेकर चलना होगा, अपने आस पास के सभी समुदायों की छोटी छोटी समस्याओं को सुलझाने की ओर भी हमें ध्यान देना होगा।
समृद्ध का कहना है कि यूएस जैसा देश जो आर्थिक तौर पर बहुत जल्दी आगे बढ़ गया, वहां भी आज सामुदायिक स्तर पर नस्लवाद जैसी समस्याएं उभर रही हैं, इसलिए हमारे देश को भी इससे यही सीखना है कि हमें किसी की कॉपी करके आगे नहीं बढ़ना है। बल्कि अपने संविधान, नीतियों, आदर्शों और धर्म इत्यादि के आधार पर सभी के लिए एक उचित समाधान निकालकर आगे बढ़ना है ताकि हम सही दिशा में आगे बढ़ सकें।
आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या गरीबी की है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी सरकारें इस समस्या के निपटने के प्रयासों में जुटी हैं। समृद्ध कहते हैं कि भारत के परिप्रेक्ष्य में यदि हम देखें तो आज भारत सरकार भी "आतनिर्भर भारत" के संकल्पना के साथ काम कर रही है, जिसके सबसे बड़ा उद्देश्य ही लोगों को स्वावलंबी बनाना है, जन जन को अपने पैरों पर खड़ा कर गरीबी को समाप्त करना है। जब कोई एक व्यक्ति अच्छी शिक्षा, नौकरी या व्यवसाय करता है तो उससे न केवल उस एक व्यक्ति का अपितु पूरे परिवार और समाज के एक बड़े वर्ग का उत्थान होता है।
समृद्ध के अनुसार आज हमें राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सी समस्याओं पर विचार करने की आवश्यकता है, यदि हम अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करना चाहते हैं तो हमें समझना होगा कि क्यों आज महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्य विकास की दौड़ में आगे हैं और यूपी, बिहार अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। उनके अनुसार हमें इन सभी समस्याओं की जड़ को समझना होगा, तभी हम इन पर बेहतर योजनाबद्ध रूप से काम कर पाएंगे।
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